Monday, 23 December 2024

स्वतंत्र भारत में रियासतों का एकीकरण

भारत में रियासतों का एकीकरण - एक परिचय

मुगल काल में भारतीय रियासतें

                 रियासतों की डाक टिकटें

      जैसलमेर रियासत सोनार का किला
मुगल फारसी शब्द है जिसका अर्थ है मंगोल। बाबर (फारसी शब्द का अर्थ चिता) चंगेज खान का निकट रिश्तेदार था। बाबर के भारत आने (मुगल स्मराज्य) से पहले भारत में अनेकों राजनीतिक असंगठित इकाइयां थीं। इन्हें एक राष्ट्र के रूप में मुगल और शूरी बादशाहों ने इन असंगठित रियासतों को प्रांतों (सूबों) के रूप में संगठित किया।
मुगलों शासन के पतन के बाद वही स्थिति पुनः बन गई।

ब्रिटिश काल में रियासतों के समूह राज्यों/प्रेसीडेंसी का निर्माण - 
सन 1757 के बाद अंग्रेज भारत पर ईस्ट इंडिया कंपनी (EIC) शासक के रूप में बंगाल से शुरुआत करती है जो 1857 के बाद पूरे भारत पर अधिकार कर लेती है। 1857 के बाद कंपनी राज समाप्त हो जाता है और सत्ता सीधे ब्रिटिश महारानी के कब्जे में आ जाती है। ब्रिटिश सरकार भारत के नक्शे को विभिन्न प्रांतों (प्रेसीडेंसी) के रूप में संकलित करती है जो आज का स्वरूप है।

ब्रिटिश भारत में प्रेसीडेंसी: बॉम्बे, मद्रास और बंगाल
बॉम्बे (मुंबई), मद्रास (चेन्नई) और कलकत्ता (कोलकाता/बंगाल) ब्रिटिश भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी और 1857 के बाद ब्रिटिश सरकार के प्रत्यक्ष नियंत्रण और पर्यवेक्षण के अधीन प्रांत थे। यह तीनों शहर मुख्य व्यापारिक केन्द्र के रूप में उभरे और अंग्रेजी शासन को मजबूत करने हेतु प्रेसीडेंसी के रूप में ब्रिटिश नियंत्रण के अंर्तगत बड़े प्रांतों के रूप में विकसित हुईं।

मद्रास प्रेसीडेंसी
सन 1652 में इसकी स्थापना की गई जिसमें आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, ओडिशा और तेलंगाना के कुछ भाग शामिल थे।
सन 1640 में ईस्ट इंडिया कंपनी ने स्थानीय शासक की अनुमति से कोरोमंडल तट पर मद्रासपटनम (मद्रास/चेन्नई) (मछुआरों के गांव) में व्यापारिक चौकी स्थापित कर वहां सेंट जॉर्ज फोर्ट बनाया गया। मद्रास को 1652 में एक प्रेसीडेंसी के रूप में स्थापित किया गया, सन 1655 में इसे सीमित कर दिया गया और 1684 में फिर से प्रेसीडेंसी का दर्जा दिया गया। यहां राजनैतिक क्रियाकलापों के स्थान पर व्यापारिक गतिविधियों को महत्व दिया गया। यह भू भाग 1746 से 1749 तक फ्रांसीसी कब्जे में रहा। प्रथम कर्नाटक युद्ध के बाद अंग्रेजों ने वापस ले लिया। जैसे-जैसे भारत में फ्रांसीसी प्रभाव कम हुआ मद्रास प्रेसीडेंसी राजनीतिक रूप से अधिक सक्रिय हो गई। हैदराबाद के निजाम ने अपनी रियासत की मान्यता के बदले कुछ क्षेत्र अंग्रेजों को सौंपे। मैसूर युद्ध (अंग्रेजों विजयी) के बाद इसका विस्तार हुआ। आज़ादी के बाद मद्रास प्रेसीडेंसी मद्रास राज्य बन गया। 1953 में राज्य के तेलुगु भाषी क्षेत्र अलग हो कर आंध्र प्रदेश नया राज्य बना। 1969 में मद्रास प्रेसीडेंसी तीन राज्यों केरल मैसूर (कर्नाटक) तमिलनाडु के रूप में विभाजित किया गया। मद्रास शहर तमिलनाडु की राजधानी बना।

बॉम्बे प्रेसीडेंसी
सन 1661 में किंग चार्ल्स द्वितीय और पुर्तगाल के राजा की बहन कैथरीन ऑफ ब्रैगेंज़ा के विवाह पर तोहफे के रूप में बॉम्बे द्वीप अंग्रेजों के नियंत्रण में आ गए। सन 1668 में ब्रिटिश महारानी ने इस प्रेसीडेंसी को ईस्ट इंडिया कंपनी को सौंप दिया जो व्यापारिक चौकी के रूप में स्थापित हुई। बॉम्बे बंदरगाह सूरत बंदरगाह के अधीन रहा और सन 1703 तक यह पश्चिमी भारत में अंग्रेजी सत्ता की सीट के रूप में काम कर रहा था।
मुगल और मराठा साम्राज्य के अंत के साथ यूरोप से संबंधों के अधिक प्रगाढ़ होने ओर व्यापार बढ़ने से बॉम्बे प्रेसीडेंसी समृद्ध होने लगी। इसमें कोंकण से कराची और सिंध तक भारत का पश्चिमी तट शामिल था अदन (यमन) तक फैला हुआ था। सन 1930 में अदन और सिंध को बॉम्बे प्रेसीडेंसी से अलग कर दिया गया था।
स्वतंत्रता के बाद बॉम्बे प्रेसीडेंसी बॉम्बे राज्य बन गया। 1956 में राज्य पुनर्गठन अधिनियम अनुसार बॉम्बे राज्य भंग कर गुजरात और महाराष्ट्र राज्य बनाए गए। बॉम्बे (मुंबई) महाराष्ट्र की राजधानी बना।

बंगाल प्रेसीडेंसी
सन 1690 में एक व्यापारिक केंद्र के रूप में कलकत्ता शहर की स्थापना की गई (एक कारखाने की स्थापना)। सन 1696 में विद्रोहियों से बचने हेतु फोर्ट विलियम किला निर्मित किया गया जो 1716 में पूर्ण हुआ। सन 1717 में मुगल सम्राट फर्रुखसियर ने बंगाल में ईस्ट इंडिया कंपनी को मुफ्त व्यापार की अनुमति दी। बंगाल में मुगल प्रभाव कम होता गया और नवाबों का नियंत्रण बढ़ता गया। सन 1755 में सिराज अल-दौला बंगाल का नवाब बना जिसने फ्रांस समर्थक नीति अपनाई। वह कंपनी द्वारा ब्रिटिश किले में बिना उसकी अनुमति के विस्तार और राजनीतिक मामलों में ब्रिटिश हस्तक्षेप से क्रुद्ध था। उसने फोर्ट विलियम पर कब्जा कर 146 ब्रिटिश सैनिकों को तहखाने में बंद कर दिया जिनमें से 123 की मौत हो गई। यह घटना कलकत्ता का ब्लैक होल नाम से जानी जाती है। क्लाइव ने रणनीति से सन 1757 में प्लासी के युद्ध में सिराज अल-दौला को हरा कर बंगाल पर कब्जा कर लिया। क्लाइव ने कंपनी से बंगाल के गवर्नर का पद प्राप्त कर सन 1765 में मुगल सम्राट शाह आलम द्वितीय से बंगाल में कर और राजस्व एकत्र करने का अधिकार प्राप्त किया। प्राप्त करों से उन्हें विदेशों में निर्यात हेतु भारतीय सामान खरीदने की अनुमति मिली। प्लासी का युद्ध भारत में अंग्रेज सत्ता की स्थापना का मुख्य मार्का बना। बंगाल प्रेसीडेंसी पंजाब, असम, बर्मा (म्यांमार) मलक्का जलडमरूमध्य तक फैल गई । सन 1905 में बंगाल का सनातन और मुस्लिम सांप्रदायिक आधार पर पूर्वी और पश्चिम बंगाल में विभाजित कर दिया गया। विरोध के बाद सन 1911 में विभाजन (बंग भंग) को रद्द कर दिया गया। बिहार, असम और ओडिशा प्रांतों को पुनर्गठित बंगाल प्रेसीडेंसी से बाहर रखा गया। सन 1911 में राजधानी कलकत्ता से दिल्ली स्थानांतरित होने पर बंगाल का महत्व कम हो गया। सन 1946 में भारत विभाजन के कारण बंगाल प्रेसीडेंसी को पुनः पश्चिम और पूर्वी बंगाल में विभाजित कर दिया गया। भारत की स्वतंत्रता के बाद, पश्चिम बंगाल (कूच बिहार रियासत सहित) भारत का राज्य बना जिसकी राजधानी कलकत्ता रही। पूर्वी बंगाल पाकिस्तानी क्षेत्र बना जो 1971 में स्वतंत्रत हो कर बांग्लादेश देश बना जिसकी राजधानी ढाका बनी। ।

स्वतंत्र भारत में रियासतें - 
स्वतंत्र भारत में कुल 562 रियासते (ब्रिटिश सरकार के अंतर्गत स्वतंत्र इकाई) और कई ठिकाने थे। इन में से केवल 21 रियासतों में राज्य सरकारें थी शेष पर राजाओं/नवाबों का शासन था। इन में बड़ी रियासतें हैदराबाद, मैसूर और कश्मीर थीं। 1947 के प्रस्ताव के अनुसार अंग्रेज सरकार ने रियासतों को स्वतंत्र रहने/ब्रिटिश सरकार के अधीन रहने/पाकिस्तान/भारत में शामिल होने की स्वतंत्रता माउंटबेटन योजना के अंतर्गत दी। इस से भारत संघ की रियासतों में आंतरिक संघर्ष प्रारंभ हो गया। रियासतों के झगड़े कई प्रकार के थे -  विभाजन के पश्चात सिक्किम के अलावा अन्य सभी रियासत या तो भारत/पाकिस्तान में से किसी एक में शामिल हो गए या उन पर कब्जा कर लिया गया। ब्रिटिश भारत की एजेंसियों को दूसरी श्रेणी के राज्यों का दर्जा दिया गया जैसे सेंट्रल इण्डिया एजेंसी मध्य भारत राज्य बन गया। इन राज्यों के मुखिया राज्यपाल के स्थान पर राज प्रमुख कहलाता था। 1956 तक भारत में राज्य पुनर्गठन अयोग के सुझाव पर अमल करते हुए भारत सरकार ने राज्यों को पुनर्गठित कर वर्तमान स्थिती में लाया गया। सभी रियासतों को राज्यों में मिला लिया गया। इस तरह रियासतों का अंत हो गया।
सन 1971 में प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी ने राजाओं के निजी कोष (प्रिवी पर्स) एवं अन्य सभी अलोकतान्त्रिक रियायतों को समाप्त कर दिया गया।
1. रियासतों द्वारा स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में घोषणा (हैदराबाद, कश्मीर, जूनागढ,जोधपुर,भोपाल,ट्रावनकोर)
2. रियासतों का राज्यों में मिलने का झगड़ा (सिरोही)
3. रियासतों/क्षेत्रों पर ब्रिटेन के अलावा अन्य राष्ट्रों का कब्जा (गोवा,लक्ष्यद्वीप)
4. भाषा के आधार पर राज्यों में शामिल होना या पृथक स्टेट (दक्षिण भारत)
भिन्न - भिन्न स्थिति और परिस्थितियों वाली इन रियासतों का एकीकरण एक टेढ़ी खीर था।

भारत में रियासतें वर्तमान स्थिति और अंतिम शासक - 
01 पंजाबी क्षेत्र (प्रांत) की रियासतें - 
कुल रियासतें 15
पाकिस्तान में - 01
भारत में - 14
रियासत      वर्तमान देश          अंतिम राजा/नवाब 
1. बहावलपुर पाकिस्तान, पंजाब सादीक़ ख़ान (पंचम)
2. बिलासपुर भारत, हिमाचल राजा कीर्तिचंद
3. फ़रीदकोट भारत, पंजाब, राजा हरबिंदर सिंह बराड़ 4. जिंद भारत, हरयाणा, सतबीर सिंह
5. कल्सिया भारत, हरयाणा हिम्मत शेर सिंह
6. कांगड़ा भारत, हिमाचल आदित्यदेवचंद कटोच्छ
7. कपूरथला भारत, पंजाब, सुखजीत सिंह साहीब
8. लोहारू भारत, हरयाणा अलाउद्दीन अहमद ख़ान
9. मलेरकोटला भारत, पंजाब इफ़तिक़ार अली ख़ा
10. मण्डी भारत, हिमाचल
11. नाभा भारत पंजाब, प्रताप सिंह मालवेन्द्र
12.पटियाला भारत, पंजाब यादवेंद्र सिंह महेंद्र बहादुर
13. सिर्मूर भारत, हिमाचल राजेन्द्र प्रकाश बहादुर
14. सुकेत/ सुरेंद्रनगर भारत, हिमाचल हरी सेन
15. टिहरी गढ़वाल भारत, उत्तराखंड मनुजेन्द्र शाह 

02 सिंध क्षेत्र (प्रांत) की रियासतें 
कुल रियासतें - 01
पाकिस्तान में - 01
भारत - 00
16 ख़ैरपुर पाकिस्तान,सिंध अलि मुरद ख़ान

03 गिलगित क्षेत्र (प्रांत)
कुल रियासतें - 02
पाकिस्तान में - 02.
भारत - 00
17 हुन्ज़ा पाकिस्तान बाल्टिस्तान मौहम्मद जमाल ख़ान
18 नगर पाकिस्तान बल्तिस्तान शौक़त अली ख़ान

04 उत्तर-पष्चिमी सीमांत क्षेत्र (प्रांत)
कुल रियासतें - 05
पाकिस्तान में - 05
भारत - 00
19 अम्ब पाकिस्तान ख़ैबर पख़्तूनख़्वा सईद ख़ान
20 चित्राल पाकिस्तान ख़ैबर पख़्तूनख़्वा नसिर खान
21 दिर पाकिस्तान ख़ैबर पख़्तूनख़्वा खोसरू ख़ान
22 फुलरा पाकिस्तान ख़ैबर पख़्तूनख़्वा, अता ख़ान
23 स्वात पाकिस्तान ख़ैबर पख़्तूनख़्वा अब्दुल्-हक़

5 व्यक्तिगत क्षेत्र (प्रांत) - 
कुल रियासतें - 05
पाकिस्तान में - 00
भारत - 05
24 हैदराबाद भारत तेलंगाना, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और कर्नाटक         उस्मानअलि ख़ान (हैदराबाद रियासत ने खुद को स्वतंत्र राष्ट्र घोषित कर दिया जिसे सैनिक कार्यवाही कर भारत में सम्मिलित किया गया। नवाब उस्मान खान पाकिस्तान भाग गए।)
25 जम्मू- कश्मीर भारत जम्मू और कश्मीर हरि सिंह (कश्मीर ने भी खुद को स्वतंत्र राष्ट्र घोषित कर दिया, पाकिस्तान ने इस पर अधिकार करना चाहा। अंत में सैनिक कार्यवाही कर भारत में सम्मिलित किया गया)
26 मैसूर भारत कर्नाटक जयचाम राजेंद्र वडियार यादव
27 सिक्किम भारत सिक्किम चोग्याल वांग्चूक् नामग्याल
28 त्रावणकोर भारत केरल, तमिलनाडु (5 जागीरें)
1. त्रावणकोर - पद्मनाभ दास, 
2 चित्थिरा थिरुनाल - बलराम वर्मा, 
3 वंचिपाल - मारतंड वर्मा पंचम, 
4 उथ्रडोम थिरुनाल कुलशेखरा 
5 कीर्तिपती मन्नेय सुल्तान -रामराज बहादुर शमशेर जंग

06. बलूचिस्तान क्षेत्र (प्रांत)
कुल रियासतें - 04
पाकिस्तान में - 04
भारत - 00
29 कलात पाकिस्तान, बलूचिस्तान, आग़ा सुलैमान जान
30 खारान पाकिस्तान, बलूचिस्तान, हबीबुल्लाह ख़ान
31 लास बुला पाकिस्तान, बलूचिस्तान मीर यूसुफ़ ख़ान
32 मकरान पाकिस्तान, बलूचिस्तान भाई ख़ान बलोच

07 काठीयाव़ाड क्षेत्र (प्रांत)
कुल रियासतें - 06
पाकिस्तान में - 00
भारत - 06
33 ध्रोल भारत, गुजरात चंद्र सिंह जडेजा
34 नवानगर भारत, गुजरात शत्रुशैल्य सिंह जडेजा
35 राजकोट भारत, गुजरात प्रद्युमन सिंह जडेजा
36 गोंडल भारत, गुजरात भगवत सिंह जडेजा
37 मोरबी भारत, गुजरात लगधीर सिंह जडेजा
38 मकाजी मेधपर भारत, गुजरात  ध्रोल के अधीन

08 दक्खन (दक्षिण) क्षेत्र (प्रांत)
कुल रियासतें - 14
पाकिस्तान में - 00
भारत - 14
39 अक्कालकोट भारत महाराष्ट्र सुमित्रा राजे भोंसले
40 औंध भारत महाराष्ट्र श्रीमंत भगवंतराव श्रीपतराव
41 भोर भारत महाराष्ट्र रघुताथ राव खोपडे देशमुख
42जमखंडी भारत कर्नाटक  परषुरामराव पटवरधन
43 जंजीरा भारत महाराष्ट्र सिदि मुहम्मद ख़ान (द्वितीय)
44 जथ भारत महाराष्ट्र विजयसिंहराव रामराव दाफ़ले
45 कोल्हापुर भारत महाराष्ट्र  शाहु जी भोंसले (द्वितीय)
46 कुरुन्दवाद (वरिष्ठ) भारत महाराष्ट्र भालचंद्र राव पटवर्धन
47 कुरुन्दवाद (कनिष्ठ) भारत महाराष्ट्र हरिहर्राव रघुनाथ राव पटवर्धन
48 मुधोल भारत कर्नाटक भैरवसिंहराव मलोजीराव घोरपडे (द्वितीय)
49 फलटण भारत महाराष्ट्र रामराजे नाइक निम्बलकर
50 सांगली भारत महाराष्ट्र चिंतामनराव (द्वितीय) धूंदिडिराजराव अप्पासाहेब पटवरधन
51 सवानुर भारत कर्नाटक माजिद ख़ान (द्वितीय)
52 सावंतवाडी भारत महाराष्ट्र भोंसले परिवार

09 ग्वालियर क्षेत्र (मराठा) (प्रांत)
कुल रियासतें - 06
पाकिस्तान में - 00
भारत - 06
53 ग्वालियर भारत मध्य प्रदेश जिवाजी राव सिंधिया
54 गढ़ा भारत मध्य प्रदेश
55 खनियाधाना भारत मध्य प्रदेश
56 रामगड़ी भारत उत्तर प्रदेश दीवान महादेव मिश्र
57 राजगढ़ भारत मध्य प्रदेश सुशीला सिन्हा रुद्राणी
58 रामपुर भारत उत्तर प्रदेश क़ाज़ीम अलि ख़ान

10 मद्रास क्षेत्र (प्रांत)
कुल रियासतें - 04
पाकिस्तान में - 00
भारत - 04
59 बनगानपल्ली भारत आंध्र प्रदेश फजल ख़ान चतुर्थ
60 कोच्चि भारत केरल, भारत वर्मा
61 पुदुकोट्टई भारत तमिलनाडु राजागोपाल तोंडईमान
62 संदूर भारत कर्नाटक मुरर्राव यश्वंतराव घोरपडे

11 राजपूताना क्षेत्र (प्रांत)
कुल रियासतें - 23
पाकिस्तान में - 01
भारत - 22
63 अलवर भारत राजस्थान जीतेंद्र प्रताप सिंह यादव
64 अहीरवाल भारत हरियाणा राव तुलाराम सिंह यादव
65 भरतपुर भारत राजस्थान ब्रजेंद्र सिंह जाट
66 बीकानेर भारत राजस्थान रवि राज सिंह बहादुर
67 बूंदी भारत राजस्थान बहादुर सिंह
68 धौलपुर भारत राजस्थान हेमन्त सिंह बहादुर
69 डूंगरपुर भारत राजस्थान महिपाल सिंह द्वितीय
70 जयपुर भारत राजस्थान सवाई मान सिंह द्वितीय
71 जैसलमेर भारत राजस्थान जवाहर सिंह बहादुर
72 झालावाड़ भारत राजस्थान चन्द्रजीत सिंह 
73 जोधपुर भारत राजस्थान हनुमंत सिंह द्वितीय
74 करौली भारत राजस्थान गणेश पाल देव बहादुर 
75 किशनगढ़ भारत राजस्थान सुमेर सिंह बहादुर
76 कोटा भारत राजस्थान भीम सिंह द्वितीय
77 कुशलगढ़ भारत राजस्थान राव हरेंद्र सिंह
78 लवा-सरदारगढ़ भारत राजस्थान
79 मेवाड़ भारत राजस्थान भूपाल सिंह
80 तोरावटी भारत राजस्थान राव विक्रम सिंह तंवर
81 प्रतापगढ़ भारत राजस्थान अजीत प्रताप सिंह
82 शाहपुरा भारत राजस्थान सुदर्शन सिंह
83 सिरोही भारत राजस्थान रघुबीर सिंह
84 टोंक भारत राजस्थान फ़ारुख़ अली ख़ान
85 अमरकोट पाकिस्तान सिन्ध चंद्रसिंह सोढा

12 गुजरात क्षेत्र बड़ौदा (प्रांत)
कुल रियासतें - 09
पाकिस्तान में - 00
भारत - 09
86 बाजाना
87 बाकरोल-बोरू
88 बालासिनोर
 89 बंसदा
 90 बांटवामानावदार
91  बडोदा
 92 भावनगर
 93 छोटा उदयपुर
 94 कच्छ

13 डंग क्षेत्र की रियासतें
कुल रियासतें - 35
पाकिस्तान में - 00
भारत - 35
95 दांता रायासत
96 देवगड्बरिया
97 देवनी मोरी रियासत
98 ध्रांगध्रा
99 ध्रोल
100  गोंडाल
101 हदोल
102  सातलासाना
103 मेहसाना
104 इडर
105  जामनगर
106 जस्दान
107 जव्हार
108  जुनागढ़
109 खंभात 
110 लखतर
111 लिंबडी
112 लुनाव्दा
113 मालपुर
114 मनसा
115 मलिया
116 मियागम 
117 मोहनपुर
118 मोरवी
119 मुली
120  नवानगर
121 पालनपुर
122 पांडू मेवास
123 पाटन
124 पोरबंदर
125 पोशीना
126 राधनपुर
127 राजकोट
128  राजपीपला
129 अंबलियारा

14 सबरकांठा क्षेत्र (प्रांत)
कुल रियासतें - 11
पाकिस्तान में - 00
भारत - 11
130 सचिन
131 सन्जेली
132 संखेड़ा मेहवस्सी
133 संत
134 सुरगाणा
135 थाराद
136 वनोद
137 विजयनगर
138 विथलगर
139 वाधवन
140 वांकानेर

15 मध्य भारत क्षेत्र (प्रांत)
कुल रियासतें - 51
पाकिस्तान में - 00
भारत - 51
141 अजयगढ़
142 अलीपुरा
143 अलीराजपुर
144 बांका
145 बावनी
146 बरौंधा
147 बरवानी
148 बेरी
149 बसीडा
150 भैसुंदा
151 भोपाल
152 बिजावर
153 बिजना
154 बिलहेरी
155 चरखारी
156 छतरपुर
157 चिरगाँव
158 दतिया
159 देवास
160 धार
161 धुरवई
162 गौरिहार
163 ग्वालियर
164 इन्दौर
165 जावरा
166 जसो
167 जोबत
168 कामता-राजुला
169 खनियाधाना
170 खिलचीपुर
171 कोठी
172 कुरवाई
173 मैहर
174 मकराइ
175 मोहम्मदगढ़
176 नागौद
177 नरसिंघ्गढ़
178 ओर्छा
179 पाहड़ा
180 पालदेव
181 पन्ना
182 पठारी
182 पीपलोदा
184 राजगढ़
185 रत्लाम
186 रेवा
187 सैलाना
188 सीतामऊ
189 सोहावल
190 ताराओं
191 टोड़ी फतेहपुर

16 पूर्वी राज्य (गठन 1933) उड़िसा, छत्तिसगढ़ व बंगाल
ओड़िसा क्षेत्र (प्रांत)
कुल रियासतें - 22
पाकिस्तान में - 00
भारत - 22
192 आथगढ़
193 आथमल्लिक
194 बामरा
195 बरम्बा
196 बौद्ध
197 बोनाई
198 दस्पल्ला
199 ढेन्कानाल
200 गंगपुर
201 हिंडोल
202 केन्दुझर
203 खंडपाड़ा
204 खरसावाँ
205 नरसिंघ्पुर
206 नयागढ़
207 नीलगिरी
208 पाल लहारा
209 रायखोल
210 रणपुर
211 सराईकिला
212 सोनपुर
213 तालचेर
214 तिगीरिया

छत्तिसगढ़ी राज्य एजेंसी
कुल रियासतें - 16
पाकिस्तान में - 00
भारत - 16
215 बसतर
216 चंगभाकर
217 छुईखदान
218 जशपुर
219 कालाहंडी (करौंद)
220 कांकेर
221 कावर्धा
222 खैरागढ़
223 कोरिया
224 नंदगाँव
225 रायगढ़
226 सक्ती
227 पटना
228 सारंगढ़
229 सरगुजा
230 उदयपुर (धरमजयगढ़)

नरेंद्र मण्डल (राजाओं का समूह)



               वडोदरा का राजमहल

1956 ई. में 19 रियासतों का एकीकरण होने के बाद राजस्थान राज्य बना। इन 19 रियासतों में 16 रियासतें राजपूतों की, 2 जाटों की और एक मुस्लिम रियासत थी।
गुहिल वंशी राजपूतों की 5 रियासतें मेवाड़, डूंगरपुर, बांसवाड़ा, प्रतापगढ़ व शाहपुरा थीं। राठौड़ राजपूतों की 3 रियासतें मारवाड़, बीकानेर व किशनगढ़ थीं। चौहान राजपूतों की 3 रियासतों में कोटा और बूंदी हाड़ा चौहानों की रियासतें थीं और सिरोही देवड़ा चौहानों की रियासत थी।
यदुवंशी जादोन राजपूतों की रियासत करौली व यदुवंशी भाटी राजपूतों की रियासत जैसलमेर थी।
कछवाहा राजपूतों की रियासत जयपुर व अलवर थी। झाला राजपूतों की रियासत झालावाड़ थी।
जाटों की 2 रियासत भरतपुर व धौलपुर थी और एकमात्र मुस्लिम रियासत टोंक थी।
19 रियासतों के अलावा राजपूतों के 3 ठिकाने लावा, कुशलगढ़ और नीमराना भी एकीकरण में शामिल हुए।

टोंक रियासत 

टोंक रियासत के चौथे नवाब सर मोहम्मद इब्राहिम अली खान जिनका शासन काल 1867 से 23 जून 1930 तक रहा ये कुछ चुनिंदा सरदारो में थे जिन्होंने तीन दफा देहली दरबार अटैंड किया था।
इनके ज़माने में सिरोंज परगने में बहुत से सुधार कार्य हुए थे और बहुत से नए काम और नए विभाग भी बनाए गए थे सन 1885 में नवाब इब्राहिम अली खान के नाम से सिरोंज टकसाल से सिक्के जारी हुए थे इन सिक्को के एक तरफ रईस टोंक इब्राहिम अली खान का नाम दर्ज था दूसरी तरफ अहद ए सल्तनत मुल्क ए मोअज़्ज़म इंग्लिस्तान ओ क़ैसर दर्ज था।
इस दौर में सिरोंज पर सहाबज़ादा निज़ाम अली खान जो की प्रथम नवाब अमीर अली खान के नवासे थे उन की हुकूमत थी बाद में ये ओहदा हाकिम से बदल कर नाज़िम कर दिया गया था। उन्होंने ने नवाब इब्राहिम अली खान के मश्विरे से कुछ बदलाव किए थे वो इस प्रकार हैं।
पहला काम पुलिस विभाग का आधुनिकीकरण करते हुए निम्नलिखित 13 थाने स्थापित किए।
1- कोतवाली सिरोंज
2- देवपुर
3- आनंदपुर
4- लटेरी
5- अलीगढ़
6- टोंकरा
7- उनारसी कलां
8- उनारसी ताल
9- अमीरगढ़
10- दीपना खेड़ा
11- झंडवा
12- महोटी
13- भगवंत पुर
इनके अलाव सात चौकीयां अलग थीं।
कुछ साल बाद 13 थानो के बजाए निम्नलिखित 9 थाने ही कायम रखे गए बाकी बंद कर दिये गए
कोतवाली सिरोंज, लटेरी, टोंकरा, ककराज कोटरा, उनारसी ताल, बामौरी शाला, झंडवा, भगवंतपुर, उनारसी कलां और सात चौकीयां।
हर पुलिस स्टेशन में एक थानेदार, एक जमादार (हैड) एक हवलदार, और पांच कांस्टेबल रखे गए थे, इस इंतेज़ाम से परगना सिरोंज का विशाल भू भाग सुरक्षित हो गया। इस बदलाव से क्राइम रेट में बहुत कंट्रोल हो गया इस समय तक जो परगने का आमिल होता था वही पुलिस डिपार्टमेंट का उच्च अधिकारी होता था।
सिविल अस्पताल (दारुल शिफ़ा) की स्थापना सिहोर ऐजेंसी के सिविल सर्जन की निगरानी मे हुआ।
मुंसिपल कमेटी (नगर पालिका) की स्थापना हुई जिससे रास्तों की साफ सफाई और रात में सड़को पर रौशनी का नुमाया काम हो सका।
राजस्व विभाग की आमदनी से अली गंज के मशहूर मेले की शुरूआत हुई जो पंद्रह दिन चलता था आस पास के गांवो से बहुत लोग मेले में तफरीह के लिए आते थे मेले की सुरक्षा का ज़िम्मा पुलिस विभाग के रिसालदार (घुड़ सवार सैना नायक) और जागीरदारन के हवाले होता था।

स्वतंत्र भारत में रियासतों का एकीकरण -
भारत सरकार राज्य के भीतर स्वतंत्र राष्ट्र होने से आंतरिक और बाहरी सुरक्षा के प्रति चिंतित थी। भारत पर विदेशी आक्रमण की स्थिति में इन रियासतों का उपयोग देश के विरुद्ध सामरिक स्थान के रूप में किया सकता है। इसलिए जल्द से जल्द रियासतों को एकीकृत करना आवश्यक था।
भारत की स्वतंत्रता के बाद मुख्य कार्य सभी रियासतों का एकीकरण कर राज्यों का निर्माण करना था। पंडित जवाहरलाल नेहरू ने यह जिम्मेदारी लोह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल गृह मंत्री एवं उप प्रधान मंत्री भारत सरकार को सौंपा। कुछ रियासतें अपना स्वतंत्र रूप बनाए रखना चाहती थीं जैसे जोधपुर, भोपाल, त्रावणकोर, जूनागढ़, हैदराबाद एवं कश्मीर । इस हेतु भारत सरकार द्वारा यथा संभव सहमति से और जहां सहमति नहीं बन पाई बल पूर्वक रियासतों को भारत में शामिल किया गया। राजाओं/नवाबों को कुछ विशेष अधिकार दे कर उनकी पदवी को बरकार रखा गया। व्यवस्था संचालन हेतु प्रिवी पर्स (राज कार्य संचालन हेतु निश्चित धनराशि) दिया गया। प्रिवी पर्स इंदिरा गांधी ने 1971 में बंद कर दिया।

स्वतंत्रता से पूर्व विलय - 

जोधपुर रियासत - 
               जोधपुर महाराजा हनुमंत सिंह 
भारत सरकार ने बीकानेर रियासत के माध्यम से जोधपुर के राजा हनुमंत सिंह को भारत संघ में सम्मिलित होने हेतु राजी कर लिया। जोधपुर ने भारत संघ में विलय के दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर किए।

भोपाल रियासत
            नवाब हमीदुल्लाह खान भोपाल

मोहम्मद नसरुल्लाह खान रियासत भोपाल के क्राउन प्रिंस और नवाब सुल्तान जहां बेगम के सबसे बड़े बेटे थे। वर्तमान सिहोर जिले का कस्बा नसरुल्लागंज इनकी जागीर था इनकी मां सुल्तान जहां ने अपने तीनो बेटो को भोपाल रियासत में जागीरे प्रदान की थी।
बड़े बेटे नसरुल्लाह खान को भैरोंदा जागीर जिसका नाम बाद में नसरुल्लागंज हुआ। दूसरे बेटे उबेदुल्लाह खान को उबेदुल्लाह गंज और सबसे छोटे बेटे हमीद उल्लाह खान को चिकलोद की जागीरदारी दी थी। नसरुल्लाह खान और उबेदुल्लाह खान की मृत्यु हो जाने के कारण छोटे बेटे हमीद उल्लाह खान को भोपाल रियासत का नवाब बनाया गया था।

त्रावणकोर
        सीपी रामास्वामी महाराजा ट्रावनकोर 
पप्रचूर प्राकृतिक संसाधन और उत्तम अर्थवेवस्था के कारण त्रावणकोर (केरल) रियासत स्वतन्त्र रहना चाहती थी। दिवान सीपी रामास्वामी अय्यर (साम्यवादी विचारधारा के विरोधी) को जवाहरलाल नेहरू ने मनाने हेतु दिल्ली आमंत्रित किया पर उन्होंने विलय के दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर करने से मना कर दिया। 25 जुलाई 1947 को सीपी पर जानलेवा हमले से घायल सीपी को अस्पताल में भर्ती करवाया गया। वहीं से ही उन्होंने विलय के दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर कर दिए।

जूनागढ़ - 
                      नबाब जूनागढ़
जूनागढ़ रियासत में सनातन धर्मावलंबियों की बहुलता थी और शासक मुस्लिम जिसने पाकिस्तान के साथ विलय की संधि पर हस्ताक्षर कर दिए। भारत सरकार के प्रतिनिधि वीपी मेनन और वीबी पटेल ने जूनागढ़ के नवाब शाहनवाज खान भुट्टो (जुल्फीकार अली भुट्टो के पिता)को जनमत संग्रह कराने हेतु मनाने गए परंतु उन्होंने मना कर दिया। अंत मे सैनिक कार्यवाही द्वारा जूनागढ़ को भारत में मिला लिया गया। नवाब परिवार सहित पाकिस्तान भाग गया। शाह नवाज भुट्टो ने हस्तक्षेप हेतु एक पत्र सौराष्ट्र के क्षेत्रीय आयुक्त श्री बुच को लिखा। बाद में हुए जनमत संग्रह द्वारा जूनागढ़ का भारत में विलय हुआ।

स्वतंत्रता के बाद विलय -
हैदराबाद - 
        हैदराबाद निजाम उस्मान अली खान
हैदराबाद एक विशाल और शक्तिशाली रियासत थी जो लगभग समूचे दक्षिणी भारत में फैली थी। हैदराबाद के निजाम उस्मान अली खान को रजाकार और इत्तेहादुल मुसलामीन नामक संगठनों का समर्थन प्राप्त था। हैदराबाद ने स्वयं को स्वतन्त्र राष्ट्र घोषित कर दिया। सन 1948 में भारत सरकार ने सैनिक कार्यवाही शुरू कर दी। 17 सितंबर 1948 को निजाम ने आत्मसमर्पण विलय के प्रस्ताव पर हस्ताक्षर कर दिए। भारत सरकार ने उन्हें हैदराबाद राज्य का राजप्रमुख (राज्यपाल) बना दिया।

जम्मू - कश्मीर- 
              महाराजा हरि सिंह कश्मीर
कश्मीर के राजा हरि सिंह ने कश्मीर को स्वतन्त्र राष्ट्र घोषित किया। यह क्षेत्र सामरिक दृष्टि से भारत के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण था। 22 अक्टूबर 1947 को पाकिस्तानी सेना ने कबाइलियों की वेष भूषा में कश्मीर पर हमला कर दिया। महाराजा हरि सिंह ने भारत सरकार से मदद की गुहार लगाई। 26 अक्टूबर 1947 को हरि सिंह ने विलय पत्र पर हस्ताक्षर किए। 27 अक्सटूबर को भारत सरकार ने महाराजा द्वारा विलय पत्र पर हस्ताक्षर करने के बाद कश्मीर की मदद के लिए भारतीय सेना भेजी।
1 जनवरी 1949 को भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध विराम हुआ। लार्ड माउंटबेटन की सलाह पर भारत ने यह मामला संयुक्त राष्ट्र में उठाया। सन 1951 में संयुक्त राष्ट्र संघ ने पाकिस्तान को कश्मीर से सेना हटाने को कहा और भारत से जनमत संग्रह कराने को कहा। हालांकि, पाकिस्तान ने अपनी सेना को क्षेत्र से नहीं हटाया और आज तक यह दोनों देशों के बीच टकराव का विषय बना हुआ है। कश्मीर के एक बड़े भाग पर पाकिस्तान का अधिकार हो गया। जिसे भारत पाक अधिकृत कश्मीर और पाकिस्तान आजाद कश्मीर कहता है। विलय पत्र के अनुसार कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा दिया गया इस हेतु संविधान के अनुच्छेद 370 के अंतर्गत विशेष सुविधाएं दी गई। 2022 में अनुच्छेद 370 की धारा 02 को हटा लिया गया।

गोआ, दमन, दीव दादरा नगर हवेली (एस्टाडो द इंडिया) का भारत में विलय
           गोआ लिबरेशन आर्मी आंदोलन

अफोंसो डी अल्बुकर्क (जन्म 1453 लिस्बन,पुर्तगाल - मृत्यु 15 दिसंबर, 1515 को गोवा) ने गोवा (1510) और मलय प्रायद्वीप पर मेलाका (1511) पर विजय प्राप्त की थी। पुर्तगालियों ने अधिकांश पश्चिमी तट पर कब्जा कर लिया। गोवा, दमन, दीव, दादरा और नगर हवेली 19वीं शताब्दी के अंत पुर्तगाली उपनिवेश थे उन्हें सामूहिक रूप से एस्टाडो दा इंडिया कहा जाता था।  पुर्तगाली सत्ता समाप्त करने हेतु सन 1940 से 1961 तक गोवा लिबरेशन मूवमेंट नामक समूह ने आन्दोलन किया। आंदोलनकारियों ने अहिंसक विरोध, क्रांतिकारी तकनीक और कूटनीतिक प्रयास की रणनीति प्रयोग किया। 
18 जून, 1946 को डॉ. राम मनोहर लोहिया और जुलियाओ मेनेजेस सार्वजनिक समारोहों द्वारा राज्य में स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया। पुर्तगालियों ने सविनय अवज्ञा आंदोलन को रोका परंतु जनता लगातर संघर्ष करती रही। भारत सरकार ने पुर्तगाल सरकार से उसके अधीन पश्चिमी तट गोवा, दमन और दीव और दादरा और नगर हवेली को छोड़ने हेतु समझौते के प्रयास किए। पुर्तगाल सरकार के इनकार करने के कारण 1950 के बाद संबंध बिगड़ गए। सन 1955 तक दोनों देशों ने राजनयिक संबंधों को तोड़ दिया परिणामस्वरूप दोनों के बीच संघर्ष हुआ। पुर्तगाल नाटो संघ का सदस्य था और भारत सरकार इस के साथ युद्ध नहीं चाहती थी। नवंबर 1961 मे पुर्तगाली सैनिकों ने भारतीय मछुआरों पर गोलियां चलाईं और लोगों का अपहरण करने का प्रयास किया, तो देश के तत्कालीन रक्षा मंत्री कृष्ण मेनन ने प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू से राज्य को वापस लेने के लिए बल प्रयोग करने की अनुमति मांगी। भारतीय रक्षा अधिनियम 1915 के अन्तर्गत ऑपरेशन विजय के माध्यम से यहां 30,000 थलसेना, वायुसेना और नौसेना के जवानों ने 48 घंटों के भीतर पुर्तगाली सेना को भगा दिया।गोवा में पुर्तगाल के आखिरी गवर्नर जनरल वसालु सिल्वा ने आत्म समर्पण कर दिया।

सिक्किम का भारत में विलय 
   पाल्डेन थोंडुप नामग्याल अंतिम शासक सिक्किम
 
सन 1947 में सिक्किम ने भारत में विलय के स्थान पर स्वतन्त्र राष्ट्र के रूप में घोषित कर दिया। भारतीय प्रधान मंत्री नेहरू ने सिक्किम को संरक्षित राज्य का दर्जा प्रदान किया। इसके तहत भारत सिक्किम का संरक्षक हुआ। सिक्किम के विदेशी, राजनयिक अथवा सम्पर्क संबन्धी विषयों की ज़िम्मेदारी भारत ने संभाल ली। 1955 में सिक्किम राज्य परिषद की घोषणा कर चोग्याल को सरकार बनाने की अनुमति दी गई। सिक्किम पर नेपाल के हस्तक्षेप के कारण भारत सरकार चिंतित थी। 1973 में सिक्किम राजभवन के समक्ष उग्र प्रदर्शन शुरू हुआ। फलतः भारत सरकार को सेना भेजनी पड़ी और गंगटोक पर भारत का कब्जा हो गया। 15 मई 1975 को भारत के राष्ट्रपति ने संवैधान संशोधन को मंजूरी देते हुए सिक्किम को भारत का 22वां राज्य घोषित कर दिया। सिक्किम ग्याल राजतन्त्र द्वारा शासित स्वतन्त्र राज्य था। सन 1975 के जनमत-संग्रह द्वारा अंतिम शासक पाल्डेन थोंडुप नामग्याल को अपदस्थ कर सिक्किम का भारत में विलय हो गया।

इस प्रकार से पंडित जवाहरलाल नेहरू की दूरदर्शिता,कूटनीति और सरदार वल्लभ भाई पटेल की रणनीति के फलस्वरूप वर्तमान भारत का नक्शा तैयार हुआ।

शमशेर भालू खान 
9587243963

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