स्वाध्याय के आधार पर अन्य विषय का चयन
अक्सर सभी विद्यालयों में सभी विषय स्वीकृत नहीं होते।
कोई भी विद्यार्थी विद्यालय में नहीं संचालित होने वाले राजस्थान सरकार के निर्धारित पाठ्यक्रमों व मान्यता प्राप्त विषय का अध्ययन कक्षा 6 से ही कर जा सकता है।
उन विषयों का भी जो विद्यालय में संचालित नहीं हो रहे हैं।
कुछ विद्यार्थी विद्यालय में स्वीकृत विषय के अलावा अन्य विषय का अध्ययन करते हैं।
इस हेतु विद्यालय व विद्यार्थी को कुछ अतिरिक्त कार्य करना होता है।
इस कार्य के चरणबद्ध बिंदु निम्नलिखित हैं।
विद्यालय हेतु करणीय कार्य:-
(विद्यालय चाहे राजकीय हो या निजी)
कक्षा 6,7,9 व 11 में विषय के अध्ययन की स्वीकृति ही जारी करनी है।
बोर्ड कक्षाओं हेतु विद्यालय को राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के लोग इन से विद्यालय प्रोफाइल को अपडेट करना है।
राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के पोर्टल पर परीक्षार्थी का परीक्षा फार्म भरने से पहले सभी विद्यालयों को अपना प्रोफाइल अपडेट करना होता है। (इसका शालादर्पन से कोई संबन्ध नहीं है)
प्रोफाईल में सभी विषय कोड सहित दिये गये होते हैं जिन में से प्रचलित विषयों के साथ स्वध्याय के विषय/विषयों का चयन किया जाना है।
इस चयन के साथ ही इच्छित विषय परीक्षा फार्म में प्रदर्शित(शो) हो जायेंगे।
विद्यालय परीक्षा फार्म भर सकेंगे।
शिक्षार्थी द्वारा करणीय कार्य:-
सब से पहले छात्र-छात्रा विद्यालय संचालक मंडल/संस्था प्रधान को इच्छित स्वध्याय के अध्ययन के बाबत प्रार्थना पत्र देगा जिस में वह
(A) यह घोषणा करेगा कि इस विषय का अध्ययन वह स्वयं के संसाधनों से करेगा।
(B) कक्षा 10 व 12 में 650 रुपये अतिरिक्त स्वध्याय के विषय की परीक्षा फीस अदा करेगा।
(C) छात्र को पाठ्य पुस्तक स्वयं खरीद/व्यवस्था कर लानी होगी।
इस प्रकार से प्रधानध्याक/संस्था प्रधान, विद्यार्थी व अभिभावक आपसी समझ से इच्छित विषय का अध्ययन करने हेतु सहयोगी हो सकते हैं।
यहां यह उदृत करना आवश्यक है कि पूर्व में माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा एक विद्यालय में 10 से अधिक स्वधयाय के रूप में विषय लेने पर छात्र-छत्रा पर 2000 से 10000 (दो हज़ार से दस हज़ार रुपये) का जुर्माना लगाया जाता था का आदेश प्रत्यहारित कर लिया गया है।
प्रत्यहारित आदेश
फिर भी किसी प्रकार की सहायता की आवश्यकता हो तो
शमशेरभालु खान से
9587243963
8955031025
पर फोन कर या
sambhalu36@gmail.com पर सम्पर्क कर सकते हैं।
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