Monday, 5 September 2022

साल्तनत काल

गुलाम वंश
1=1193 मुहम्मद  गौरी
2=1206 कुतुबुद्दीन ऐबक 
3=1210 आराम शाह
4=1211 इल्तुतमिश
5=1236 रुकनुद्दीन फिरोज शाह
6=1236 रज़िया सुल्तान
7=1240 मुईज़ुद्दीन बहराम शाह
8=1242 अल्लाउदीन मसूद शाह
9=1246 नासिरुद्दीन महमूद  
10=1266 गियासुदीन बल्बन
11=1286 कै खुशरो
12=1287 मुइज़ुदिन कैकुबाद
13=1290 शमुद्दीन कैमुर्स
1290 गुलाम वंश समाप्त्
(शासन काल-97 वर्ष लगभग )

खिलजी वंश
1=1290 जलालुदद्दीन फ़िरोज़ खिलजी 
2=1296 
अल्लाउदीन खिलजी 
4=1316 सहाबुद्दीन उमर शाह
5=1316 कुतुबुद्दीन मुबारक शाह
6=1320 नासिरुदीन खुसरो  शाह
7=1320 खिलजी वंश स्माप्त
(शासन काल-30 वर्ष लगभग )

तुगलक  वंश
1=1320 गयासुद्दीन तुगलक  प्रथम 
2=1325 मुहम्मद बिन तुगलक दूसरा   
3=1351 फ़िरोज़ शाह तुगलक 
4=1388 गयासुद्दीन तुगलक  दूसरा
5=1389 अबु बकर शाह
6=1389 मुहम्मद  तुगलक  तीसरा
7=1394 सिकंदर शाह पहला
8=1394 नासिरुदीन शाह दुसरा
9=1395 नसरत शाह
10=1399 नासिरुदीन महमद शाह दूसरा दुबारा सता पर
11=1413 दोलतशाह
1414 तुगलक  वंश समाप्त
(शासन काल-94वर्ष लगभग )

सैय्यद  वंश
1=1414 खिज्र खान
2=1421 मुइज़ुदिन मुबारक शाह दूसरा
3=1434 मुहमद शाह चौथा
4=1445 अल्लाउदीन आलम शाह
1451 सईद वंश समाप्त
(शासन काल-37वर्ष लगभग )

लोदी वंश
1=1451 बहलोल लोदी
2=1489 सिकंदर लोदी दूसरा
3=1517 इब्राहिम लोदी
1526 लोदी वंश समाप्त
(शासन काल-75 वर्ष लगभग )

मुगल वंश
1=1526 ज़ाहिरुदीन बाबर
2=1530 हुमायूं 
1539 मुगल वंश मध्यांतर

सूरी वंश
1=1539 शेर शाह सूरी
2=1545 इस्लाम शाह सूरी
3=1552 महमूद  शाह सूरी
4=1553 इब्राहिम सूरी
5=1554 फिरहुज़् शाह सूरी
6=1554 मुबारक खान सूरी
7=1555 सिकंदर सूरी
सूरी वंश समाप्त,(शासन काल-16 वर्ष लगभग )

मुगल वंश पुनःप्रारंभ
1=1555 हुमायू दुबारा गाद्दी पर
2=1556 जलालुदीन अकबर
3=1605 जहांगीर सलीम
4=1628 शाहजहाँ
5=1659 औरंगज़ेब
6=1707 शाह आलम पहला
7=1712 जहादर शाह
8=1713 फारूखशियर
9=1719 रईफुदु राजत
10=1719 रईफुद दौला
11=1719 नेकुशीयार
12=1719 महमूद शाह
13=1748 अहमद शाह
14=1754 आलमगीर
15=1759 शाह आलम
16=1806 अकबर शाह
17=1837 बहादुर शाह जफर
1857 मुगल वंश समाप्त
(शासन काल-315 वर्ष लगभग )

ब्रिटिश राज (वाइसरॉय)
1=1858 लोर्ड केनिंग
2=1862 लोर्ड जेम्स ब्रूस एल्गिन
3=1864 लोर्ड जहॉन लोरेन्श
4=1869 लोर्ड रिचार्ड मेयो
5=1872 लोर्ड नोर्थबुक
6=1876 लोर्ड एडवर्ड लुटेन
7=1880 लोर्ड ज्योर्ज रिपन
8=1884 लोर्ड डफरिन
9=1888 लोर्ड हन्नी लैंसडोन
10=1894 लोर्ड विक्टर ब्रूस एल्गिन
11=1899 लोर्ड ज्योर्ज कर्झन
12=1905 लोर्ड गिल्बर्ट मिन्टो
13=1910 लोर्ड चार्ल्स हार्डिंज
14=1916 लोर्ड फ्रेडरिक सेल्मसफोर्ड
15=1921 लोर्ड रुक्स आईजेक रिडींग
16=1926 लोर्ड एडवर्ड इरविन
17=1931 लोर्ड फ्रिमेन वेलिंग्दन
18=1936 लोर्ड एलेक्जंद लिन्लिथगो
19=1943 लोर्ड आर्किबाल्ड वेवेल
20=1947 लोर्ड माउन्टबेटन
ब्रिटिस राज समाप्त

आजाद भारत,प्राइम मिनिस्टर
1=1947 जवाहरलाल नेहरू
2=1964 गुलजारीलाल नंदा
3=1964 लालबहादुर शास्त्री
4=1966 गुलजारीलाल नंदा
5=1966 इन्दिरा गांधी
6=1977 मोरारजी देसाई
7=1979 चरणसिंह
8=1980 इन्दिरा गांधी
9=1984 राजीव गांधी
10=1989 विश्वनाथ प्रतापसिंह
11=1990 चंद्रशेखर
12=1991 पी.वी.नरसिंह राव
13=अटल बिहारी वाजपेयी
14=1996 ऐच.डी.देवगौड़ा
15=1997 आई.के.गुजराल
16=1998 अटल बिहारी वाजपेयी
17=2004 डॉ.मनमोहनसिंह
18=2014 से  नरेन्द्र मोदी

764 सालों तक मुस्लिम राज होने पर भी हिन्दू महफूज़ (बाक़ी) हैं। और,,,,,,,,,इन बीजेपी वालों को अभी 10 साल भी नहीं हुए और ये हिन्दु खतरे में है कि बात करतें हैं  मुस्लमान अपनी मेहनत के दम पर कमाने खाने वाले लोग हैं. साईकिल पंचर लगाने से लेकर भारत के राष्ट्रपति तक के पद को सुशोभित किया है. फल बेचने से लेकर सुप्रीम कोर्ट के जज तक रहे. 

बिरयानी बनाने का काम करने से लेकर IB प्रमुख तक, कवाब बनाने से लेकर मुख्य चुनाव आयुक्त तक; एक तो अभी सेना प्रमुख बनने तक रह गए

किसानी से लेकर सेना में भर्ती होकर परमवीर चक्र लिया. पदमश्री से लेकर भारत रत्न तक प्राप्त किया मुसलमानों ने. मोटर वर्कशॉप का काम करने से लेकर अग्नि मिसाईल तक बनाई. 

हर क्षेत्र में डंका बजाया है फ़िल्म, कला, साहित्य, संगीत, आप भारत के होने की कल्पना ही नहीं कर सकते बिना मुसलमानों के...
आज देखा जाता है कि  "जिहाद " के नाम से लोगों में डर ओर भय का वातावरण तैयार किया जा रहा है,, 
"जिहाद" एक अरबी का शब्द है जिसका मतलब है "बुराई"  और "नाइंसाफी" के खिलाफ आवाज़ उठाना उसके खिलाफ खड़े होना या इंसाफ के लिए लड़ाई लड़ना,,,,
 जिहाद का मतलब मासूमो व बेगुनाहो की जान लेना या क़त्ल करना हरगिज़ नहीं है।

फ़र्क़ सिर्फ इतना है के हम बुराई के खिलाफ खड़े है , बुराई के साथ नहीं।
ये दोहरे चेहरे ज़रूर  उजागर होने चाहिए।।

Saturday, 3 September 2022

राजस्थान उर्दू बचाओ आंदोलन संघर्ष समिति पुनर्गठन

राजस्थान उर्दू बचाओ संघर्ष समिति
मुख्य संयोजक - 
शमशेर भालू खान 'गांधी '
9587243963

संयोजक -
1खुर्शीद अनवर खान तहरीक ए उर्दू टोंक 
9214920912
 2 अब्दुल रहमान खान व्याख्याता उर्दू,नागौर
9588060858
3 यूनुस अली खान वअ उर्दू,चुरू
9460192572
4 शौकत अली अंसारी झालावाड़
9413007867
5 अख्तर खान जोधपुर
9982003945
6 मूसा खान बीकानेर
9667863999
7 सीमा भाटी बीकानेर
9414020707

संरक्षक - 
1 चौधरी अकबर कासमी साहित्यकार व सामाजिक कार्यकर्ता 
8813082299

2 मुंसिफ खान अजमेर,सामाजिक कार्यकर्ता
7665379000
3 महमूद खान उदयपुर, सामाजिक कार्यकर्ता 
9667379786
4 हिदायतुल्लाह खान उदयपुर सामाजिक कार्यकर्ता 
9887997388
6 मोहम्मद खान चित्तौड़गढ़ 
9929841786
7 मुफ्ती आदिल आदिल टोंक
9571014717
8 शेर मोहम्मद मेव,
 मेव बोर्डिंग,अलवर
9014017081
9 भंवरू खां सेवानिवृत जिला शिक्षा अधिकारी, चूरू
9413268556
10 रमजान खान सामाजिक कार्यकर्ता,बीकानेर
9252595001
11 यासीन खान जालूपुरा सामाजिक कार्यकर्ता,जयपुर
9316606081
12 सैयद विलायत हुसैन चिश्ती खादिम दारगाह शरीफ, अजमेर
9828049492
13 पीर गुलाम नसीर नज़्मी फारूकी गद्दीनाशीन फतेहपुर,सीकर
9829078617
14 मुफ्ती हबीबुल्लाह फलोदी जोधपुर
9079294872

सभा अध्यक्ष - 
बशीर अहमद कुरैशी सीकर व. अ. उर्दू 
9887135055

अध्यक्ष - 
अता हुसैन कादरी ,बीकानेर
9414140469

उपाध्यक्ष -
1 मोहसीन भाटी चुरू
9950821964
2 नबाब खान जोधपुर
7597693779
3 मंसूर अली बीकानेर
9414428786
4 साहुन काटपुरी भरतपुर
9413166511
5 अल्ताफ खान चाकसू जयपुर
9413410306
6 चांद खान पाली 
8107089524
7 गनी खान मावली उदयपुर
8058050876
8 अहमद रजा खान कोटा
9828767070
9 हकीम खान काठात अजमेर
8824204478

महासचिव -
जावेद बैग धोलपुर
9875154433

सह सचिव -
1 मुज्जफ्फर अली खान बारां 
8239803770
2 हयात खान मेहर बाड़मेर
6378406880
3 कमाल खान शेरा जैसलमेर
9351090317
4 लियाकत खान घड़साना गंगानगर
9672874586
5 सलीम खान ललावली हनुमानगढ़ 
6375869334
6 अयाज अहमद खान नुआ झुंझुनूं
9460632294
7 संजय खान बूंदी
9772347990
8 हक्कू खान मेव अलवर
9783380928
9 मोहम्मद शाबीर रंगरेज भीलवाड़ा
9982256086

कार्यकारी सचिव -
1 नबीशेर खान सवाई माधोपुर 
9928464942
2 यूनुस खान टोडाभीम करौली
9982624264
3 मैनुद्दीन खान उस्ता चित्तौड़गढ़
9982624264
4 इशहाक खान मावा प्रतापगढ़
9983965283
5 तहसीम रजा खान चितोदगढ़
7665416109
6 इकराम अली खान बांसवाड़ा
9950692277
7 इमरान खान जोरहट पाली
7737747508
8 मिश्री खान जुनेजा जालोर
9799458706
9 रमजान खान रोहट सिरोही
9950322501

महिला मंत्री -
1 अनिशा खान कोटा
9784023004
2 शकीला खान भीलवाड़ा
7239809504
3  सलमा खान जालोर
7073954405

मीडिया प्रभारी - 
1 अमजद खान चुरू
96101802639
2 अकरम अली बीकानेर
8559987786
3 सोराब खान सहाता  बाड़मेर (सिंधी) प्रतिनिधि)
9664499123
4 जहांगीर खान सीकर
9414864814
5 निसार अहमद जाटू सीकर
9414403548
6 रफीक खान भीमसर झुंझुनूं
9928334957
7 शाहीन अफरोज टोंक
9001761469


कानूनी सलाहकार परिषद
1 एडवोकेट हैदर मोलानी बीकानेर
8949788589
2 एडवोकेट कुंअर यूसुफ खान जोधपुर 
9829040163
3 एडवोकेट रहमत अली खान जयपुर
9414805003
4 एडवोकेट अख्तर खान अकेला कोटा
9929086339
5 एडवोकेट आरिफ खान सीकर
9530271786
6 एडवोकेट हसन खान चुरू
9414776801
7 एडवोकेट जावेद खान चुरू
9929830845
8 एडवोकेट सकीना खान बीकानेर
9413190220

संयोजक 
शमशेर भालू खान

डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन


डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन
जब राधाकृष्णन एक शिक्षक थे, तब भी वे नियमों के दायरों में नहीं बँधे थे। कक्षा में यह 20 मिनट देरी से आते थे और दस मिनट पूर्व ही चले जाते थे। इनका कहना था कि कक्षा में इन्हें जो व्याख्यान देना होता था, वह 20 मिनट के पर्याप्त समय में सम्पन्न हो जाता था।

आजाद भारत के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति के तौर पर डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का नाम भारत के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों से लिखा गया है।
राधाकृष्णंन दर्शनशास्त्र का ज्ञान रखते थे जिन्होंने भारतीय दर्शनशास्त्र में पश्चिमी सोच की शुरुआत की।राधाकृष्णन नामी शिक्षक थे।
राधाकृष्णन ने सनातन धर्म को भारत और पश्चिम दोनों में फ़ैलाने का प्रयास किया। वे दोनों सभ्यताओं को मिलाना चाहते थे।

विचार -

उनका मानना था कि शिक्षकों का दिमाग देश में सबसे अच्छा होना चाहिये, क्यों कि देश को बनाने में उन्हीं का सबसे बड़ा योगदान होता है।

डॉ॰ सर्वपल्ली राधाकृष्णन संक्षिप्त जीवन परिचय
नाम - सर्वपल्ली डॉक्टर राधाकृष्णन 
(सर्वपल्ली गांव से 18वीं सदी में तिरुट्टनी आए)
जन्म - 5 सितम्बर 1888
जन्म स्थान - तिरुट्टनी, जिला चित्तूर तमिल नाडु, भारत (तत्कालीन मद्रास प्रेसीडेंसी) (वर्तमान में तिरुवुल्लुर जिला)
जाति - तमिल ब्राह्मण 
धर्म - सनातन
भाषा - तेलुगु
मृत्यु - 17 अप्रैल 1975)
शांत स्थान - चेन्नई, तमिल नाडु, भारत
आयु - 73 वर्ष
पिता का नाम - सर्वपल्ली वीरास्वामी
(पिता का व्यवसाय राजस्व विभाग में नौकरी)
माता का नाम - सीताम्मा (गृहणी)
भाई -बहन - पाँच भाई एक बहन
पत्नी का नाम - शिवकामु 
विवाह - राधाकृष्ण की आयु 14 वर्ष पत्नी  की आयु 10 वर्ष ( 8 म‌ई 1903) (राधाकृष्णन की दूर की चचेरी बहन)

संतान -
5 पुत्रियाँ-
1 सुमि‌‌त्रा, (1908)
2 शकुंतला, 
3 रुक्मिणी 
4 कस्तूरी 
5 एक अन्य 
1 पुत्र सर्वपल्ली गोपाल

व्यवसाय :- राजनीतिज्ञ, दार्शनिक, शिक्षाविद, विचारक

राजनैतिक पार्टी - स्वतन्त्र
स्वभाव - सदाशयता, दृढ़ता और विनोदी एवम नियमो से हटकर चलने वाला स्वभाव।

राधाकृष्ण्न के आदर्श - स्वामी विवेकानन्द 

शिक्षा - 
प्रारंभिक शिक्षा - क्रिश्चियन मिशनरी संस्था लुथर्न मिशन स्कूल, तिरूपति (1896-1900)
मेट्रिक परीक्षा पास 1902
वेल्लूर (1900 से 1904) 
बी ए 1907 इतिहास,गणित व मनोविज्ञान
उच्च शिक्षा - मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज, मद्रास 
एम ए दर्शनशास्त्र 1909
मद्रास से शिक्षक प्रशिक्षण 1910

शैक्षिक विशेष कार्य शिक्षक के रूप में लगभग 40 वर्ष कार्य किया  :- 
1 मैसुर महाविद्यालय में दर्शनशास्त्र के सहायक प्राध्यापक 1909
2 1916 में मद्रास प्रेसीडेंसी कॉलेज के दर्शनशास्त्र के सहायक आचार्य बने।यूरोप व अमेरिका में व्याख्यान
3 1918 मैसूर यूनिवर्सिटी के द्वारा उन्हें दर्शनशास्त्र के प्रोफेसर के रूप में चुना गया| ,मैनचेस्टर व लंदन में व्याख्यान माला 1929
4 सन् 1931 से 36 तक आन्ध्र विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर रहे।
5 ऑक्सफ़र्ड विश्वविद्यालय में 1936 से 1952 तक प्राध्यापक रहे।
6  बनारस विश्वविद्यालय में उपकुलपति ।
7 कलकत्ता विश्वविद्यालय के अन्तर्गत आने वाले जॉर्ज पंचम कॉलेज के प्रोफेसर के रूप में 1937 से 1941 तक कार्य किया।
8 सन् 1939 से 48 तक काशी हिन्दू विश्‍वविद्यालय के चांसलर रहे।
9 1953 से 1962 तक दिल्ली विश्‍वविद्यालय के चांसलर रहे।
10 1946 में युनेस्को में भारतीय प्रतिनिधि के रूप में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।

पद - 
1 संविधान निर्माण समिति के सदस्य 1947 से 1949
2 कई विश्वविद्यालयों के चेयरमैन।
2 भारत के प्रथम उप-राष्ट्रपति 13 मई 1952 से 12 मई 1962
3 द्वितीय राष्ट्रपति  प्रथम राष्ट्रपति डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद शर्मा के बाद 13 मई 1962 से 13 मई 1967

विशेष
1 भारतीय संस्कृति के संवाहक,
2 प्रख्यात शिक्षाविद, 
3 महान दार्शनिक और एक 
4 आस्थावान हिन्दू विचारक 
5 लेखक 
6 विद्यार्थी काल में ट्यूटर
7 सनातन साहित्य का गहन अध्ययन
सम्मान - 
1 सन् 1954 में भारत सरकार ने सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से अलंकृत किया।
2 डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्मदिन भारत में शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है।

राधाकृष्ण एवम् उनका दर्शन :- 
सम्पूर्ण विश्व एक विद्यालय अतः इसे एक इकाई मानकर शिक्षा प्रबन्धन करेंं। मानव को एक होना चाहिए। 

लेखन 
(1) 1912 में मनोविज्ञान के आवश्यक तत्व लघु पुस्तक (व्याख्यान संग्रह)
(2) डॉ. राधाकृष्णन ने भारतीय दर्शन शास्त्र एवं धर्म  पर अनेक किताबे लिखी गौतम बुद्धा,जीवन और दर्शन , धर्म और समाज, भारत और विश्व 
उनका लेखन अक्सर अंग्रेज़ी भाषा में ही है।

जीवन घटना क्रम 
कलकत्ता में आयोजित कांग्रेस के वार्षिक अधिवेशन में भाग लेने आए जवाहर लाल नेहरू से राधाकृष्णन की प्रथम मुलाक़ात हुई वर्ष था 1928 मौसम शीत ऋतु का। जहां राधाकृष्णन ने राजकीय सेवा में रहते किसी पार्टी की बैठक में उपस्थित रहना अनियमितता की श्रेणी में माना जाता था के बावजूद उन्होंने वहा व्याख्यान दिया। और वहीं से दोनो की दोस्ती हुई। इसी मित्रतांके कारण जवाहरलाल नेहरू चाहते थे कि राधाकृष्णन के संभाषण एवं वक्तृत्व प्रतिभा का उपयोग 14 - 15 अगस्त 1947 की रात्रि को उस समय किया जाये जब संविधान सभा का ऐतिहासिक सत्र आयोजित हो। राधाकृष्णन को यह निर्देश दिया गया कि वे अपना सम्बोधन रात्रि के ठीक 12 बजे समाप्त करें जिस की जानकारी सिर्फ इन दोनो को ही थी। क्योंकि उसके पश्चात ही नेहरू जी के नेतृत्व में संवैधानिक संसद द्वारा शपथ ली जानी थी। उन्होंने ऐसा ही किया।
आज़ादी के बाद नेहरू ने राधाकृष्ण को  राजदूत के रूप में सोवियत संघ भेजा। जहां उन्होंने अपने व्यक्तित्व एवम् कृत्त्व से अमित छाप छोड़ी।
राधाकृष्ण गैर राजनयिक व्यक्ति थे। जो मन्त्रणाएँ देर रात्रि होती थीं, वे उनमें रात्रि 10 बजे तक ही भाग लेते थे, क्योंकि उसके बाद उनके शयन का समय हो जाता था। 

उपराष्ट्रपति के रूप में चुनाव :-
सोवियत संघ से लौटने के बाद डॉक्टर राधाकृष्णन को उपराष्ट्रपति निर्वाचित करने के लिए संविधान के अनुसार नया पद सृजित कर उन्हे भारत गणतंत्र का प्रथन उप राष्ट्रपति नेहरू जी चुना l उन्हें राज्यसभा अध्यक्ष का पदभार दिया गया।
डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद शर्मा के बाद वे भारत के द्वितीय राष्ट्रपती चुने गए।

राष्ट्रपति के रूप में चुनौतियां :- 
1 भारत पाकिस्तान युद्ध
2 भारत चीन युद्ध
3 जवाहार लाल नेहरू एवम् लाल बहादुर शास्त्री का देहांत।

सम्मान :- 
ब्रिटिश राज द्वारा 1931 में सर ब ऑर्डर ऑफ स्पेरिट का सम्मान दिया गया।
जब वे उपराष्ट्रपति बन गये तो स्वतन्त्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ॰ राजेंद्र प्रसाद द्वारा 1954 में उन्हें महान दार्शनिक व शैक्षिक उपलब्धियों के लिये देश का सर्वोच्च अलंकरण भारत रत्न प्रदान किया गया।
राधाकृष्णन को मरणोपरांत 1975 में अमेंरिकी सरकार द्वारा टेम्पलटन पुरस्कार से सम्मानित किया गया, जो कि धर्म के क्षेत्र में उत्थान के लिए प्रदान किया जाता है. इस पुरस्कार को ग्रहण करने वाले यह प्रथम गैर-ईसाई सम्प्रदाय के व्यक्ति थे.

विशेष :- 
भारतीय क्रिकेट टीम के खिलाड़ी वीवी लक्ष्मण इनके परिवार से ही हैं।

जिगर चुरुवी
9587243963

Wednesday, 24 August 2022

चुरू विधानसभा क्षेत्र विधायक राजेंद्र राठौड़ से सवाल

https://www.facebook.com/100462608738251/posts/pfbid0ygLUXsVJ4LtidFgo7Foq1a6h5ArR8be7RP9SHytSTWTjXj4XqxzGBao7P8i6iVQzl/
आदरणीय माननीय चुरू विधायक राजेंद्र राठौड़ साहब
आपको चुरू का विधायक बने यह छठा अवसर है
आप से सवाल 

(#शिक्षा)
1 आपने कितने राजकीय नवीन विद्यालय शुरू करवाए?
2 आपके मंत्री रहते हुए चुरू में 100 से ज्यादा विद्यालय बंद हुए जिन्हे खुलवाने के लिए आप ने क्या कार्यवाही की?
3 आपने कितने प्राथमिक विद्यालय उच्च प्राथमिक में कर्मोन्नत करवाए?
4 आपने कितने उच्च प्राथमिक विद्यालय माध्यमिक में कर्मोन्नत करवाए?
5 आपने कितने माध्यमिक विद्यालय उच्च माध्यमिक में कर्मोंनत करवाए?
6 आपने कितने नवीन कॉलेज शुरू करवाए?
7 आपने कितने कॉलेजों में नवीन संकाय शुरू करवाए?
8 आपने स्टूडेंट्स की संख्या कितने कॉलेज व संकायों में बढ़वाई?
9 चुरू विधानसभा क्षेत्र मे शिक्षक प्रशिक्षण कॉलेज क्यों नहीं है?
10 रतन नगर में कॉलेज क्यों नहीं जबकि Rita Choudhary  व Hakam Ali  @nurendar budaniya @DR Krishna puniya ने आप से कम समय में बिना मंत्री पद के विकास के नए आयाम बनाए हैं?
11 चुरू विधानसभा क्षेत्र के बड़े गांव बुंटिया, सहजूसर, पीथीसर,जोड़ी,चलकोई,रिबिया, थेलासर,रतननगर, खींवासर, सहनाली में कला के अलावा विज्ञान,कृषि व वाणिज्य संकाय क्यों नहीं खुले?
12 विद्यालय बंद करने पर आसपास के लोग आपके पास गाड़ियां ले कर गए आप ने आश्वासन भी दिए पर एक भी विद्यालय डीमर्ज नहीं हुआ। क्यों?

(#सड़क)
1 चुरू विधानसभा क्षेत्र मे आप ने 35 साल में कितने किलोमीटर सड़कों का निर्माण कहां कहां करवाया ? वर्ष वार बताने का श्रम करें।
2 चुरू विधानसभा क्षेत्र में बायपास बनाने का वादा किया था उस का क्या हुआ?
3 चुरू से पीथिसर सीधी सड़क का आप ने वादा किया था क्यों नहीं बनवाई?
4 आप ने 
1 झारिया से आसलखेड़ी
2 झारिया से खींवासर
3 झारिया से SH 42
4 करनीसर से SH 42
5 घंटेल से जसरासर
6 राणासर से NH 52
7 भामसी से कड़वासर
8 मठोडी से दूधवाखारा
मठोडी से जवानीपुरा (अप तारानगर के विधायक भी रह चुके)
9 सोमासी से सहजूसर
10 पीथीसर से रिडखला 
11 भामासी से सहजुसर 
12 चुरू के अधिकांश वार्ड 
13 आसलु से सहजूसर 
सड़क क्यों नहीं बना सके जब की इन गांवों में से अधिकतर में आप 80 प्रतिशत से अधिक वोट लेते हैं।

(#चिकित्सा)
1 बुंटिया
2 कड़वासर
3 चालकोई
4 खिंवासर
5 रीबिया
6 बालरासर आथुना
7 मेघसर
8 सहनाली
9 खंसोली
10 लोहसना
11आसलू 
12 कोटवाद 
13 धोधलिया 
14 भेरूसर/इंद्रपुरा 
#PHC क्यों नहीं?

1 सहजूसर 
2 लालासर
3 झारिया
4 खंडवा
5 जोड़ी 
6 पीथिसर
7 घंटेल
8 जसरासर
9 ढाढरिया
10 राणासर 
11 थेलासर 
12 सातडा 
#CHC क्यों नहीं?

#CHC 
1 रतननगर, 
2 दुधवाखारा 
3 घांघू 
के हालत खराब क्यों।

भारतीय अस्पताल के हालात सुधारने में आप द्वारा कोई प्रयास नहीं किया गया, बल्के आप स्वयं डॉक्टर्स को मरीज को जयपुर रैफर करने का दबाव देते वहा आप द्वारा रिजर्व कमरे में मरीज को रखा जाता और वोट पक्के किए जाते।
आदरणीय महेश जोशी राज्य सभा सांसद द्वारा शिशु वार्ड का निर्माण करवाया गया जिसे आप ने जानबूझ कर कचरा डालने का स्थान बना दिया।
(#सुरक्षा)
1 चालकोइ
2 पीथीसर
3 राणासर
4 सहजूसर
5 बिनासर
6 सातडा 
7 सहनाली
8 बुंटिया
9 रामपुरा रेणु
10 जोड़ी
11 बालरासर आथुना

पुलिस थाना /चौकी क्यों नहीं?

(#सफाई)
1 चुरू ड्रेनेज सिवरेज का काम आपके मंत्री बनते ही क्यों रुक गया।
2 चुरू की सफाई व्यवस्था आप ने कुछ ठेकेदारों के हवाले कर दी।

आप ने राजस्थान विधान सभा में Ashok Gehlot जी से 5करोड़ रूपये चुरू गढ़ के लिए मांगे विद्यालयों की दशा सुधारने के लिए क्यों नहीं मांगे?
#आप ने वर्ष 1990 से 2022 तक का विधायक निधि से विकास कार्य करने में भेदभाव बरता ?ऐसा क्यों?
#नगरपरिषद में आप द्वारा निर्माण कार्यों पर रोड़े अटकाए जाते हैं व भेद भाव पूर्ण रवैया अपना कर एक समाज विशेष के लोगों के काम रुकवा देते है। उदाहरण -महमूद खान, बाबू खान का निर्माण कार्य सील व निकटतम एक दुकान के ताले खुलवा दिए।
#राजकीय कार्मिकों को ट्रान्सफर की धमकी दे कर वोट लेने के आरोप सरे आम लगे हैं।
#आप सर्व समाज की बात करते हो कोविड काल में तबलिक जमात पर आरोप लगे और आपने वीडियो जारी कर दिया।
#आप करौली दंगो के दौरान वहां बार बार जा कर शांति भंग करने के प्रयास कर रहे थे जो एक लोकसेवक ब संविधान की मर्यादा के विपरीत है।

@rajendar rathore साहब BJP Churu  Churu BJP  Youth 4 BJP Churu - चूरू अगर जवाब है तो जरूर दीजिए।

Tuesday, 19 July 2022

उर्दू हेतु जाहिदा खान को पत्र

सेवामें,
मोहतरमा जाहिदा खान साहिबा 
माननीया शिक्षा राज्य मंत्री, राजस्थान सरकार, जयपुर।  विषय :-  राजस्थान सरकार द्वारा उर्दू विषय के संबंध में दिनांक 21 .11 .2020 व दिनांक 31 दिसंबर 2021 को किए गए समझौते के क्रम में 
संदर्भ :-  दांडी समझौता 2020 व शहीद स्मारक समझौता 2021 
महोदया :-
उपरोक्त सन्दर्भ व विषयांतर्गत सादर निवेदन है कि राजस्थान सरकार द्वारा उर्दू विषय की घोर उपेक्षा से आहत होकर दिनांक 1 नवंबर 2020 से चूरू से दांडी यात्रा शुरू की गई जिसे राजस्थान सरकार के प्रतिनिधि श्रीमान खानु खान बुधवाली चेयरमैन राजस्थान वक़्फ़ बोर्ड, तत्कालीन शिक्षा मंत्री श्रीमान गोविंद सिंह डोटासरा, जिला कलेक्टर उदयपुर, श्रीमान निदेशक प्रारंभिक व माध्यमिक शिक्षा बीकानेर के मध्य 9 बिंदुओं पर समझौता हुआ जिसके पश्चात यात्रा 21.11.2020 को स्थगित कर दी गई। समझौते की शर्तें पूर्ण होने पर 2 अक्टूबर 2021 से यात्रा उदयपुर से दांडी पुनः शुरू की गई जिसे जिला कलेक्टर डूंगरपुर द्वारा रोक कर समझौते हेतु जयपुर भिजवा दिया गया।
जयपुर में चलें लंबे अनशन व धरने के बाद दिनांक 31 दिसंबर 2021 को श्रीमान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जी व आंदोलनकारियों के मध्य हुए समझौते में सभी समस्याओं के निस्तारण हेतु आश्वासन दिया गया।
खेद का विषय है इन समस्याओं का आज दिनांक तक समाधान नहीं हो पाया। समझोते के बिंदु इस प्रकार हैं :- 
01 -  राजस्थान के राजकीय प्राथमिक विद्यालयों में अध्ययनरत बालकों हेतु उर्दू विषय प्रारंभ करने के लिये समझौता हुआ इस बाबत राजस्थान सरकार ने 26 जुलाई 2021 को आदेश भी जारी कर दिये परंतु अधिकारियों ने इस आदेश पर किसी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं की।
आदेश ज्यों का त्यों आज दिनांक तक उपेक्षित पड़े हैं। राजस्थान सरकार के आदेश व बजट घोषणा के अनुसार जिस राज्य के प्राथमिक विद्यालय में 20 या इस से अधिक बच्चे उर्दू पढ़ने वाले होंगे वहां पर उर्दू विषय का पद सृजित किया किया जावेगा, पर अफसोस की बात यह आदेश आज दिनांक तक लागू नहीं हो पाया।
02 - राजकीय महात्मा गांधी विद्यालयों में संस्कृत विषय स्वतः स्वीकृत होता है परंतु उर्दू विषय के लिए लड़ाई लड़नी पड़ती है जबकि संस्कृत उर्दू पंजाबी गुजराती सिंधी कक्षा 09 से 10 तक तृतीय भाषा है व कक्षा 01 से 08 तक उर्दू पंजाबी गुजराती सिंधी अल्प भाषाएं हैं, जिनका सुरक्षा भारत सरकार में राजस्थान सरकार द्वारा किए जाने का आदेश 13.12. 2004 लागू होना चाहिये अफसोस की बात है के इन विद्यालयों में उर्दू का पद जहां सृजित था वह भी समाप्त कर दिया गया और वहां बच्चों को बलात संस्कृत पढ़ने हेतु मजबूर किया जा रहा है।
निवेदन है कि महात्मा गांधी विद्यालयों में जहां पूर्व में उर्दू विषय था उसे यथावत रखते हुए राजस्थान सरकार के 21 जनवरी 2020, 29 अक्टूबर 2021 के आदेश के अनुसार किसी भी विद्यालय में उर्दू पढ़ने के इच्छुक 10 बच्चे होने पर संस्कृत की तरह स्वतः उर्दू विषय का पद सृजित होना चाहिये।
03 - जिन महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम विद्यालयो में उर्दू विषय स्वीकृत हो चुका है वहाँ तुरन्त इंटरव्यू आमंत्रित कर अध्यापक लगवाये जावें।
04 - राजस्थान में 11728 स्कूलों में उर्दू पढ़ने वाले 500000 से अधिक बच्चे अध्ययनरत हैं परंतु वहां पर या तो विषय स्वीकृत नहीं है या विषय स्वीकृत है तो उर्दू  शिक्षक नहीं हैं, और इन 11728 (सूची संलग्न है) में से मात्र 1016 विद्यलयों में ही उर्दू विषय के पद ही स्वीकृत किए गए हैं निवेदन है कि शाला दर्पण पर संस्कृत के साथ ही शुरू किया जावे। 
05 - राजकीय स्वामी विवेकानंद मॉडल विद्यलयों में सिर्फ शिव बाड़मेर में उर्दू विषय का एक पद स्वीकृत है, स्वामी विवेकानंद मॉडल विद्यालय प्रधानाध्यापक से सम्पर्क करने पर उनके द्वारा उर्दू बिषय की मैपिंग हेतु व उर्दू ऑप्शन हेतु साफ मना कर दिया गया।
अतः जिस स्वामी विवेकानंद मॉडल स्कूल में 10 या इस से अधिक उर्दू पढ़ने के इच्छुक छात्र हैं वहां उर्दू विषय के पद स्वीकृत कर उर्दू संचालन की व्यवस्था करवाई जावे।
06 राजकीय कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय जिन में से 90 विद्यालय अल्पसंख्यक समुदाय की बालिकाओं हेतु खोले गये, परन्तुं मात्र 14 विद्यलयों में ही उर्दू विषय के पद सृजित हैं। निवेदन है कि सभी कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यलयों में उर्दू पद स्वीकृत किये जा कर शिक्षण की व्यवस्था करवाई जावे।
07 राजकीय विद्यालयों के प्रधानाध्यापक/प्रधानाचार्य द्वारा जानबूझकर उर्दू विषय की उपेक्षा की जा रही है इसका उदाहरण झोटवाड़ा के एक शहीद के नाम से उच्च माध्यमिक विद्यालय और जयपुर सहित बहुत सारे ऐसे विद्यालय हैं जहां उर्दू विषय पढ़ने वाले बच्चे हैं बच्चे उर्दू पढ़ना चाहते हैं लेकिन प्रधानाध्यापक जबरन उनको संस्कृत विषय पढ़ा रहे हैं। यह राजस्थान सरकार के प्रति अधिकारियों की घोर उपेक्षा है अतः निवेदन है कि ऐसा आदेश फरमाए कि प्रत्येक प्रधानाध्यापक उर्दू विषय या अन्य विषय के इच्छुक विद्यार्थियों को उनका विषय पढ़ने हेतु स्वतंत्रता पूर्वक विषय चयन का अधिकार दें।
08 -  निवेदन है कि दिनांक 31 दिसंबर 2021 को माननीय मुख्यमंत्री महोदय ने हमारे द्वारा दिए गए पत्र पर तुरंत अपने हस्ताक्षर करते हुए कहा कि राजस्थान के अल्पसंख्यक क्षेत्रों में जहां-जहां विद्यालयों की आवश्यकता है वहां-वहां नवीन प्राथमिक विद्यालय खोले जाएंगे पर अफसोस की बात है वर्तमान में खोले गए विद्यालयों में अल्पसंख्यक क्षेत्रों के विद्यालय न्यूनतम हैं। भरतपुर, अलवर, बाड़मेर, जैसलमेर,जोधपुर, बीकानेर, व चूरू में ऐसे बहुत सारे क्षेत्र हैं जो राजकीय विद्यालयों से वंचित हैं। 
इस हेतू आपको कई बार पत्र लिखे गये और माननीय मुख्यमंत्री महोदय ने भी तुरंत कार्यवाही करने हेतु आदेश दिए पर अफसोस की बात है कि राजस्थान सरकार के मुखिया माननीय अशोक गहलोत जी के द्वारा दिए गए निर्देशों की घोर अवहेलना अधिकारियों द्वारा की जा रही है।
निवेदन है कि जिन क्षेत्रों में नवीन विद्यालयों की आवश्यकता है वहां राजकीय प्राथमिक विद्यालय खुलवाएं। चूरू से 7 विद्यालयों के प्रस्ताव ब्लाक व जिला स्तर द्वारा माननीय निदेशक महोदय को प्रेषित किए जा चुके हैं परंतु कोई कार्यवाही अमल में नहीं लाई गई। अतः निवेदन है कि आपको प्रेषित सूची के अनुसार व आवश्कता वाले सभी क्षेत्रों में नवीन राजकीय प्राथमिक विद्यालय खुलवाने का श्रम करावे।
09 -  इसी प्रकार बहुत सारे ऐसे विद्यालय हैं जो कई वर्षों से राजकीय प्राथमिक विद्यालय के रूप में स्थापित हैं परंतु उनको क्रमोन्नत नहीं किया गया ऐसे विद्यालय जो आबादी क्षेत्र में है और क्रमोन्नत होने के लायक हैं उन्हें क्रमोन्नत करवा कर अनुग्रहित करें।
हमें आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि आप इस महत्वपूर्ण मांग पत्र को मंत्रालय वह निदेशालय स्तर पर भिजवाते हुए 101% कार्यवाही करवाने का कार्य करेंगी। हम आपके आभारी रहेंगे।
धन्यवाद।
भवदीय,
शमशेर भालू खान गांधी
ग्राम पोस्ट सहजूसर 
जिला व तहसील चूरू राजस्थान 
पिन कोड 331001 
मोबाइल नंबर 9587 2439 63
मेल - sambhalu36@gmail.com

Monday, 20 June 2022

भारत सरकार का आदेश अग्निवीर दिनांक 19.06.2022

भरत सरकार का तीनों सेनाध्यक्ष के नाम पत्र दिनांक 19 जून 2022

हिंदी में :-

19/2022/1
एफ.सं. 9(1)/2022/एफ (आरंभिक जुड़ाव/सेवाएं)
भारत सरकार रक्षा मंत्रालय
नई दिल्ली, 17 जून, 2022

प्रति
थल सेनाध्यक्ष, वायुसेनाध्यक्ष, नौसेनाध्यक्ष,

विषय : -हाल ही में नामांकित जवानों/एयरमैन/नाविकों के लिए सेवा की संशोधित शर्तें और कार्यकाल।

श्रीमान,

मुझे इस मंत्रालय के पत्र सं. एफ.सं. 9(1)/2022/F दिनांक 17 जून, 2022, ऊपर दिए गए विषय पर और यह कहने के लिए कि 01 जनवरी, 2019 के बाद अनुप्रमाणित ओआरएस और 01 जुलाई, 2022 को नाइक या समकक्ष के मूल पद पर पदोन्नत नहीं किया गया है नई अग्निपथ योजना के तहत रखा जाएगा।

2. उपर्युक्त ओआरएस को पांच के पूरा होने के बाद नए सिरे से चयन प्रक्रिया से गुजरना होगा
सेवा के वर्ष। यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि ओआरएस का केवल 25% ही इसे अगले चरण में बना पाएगा और
इसे नए पायलट प्रोग्राम ट्रेडों के लिए फिर से जमा किया जाएगा, बाकी ओआरएस के अनुसार छुट्टी दे दी जाएगी
'सेवा निधि' के बजाय मौजूदा निर्वहन नीतियां।

3 उपर्युक्त ओआरएस जिन्हें वीरता पुरस्कार/प्रशंसा/समकक्ष से सम्मानित किया जाता है, उन्हें चयन प्रक्रिया में अतिरिक्त महत्व दिया जाना है।

4. डिस्चार्ज होने के लिए चुने जाने वाले ओआरएस को मौद्रिक लाभ प्रदान किया जाना है
भविष्य निधि और प्रोत्साहन, छुट्टी नकदीकरण और समूह बीमा योजना एकमुश्त राशि सहित।

भवदीय डी रमन्ना) अपर सचिव, गोओआई

अंग्रेजी में :-

19/2022/1
F.No. 9(1)/2022/F (Initial Engagement/Services)
Government of India Ministry of Defense
New Delhi, the 17th June, 2022

To
The Chief of the Army Staff The Chief of the Air Staff The Chief of the Naval Staff

Subject : Revised terms and tenure of service for recently enrolled Jawans/Airmen/Sailors.

Sir,

1. I am directed to refer to this Ministry's letter no. F.No. 9(1)/2022/F dated 17 June, 2022, on the subject sited above and to say that the ORs attested after 01" January, 2019 and not promoted to the substantive rank of Naik or equivalent on 01 July, 2022 are to be kept under the new Agnipath Scheme.

2. The above mentioned ORs are to undergo fresh selection process after their completion of five
years of service. It is to be noted that only 25% of the ORS will be making it to the next stage and the
same will be remustered to new pilot programme trades, Rest of the ORs to be discharged as per
existing discharge policies instead of 'Seva Nidhi'.

3 The above mentioned ORS who are awarded with gallantry awards/commendations/equivalent are to be given extra weightage in the selection process.

4. ORS that will be shortlisted to get discharged are to be provided with monetary benefits

including Provident Fund and Incentives, Leave Encashment and Group Insurance Scheme Lump sum.

Yours faithfully D Ramanna) Additional Secretary to Gol

Tuesday, 14 June 2022

पूर्व विधायक स्वर्गीय श्री भालू ख़ाँ


चूरू के विधायक जनाब भालू खां साहब जून 1980 से 1985

       कलम 
श्री राधेश्याम चौटिया 
दादा कायम खान के 602 वे शहादत दिवस पर चूरू के प्रथम अल्पसंख्यक विधायक दादा कायम खान के वंशज 36 कोम से पारिवारिक रूप से जुड़े हुए मरहूम श्री भालू खान जी को नमन करते हुए कहना चाहूंगा।
अल्पसंख्यक विधायकों में एकमात्र यही ऐसे शख्स  रहे जो ग्रास रूट से सामान्य से सामान्य व्यक्ति और कांग्रेसी जनों से जुड़े हुए थे जिसमें 36 कोम के सभी वर्गों के लोग उनकी टीम में शामिल थे।
एक भी कार्यकर्ता यदि उन्हें कुछ समय नहीं दिखता तो वह चिंतित हो जाते थे और तुरंत उस कार्यकर्ता के पास पहुंच जाते थे और अधिकार स्वरूप अपने ठेठ देहाती भाषा में  भला बुरा कह कर अपने साथ बिठा के ले आते थे मेरे ख्याल से 1980 के बाद ही ग्रामीण क्षेत्र के कांग्रेस जनों ने शहर की आबोहवा देखनी प्रारंभ की थी, मुझे याद है पीडब्ल्यूडी रेस्ट हाउस की मेहंदी के पौधों पर ग्रामीण क्षेत्र के कार्यकर्ताओं के धोती कुर्ते सूखते रहते थे।
भालू खान जी के वक्त में पीडब्ल्यूडी रेस्ट हाउस कांग्रेस की राजनीति का सेंटर बन गया था देश में जब शिक्षित बेरोजगार योजना लांच की गई उस वक्त के जिला उद्योग अधिकारी ने 300 लोगों की सूची स्वीकृत की किंतु जानबूझकर कांग्रेस के लोगों को उस सूची से बाहर रखा गया तब रियाजत अली खान, सुबोध मासूम, ताराचंद  बांठिया, इलियास अहमद खा,न  जीएन अंसारी, सुशील जी ओझा, इदरीश खत्री व फजले हक चौहान जैसे दर्जनों कांग्रेस कार्यकर्ता जिला उद्योग केंद्र के आगे धरने पर बैठ गये।
धरने के 2 दिन बाद मरहूम भालू खान जी उस वक्त के कांग्रेश के बहुत बड़े ताकतवर नेता मरहूम आरिफ मोहम्मद साहब को लेकर चूरु पीडब्ल्यूडी रेस्ट हाउस आए हमेशा कार्यकर्ताओं से घिरे रहने वाले भालू खान जी ने जब देखा के युवा कार्यकर्ता नहीं है तो उन्होंने पूछा कि आज मेरे लड़के दिखाई नहीं दे रहे हैं तो किसी ने उन्हें बताया कि वह तो डी आई सी के आगे धरने पर बैठे हैं।
आप आश्चर्य करेंगे भालू खान जी ने आरिफ साहब को पीडब्ल्यूडी रेस्ट हाउस बैठाया और स्वयं भूमि विकास बैंक की  जीप लेकर धरना स्थल पर पहुंच गए और हमें डांटने लगे मेरे कार्यकर्ताओं को मेरे बच्चों को धरने पर बैठने की क्या नौबत आ गई अभी तो भालू खान जिंदा है। उन्होंने हम सबको उठाया पीडब्ल्यूडी रेस्ट हाउस लेकर आए और 2 दिन बाद ही 35 से 40 कांग्रेस जनों के नाम सूची में जोड़ दिये।
गए उस दौर में हम नो सीखिए कार्यकर्ता थे, 1982 में भारतीय युवा समाज के अध्यक्ष श्री सुबोध मासूम ने सांसद के रूप में वर्तमान मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत को चूरु आने का  निमंत्रण दिया।
संयोग से गहलोत साहब उस दौरान  इंदिरा जी  के मंत्रिमंडल में  मंत्री बन गए और बीकानेर होते हुए आगे बढ़ो दहेज हटाओ कार्यक्रम में भाग लेने चूरु पधारे हमारे ग्रुप के नेता भाई रियाज खान, सुबोध मासूम मैं स्वयं, मरहूम GN अंसारी, इदरीश खत्री, हरि शर्मा ,फजले हक चौहान व स्वर्गीय  समुद्र सिंह राठौड़ आदि ने बिना भालू खान जी  से चर्चा किये अशोक गहलोत जी का कार्यक्रम रख दिया।
कार्ड छपवा दिये जिसमें अध्यक्षता चूरू विधायक भालू खान जी अंकित थी उसी दिन सुराणा स्मृति भवन में लंबा चौड़ा टेंट लगा था हम तो नव सीखिए थे हमने सोचा गहलोत साहब वहां भी कार्यक्रम में जाएंगे हमने कार्यक्रम मनोरंजन क्लब चूरू में रखा ।
कार्यक्रम से 2 दिन पहले कार्ड लेकर हम भालू खान जी के पास गए उन्हें आमंत्रण दिया उन्होंने उसे सहर्ष स्वीकार किया और पूछा क्या समस्या है हमने कहा कार्यक्रम तो हमने रख लिया है लेकिन टेंट माइक आदि के लिए हमारे पास पैसे नहीं हैं, आप आश्चर्य करेंगे उस जमाने में भालू खान जी ने जो सरपंच साहब उनके पास बैठे थे सभी को निर्देश दिया की बच्चों की मदद करो और 10 मिनट में उस वक्त ₹500 से भी अधिक हम को दिए और कहा कार्यक्रम ठाठ से करो। उसी जमाने में यूथ कोऑर्डिनेटर श्री प्रकाश अग्रवाल ग्वालियर  वालों को पार्टी ने चूरु कोऑर्डिनेटर लगाया मुझे याद है प्रकाश जी अग्रवाल केसर पर कांग्रेसका भूत इस कदर हावी था के नाथद्वारा चूरू में उन्होंने यूथ मोटीवेटर्स का प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया और उसके खाने पीने की व्यवस्था के लिए  अपनी सोने की अंगूठी बेचकर खाद्य सामग्री की व्यवस्था की जब भालू खान जी को यह पता चला तो उन्होंने प्रकाश जी अग्रवाल और हमको कड़ी डांट लगाई अंगूठी वापस दिलवाई और सात दिवसीय कैंप की ऐसी व्यवस्था की जो इस विधानसभा क्षेत्र में हमने तो आज तक कांग्रेस के आयोजन में नहीं देगी अनपढ़ होने के बावजूद   हृदय ज्ञान के आधार पर कार्यकर्ता और जनता की भावनाओं को समझने में उन्हें देर नहीं लगती थी मुझे याद है जब उन्होंने मेरे को एनएसयूआई का जिलाध्यक्ष बनाया तब उनके समाज के या यूं कहूं उनके रिश्तेदार भी अध्यक्ष बनना चाहते थे किंतु भालू खान जी ने 500 आदमियों की भीड़ में सार्वजनिक रूप से मेरा चयन किया और अनुशंसा की ऐसे जमीनी स्तर पर जुड़े हुए  कायमखानी समाज के व्यक्तित्व को दादा कायम खा के 602 वे बलिदान दिवस पर कोटि कोटि नमन इस उम्मीद के साथ कि 1 दिन फिर से कॉन्ग्रेस को हवाई नेताओं से निजात मिलेगी तथा जनता और कार्यकर्ताओं के दिलों पर राज करने वाला कोई नेता तो मिलेगा।

राधेश्याम चोटिया

Monday, 30 May 2022

कायमखानी 57वनी

57वनी के कायमखानी गांव कायमखानी  सूची(1891
A
1.झाड़ोद पटी
2.अलखपुरा
3.आसलसर

B
3.बांसा
4.भदलिया
5.बेड़वा
6.बेगसर
7.बरांगना
8.बरड़वा
9.बनवासा
10.बेरी छोटी
11.बेरी बड़ी
12.बेमोट
13.बुखावास
14.भाडासर
15.बावड़ी

C
16.चुगनी
17.छापरी कलां
18.छापरी खुर्द
19.चोलुखां

D
20.ढिगाल
21.डिकावा
22.डाबड़ा
23.धनकोली
24.दाऊद सर
25.दयाल पुरा

F
26.फोगड़ी

G
27.गेलासर

K
29.कुडली
30.ख़ातिया बासनी
31.खुडी
32.किचक
33.खाखोली
34.खारिया
35.क्यामसर
36.खानड़ी

L
37.लादड़िया
M
38.
39.मौलासर
40.मोड़ियावट
41.मावा

N
42.नोसर
43.निमोद
44.निम्बी कलां
45.निम्बी खुर्द
46.निनावटा
47.नुवा

P
48.पायली
49.पावटा

R
50.रसीद पुरा
51.सरदार पुरा कलां
52.सरदार पुरा खुर्द
53.सदवास
54.सेवा
55.सूपका
56.सुदरासन

T
57.तोलियासर

Tuesday, 24 May 2022

ताजमहल





ताजमहल पर विवाद और उसकी हक़ीकत 

ताजमहल पर दायर पीआईएल इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने खारिज कर दी है। कानूनी जानकार, इस अजीबोगरीब जनहित याचिका का परिणाम जानते थे। अदालत ने याचिकाकर्ता को, इतिहास का अध्ययन करने, अकादमिक शोध के लिए निर्धारित शैक्षणिक प्रक्रिया जो विश्वविद्यालयों में उच्चतर अध्ययन के लिए स्वीकृत है अपनाने की सलाह भी दी है। 

ताजमहल की यह याचिका या ताज पर अचानक उठा यह विवाद न तो कोई अकादमिक विवाद है और न ही कोई जिज्ञासु जनहित का प्रश्न। यह एक प्रकार से राजनीतिक उद्देश्यों से लिपटा हुआ विवाद है, जिसमे जानबूझकर जयपुर राजघराने की राजकुमारी और भाजपा सांसद दीया कुमारी को आगे किया गया। मेरी निजी राय यह है कि, ताज़महल विवाद मे जयपुर राजघराने को नहीं पड़ना चाहिए। जयपुर राजघराना मुगलों का सबसे वफादार राजघराना रहा है और उसने कभी भी मुगलों का विरोध नहीं किया। जयपुर राजघराना तब भी मुगलों के साथ था जब औरंगज़ेब दिल्ली की तख्त पर था। औरंगज़ेब की कट्टर धार्मिक नीति के खिलाफ जयपुर कभी खड़ा भी नहीं हुआ। आज दीया कुमारी जी कह रही हैं कि शाहजहां ने उनकी जमीन कब्जा कर ली। इसके बाद भी उनके पुरखे क्यों औरंगजेब के चहेते मनसबदार बने रहे ? वैसे भी ताज़महल पर उठाया गया विवाद कोई अकादमिक विवाद नहीं है, बल्कि यह जनहित के असल मुद्दों से भटकाने और नफ़रत फैलाने की साज़िश है। 

लेकिन जब दीया कुमारी जी ने ताजमहल के बारे में यह दावा किया कि, ताजमहल की जमीन उनके पुरखो की है और उनके पास, इसके दस्तावेज हैं। तब यह ज़रूरी हो गया कि, गुरुदेव रबीन्द्रनाथ टैगोर के शब्दों में, 'काल के गाल पर ढुलके हुए इस आंसू', पर बात की जाय। ताजमहल एक यूनेस्को संरक्षित इमारत है और वह एक विश्व धरोहर भी है। उस ज़मीन के कागज़ या दस्तावेज, जैसा कि दीया कुमारी दावा कर रही हैं, यदि उनके पास हैं तो यह एक अकादमिक शोध का विषय हो सकता है न कि टीवी चैनल पर भड़काऊ बयान बाजी और डिबेट का। इस भड़काऊ बयानबाजी और डिबेट से न केवल समाज मे बिखराव बढ़ेगा बल्कि दुनियाभर में भी जगहँसाई भी होगी। ताजमहल, दुनिया की सात सबसे अजूबे समझे जाने वाली धरोहरों में से एक है। भारत भ्रमण पर आने वाले हर पर्यटक की इटिनियरी में, ताज अवश्य शामिल होता है। रहा सवाल अकादमिक शोध का तो, सरकार के पास ICHR इंडियन काउंसिल ऑफ हिस्टोरिकल रिसर्च जैसी संस्था है वह उसे उन कागजों की वास्तविकता जांचने और सत्य तक पहुंचने का दायित्व सौंप  सकती है। 

आगरा, ASI आर्कियालोजिकल सर्वे ऑफ इंडिया का एक क्षेत्रीय मुख्यालय भी है और एक सुपरिटेंडेंट आर्कियोलॉजिस्ट वहां नियुक्त भी हैं। ताजमहल का, वह रख रखाव भी करते हैं। ताजमहल को लेकर आगरा और आसपास के प्रदूषण को लेकर अक्सर लोग सजग रहते हैं। समय समय पर दिये गए, सुप्रीम कोर्ट के कई महत्वपूर्ण फैसले मौजूद हैं जो ताज के बारे में सुप्रीम कोर्ट की चिंता को रेखांकित करते हैं। प्रदूषण न हो इसलिए ताज नगरी आगरा, जैसा कि आगरावासी कहते हैं, को नो पॉवर कट जोन में बहुत पहले से रखा गया है। ताकि डीजल जेनरेटर का धुंआ वातावरण को प्रदूषित न कर दे।

पड़ोस में स्थित, मथुरा रिफायनरी की चिमनी से निकल कर विषैला धुंआ, कहीं ताज की चमक न फीकी कर दे, इसलिए न सिर्फ उसकी चिमनियां ऊंची की गई बल्कि रिफाइनरी में, ऐसे आधुनिक यन्त्र लगाए गए है कि, प्रदूषण कम से कम हो और यदि विषैला उत्सर्जन हो तो भी उसकी दिशा आगरा की तरफ न हो। यही नहीं आगरा से लगे हुए अलीगढ़ रोड पर, खंदारी नामक जगह पर, भारी संख्या में फाउंड्री उद्योग हैं, उन पर भी नजर रखी जाती है। एक बार ताजमहल के पास कूड़े के ढेर में किसी ने शरारतन आग लगा दी थी, तो पूरे जिले में अफरातफरी मच गयी थी, क्योंकि, इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने, अखबार में खबर छपते ही, संज्ञान ले लिया था। 

अब यदि इस थियरी को, हम मान भी लेते हैं कि, वहां कोई शिवमन्दिर था तो क्या जयपुर राज घराने ने शाहजहां को मंदिर उजाड़ने या उस पर ताज बनाने की, इजाजत दी थी या वे, बादशाह के आगे इतने बेबस थे कि, मक़बरा बनता रहा और जयपुर राजघराना अपना मनसब छोड़ने की हिम्मत नहीं जुटा सका ? यदि यह बेबसी नहीं थी तो, क्या उनमें इतनी क्लीवता थी कि वे, उसके बाद भी सालों तक मुगलों के खैरख्वाह बने रहे ? दीया कुमारी ने यह सब सोचा ही नहीं होगा कि जब वे इतिहास के गलत तथ्यों के आधार पर, साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण के एक घृणित और विभाजनकारी राजनीतिक एजेंडे का उपकरण बन कर इस विवाद में पड़ेंगी तो, उन्हें बेहद असहज सवालों का सामना करना सकेगा। सोशल मीडिया पर यह सब हो भी रहा है। वे इस तमाशे के लिए इस नफरती  गिरोह का एक औजार बन गई हैं। 

जयपुर राजघराना, न तो बेबस था और न ही क्लीव। उस राजपरिवार के राजा मान सिंह अकबर के सेनापति थे और वे मुग़ल साम्राज्य के पहले राजपूत सेनापति बने। राजा मानसिंह ने,  अकबर के लिए 22 लड़ाइयां लड़ी और सबमें उन्होंने विजय प्राप्त की। उनकी शौर्य गाथा काबुल कंधार तक फैली। बंगाल का सूबेदार उन्हे अकबर ने बनाया था। आमेर रियासत के राजा सदैव मुगलों के नजदीकी और दस हजारी मनसबदार रहे। यह सिलसिला औरंगजेब के बाद भी चलता रहा। शिवाजी को दक्षिण से हरा और मना कर मुग़ल दरबार लाने वाले मिर्जा राजा जय सिंह ही थे। पर जब शिवाजी को छोटे मनसबदारों की श्रेणी में खड़ा कर दिया गया तो उन्होंने सख्त ऐतराज किया। दरबार में मचे शोर पर जब औरंगज़ेब ने पूछा कि यह हंगामा क्यों है, तब उसे मिर्ज़ा राजा जय सिंह ने बताया कि, जहाँपनाह, वह पहाड़ी राजा है और दिल्ली की गर्मी वह बरदाश्त नहीं कर पा रहा है। काइयां औरंगज़ेब वास्तविकता समझ गया और उसी के बाद शिवाजी को वहीं दरबार मे ही गिरफ्तार कर लिया गया। 

यह सब ऐतिहासिक तथ्य यह बताते है कि राजस्थान के राजघराने, मेवाड और कुछ अन्य को छोड़ कर मुग़लों के वफादार रहे। जयपुर तो मुग़लों के सबसे खास और नज़दीकी राजघराना रहा है। दोनों में, आपसी वैवाहिक संबंध भी रहे है इसका भी इतिहास में उल्लेख मिलता है। पर दो राजवंशो में आपसी वैवाहिक संबंध अधिकतर पारिवारिक ज़रूरतों की वजह से नही बल्कि राजनीतिक और कूटनीतिक उद्देश्यों के कारण होते रहे है। 

मध्ययुगीन इतिहास लेखन, प्राचीन इतिहास की तुलना में दस्तावेजी स्रोतों से भरा पड़ा है। अक्सर प्राचीन भारत के इतिहास के अध्ययन और उस काल के इतिहास लेखन के समय सबसे बड़ी समस्या स्रोतों की होती है। पुराण, महाकाव्य, पुरातत्व और भाषा विज्ञान आदि के अध्ययन के बाद इतिहास के तह तक पहुंचना पड़ता है, पर मध्यकालीन इतिहास जिसका काल खंड 1205 ई से 1757 ई तक माना जाता है के लेखन और अध्ययन के समय स्रोतों के अभाव की समस्या का सामना नहीं करना पड़ता है। उस काल के दरबारी इतिहासकारों के विवरण के अतिरिक्त अनेक यात्रा वृतांत, शाही फरमान, राजाओ के आपसी पत्राचार और तत्कालीन साहित्य भी उपलब्ध हैं। इसलिए मध्यकालीन इतिहास की संस्थापनाओं पर विवाद की गुंजाइश कम ही होती है। 

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने ताजमहल के 22 बंद कमरों और तहखानों के खोले जाने की याचिका को तो खारिज कर दिया पर जनता में ताजमहल से जुड़े ऐतिहासिक तथ्यों के जानने की जिज्ञासा जगा दी है। लोगो ने गूगल किया और उसके इतिहास के बारे में जानकारी भी ली। एक बड़ा विवाद विंदु है, ताजमहल के कभी न खुलने वाले बंद कमरे। पर, यह बात बिल्कुल सही नहीं है कि, ताज़महल के इन बंद कमरों को कभी खोला नहीं जाता है। आज ताजमहल के यही बंद कमरे और तहखाने, एक बार फिर तर्क-वितर्क के आधार बने हुये है। पर्यटकों के लिए इसे खोले जाने को लेकर कुछ लोग न्यायालय तक पहुंच गए, इससे तो यही अहसास होता है कि ये तहखाना विशेष है और कुछ छुपाए हुए है। मगर, इन तहखानों के जुड़े तथ्य कुछ अलग ही बात बताते है। आगरा से छपने वाले अखबार यह बताते हैं कि इस विवाद के मात्र तीन माह पहले ही यह तहखाना, रखरखाव और संरक्षण के लिए, एएसआई द्वारा खोला गया था और उसकी मरम्मत का काम भी हुआ था। इस काम पर एएसआई ने करीब छह लाख रुपये खर्च भी किये। 

ताजमहल में दो तहखाने हैं। एक मुख्य गुंबद के नीचे, जिसमें मुमताज और शाहजहां की मुख्य कब्र है और दूसरा चमेली फर्श के नीचे। कब्र वाला तहखाना पर्यटकों के लिए विशेष अवसर पर खोला जाता है लेकिन दूसरा तहखाना लगभग 50 साल पहले पर्यटकों के लिए बंद कर दिया गया था। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई), केवल संरक्षण कार्य के लिए ही, इसे खोलता रहा है। इसी साल जनवरी-फरवरी में इसे खोला गया था। तहखाने की दीवारों पर लाइम पनिंग (चूने का पतला प्लास्टर के साथ दरारों को भरा गया था। वेंटिलेटर पर जाली लगाने के साथ अंदर के दरवाजों पर पेंट किया गया था। यह एक निर्धारित और नियमित प्रक्रिया है जो एक तयशुदा कार्यक्रम के अनुसार चलती रहती है। 

अखबारों की ख़बरों के अनुसार, कमरों के रहस्य और कभी न खोले जाने के आरोपों के बारे में, सवाल करने पर, आगरा के, अधीक्षण पुरातत्वविद राजकुमार पटेल ने बताया कि ऐसा नहीं है कि स्मारक के बंद हिस्सों को कभी खोला नहीं जाता हो, सप्ताह या दस दिन में मरम्मत की जाती है और उन्हें खोला जाता है। एएसआइ के निदेशक रहे डी. दयालन ने अपनी किताब 'ताजमहल एंड इट्स कंजर्वेशन' में वर्ष 1652 से लेकर वर्ष 2006-07 तक हुए संरक्षण कार्यों का जिक्र किया है, और लिखा है कि, वर्ष 1975-76 में तहखाने की छत, मेहराब व दीवारों के खराब हुए प्लास्टर को हटाकर दोबारा चूने का प्लास्टर किया गया। वर्ष 1976-77 में भी तहखाने और कमरों की मरम्मत की गयी थी। 

ताजमहल की हालत के बारे में साल 2005 ई में, सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीबीआरआइ), रुड़की ने ताजमहल का जिओ टेक्निकल एंड स्ट्रक्चरल इंवेस्टिगेशन सर्वे किया था। इसकी अंतरिम रिपोर्ट 2007 में सीबीआरआइ ने सरकार और आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया को दी थी। सीबीआरआइ के सुझावों पर एएसआई ने, यहां संरक्षण कार्य किया गया था। एएसआइ के पूर्व निदेशक डी. दयालन ने अपनी किताब 'ताजमहल एंड इट्स कंजर्वेशन' में सीबीआरआइ द्वारा दी गई इस अंतरिम रिपोर्ट को भी शामिल किया है। रिपोर्ट में सीबीआरआइ ने कहा था कि परीक्षण के बाद पता चला है कि स्मारक के लिए कोई संकट नहीं है। पत्थरों के बीच के जोड़ों को अच्छी तरह से सील कर दिया गया है। चमेली फर्श के नीचे तहखाने में कुछ जगह दीमक मिली है। स्मारक के परिवेशीय कंपन अध्ययन में स्मारक के विभिन्न हिस्सों में प्राकृतिक 1.5 हर्ट्ज पाई गई। 

अतः यह कहना कि उन कमरों में कोई रहस्य छिपा है या मंदिर है या वे कमरे जानबूझकर कुछ छिपाने के लिए लगातार बंद है और कभी नहीं खोले जाते हैं, तथ्यों के विपरीत और जनता में सनसनी फैलाने के उद्देश्य से बनाये गए हैं। राजकुमारी दीया जब यह दावा करती है कि, यह जमीन उनके पुरखो की है तो वे यह बताना भूल जाती हैं कि इसके बदले में राजा जयसिंह को, शाहजहां ने, चार हवेलियां दी थीं। शाहजहां ने जिस जगह को ताजमहल के निर्माण के लिए चुना था, बिल्कुल वह राजा मानसिंह की थी। इसकी पुष्टि 16 दिसंबर, 1633 (हिजरी 1049 के माह जुमादा 11 की 26/28 तारीख) को जारी फरमान से होती है। शाहजहां द्वारा यह फरमान राजा जयसिंह को हवेली देने के लिए जारी किया गया था। फरमान में जिक्र है कि शाहजहां ने मुमताज को दफन करने के लिए राजा मानसिंह की हवेली मांगी थी। इसके बदले में राजा जयसिंह को चार हवेलियां दी गई थीं। यह फरमान आर्काइव्स में सुरक्षित है। जमीन के आदान प्रदान के बाद ताजमहल के बारे में यह विवाद स्वतः स्पष्ट हो जाता है। 

यही यह बात उल्लेखनीय है कि, आगरा तो कभी जयपुर या आमेर की रियासत में रहा नहीं तो फिर आगरा जो मुगलो की राजधानी थी तो वहां जयपुर राजघराने को ज़मीन कहां से मिली?

इसका उत्तर है, अकबर ने जब राजा मान सिंह को अपना सेनापति और बड़े ओहदे वाला मनसबदार बनाया तब यह जमीन उन्हे जागीर के रूप में दी थी। वही जमीन शाहजहां ने चार हवेलियो के बदले ताजमहल के लिए ली। आमेर और मुगलों के संबंध सदियों तक रहे हैं। यहां तक कि औरंगजेब के समय में भी। अब यह बात विश्वास से परे है कि जय सिंह ने उस जमीन में बने किसी शिव मंदिर को ही चार हवेलियों के बदले दे दिया या वे इतने बेबस थे कि शाहजहां ने उनसे यह मंदिर की जमीन छीन ली और उनके सामने ही उसे तोड़ कर मक़बरा बना दिया। 

यह सारा वितंडा पुरुषोत्तम नागेश ओक की किताब ताजमहल या तेजोमहालय के बाद शुरू हुआ है। ओक, अपनी किताब में जो तथ्य देते हैं, उनका कोई भी अकादमिक इतिहासकार समर्थन नहीं करता है। ताजमहल, स्थापत्य की दृष्टि से दुनियाभर में अपना विशिष्ट स्थान रखता है न कि, वह एक बादशाह और मलिका की कब्र के कारण। ताज के निर्माण, स्थापत्य की विशिष्टताओं पर अलग से एक स्वतंत्र लेख लिखा जा सकता है। 
ताज महल 
किसी ने बहुत ही खूब कहा है कि प्यार कभी मरता नहीं है। इसका गवाह है आगरा में पूरी दुनिया को अपनी ओर आकर्षित करता और सफेद संगमरमर से सजा ताजमहल जो आज भी शाहजहां और मुमताज के प्यार की गवाही देता है, लेकिन प्यार तो अमर हो सकता कर लेकिन प्यार करने वाले नहीं। यही दुनिया का निजाम व दस्तूर है।
1631 का साल था, शाहजहां और मुमताज महल की शादी को 19 बरस बीत चुके थे। बीते 19 बरस में मुमताज ने 14 बच्चों (आठ बेटे और छह बेटियां) को जन्म दिया था। उनमें से सात पैदाइश के वक्त या बहुत कम उम्र में फौत हो गए थे। मुमताज की मौत के वक्त बादशाह दक्कन में एक फौजी मुहीम पर थे। उन्होंने अपनी इस मुहिम को बंद कर दिया।
शाहजहां को मलिका मुमताज की मौत का गहरा सदमा पहुंचा, वो सब कुछ छोड़ तन्हाई में रहने लगे, अरसे बाद जब वो इस गम से बाहर निकले तब तक उनके बाल सफ़ेद हो चुके थे, उनकी पीठ झुक गयी थी, और चेहरे की रौनक खत्म हो गयी थी। इस दौरान बादशाह की सबसे बड़ी बेटी जहाँआरा ने अपने वालिद को बहुत सहारा दिया, और धीरे-धीरे उन्हें इस शोक से बाहर निकाला।
दिसंबर 1631 में, मुमताज की लाश को उनके बेटे शाह शुजा, मलिका की दासी, निजी डॉक्टर और उनकी बेटियों जहांआरा बेगम और गोहरआरा बेगम की उस्ताद सती-उन-निसा बेगम और मोअज्जिज़ दरबारी वज़ीर ख़ान के साथ आगरा लाया गया था।
वहां उन्हें यमुना के किनारे एक छोटी सी इमारत राजा मान सिंह के महल में जो बादशाह ने उन्हें बदले में चार हवेलियां दे कर ली थी में दफ़नाया गया। जनवरी 1632 में क़ब्र की जगह पर ताजमहल की तामीर शुरू हुयी।
यह एक ऐसा काम था जिसे पूरा करने में 22 साल लगने थे, अंग्रेज़ी कवि सर एडविन अर्नोल्ड ने इसके बारे में कहा है कि 'यह वास्तुकला का एक टुकड़ा नहीं है, जैसा कि दूसरी इमारतें हैं, बल्कि एक शहंशाह की मोहब्बत का काबिलेफख्र अहसास है जो ज़िंदा पत्थरों में उभरता है।'
जाइल्स टिल्टसन के मुताबिक, इसकी खूबसूरती को मुमताज़ महल की खूबसूरती के रूपक के तौर पर भी लिया जाता है और इसी ताल्लुक़ की वजह से बहुत से लोग ताजमहल को 'फीमेल या फेमिनिन' कहते हैं।

शमशेर भालू खान
जिगर चुरुवी