Wednesday, 29 May 2024

मोयल वंश का इतिहास

मोयलवाटी - 
चौहानों की शाखा मोयलों ने छापर द्रोणपुर इलाके में खुद को स्थापित किया। वर्तमान चुरू जिले का दक्षिणी पूर्वी और दक्षिण-पश्चिमी भाग इन्हीं मोहिलो के नाम से मोयलवाटी कहलाए। आज के सुजानगढ़, छापर, लाडनू, इन्हीं मोहिलो के कब्जे में थे।
गांव - 140 (नेनसी के अनुसार 1400 गांव)

मोयल वंश का इतिहास - 
राठ (अरिमुनि की संतान), चायल, जोड़, मोयल ओर कायम वंश का इतिहास घंघराय की संतान तक एक ही है। चौहानों की कुल चौबीस शाखाओं का इतिहास के अनुसार इनका वर्णन पहले ही किया जा चुका है। मोयल/मोहित वंश चौहानों की एक शाखा है।
बछराय/बच्छराज जी की संतान मोयल वंश कहलाई। तथ्य 01 - नेनसी के अनुसार चौहान से पुत्र चाह,चाह से राणा, राणा से गंग (घंघ),गंग से इंद्रवीर, इंद्रवीर से अर्जुन, अर्जुन से सुरजन से राणा, और राणा ही मोहिल हुआ। उसके अनुसार द्रोणपुर पर शिशुपाल वंशी डाहलियों का अधिकार था जिसे उनके कट्टर शत्रु बागड़ियों ने हरा कर कब्जे किया। आगे चल कर बागड़ियो ने यह क्षेत्र सुरजन के पुत्र मोहील के हवाले कर दिया।
तथ्य 02 - कायम रासा के अनुसार कन्हन के पुत्र बच्छराज की संतान मोहिल कहलाई।
तथ्य 03 - चंपा सामोर के अनुसार घनासुर, इंद्र राव, अजानबहू, और सुरजन का नाम दिया गया है।
तथ्य 04 - डॉक्टर ओझा ने बीकानेर के इतिहास में लिखा है श्री मोर (दौसा और लालसोट के मध्य भंडारेज के पास गांव गढ़ मोरा का पुराना नाम) क्षेत्र के शासक सजन (सुरजन) के ज्येष्ठ पुत्र का नाम मोहिल था, इसी नाम से चौहानों की नई खांप मोयल वंश की स्थापना हुई।
तथ्य  05 - नेनसी और बही भाट के मतों में भिन्नता है, नेनसी के अनुसार मोहिल पिता से लड़कर छापर आए और बही भाट के अनुसार हरदत्त पिता मोहिल से लड़कर छापर आए। सेठ और कसूम्बी की घटना में अंतर नहीं है। नेनसी की बात का चंपा सामोर ने समर्थन किया है।
तथ्य 06 - मोहिल वंश के जग्गा/भाट के अनुसार अन्नराज के पुत्र घंघराय, घंघराय से सुरजन और 

सुरजन (सुरजन का राज्य श्रीमोर, दौसा 1110 से 1130)  के पुत्र मोहील से मोयल वंश की शुरुआत हुई।
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भाटों के अनुसार राव सुरजन के दो पत्नियां थीं - 
01. पुष्पावती (तंवर राजा की पुत्री)
02. दूसरी पत्नी चंदेल वंश से थी।
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मोयल जी     वरसल जी      जड़ जी      आदल जी
(पत्नी खीवसंध सांखला की पुत्री ओमवती)
    (1130 से 1150)
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           हरदत्त 
(पिता से रूठ कर श्री मोर से छापर के स्थानीय शासक सरदार पलू को सन 950 (यह तिथि सही नहीं है) (संभवतः सही तिथि 1150 है) हराया और छापर पर अधिकार कर लिया, सन 1170 तक यही राजा रहे, धर्म की बहन कसुंबी के नाम से कसूम्बी गांव बसाया,  यह गांव सेठ सनातन बोहरा को 05 गांव सहित 21 किलोमीटर क्षेत्र में (03 लाख रुपए कर्ज के बदले जागीर में दिया गया ) यहां सनातन बोहरा की बावड़ी आज भी मौजूद है।
(बही भाट से यहां गलती हुई, छापर हरदत्त जी नहीं मोहिल जी आए।
हरदत्त जी के तीन रानियां थीं - (1150 से 1170)
01 - मानसिंह की पुत्री कपूरदे
02 - उदय पाल सांखाला की पुत्री रतन कंवर
03. उदयपाल यादव की पुत्री कान कंवर
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      बेरीसाल जी    चंदरसाल जी    छत्रसाल जी
(पत्नी रावल जी भाटी की पुत्री जीत कंवर)
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  (1170 विसं से 1190 अनुमानित)
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       बुधराव जी
पत्नी राव रत्न सिंह सिसोदिया चित्तौड़ की पुत्री राजमती 
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        कुंवरसंघ 
(पत्नी सुरतान जी पंवार की पुत्री अमरवती)
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     राणा पीतल जी
(पत्नी चंद्रभान जादौन करोली की पुत्री दमयंती)
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        महकरण जी
(पत्नी हनुतजी कच्छवाहा की पुत्री मानकंवर)
             |^|
        बालकरन जी
(राव रत्न सिंह सिसोदिया की पुत्री मालकदे कंवर)
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कुतकरण जोगजी  तगजी  कतलजी  सिगजी  दलजी 
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(पत्नी 01. राव चुंडा चावड़ा की पुत्री मंदोद कंवर 
          02. बेरीसल जी राठौड़ की पुत्री अजंकनवर)
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   बालहर (बालूराव)
(पत्नी बिकम सिंह तंवर की पुत्री लालमदे )
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(1190 से 1220 विस अनुमानित)
------|--------|--------|------|--------|---------|--------|--आसलजी कुंपाल शंभू खड़ग रतनपाल रामचंद्र बिरगजी
(पत्नी 01. सोनगजी राठौड़ की पुत्री माल कंवर 
        02. चंदगीरजी सोलंकी की पुत्री सारंगदे कंवर 
        03. बनवीरजी दाहिमा की पुत्री चांद कंवर )
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अहड जी  
(पत्नी लुकसी पंवार की पुत्री दमयंती)
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सोनपालजी  लूणकरणजी  भगवानदास  चर जी
( पत्नी राव लोकहर भाटी की पुत्री पेमावती)
(1220 से 1240 विस अनुमानित)
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शेखजी             राणा शमशु              देपालदेव 
(पत्नी 01. रावलखुतलजी भाटी की पुत्री चांद कंवर 
        02. श्योलजी कच्छवा की पुत्री चमन कंवर )
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सुजोजी महकरण दहकरण खेतसी कुतकरण  लालचंद 
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जेमलजी चाहड़देव
          (चाडवास गांव बसाया संवत 1253)
(पत्नी कल्याणसी पड़िहार की पुत्री सागर दे)
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           सहणमल 
(पत्नी तेजसी सांखला की पुत्री सूरजकंवर)
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(पत्नी विक्रमसी जडेजा की पुत्री बालाकंवर)
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        रण बाब जी 
(पत्नी जालिमसी सिसोदिया की पुत्री चांद कंवर) 
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     राणा बाघोजी
(पत्नी सुगनाजी कच्छवाह की पुत्री रतन दे )
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बखतसी        नाढराव।         रुघनासी   मानकराव
राणापुर           छापर            पड़िहारा    छापर
गद्दी                  गद्दी               गद्दी        गद्दी
पत्नी 1. बिजराज भाटी की पुत्री अमनकंवर भटनेर
        2. उदयराव तंवर की पुत्री जतन कंवर
        3. कुचर ग्रावदल गहलोत की पुत्री केसरकांवर
        कुल 15 विवाह किए।
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गोविंददास  सागजी रघुदास  नारायणदास अखेराज
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बेरीसाल गंगासध भुरड़ जी  सांवतजी   आसलजी
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रावलसी साहबजी  खड़गजी  सुरतानजी कोडमदे पुत्री
(कोडमदे की सगाई जोधपुर के रिडमल राठौड़ से हुई पर काला होने के कारण कोडमदे ने मना कर दिया। भटनेर के सार्दुलसी भाटी से प्रेम हो गया और राठोड़ों ओर भाटियों में खूनी जंग हुई। सार्दुल भाटी काम आए और कोडमदे वहीं सती हो गई।
(पत्नी गोड राव रायमल की पुत्री कान कंवर)
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बछुराना जी 
(छामर गढ़)
(पत्नी कल्याण देव सोढा की पुत्री रायकंवर)
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मेघाराना 
(पत्नी साग जी सिसोदिया की पुत्री जीतकंवर)
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लोहट जी 
(पत्नी राव जसलदेव पंवार की पुत्री फूलकंवर)
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खींवराज     बाब जी    जगमाल जी (छापर)
(खिनपाल जी जादन की पुत्री सजन कंवर)
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अरकडमल अजीतसी   कानड़देव
(पत्नी अरकडमल - लोचनसी भाटी की पुत्री जसकंवर)
(पत्नी अजीतसी - राव जोधा की पुत्री रामकंवर)
- राव जोधा ने दामाद अजीतसी की हत्या के प्रयास किए और आडिट की लड़ाई में शहीद हो गए। पत्नी रामकवर सती हुई।
(अरकडमल - छापर से उठ कर लाडनूं चढ़ाई की, जीते)
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भोजराज रतनसी भींवसी मालदेव सुरतान चंद्रभान 
पत्नी 01. रामसध भाटी की पुत्री रतन कंवर
        02.वनपालसी पंवार की पुत्री सागर दे
        03. धनराज तंवर की पुत्री नील कंवर
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     जयसी (जय सिंह जी ने इस्लाम धर्म अपनाया)
पत्नियां - 13
01. कुंभकरणसी भाटी जैसेलमेर की पुत्री खेमकवर
02. बुधसी राठौड़ की पुत्री रॉय कंवर 
03. भंवरसी सोलंकी की पुत्री चंदर कंवर 
04. सादुलसी पंवार की पुत्री जसकंवर
05. गोपालसी गौड़ मारोठ की पुत्री पेमावती 
06. संग्रामसी राणावत की पुत्री जतनकंवर 
07. लखधर चंद्रावत रामपुरा गढ़ की पुत्री अमान कंवर 
08. चुंडा जी जाटू की पुत्री नोगरदे कंवर
09. भोलसधजी कच्छावा कोलपा की पोत्री मेहकंवर 
10 दूसासी पुत्र जीवाजी टाक टाकवासी की पुत्री चंदर कंवर 
11. भोदे खां पुत्र फिरोज खां जोइया (लूणे खां की पड़पोती सिंध ठिकाणा) सुखदे बानू 
सुख दे बानू के पांच पुत्र - 
01. साहर जी का - साह पोता 
02. देवराज जी का - देवराज पोता 
03. सुख दे जी का - सुखावत 
04. हंसराज जी का - हंसावत
05. कालदेव जी का - मालावत (लाडनू गद्दी)
राजपूत रानियों से 12 पुत्र हुए जो अपने नहिहाल चले गए - 
01. हिरसध 
02. हमीरसध 
03. लूणासध 
04. खगारसध 
05. सलबहना 
06. जैतसिंह 
07. मोकलसध 
08. तेज सिंह
09. जस करण 
10. रायकरण 
11. शैतानसध 
12. पहाड़ सिंह (मारवाड़)
सन 1542 के आसपास अकबर की सेना से हुए युद्ध में जय सिंह जी शहीद हों गए।
सन 1550 के बाद लगभग मॉयल शासन का अंत हो गया। इसके पश्चात मॉयल राव बिदा और अन्य राजपूत राजाओं (रियासतों) के अधीन हो गए। 
मोयलों के पतन का मुख्य कारण आपसी फूट और राज गद्दी हथियाना था। दिल्ली सल्तनत ने मोयल सरदारों द्वारा सहायता मंगने पर सेना भेजी गई परंतु दगाबाजी के कारण मॉयल और सल्तनत की सेना हार गई।

वर्तमान में मॉयल - लाडनूं, सुजानगढ़,बीदासर, चूरू, सरदार शहर, झुंझुनूं, डीडवाना, नागौर,जोधपुर, जयपुर और पाली में निवास करते हैं। शिक्षा और आर्थिक दृष्टि से अधिकतर संपन्न हैं। 
मोयलों में गोत्र निम्नानुसार हैं - 
01. देवराज पोता 
02. रसलान 
03. बधावत 
04. विजावत 
05. सिंगावत 
06. नारावत 
07. हंसावत
08. साहू पोता 
09. शेषमलोत

साभार - 
मोहिल वंश का इतिहास द्वारा रतन लाल मिश्र 
राजस्थानी ग्रन्थागार, जोधपुर
जनाब बहादुर खान मोहिल लाडनूं 
हमीद खान मोयल लाडनूं 
रणजीत खां पहाड़ियान जोधपुर
सतार खां मोयल चूरू 

शमशेर भालू खां 
सहजुसर 
9587243963

Saturday, 25 May 2024

चूरु बिजली पानी की समस्या




पत्रिका न्यूज 

        अतिरिक्त कलेक्टर को ज्ञापन सौंपते हुए 
 चूरु, बिजली वपानी की समस्या के समाधान हेतु 


चूरु विधानसभा क्षेत्र समस्या एवं समाधान समिति चूरू।

शमशेर भालू खान 
संयोजक
चूरु विधानसभा क्षेत्र 
समस्या एवं समाधान 
समिति, चूरू।
9587243963

सेवामें,
श्रीमान जिला कलक्टर महोदय
जिला मुख्यालय, चूरू।

विषय - चुरू विधानसभा क्षेत्र में बिजली और पेयजल आपूर्ति के संबंध में निवेदन।

महोदय जी,
उपरोक्त विषय अंतर्गत सादर निवेदन है कि चूरू विधानसभा क्षेत्र के गांवों और शहर में 
01. पेयजल की आपूर्ति नगण्य है। आपणी योजना का पानी की महीने भर से आपूर्ति नहीं की जा रही है। चुरू शहर के लगभग सभी मोहल्लों में पेयजल की किल्लत आम आदमी झेल रहा है।
02. चूरू विधानसभा क्षेत्र के सभी गांवों में अनियमित और अघोषित बिजली कटौती उपभोक्ता के लिए जान का जंजाल बन चुकी है। भरी दोपहर में घंटों बिजली कटौती हो रही है। 
       बिजली आ कम रही है और जा ज्यादा रही है।
इसका मुख्य कारण है ट्रांसफार्मरों/DP पर क्षमता से अधिक भार। इन दिनों में अधिक भार के कारण चार जगह ट्रांसफार्मर में आग लग चुकी है। ईश्वर का धन्यवाद है किसी प्रकार की जन हानि नहीं हुई।

अतः आप से निवेदन है कि 27 मई तक सभी व्यवस्थाएं दुरुस्त करवाने का श्रम करावे।

यदि 27 मई तक सभी व्यवस्थाएं दुरुस्त नहीं करवाई गई तो विद्युत विभाग और जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग का घेराव कर धरना प्रदर्शन किया जायेगा।
इस हेतु समस्त जिम्मेदारी संबंधित विभाग और जिला प्रशासन की होगी।

Copy to - 
01. मुख्य अभियंता जोधपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, चूरू।
02. मुख्य अभियंता जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग, चूरू।

धन्यवाद।

भवदीय 
शमशेर भालू खान 
चूरु विधानसभा क्षेत्र समस्या एवं समाधान समिति चूरू।

इस हेतु जिला कलेक्ट्रेट में अतिरिक्त कलेक्टर साहब को ज्ञापन सौंप कर 27.05.2024 से धरने का अल्टीमेटम दिया गया।

प्रस्तावित धरना दिनांक 27.05.2024

धारण दिनांक 27.05.2024
प्रेस नोट - 
चूरू विधानसभा क्षेत्र ही नहीं पूरे जिले में सर्वाधिक अघोषित बिजली कटौती के विरोध में एक दिवसीय सांकेतिक धरना और बिजली विभाग व जलदाय विभाग का घेराव किया गया।
इस कटौती के विरोध में और नियमित बिजली आपूर्ति हेतु बिजली विभाग के आगे धरने के बाद अधिकारियों से हुई वार्ता के अनुसार जिला स्तर के अधिकारियों से संबंधित  समस्याएं 07 जून तक सुलझा दी जाएंगी, और उच्च अधिकारियों को आवश्यक कार्यवाही हेतु प्रेषित कर निपटान किया जायेगा।
दोनों ही विभागों के अधिकारों से वार्ता के पश्चात धरना समाप्त किया गया।

15 सूत्री मांग पत्र - 
1. अबाधित विद्युत आपूर्ति 
2. 200 यूनिट फ्री बिजली के अंतर्गत शेष रहे परिवारों को जोड़ा जावे।
3. अवैध निगरानी बंद की जावे।
4. मीटर किराया समाप्त किया जावे।
5. जिनके घर सौलर पैनल लगे हैं उनको अत्यधिक रियायत के साथ बिजली दी जावे साथ ही अधिशेष बिजली यूनिट का भुगतान किया जावे।
6. सरकारी योजना के अनुसार सभी को लाभ दिया जावे।
7. अधिकारियों की लाल फीता शाही समाप्त की जावे।
8. सर्विस लाइन बिजली विभाग द्वारा ही दी जावे।
9. औसत बिलिंग समाप्त कर वास्तविक यूनिट के अनुसार बिलिंग हो।
10. मीटर की गुणवत्ता मानक मूल्यों के अनुसार हो।
11. टेस्टिंग लैब का सही संधारण किया जावे।
12. घरेलू उपभोक्ता हेतु पृथक - पृथक स्लैब के स्थान पर एक ही स्लैब हो।
13. व्यापारियों हेतु स्लैब निर्धारण वास्तविक स्थिति के आधार पर एक ही हो।
14. शहर और गांवों में ढीले बिजली के तार करवाए जावें और रास्तों के बीच के विद्युत पोल एक तरफ लगाए जावें।
15. ट्रांसफार्मर / डीपी उच्च गुणवत्ता वाली होने के साथ साथ अवश्यकता अनुसार लोड के अनुसार उच्च क्षमता के वाले लगवाए जावें।

भवदीय - 
धन्यवाद।
शमशेर भालू खान 
संयोजक चुरू विधानसभा क्षेत्र समस्या एवं समाधान समिति, चूरु
9587243963

चूरू विधानसभा का सत्ता पक्ष मजबूत विपक्ष कमजोर
चूरू विधानसभा के अंदर भाजपा इसलिए मजबूत है क्योंकि यहां पर विपक्ष कमजोर है आज शमशेर भालू खां के द्वारा बिजली विभाग कार्यालय में सांकेतिक धरना दिया गया कांग्रेस के पदाधिकारी की अनुपस्थिति क्या साबित करते हैं की चूरू विधानसभा का विपक्ष कमजोर है सिर्फ एक व्यक्ति के द्वारा धरातल पर कार्य किया जा रहा है चूरू शहर के सिर्फ दो या तीन पार्षद जिनमे शाहरुख खान अशोक पवांर अंजनी शर्मा आदि को छोड़कर कोई भी जिम्मेदार कांग्रेसी उसे सांकेतिक धरने में शामिल नहीं हुआ क्या चूरू की जनता की समस्याओं की आवाज उठाने वाले शमशेर भालू खां का साथ चूरू कांग्रेस क्यों नहीं दे रही है क्या एक व्यक्ति के पास हि अधिकार है कि वही चूरू की जनता की समस्या को शासन और प्रशासन के सामने उठाएं सोशल मीडिया पर तो बड़े नेता बन कर बैठे रहते हैं और जब धरातल पर लड़ने के बाद आती है तो कोई भी बड़ा नेता मौजूद नहीं होता आखिर कमी किसकी कांग्रेस के पदाधिकारी की या फिर चूरू की जनता की।
राकेश पंवार चूरू

जलदाय विभाग वार्ता

बिजली विभाग वार्ता

टैंट 
राजस्थान पत्रिका न्यूज

Friday, 17 May 2024

अमेठी एक कहानी

       स्मृति जुबिन ईरानी           केएल शर्मा
              बीजेपी                        कांग्रेस

राजस्थान टीम अमेठी

शमशेर भालू खान लाइव

अमेठी, एक कहानी
वर्ष 1967 में अमेठी लोक सभा क्षेत्र के रूप में भारत के मानचित्र पर आया। इस से पहले इस क्षेत्र में सुल्तानपुर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत चुनाव होते थे। अमेठी भारत का प्रमुख शहर एवं राजनीतिक दृष्टिकोण से गांधी परिवार के कारण एक महत्वपूर्ण लोकसभा क्षेत्र है। यह भारत के गांधी परिवार की कर्मभूमि है। पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु के पोते संजय गाँधी, राजीव गाँधी तथा उनकी पत्नी सोनिया गाँधी ने इस जिले का प्रतिनिधित्व किया है। 2014 से 2019 तक आम चुनाव में राहुल गाँधी यहाँ से साँसद चुने गए।

जनसंख्या आंकड़े
नाम -  अमेठी प्रचलित नाम रायपुर अमेठी
 (जनगणना- 2011 के अनुसार)
क्षेत्रफल - 2329.11 वर्ग कि.मी.
समुद्र तट से ऊंचाई - 100 मीटर 
कुल ग्राम - 995
भाषा - हिंदी 
प्रचलित भाषा - अवधि
जनसंख्या - 18,67,678 (पुरुष - 9,45,235 महिला - 9,22,443)
लिंगानुपात - 1000/908
साक्षरता - 59.08%
जिला गठन एक जुलाई 2010 (यूपी का 72 वा जिला मायावती सरकार)
जिला गठन - सुल्तानपुर जिले की तीन तहसील मुसाफिरखाना, अमेठी, गौरीगंज और रायबरेली जिले की दो तहसील सलोन और तिलोई को मिला कर बनाया गया जिला है।शुरुआत में इसका नाम 2003 में मायावती सरकार द्वारा गठित जिले के रूप में छत्रपति साहूजी महाराज नगर था परन्तु इसे पुनः बदलकर अमेठी कर दिया गया। 

स्थिति और नाम का परिवर्तन
त्यकालीन मुख्यमंत्री मायावती ने 21 मई 2003 को छत्रपति शाहूजी महाराज नगर जिले के नाम से गठन किया था, लेकिन सत्ता परिवर्तन के बाद उनके कट्टर राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी मुलायम सिंह यादव ने उसी वर्ष 23 नवंबर 2003 को इसे रद्द कर दिया। 2003 में, अमेठी के एक वकील उमा शंकर पांडे ने जिले के गठन को रद्द करने के आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी।
बसपा ने 2007 के उत्तर प्रदेश राज्य विधान सभा चुनाव में जीत हासिल की और तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने फिर से जिले के गठन का आदेश दिया।
मुख्यालय - गौरीगंज 
पिनकोड - 227405
दूरभाष कोड - +91-5368
वाहन पंजीकरण - UP-36
नदी - मनोरमा
नहर - शारदा नहर
फसल
सब्जियां, गेहूं, सरसों, गन्ना, दालें, तिलहन, जौ, ज्वार रबी,खरीफ,ओर जायद तीनों फसलें। किसानों की खेती को आवारा पशुओं से काफी नुकसान होता है।
मिट्टी - 
दोआब क्षेत्र की दोमट और काली मिट्टी
फल - 
आम, कटहल,पपीता व मैदानी फल।
लकड़ी - 
शीशम,सागवान,सफेदा और ताड़ 

आय के साधन - 
कृषि,बागवानी, और खुली मजदूरी। इसके साथ ही अधिकांश कमाने योग्य व्यक्ति/परिवार दिसावर (यूपी से बाहर मजदूरी)

विधानसभा क्षेत्र
01. तिलोई
02. सलोन
03. जगदीशपुर
04. गौरीगंज
05. अमेठी

स्वतन्त्रता संग्राम और अमेठी - 
कादूनाला- मुसाफिर खाना तहसील में स्थित एक ऐतिहासिक स्थान जहाँ पर 1857 की क्रांति में भालेसुल्तान क्षत्रियों के साथ लड़ाई हुई, जिसमे सैकड़ो क्षत्रियों ने अपने प्राणों कि आहुति दी! जिसके याद में मुसाफिर खाना तहसील से 5 किलोमीटर पश्चिम में कादुनाला पुल के आगे थौरी मार्ग पर एक विशाल शहीद स्मारक का निर्माण हुआ,और प्रत्येक वर्ष कार्तिक एकादशी के दिन यहाँ मेला आयोजित होता है!

अमेठी रियासत कालीन इतिहास -
राजा सोढ़ देव ने तुर्कों के आक्रमण के दौरान सन 966 ई. में इस रियासत की स्थापना की थी। तब से अब तक अमेठी रियासत ने कई झंझावातों को झेला लेकिन उसका मान-सम्मान और गरिमा बनी रही। रियासत के हर नरेश ने इसको आगे बढ़ाया। यहां राजा सोढ़ देव ने 966 ई. से 1007 ई. तक शासन किया। तुर्कों के बाद मुगल शासकों ने भी इस रियासत पर हमले किए।
अंग्रेजों ने अमेठी रियासत के विलय का भी प्रयास किया, जिसमें वे असफल रहे। 1842 में राजा विशेषवर बख्श सिंह की मौत हो गई। उनकी मौत के बाद रानी पति के मृत शरीर को गोद में लेकर सती हो गईं। मान्यता के अनुसार आज भी क्षेत्र की महिलाएं प्रत्येक गुरुवार को सती महारानी मंदिर पर दुरदुरिया का आयोजन कर सुहागिन रहने का आशीर्वाद मांगती हैं।
राजा विशेषवर बख्श सिंह के बाद राजा लाल माधव सिंह ने 1842 में गद्दी संभाली।
1891 में इनकी मृत्यु के बाद राजा भगवान बख्श सिंह अमेठी के राजा बने। राजा भगवान बख्श सिंह के चार पुत्र जंगबहादुर सिंह, रणवीर सिंह, रणंजय सिंह और शत्रुंजय सिंह थे। रणवीर सिंह की कम उम्र में मौत हो गई। जंग बहादुर सिंह और शत्रुंजय सिंह व रणंजय सिंह संतानहीन थे।
1962 ई. में राजा रणंजय सिंह ने ब्लॉक भेटुआ के अमेयमाफी निवासी गयाबख्श सिंह के पुत्र संजय सिंह को अपना दत्तक पुत्र बनाया। उस समय संजय सिंह कक्षा पांच की पढ़ाई कर रहे थे।

अमेठी का राजनीतिक इतिहास - 
अमेठी को राष्ट्रीय परिदृश्य में पहचान 1975 में गांधी परिवार से पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के पुत्र संजय गांधी के अमेठी के अति पिछड़े गांव खेरौना में देश भर के खास चुने गए युवा कांग्रेसियों के साथ श्रमदान करने और यहां से सक्रिय राजनीति से भाग लेने से हुई।
संजय गांधी के अमेठी में सक्रिय होने के साथ ही देश में आपातकाल घोषित हो चुका था। इसके बाद 1977 के लोकसभा चुनावों में संजय गांधी और इंदिरा गांधी की बुरी तरह पराजय हुई थी। यूपी, एवं बिहार में खाता नहीं खुला। अमेठी निवासी रवींद्र प्रताप सिंह ने संजय गांधी को हराकर संसद में प्रवेश किया।
1980 के मध्यावधि चुनाव में इंदिरा गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार में वापसी हुई। इन्दिरा गांधी रायबरेली से और संजय गांधी अमेठी के सांसद बने, दुर्भाग्य से विमान दुर्घटना में संजय गांधी की मृत्यु हो गई।
गांधी परिवार ने कुछ समय बाद इस मानवीय क्षति से उबरते हुए अमेठी के सियासी परिवार से ताल्लुक रखने वाले राजकुमार संजय सिंह सहित विभिन्न नेताओं के प्रयास एवं अनुरोध पर राजीव गांधी सक्रिय राजनीति में आए और 1981 में अमेठी से सांसद बने जो जीवन के अंतिम समय (20 मई 1991) तक संसद में अमेठी का प्रतिनिधित्व करते रहे। 1981में संजय गांधी की पत्नी मेंनका गांधी पारिवारिक विवाद के कारण इंदिरा गांधी से अलग हो गईं। इसके बाद 1984 में इन्दिरा गांधी की हत्या के बाद उपजी जटिल परिस्थितियों में राजीव गांधी को प्रधानमंत्री का पद स्वीकार करना पड़ा। 31 अक्टूबर 1984 को इंदिरा गांधी की हत्या के कुछ ही महीनों के बाद संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में सहानुभूति लहर का बेहद प्रभाव रहा तथा कांग्रेस को पूर्ण बहुमत प्राप्त हुआ और राजीव गांधी देश के प्रधानमंत्री बने। विशेष रूप से युवाओं में राजीव 'मिस्टर क्लीन' के रूप में प्रसिद्ध हुए।
देश फिर एक और चुनाव की ओर बढ़ ही रहा था कि इसी दौरान 1991 में चुनाव अभियान में राजीव गांधी की नृशंस हत्या कर दी गई। गांधी परिवार के लिए ये अब तक का सबसे बड़ा झटका था, क्योंकि अकेली सोनिया के साथ उनके छोटे बच्चे राहुल और प्रियंका थे। कांग्रेस को इसका सियासी फायदा मिला और उसकी सत्ता में वापसी हुई। वहीं राजीव गांधी की विरासत अमेठी को गांधी परिवार के करीबी कैप्टन सतीश शर्मा ने संभाला और दो बार लगातार न सिर्फ सांसद बने बल्कि केंद्र में पेट्रोलियम मंत्री रहे। उन्हीं के कार्यकाल में अमेठी क्षेत्र में राजीव गांधी पेट्रोलियम इंस्टीट्यूट की आधारशिला रखी गई। वर्ष 2008 में पूर्ण रूप से कार्य करने लगा।
1998 के लोक सभा चुनाव में अमेठी रियासत के राजकुमार डॉ. संजय सिंह ने भाजपा का दामन थाम लिया और कैप्टन सतीश शर्मा को हरा कर संसद पहुंचे। 1999 के संसदीय चुनाव में सोनिया गांधी ने पति राजीव की विरासत से चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। 
गांधी परिवार ने इसके बाद सियासत को खुलकर अपनाया और बाद में सोनिया गांधी ने जहां अपनी सास इंदिरा गांधी की संसदीय सीट रही रायबरेली को अपनाया और राहुल गांधी पिता की सियासत के गढ़ में डटे रहे। राहुल 2004 के लोकसभा चुनाव में पहली बार अमेठी से सांसद बने और 2014 में भी जीते जिनके प्रतिद्वंदी स्मृति ईरानी भाजपा और कुमार विश्वास आम आदमी पार्टी से थे |
भाजपा ने पुनः टीवी कलाकार स्मृति ईरानी को 2019 के चुनाव में उतारा जो पहली बार राहुल गांधी को हरा कर अमेठी से सांसद बनी।

प्रतिष्ठान - 
कोरवा अमेठी में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड की एक इकाई है जो भारतीय वायु सेना के लिए विमान बनाती है। अमेठी में इंडो गल्फ फर्टीलाइशर्स की एक खाद बनाने की इकाई भी मौजूद है।

धार्मिक स्थल - 
महर्षि पिप्पलाद आश्रम : यहां पीपरपुर ग्राम में मनोरमा नदी के पूर्वी तट पर महर्षि पिप्पलाद का पौराणिक आश्रम स्थित है जहां शिव लिंग भी स्थापित है। में महर्षि की मूर्ति एवम् प्राण प्रतिष्ठित शिव लिंग स्थापित है।
माँ अहोरवा भवानी देवी धाम सिंघपुर ब्लाक - 
माँ हिंगलज देवी धाम दादरा मुसाफिरखाना ब्लॉक,
माँ दुर्गनभवानी देवी धाम सैठा रोड गौरीगंज ब्लाक,
माँ कालिकन देवी धाम अमेठी - च्यवन मुनि की तपस्थली के रूप में ख्यात है। अमेठी जिले में स्थित प्रमुख तीर्थस्थल है।

शिक्षा एवं अमेठी - 
01. विश्वविद्यालय और कॉलेज - 
02. राजीव गांधी पेट्रोलियम प्रौद्योगिकी संस्थान
03. इंदिरा गांधी राष्ट्रीय उड़ान अकादमी
04. गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज, अमेठी
05. फुटवियर डिजाइन और विकास संस्थान
06. राजीव गांधी राष्ट्रीय विमानन विश्वविद्यालय
07. बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय, सैटेलाइट कैंपस, अमेठी
08. आईआईआईटी टिकेमाफ़ी, अमेठी
09.राजर्षि रणंजय सिंह कॉलेज ऑफ फार्मेसी
10. राजकीय बालिका पॉलिटेक्निक, अमेठी
11. संजय गांधी पॉलिटेक्निक
12. राजर्षि रणंजय सिंह इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड 13. टेक्नोलॉजी (RRSIMT AMETHI), अमेठी

राजनैतिक स्थिति और अमेठी - 
 संसद की पांचवीं सभा से 17 वीं तक संसद के सदस्य कुल 16 चुनाव 1967 से 2019 तक हुए जिसमें एक बार जनता पार्टी, दो बार भाजपा और तेरह बार कांग्रेस विजय रही। एक बार संजय, पांच बार राजीव, एक बार सोनिया और तीन बार राहुल गांधी ने जीत दर्ज की। दो बार गांधी परिवार हारा है। एक बार गांधी परिवार ने आमने - सामने चुनाव लडा। सांसद रहते हुए दो गांधी परिवार के सदस्य शहीद हुए, एक बम ब्लास्ट और एक वायुयान दुर्घटना में। यहां प्रथम बार 188666 वोट पड़े।
प्रथम लोकसभा चुनाव में यहां कुल 531093 मतदाता थे जो वर्ष 2019 के आम चुनाव में बढ़कर 1720722 हो गाए।

लोकसभा चुनाव 1967 से 2019 - 
05 वीं लोकसभा 1967
कुल मतदान 188,666 (37.34%)
विद्याधर वाजपेई (अमेठी के प्रथम सांसद) inc 63,231
गोकुल प्रसाद पाठक ABJS- 59,566
ए वाहिद निर्दलीय 22,333 
जीत का अंतर - 3,665

06 वीं लोकसभा 1971 
विद्याधर वाजपेई inc दोबारा सांसद चुने गए।

07 वीं लोकसभा 1977
रवीन्द्र प्रताप सिंह जनता पार्टी 
संजय गांधी inc की हार

08 वीं लोकसभा 1980
कुल पोल वोट 338,531 (50.10%)
संजय गांधी inc - 170279  
मोहम्मद ए. JPS - 41,734
जीत का अंतर - 128,545

08 वीं लोकसभा 1981 (उप चुनाव संजय गांधी की मृत्यु)
कुल मतदान 307,523
राजीव गांधी inc - 258,884
शरद यादव LKD 21,188
जीत का अंतर - 237,696

08 वीं लोकसभा 1984 - (गांधी परिवार आमने - सामने)
कुल मतदान 446,289 (60.25)
राजीव गांधी inc - 365,041,  
मेनका गांधी निर्दलीय - 50,163, 
जीत का अंतर 314,878

09 वीं लोकसभा 1989 (गांधी जी के पोते राज मोहन गांधी और राजीव गांधी के मध्य)
कुल मतदान 425,746 (46.78%)
राजीव गांधी inc को 271,407
राज मोहन गांधी JD 69269 
कांशीराम बसपा 25,400, 
जीत का अंतर 202138

10 वीं लोकसभा 1991 
कुल मतदान 376,202 (40.97%)
राजीव गांधी inc 187138
रवीन्द्र प्रताप सिंह bjp 75,053
मोहम्मद नईम JD 54,680
जीत का अंतर 112085

10 वीं लोकसभा (उप चुनाव राजीव गांधी की मृत्यु)
उपचुनाव 1991
कुल मतदान - 332,195
सतीश शर्मा inc - 178,996
एमएम सिंह bjp - 79,687
आर. सिंह निर्दलीय - 47,033
जीत का अंतर 99,309

11 वीं लोकसभा 1996 
सतीश शर्मा inc - 157,868
राजा मोहन सिंह भाजपा - 117,725
चौधरी मोहम्मद अली सपा - 79,285 
अंतर 40,143 मत।

12 वीं लोकसभा 1998 - 
संजय सिंह bjp - 205,025
सतीश शर्मा inc 181,755
मोहम्मद नईम बसपा - 151,096 
जीत का अंतर - 23,270

13 वीं लोकसभा 1999
सोनिया गांधी inc - 418,960, 
संजय सिंह भाजपा - 118,948, 
पारस नाथ मोर्या बसपा - 33,658 
अंतर - 300,012

14 वीं लोकसभा 2004
कुल मतदान 589,596 (44.50%)
राहुल गांधी inc - 390,179, 
चंद्र प्रकाश मिश्र बसपा - 99,326, 
राम विलास वेदांती भाजपा 55,438 
जीत का अंतर - 290,853

15 वीं लोकसभा 2009
कुल पोल वोट 646650 (45.16%)
राहुल गांधी inc 464195
आशीष शुक्ला बसपा 93997
प्रदीप कुमार सिंह - 37570 
अंतर - 370,198

16 वीं लोकसभा 2014  
कुल पोल वोट 8,74,872 (52.39%)
राहुल गांधी inc - 408651, 
स्मृति जुबिन ईरानी 300748, 
धर्मेंद्र प्रताप सिंह बसपा - 57716 
अंतर - 1,07903

17 वीं लोकसभा 2019 
कुल पोल वोट 9,42,956 में से (54.08%) 
स्मृति जुबिन ईरानी bjp - 468,514
राहुल गांधी inc - 413,394 जीत का 
अंतर - 55,120 


अमेठी 2019 राहुल गांधी की हार के कारण ,- 
01. गांधी परिवार का व्यक्तिगत रूप से अनुपस्थित रहना, जो पहचान राजीव गांधी ने अमेठी के लोगों के बीच रह कर बनाई थी उसे तीन बार सांसद रह कर राहुल गांधी बरकरार नहीं रख पाए। 
02. दूसरी ओर भाजपा की तत्कालीन केंद्रीय मंत्री स्मृति जुबिन ईरानी जो भारतीय टेलीविजन के माध्यम से हर घर तक पहले ही पहुंच चुकी थी और 2014 का चुनाव हारने के बाद राहुल गांधी से अधिक सक्रिय रूप से अमेठी में पैर पसारने लगी। अमेठी में मुख्य और विश्वास पात्र कांग्रेस के नेता उपेक्षा और खीज के कारण स्मृति जुबिन ईरानी से जुड़ गए।
03 राहुल गांधी के चुनाव कार्यकर्ता इस चुनाव में बहुत ढीले पड़ गए और चुनाव से पहले ही हार मान कर निढाल हो गए।
04 भाजपा के नव नेतृत्व ने कार्यकर्ताओं में सभी साधन और संसाधन उपलब्ध करवा कर जान फूंक दी। जिस से कार्यकर्ता अधिक जोश और जुनून से चुनाव में लगे।
05 inc का मतदाता सुदूर ग्रामीण अंचल में कमजोर और मजदूर वर्ग का है। मतदान हेतु साधन नहीं पहुंच पाने के कारण पार्टी के मतदाता मतदान करने में असफल रहे और भाजपा के कार्यकर्ताओं ने वोट बैंक से अधिक वोट डलवाने में सफलता प्राप्त की।
06. प्रशासन द्वारा अप्रत्यक्ष रूप से भाजपा प्रत्याशी की सहायता  की गई और inc कार्यकर्ताओं को बाधित किया गया।
07 कम आर्थिक संसाधनों के कार्यकताओं ने बचत की ओर जो कम संसाधन पार्टी द्वारा उपलब्ध करवाए गए आम जन तक नहीं पहुंचे।
08.मोदी लहर एक मुख्य कारण रहा।
09.स्मृति जुबिन ईरानी का महिलाओं में क्रेज।
10. भाजपा द्वारा गढ़ा गया झूठ।
11. सिर्फ प्रियंका गांधी के भरोसे चुनाव लडना।
12. समाजवादी पार्टी का सक्रिय सहयोग नहीं मिलना।
13 बहुजन समाज पार्टी का भाजपा को अप्रत्यक्ष समर्थन।
14 वर्ष 2014 के चुनाव से 2019 के चुनाव में 68084 मत अधिक पड़े। 2019 के चुनाव में 107903 वोट की बढ़त गंवा कर 55120 मत अर्थात कुल 163023 वोट कम प्राप्त किए। 
विश्लेषण के आधार पर कहा जा सकता है इसमें कांग्रेस के कोर वोट एससी और अल्पसंख्यक वर्ग का पलायन हुआ और 18 से 25 वर्ष के नव युवा मतदाता पार्टी के हाथ से निकल गए। यही हार का मुख्य कारण बना।

तिलोई ब्लॉक अमेठी - 
बुथवार स्थिति 2019 - 







चुनाव 2024 में भाजपा प्रत्यासी के विरुद्ध कांग्रेस प्रत्यासी KL शर्मा की स्थिति - 
प्रथम दृष्टया ऐसा लगता है कि किशोरी लाल शर्मा चुनाव निकल लेंगे। किशोरी लाल शर्मा जिन्हें KL शर्मा भी कहा जाता है गांधी परिवार के 1981 से भरोसेमंद कार्यकर्ता रहे हैं। रायबरेली और अमेठी दोनों जगह के कार्य संभालते हैं। 

KL शर्मा की मजबूती - 
01 गांधी परिवार के भरोसेमंद
02 ब्राह्मण परिवार से  संबंधित होने के कारण सामान्य वर्ग के मतदाता जो भाजपा से जुड़े थे के वोट लेने में सक्षम।
03 ईमानदार छवि।
04 लगभग 45 वर्षों से अमेठी रायबरेली में ठहराव।
05 हर गांव वार्ड में व्यक्तिगत कार्यकर्ता।
06 शांत और सरल स्वभाव।
07 आसानी से उपलब्ध।
08 राहुल गांधी की पिछली हार का जनता को अफसोस।
09 समाजवादी पार्टी का सक्रिय सहयोग।
10 बहुजन समाज पार्टी की निष्क्रियता।
11 उत्तम चुनाव प्रबंधन।
12 भाजपा प्रत्यासी की मुकदमा नीति से जनता त्रस्त।

KL शर्मा की कमजोरियां - 
01 आर्थिक मैनेजमेंट में ढिलाई।
02 श्रव्य दृश्य संसाधनों का कम उपयोग।
03 प्रियंका गांधी/राहुल गांधी के अलावा बड़े नेताओं का परिदृश्य से गायब होना।
04 बूथ आधारित रणनीति।
05 विभिन्न संगठनों के प्रभारी अति कमजोर आर्थिक स्थिति के कारण आर्थिक गतिविधियों हेतु पार्टी प्रत्यासी पर निर्भर।
06 सूचनाओं डेटा का समय पर संकलन नहीं किया गया।
07 रणनीतिक कमजोरी
08 भाजपा प्रत्यासी पर आक्रमकता का अभाव।
09 वार रूम की निष्क्रियता।
10 भाजपा प्रत्यासी की कमजोरियों का पता होते हुए भी आमजन में जिस मात्रा में संप्रेषण किया जाना था नहीं किया जा सका।
11 भाजपा का शासकीय तालमेल।

संभव है आम चुनाव 2024 श्री KL शर्मा जीतेंगे परंतु यह सरल नहीं है।


टीम राजस्थान अमेठी में - 

मतदान लोकसभा चुनाव 2024 विधानसभा वार 05 

अमेठी लोस संभावित परिणाम - 

01. 178-तिलोई 
कुल वोट       वोट कास्ट 
347490    196418 
cog   bjp          अंतर 
95k  90k      +5000

02. 181-सलोन
कुल वोट        वोट कास्ट 
361506      198285 
cog     bjp        अंतर 
90k   100k   -10000

03. 184-जगदीशपुर
कुल वोट      वोट कास्ट 
381296   204027
cog      bjp        अंतर 
110k   90k  +20000

04. 185-गौरीगंज
कुल वोट      वोट कास्ट 
354921    196410
 cog    bjp       अंतर 
105k   80k  +25000

05. 186-अमेठी
कुल वोट       वोट कास्ट 
350885   180913 
cog    bjp    अंतर 
100k   75k  +25000

लोकसभा क्षेत्र - अमेठी
कुल वोट         वोट कास्ट 
1796098    976053 
cog          bjp     अंतर 
500k     425k    75K

फाइनल रिजल्ट
अमेठी से कांग्रेस प्रत्यासी श्री किशोरीलाल शर्मा जी ने 166022 वोटों से ऐतिहासिक जीत दर्ज की।

अमेठी से टीम राजस्थान के साथ - 
शमशेर भालू खान
चूरु, टीम राजस्थान
9587243963

Sunday, 12 May 2024

सामाजिक सरोकार


रिश्तों का निभाव, लालची कौन।
समाज में आम धारणा बनी है कि लड़के वाले लालची होते हैं, वो दहेज मांगते हैं और दहेज नहीं देने पर लड़की पर अत्याचार करते हैं।
अनुभव और वर्तमान परिस्थितियों से सरोकार के आधार पर मैं कह सकता हूं कि लालची लड़के वाले नहीं अपितु लड़की वाले होते है। 
रिश्ता करने से पहले प्राथमिकता से जांच का ओर पूछताछ का विषय बड़ा घर/कोठी, सरकारी नौकरी, जमीन जायदाद, इकलौता लड़का,ननद न हो, आदि रहते हैं। इसके साथ ही रिश्ता करने से पहले लश्करों का आना जाना बड़ी संख्या में, खास तौर से औरतों का हुजूम देखने लायक होता है। पहले जिस तरह लड़की वाले को रिश्ते से पहले टोकनी की तरह मांजा जाता था आज कल लड़के वालों की जम कर धुलाई होती है। पूरी चमक दिखने के बाद ही हां होती है।
यह सामाजिक कुरीति धीरे से सामाजिक सच बनती जा रही ही और हम आहिस्ता से इसे स्वीकार कर रहे हैं।
पुराने समय में रिश्ते का आधार बड़ा परिवार, सामाजिक प्रतिष्ठा, चाल चलन, व्यक्तिगत संपर्क और आपसी सहयोग की जांच पड़ताल होता था। घर का कोई एक सदस्य लगभग पूरे परिवार का रिश्ता कर के परिवार में सिर्फ यह बताता था कि फलां लड़के/लड़की का रिश्ता मैं अमुक स्थान पर कर आया हूं।
पहले और अब के आधार पर आसानी से कहा जा सकता है  कि पहले रिश्ते होते थे अब सौदे होते हैं।
एक अन्य स्थिति भी बनती जा रही है कि आज लगभग माँ-बाप मे इतनी हिम्मत नही रही कि बच्चों के संबंध अपनी मर्जी से तय कर सकें।
लड़की को घर का काम कम से कम करना पड़े यह पहली सोच रहती है।
पहले रिश्ता जोड़ते समय लड़की वाले कहते थे कि हमारी बेटी घर के सारे काम जानती है और अब शान से कहते हैं हमने बेटी से कभी घर का काम नही करवाया है। 
रिश्तों का बाजार सजा है गाड़ियों की तरह, शायद और कोई नई गाड़ी लांच हो जाये। अंत में लड़के और लड़की की उम्र शादी की उम्र से कहीं दूर चली जाती है।
यहां से असामाजिक कामों की शुरुआत होती है जिसे आज के समाज ने सहर्ष स्वीकार कर लिया है।
शादी की उम्र निकल जाने के बाद की शादी में दांपत्य और सामाजिक जीवन का वो हिस्सा गायब हो जाता है जिस के लिए वास्तविक रूप से हम शादी करते हैं। 
दोनों के चेहरे की चमक और भावनात्मक लगाव गायब होते जा रहे हैं। बुटीक और ब्यूटीपार्लर सभ्यता का जन्म हो चुका है जिस से कोई बच नहीं सकता। रंग रोगन करवा कर हम ऊपरी चमक तो दिखा सकते हैं पर वास्तविक चमक खो देते हैं।
संक्रमण यहां खत्म नहीं होता, हर लड़की के पिता को सरकारी नौकर जमाई चाहिए। नौकरी वाले लड़के की बड़ी बोली लगती है। ज्यादातर लड़के वालों को भी नौकरी वाली बहू चाहिये।
शादी के बाद घर में खाना होटल या ऑनलाइन आयेगा। मां  बाप अपना खाना खुद बनाओ या वृद्धाश्रम जाओ।
सामाजिक ताने बाने के बिखरने और तनाव के कारण एक दूसरे से भावनात्मक जुड़ाव के स्थान पर मानसिक कब्जे की भावना का विकास हो रहा है जो असहनशीलता को बढ़ावा दे रहा है।
हमारे घरों मे आज कपड़े धोने के लिए मशीन, मसाला पीसने के लिये मिक्सी, पानी भरने के लिए मोटर, मनोरंजन के लिये टीवी, बात करने मोबाइल,वातानुकूल एसी और बहुत सुविधाएं मौजूद हैं  फिर भी जीवन में संतुष्टि नहीं।
पहले ये सब कोई सुविधा नहीं थी
मनोरंजन का साधन केवल परिवार और घर का काम था, इसलिए फालतू की बातें दिमाग मे नहीं आती थी न तलाक न फाँसी ना ही अन्य अलगाव।
आजकल दिन मे तीन बार मोबाइल पर लंबी बात, सीरियल देख कर, ब्यूटीपार्लर मे टाइम पास किया जा रहा है।
समय से शादी अति आवश्यक है।
इस स्थिति के अतिरेक का अंत हत्या, आत्महत्या या तलाक से होता है। 

घर परिवार झुकने से चलता है अकड़ने से नहीं। घर चलाने के लिए प्रेम की आवश्यता अत्यधिक है।

शमशेर भालू खान
9587243963