नया राजस्थान का मानचित्र 2023
4 अगस्त 2023 तक राजस्थान का नक्शा
4 अगस्त 2023 के बाद राजस्थान का नक्शा
राजस्थान का नक्शा पुराने जिले 33
बाबू सिंह झुझा अभी उस गंजा बाबा धोबी को भडूची जैसी कटोरा में अनाजउ प्रपाचू दोजोपु
नए जिले 17 दिनांक 17 मार्च 2023 के बजट भाषण के अनुसार
बादू डीडी के ब्याव को अगनी शाह जाेप खैजद
सांचो सफल
कुल 50 जिले
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कुल 19 जिलों की घोषणा की जिन में से 2 जिले जयपुर और जोधपुर के ग्रामीण और शहरी दो भाग कीये गये है, अतः 17 नवीन जिलों का ही निर्माण हुआ है।
इस से पहले सब से बड़ा जिला जैसलमेर और सब से छोटा जिला बारां था अब सब से बड़ा जिला तो जैसलमेर है पर सब से छोटा जिला दूदू बन गया है जो एक ही विधानसभा क्षेत्र है। दूदू सीधा ग्राम पंचायत से जिला मुख्यालय बना है।
जिला
A =3
1 अजमेर
2 अलवर
3 अनूपगढ़
B= 9
4 बाड़मेर
5 बालोतरा
6 बारां
7 बांसवाड़ा
8 बीकानेर
9 बूंदी
10 ब्यावर
11 भरतपुर
12 भीलवाड़ा
C= 2
13 चित्तौड़गढ़
14 चूरू
D= 6
15 डीडवाना
16 डीग
17 डूंगरपुर
18 दूदू
19 दौसा
20 धौलपुर
F= 1
21 फलौदी
G= 2
22 गंगानगर
23 गंगापुर
H= 1
24 हनुमानगढ़
J=8
25 जयपुर दक्षिण
26 जयपुर उत्तर
27 जालोर
28 झालावाड़
29 झुंझुनूं
30 जैसलमेर
31 जोधपुर पूर्व
32 जोधपुर पश्चिम
K= 5
33 कोटा
34 कोटपुतली
35 केकड़ी
36 करौली
37 खैरथल
N= 2
38 नागौर
39 नीम का थाना
P= 2
40 प्रतापगढ़
41 पाली
R= 1
42 राजसमंद
S= 6
43 सलूंबर
44 सांचौर
45 सिरोही
46 सीकर
47 सवाई माधोपुर
48 शाहपुरा
T= 1
49 टोंक
U= 1
50 उदयपुर
अधिसूचना :-
नये 19 जिले बनाने की अधिसूचना दिनांक 04 अगस्त 2023 राजस्व मंत्री रामलाल जाट ।
जिला बालोतरा बाड़मेर से अलग
जिला कोटपुतली बहरोड़ अलवर से अलग
जिला जोधपुर दो भागों में विभाजित
जिला जयपुर दो भागो में विभाजित
वर्तमान में भाजपा सरकार इन जिलों के गठन को रिव्यू करना चाहती है।
कांग्रेस द्वारा घोषित तीन जिलों का नोटिफिकेशन नहीं जारी किया।
नेता प्रति पक्ष टीकाराम जूली का बयान -👇
🔥जैसे-जैसे जनसंख्या का विस्तार हो रहा है, ये सरकार की जिम्मेदारी है कि जनसंख्या के अनुरूप नागरिकों को निकटतम स्थान पर राजकीय सुविधाएं उपलब्ध हो सकें. इसी क्रम में हमारी सरकार ने 5 साल में 1284 राजस्व ग्राम, 96 नवीन पटवार मंडल (1035 नए 2023-24 बजट में घोषित), 32 भू-अभिलेख निरीक्षक सर्किल, 125 उपतहसील, 85 तहसील, 35 उपखंड कार्यालय, 13 एडीएम और एक सहायक कलेक्टर ऑफिस खोले। इन सभी ऑफिसों की बेहतर मॉनिटरिंग एवं योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए जिला स्तरीय कार्यालयों की जरूरत आई। मध्य प्रदेश से छत्तीसगढ़ के अलग होने के बाद राजस्थान देश का सबसे बड़ा राज्य बन गया परन्तु प्रशासनिक इकाइयों का पुनर्गठन उस अनुपात में नहीं हुआ। राजस्थान से छोटा होने के बाद भी मध्य प्रदेश (आबादी-7 करोड़ 27 लाख) में 53 जिले हैं। छत्तीसगढ़ (आबादी-2 करोड़ 56 लाख) में 33 जिले हैं। राजस्थान की आबादी लगभग 7 करोड़ है। नए जिलों के गठन से पूर्व राजस्थान में हर जिले की औसत आबाादी 35.42 लाख व क्षेत्रफल 12,147 वर्ग किलोमीटर था. (जबकि त्रिपुरा का क्षेत्रफल 10,492 वर्ग किलोमीटर, गोवा का क्षेत्रफल 3,702 वर्ग किलोमीटर, दिल्ली का क्षेत्रफल 1,484 वर्ग किलोमीटर है)। अब नए जिले बनने के बाद जिलों की औसत आबादी 15.35 लाख व क्षेत्रफल 5268 वर्ग किलोमीटर हो गया। जिले की आबादी व क्षेत्र कम होने से शासन-प्रशासन की पहुंच बेहतर होती है एवं सुविधाओं व योजनाओं की बेहतर डिलीवरी सुनिश्चित हो पाती है। छोटी प्रशासनिक इकाई होने पर जनता की प्रतिवेदनाओं का निस्तारण भी शीघ्रता से होता है। हमारे पड़ोसी राज्यों के जिले जैसे डांग (2 लाख 29 हजार), पोरबंदर (5 लाख 85 हजार) एवं नर्बदा (5 लाख 91 हजार), गुजरात, पंचकुला (5 लाख 59 हजार) एवं चरखी दादरी (लगभग 5 लाख 1 हजार), हरियाणा, मलेरकोटला (लगभग 4 लाख 30 हजार), बरनाला (5 लाख 96 हजार) एवं फतेहगढ़ साहिब (6 लाख), पंजाब जैसे कम आबादी वाले जिले हैं। देशभर में लगभग 95 जिले 5 लाख से कम आबादी के है। कम आबादी वाले जिलों में सरकार की प्लानिंग की सफलता ज्यादा होती है। छोटे जिलों में कानून व्यवस्था की स्थिति बहाल रखना भी आसान होता है क्योंकि वहां पुलिस की पहुंच अधिक होती है। परिस्थितियों के आधार पर जिलों की आबादी में भी अंतर होना स्वभाविक है जैसे उत्तर प्रदेश में प्रयागराज जिले की आबादी करीब 60 लाख है जबकि चित्रकूट जिले की आबादी 10 लाख है. परन्तु सरकार के लिए प्रशासनिक दृष्टि से छोटे जिले ही बेहतर लगते हैं। वर्तमान में राजस्थान के रेगिस्तानी जिलों जैसे जैसलमेर, बाड़मेर, जोधपुर, पाली, बीकानेर, चूरू आदि में जिला मुख्यालयों से कई इलाकों की दूरी 300 किलोमीटर तक है। ऐसे में जिला मुख्यालय पर किसी काम से आने के लिए आमजन को परेशानी होती थी।वर्तमान सरकार केवल अपनी राजनीति चमकाने के उद्देश्य से जनता के हितों की परवाह नहीं कर रही है। राजस्थान की जनता की आवश्यकता के अनुरूप नए जिले बनाए गए हैं। अगर किसी भी जिले को खत्म कर वहां की जनता के साथ अन्याय किया गया तो जनता अपने हक के लिए आवाज मजबूत करेगी।
अपडेट 28.12.2024
28.12.2024 के बाद जिलों की स्थितिराजस्थान में अब कुल जिले 41, कुल संभाग 07
भजनलाल सरकार की कैबिनेट बैठक के कैबिनेट मंत्री जोगाराम पटेल और सुमित गोदारा ने प्रेस वार्ता करते हुए कहा कि बजट घोषणा की क्रियान्विति की है, हमने जनघोषणा पत्र के काम भी पचास फ़ीसदी से अधिक पूरे किए और राइजिंग राजस्थान कार्यक्रम सफल रहा है।
बता दें, गहलोत राज में बनाए गए 9 नए जिलों को भजनलाल सरकार ने बड़ा निर्णय लेते हुए रद्द कर दिया है। ये नए जिले दूदू, केकड़ी, जोधपुर ग्रामीण, शाहपुरा, नीमकाथाना, अनूपगढ़, गंगापुर सिटी, जयपुर ग्रामीण और सांचौर हैं। इसके बाद राजस्थान में कुल 41 जिले ही रहेंगे। वहीं कैबिनेट बैठक में सीकर, पाली और बांसवाड़ा संभाग को रद्द करने का भी निर्णय लिया गया है। इसके बाद राजस्थान में कुल 7 संभाग ही बचे हैं।
9 जिले समाप्त: दूदू, केकड़ी, शाहपुरा, नीमकाथाना, गंगापुरसिटी, जयपुर ग्रामीण, जोधपुर ग्रामीण, अनूपगढ़, सांचौर जिलें खत्म
ये जिले रहेंगे: डीग, बालोतरा, खैरथल-तिजारा, ब्यावर, कोटपूतली-बहरोड़, डीडवाना-कुचामन, फलोदी और संलूबर
नए बने नौ जिले और तीन संभाग (सीकर,पाली,बांसवाड़ा) रद्द करने के पीछे सरकार का तर्क -
जिलों को रद्द करने के निर्णय को लेकर मंत्री जोगाराम पटेल ने कहा कि चुनाव से पहले नए जिले और संभाग बनाए गए थे। वह व्यवहारिक नहीं थे। वित्तीय संसाधन और जनसंख्या के पहलुओं को अनदेखा किया गया। अनेक जिले ऐसे थे, जिनमें 6-7 तहसीलें नहीं थी। इतने जिलों की आवश्यकता होती तो इसका परीक्षण किया जाता। इन सबको अनदेखा किया, इसमें ना तो पद सृजित किए, ना ऑफिस बिल्डिंग दी और ना ही दूसरी व्यवस्थाएं की, केवल 18 विभागों में पद सृजन की व्यवस्था की गई।
मंत्री जोगाराम पटेल ने कहा कि ये जिले राजस्थान पर अनावश्यक भार डाल रहे हैं। रीव्यू के लिए बनी कमेटी ने पाया कि इन जिलों की उपयोगिता नहीं है।
जिलों की संख्या कम करने पर पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का बयान -
हमारी सरकार द्वारा बनाए गए नए जिलों में से 9 जिलों को निरस्त करने का भाजपा सरकार का निर्णय अविवेकशीलता एवं केवल राजनीतिक प्रतिशोध का उदाहरण है।
हमारी सरकार के दौरान जिलों का पुनर्गठन करने के लिए वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी रामलुभाया की अध्यक्षता में 21 मार्च 2022 को समिति बनाई गई थी जिसको दर्जनों जिलों के प्रतिवेदन प्राप्त हुए। इन्हीं प्रतिवेदनों का परीक्षण कर समिति ने अपनी रिपोर्ट दी जिसके आधार पर नए जिले बनाने का निर्णय किया गया।
मध्य प्रदेश से छत्तीसगढ़ के अलग होने के बाद राजस्थान देश का सबसे बड़ा राज्य बन गया परन्तु प्रशासनिक इकाइयों का पुनर्गठन उस अनुपात में नहीं हुआ था। राजस्थान से छोटा होने के बाद भी मध्य प्रदेश में 53 जिले हैं।
नए जिलों के गठन से पूर्व राजस्थान में हर जिले की औसत आबाादी 35.42 लाख व क्षेत्रफल 12,147 वर्ग किलोमीटर था (हालांकि त्रिपुरा राज्य का क्षेत्रफल 10,492 वर्ग किलोमीटर, गोवा राज्य का क्षेत्रफल 3,702 वर्ग किलोमीटर, दिल्ली केन्द्र शासित प्रदेश का क्षेत्रफल 1,484 वर्ग किलोमीटर है) जबकि नए जिले बनने के बाद जिलों की औसत आबादी 15.35 लाख व क्षेत्रफल 5268 वर्ग किलोमीटर हो गया था।
जिले की आबादी व क्षेत्र कम होने से शासन-प्रशासन की पहुंच बेहतर होती है एवं सुविधाओं व योजनाओं की बेहतर डिलीवरी सुनिश्चित हो पाती है। छोटी प्रशासनिक इकाई होने पर जनता की प्रतिवेदनाओं का निस्तारण भी शीघ्रता से होता है।
भाजपा सरकार द्वारा जिन जिलों को छोटा होने का तर्क देकर रद्द किया है वो भी अनुचित है। जिले का आकार वहां की भौगोलिक परिस्थितियों के आधार पर होता है। हमारे पड़ोसी राज्यों के जिले जैसे गुजरात के डांग (2 लाख 29 हजार), पोरबंदर (5 लाख 85 हजार) एवं नर्बदा (5 लाख 91 हजार), हरियाणा के पंचकुला (5 लाख 59 हजार) एवं चरखी दादरी (लगभग 5 लाख 1 हजार), पंजाब के मलेरकोटला (लगभग 4 लाख 30 हजार), बरनाला(5 लाख 96 हजार) एवं फतेहगढ़ साहिब (6 लाख) जैसे कम आबादी वाले जिले हैं।
कम आबादी वाले जिलों में सरकार की प्लानिंग की सफलता भी ज्यादा होती है। छोटे जिलों में कानून व्यवस्था की स्थिति को बहाल रखना भी आसान होता है क्योंकि वहां पुलिस की पहुंच अधिक होती है।
परिस्थितियों के आधार पर जिलों की आबादी में भी अंतर होना स्वभाविक है जैसे उत्तर प्रदेश में प्रयागराज जिले की आबादी करीब 60 लाख है जबकि चित्रकूट जिले की आबादी 10 लाख है। परन्तु सरकार के लिए प्रशासनिक दृष्टि से छोटे जिले ही बेहतर लगते हैं।
सरकार की तरफ से एक तर्क यह दिया जा रहा है कि एक जिले में कम से कम 3 विधानसभा क्षेत्र होने चाहिए जबकि भाजपा द्वारा 2007 में बनाए गए प्रतापगढ़ मे परिसीमन के बावजूद भी केवल दो विधानसभा क्षेत्र हैं।
सरकार द्वारा जहां कम दूरी का तर्क दिया जा रहा है वो भी आश्चर्यजनक है क्योंकि डीग की भरतपुर से दूरी केवल 38 किमी है जिसे रखा गया है परन्तु सांचौर से जालोर की दूरी 135 किमी एवंअनूपगढ़ से गंगानगर की दूरी 125 किमी होने के बावजूद उन जिलों को रद्द कर दिया गया।
हमारी सरकार ने केवल जिलों की घोषणा ही नहीं की बल्कि वहां कलेक्टर, एसपी समेत तमाम जिला स्तरीय अधिकारियों की नियुक्ति दी एवं हर जिले को संसाधनों के लिए बजट भी दिया।
हम भाजपा सरकार द्वारा उठाए गए इस अदूरदर्शी एवं राजनीतिक प्रतिशोध के कारण लिए गए निर्णय की निंदा करते हैं।
अशोक गहलोत
पूर्व मुख्यमंत्री, राजस्थान
कांग्रेस और भाजपा की इस नूरा कुश्ती में राजस्थान की जनता पिस रही है। जिला मुख्यालय से दूरी कम होने पर विकास की गति बढ़ती है और रोजगार के साधन उत्पन्न होते हैं। नया जिला बनने से कलेक्टर से लेकर चौरासी तक विभिन्न विभागों में नए राजकीय कार्मिकों की संख्या लगभग 5000 बढ़ जाती है। इसके साथ ही छोटी संरचना में कानून व्यवस्था भी उत्तम रहती है।
आम जनता की आज कल यह मांग उठ रही है कि - सभी नौ जिलों एवं तीन संभाग की पुनः घोषणा कर राजस्थान में 07 नए जिले व 01 नया संभाग बनाने चाहिए -
नए जिले -
1. भादरा
2. लूणकरणसर
3.. सुजानगढ़
4. पोकरण
5. फतेहपुर
6. सूरजगढ़
7. शिव
नया संभाग
चूरू
सरकार एवं नेताओं को चाहिए कि उक्त अनुसार नए जिले और संभाग बनाने चाहिए।
शमशेर भालू खां
जिगर चुरूवी
9587243963
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