कश्मीर मिथक और तथ्य
(कश्मीर शब्द का नामकरण महर्षि कश्यप के नाम से हुआ है)
कश्मीर एवं कश्मीर समस्या को समझने के लिये 'इंडिया आफ्टर गाँधी, 'जहांगीर नामा','बाबर नामा' व उस समय प्रकाशित कुछ 'अखबारों की रिपोर्ट' महत्वपूर्ण हैं जिनके अध्ययन के बिना इसे समझ पाना मुश्किल है।
(मेरे एक साल के कश्मीर प्रवास के आधार पर लिखा गया संस्मरण जिस में कश्मीर, कश्मीरियत उनकी समस्या व समाधान विषय पर चर्चा)
वर्ष 2007 से 2008 तक शिक्षा प्राप्ति के उद्देश्य से कश्मीर जाना हुआ।
सचमुच जवाहर टनल से इस ओर व उस ओर के भारत मे एक बहुत बड़ा अंतर है।
एक साल के अनुभव उनके विचार आपके साथ साझा करने का मन हुआ।
गर जमी खुल्द अस्त
आम अस्त अमी अस्त।
जहांगीर बादशाह को कश्मीर की खूबसूरती से बहुत लगाव था। उसने फ़ारसी में यह शेअर लिखा जिस का अर्थ है अगर संसार में कहीं स्वर्ग है तो यहीं है, यहीं है,यहीँ है।
वास्तव में कश्मीर की सुंदरता अदम्य अनुदाहरणीय अकल्पनीय है। इस सुंदरता का वर्णन शब्दों में करना सूरज को दिया दिखाने के समान है।
1947 की परिस्थियां बहुत अलग थी। कुछ लोगों द्वारा भ्रामक प्रचार किया जाता है कि स्वर्गीय जवाहर लाल नेहरू ने कश्मीर समस्या का हल नहीं किया।
सरदार वल्लभभाई पटेल की उपेक्षा कर नेहरू ने यह समस्या स्वयं के बलबूते पर सुलझाने के प्रयास किये।
औऱ कश्मीर मामले को UNO में उठाकर और पेचिदा बना दिया।
सत्य इसके विपरीत है।
यहाँ हम कश्मीर, कश्मीर समस्या,समाधान के प्रयास एवं तत्तकालीन परिस्थितियों पर विचार करेंगे।
कश्मीर:-
कश्मीर की भौगोलिक स्थिति एवं विस्तार:-
भारत के उत्तर में पर्वतीय प्रदेश शिवालिक,उप हिमालय एवं महा हिमालय के दुर्गम क्षेत्र जहाँ सामान्य मनुष्य का विचरण लगभग असंभव है जहां नदियो,धाराओं,झरनों, बर्फीली चोटियों, दर्रों,घाटियों व घने जंगलों के कारण जीवन दुर्गम है ऐसे क्षेत्र में स्थित है कश्मीर।
1 नाम :- जम्मू-कश्मीर राज्य (अब अगस्त 2019 से जम्मू कश्मीर व लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश)
2स्थापना :- 26 जनवरी 1947 (इससे पूर्व रियासत के रूप में थी जिसके राजा हरि सिंह थे। हरि सिंह पृथक स्वतंत्र देश की स्थापना करना चाहते थे,पर कबाइलियों के आक्रमण व भारत सरकार के आग्रह पर भारत में विलय किया गया जिसे 1954 में संविधान सभा ने मंजूरी दी।) (यह विलय ब्रिटिश भारत स्वतंत्रता अधिनियम के अनुसार किया गया।)
3 स्थिति :-
अक्षांशीय- 32`15' से 37` 05' उत्तरी अक्षांश
देशांतरीय- 72`35' से 80`20' पूर्वी देशांतर
भौगोलिक स्थिति :-
A लद्दाख -कंडी पट्टी,गिलगित,बाल्टिस्तान का भाग
B कारगिल :- पीरपंजाल का उत्तरी भाग द्रास,कारगिल पहाड़ी क्षेत्र
C घाटी :- कश्मीर घाटी, सिंधु घाटी क्षेत्र पीर पँजाल क्षेत्र
D जम्मू क्षेत्र राजोरी,पूंछ, डोडा,जम्मू रावी क्षेत्र (जवाहर टनल से पहले का इलाका)
4 भाषाएँ :- डोगरी,पहाड़ी,उर्दू,पश्तो,पंजाबी(जम्मू में)
5 क्षेत्रफल :-
कुल 22236 वर्ग किमी (138124 वर्ग किमी भारत के पास,12000 वर्ग किमी 1962 अक्साई चीन चाइना के पास शेष पीर पंजाल का पश्चिमी क्षेत्र पाकिस्तान के पास 1948 से)
6 राजधानी :-
A गर्मियों में :- श्रीनगर जिसे राजा अशोकवर्धन ने बसाया रावी व झेलम नदी इसके बीच से होकर गुजरती हैं।
B शर्दियों में :- जम्मू जो तवी नदी के किनारे बसा हुआ शहर है।
श्रीनगर व जम्मू को राष्ट्रीय राजमार्ग 1A द्वारा जोड़ा गया है जो अंग्रेजों द्वारा बनवाया गया।
7 लिंगानुपात :- 1000:923
8 धार्मिक स्थान :- अमरनाथ,वैष्णोदेवी, हज़रतबल
9 धार्मिक आबादी :- पहले पूरे कश्मीर में बौद्ध आबादी थी के बाद सनातन धर्म को मानने वाली बढ़ती गई। इस्लाम के उदय के बाद कश्मीरी पंडितों, बौद्धों व सनातन धर्मावलंबियों ने इसे स्वीकार किया आज 70% से अधिक आबादी मुस्लिम शेष सनातन(घाटी व जम्मू),बौद्ध((लद्दाख),सिक्ख घाटी व जम्मू) में निवास करती है।
10 प्रागेतिहासिक महत्व :-
कश्मीर का 65% भाग सिंधु घाटी क्षेत्र में है। यहां बुर्जहोम (श्रीनगर से 16 किमी ) में ईशा पूर्व 1000 से 3000 के अवशेष मिले हैं।
नव पाषाण व उत्तर पाषाण काल के अवशेष भी प्राप्त हुये हैं।
11 नदियाँ :- रावी,तवी, झेलम, सतलुज, चिनाब,सिंधु आदि मुख्य नदियाँ हैं।
12 झीलें :- वैसे तो पूरा घाटी क्षेत्र किसी समय एक झील ही था, मुख्य झील डल,
13 राष्ट्रीय राजमार्ग :- NH 1A
14 रेलमार्ग :- कश्मीर भारत से रेलमार्ग से नहीं जुड़ा हुआ था जम्मू तक ही (रेल्वे स्टेशन का नाम जम्मू तवी) तक ही थी ।
1991 में शेष कश्मीर को रेल मार्ग से जोड़ने की परियोजना प्रारम्भ हुई। कश्मीर के भौगोलिक क्षेत्र उबड़ खाबड़ है जहाँ बड़े व लम्बे पुल बना कर रेल लाईन से जोड़ने के प्रयास किये जा रहे हैं।
15 हवाई मार्ग : - जम्मू,कारगिल ,लद्दाख व श्रीनगर हवाई मार्ग से पूरे देश से जुड़ा हुआ है।
16 विशेष राज्य का दर्जा :- अगस्त 2019 से पूर्व कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा था धारा 370 के अनुसार
A पृथक संविधान।
B पृथक ध्वज।
C अन्य राज्यों के लोगों का आकर बसना वर्जित।
D पृथक दण्ड व प्रक्रिया संहिता।
E संसद को बिना कश्मीर विधानसभा की अनुमति के कश्मीर पर कानून बनाने पर पाबंदी।
#कश्मीर विवाद के कारक:-
कश्मीर समस्या कोई धार्मिक समस्या नहीं थी इसे कुछ लोगों द्वारा जानबूझकर धर्म का रूप दिया गया जिसमें मुस्लिम कांफ्रेंस(बाद में नेशनल कांफ्रेंस) जिसके नेता शेख अब्दुल्ला पूर्व प्रधानमंत्री कश्मीर रियासत व श्यामा प्रसाद मुखर्जी (RSS की कश्मीर शाखा प्रजा परिषद) की राजनीतिक महत्वकांक्षा थी।
#यहां की खूबशूरती संसाधन की प्रचुरता व स्थल मार्ग से विश्व जुड़ाव के मार्ग हमेशा इसके लिये वरदान के साथ अभिशाप भी रहे।
जिसके कारण यह क्षेत्र हमेशा युद्ध का केंद्र बना रहा।
स्थानीय कारण :- भूमि,संसाधन, बगीचे,व्यवसाय आदि पर कश्मीरी पण्डितों का वर्चस्व रहा शेष आबादी मज़दूर,काश्तकार,कमेरा अन्य कार्य करते थे।
यहां कहा जा सकता है जमींदार या जागीरदार के मध्य सर्वहारा वर्ग का जो संबंध था वही संबंध कश्मीर के अन्य लोगों व पंडितों के मध्य था।
बस असन्तोष को उभरने का बहाना इस कारक ने उपलब्ध करवा दिया।
#कश्मीर विवाद :- 1947 तक यह एक रियासत था जिसके राजा हरि सिंह स्वतंत्र देश के रूप में रहना चाहते परन्तु जनता भारत में मिलना चाहती थी।
पाकिस्तान व चीन की नज़र यहां के वैभवशाली संसाधनों पर थी।
1947 में पाकिस्तानी कबाइलियों ने आक्रमण कर दिया औऱ महाराज हरिसिंह ने प्रधानमंत्री(कश्मीर) शेख अब्दुल्ला की सलाह से भारत मे विलय के प्रस्ताव को मंजूर किया। यह विलय माउंटबेटन के भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम के अनुसार था जो चीन पाकिस्तान को मंज़र नहीं हुआ।
1948में कबाइली हमले तेज़ हो गये जिसपर भारत सरकार ने सेना भेजना प्रारंभ कर दिया,पाकिस्तान ने इसका विरोध किया।
भारत ने 1 जनवरी 1948 को मुद्दा UN में उठाया जिस पर UN ने 13 अगस्त 1947 को संकल्प संख्या 47 चेप्टर (vi) दो प्रस्ताव पास किये:-
A पाकिस्तान तुरन्त कश्मीर से सेना हटाये।
B शांति स्थापना के बाद जनमत संग्रह द्वारा यहां के लोगों की इच्छा पूछी जानी चाहिये (नेहरू ने पहले ही जिन्ना के समक्ष यह प्रस्ताव रखा था जिसे अस्वीकार किया गया)
यहाँ यह बताना जरूरी है नंद ऋषि कालेज नटीपुरा श्रीनगर से वर्ष 2008 के दौरान B.Ed. करते हुए मैं स्वयं ने लाल डेड हॉस्पिटल लाल चौक व कालेज के गेट के आगे 21 दिन धरना दे कर कॉलेज प्रशासन द्वारा की जा रही अनियमितताओं का पर्दाफाश किया था व जीत दर्ज की थी।
कुछ तथ्य
1 माह सितंबर,1949 पंडित जवाहर लाल नेहरू व शेख अब्दुल्ला के मध्य झेलम नदी के किनारे 2 घण्टे एक शिकारे में चर्चा हुई थी जिसे टाइम पत्रिका ने सफल वार्ता का शीषर्क दिया था।
2 कश्मीर का भारत में विलय होने के बाद भी मामला UN में ले जाना एक कूटनीति का हिस्सा थी।
3 ब्रिटेन अमेरिका सहित नाटो देश कश्मीर को पाकिस्तान में मिलने के पक्षधर थे पर उनकी एक न चली।
4 यह सत्य है भारत पाकिस्तान का बंटवारा हिन्दू-मुस्लिम के आधार पर हुआ था।
बंटवारे के समय यह शर्त थी कि मुस्लिम बाहुल्य इलाके पाकिस्तान में जाएंगे, हिंदू बाहुल्य राज्य भारत में रहेंगे।
5 इसी शर्त के अनुसार जूनागढ़ को वहाँ के नवाब के पाकिस्तान में विलय 13 सितम्बर 1947 की घोषणा के उपरांत भी भारत में विलय किया गया। बाद में माउंटबेटन की निगरानी में जनमत संग्रह करवाया गया जिसमें 82% हिंदू जनता होने के बावजूद 91% जनता ने भारत के पक्ष में मत दिया।नवाब जूनागढ़ को पाकिस्तान भागकर शरण लेनी पड़ी। इस प्रकार 9 नवंबर 1947 को जूनागढ़ भारत का हिस्सा बन गया।
6 बंटवारे के नियमानुसार कश्मीर पर पाकिस्तान ने दावा किया जिसका समर्थन ब्रिटेन और अमेरिका ने पूरी शक्ति से किया मगर पं नेहरू की कूटनीति व रूस के साथ की वजह से कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा बन पाया।
अमेरिका ब्रिटेन पाकिस्तान को कश्मीर सौंप कर वहाँ सैनिक अड्डा बना लेते जो सोवियत रूस के लिये हानिकारक होता।
7 सरदार वल्लभ भाई पटेल के निजी सचिव पी.शंकर अनुसार पटेल कश्मीर को पाकिस्तान को सौंपने के लिये तैयार हो गये थे पर नेहरू की अडिगता व जूनागढ़ की घटना के बाद उनका मन बदला।
8 नेहरू ने शेख अब्दुल्ला की दोस्ती के दम पर कश्मीरियों का दिल जीता।
9 पटेल ने महाराजा हरि सिंह को मनाकर विलय हेतु मार्ग प्रशस्त किया।
10 सिंतबर 27,1947 को पटेल को नेहरू ने पत्र के माध्यम से उनको मिली खुफिया जानकारी के आधार पर आगाह किया कि ''कश्मीर की परिस्थिति तेजी से बिगड़ रही हैं। शीतकाल में कश्मीर का संबंध बाकी भारत से कट जायेगा, हवाई मार्ग बंद हो जायेंगे पाकिस्तान कश्मीर में घुसपैठियों को भेजना चाहता है,महाराजा का प्रशासन इस खतरे को झेल नहीं पायेगा।वक्त की जरूरत है कि महाराजा व शेख अब्दुल्ला को रिहा कर नेशनल कॉन्फ्रेंस से दोस्ती की जाये। ''शेख अब्दुल्ला की मदद से महाराजा पाकिस्तान के खिलाफ जन समर्थन हासिल करें, शेख अब्दुल्ला ने कहा है कि वो मेरी सलाह पर काम करेंगे।''
11 नेहरू के पत्र के अनुसार सरदार पटेल ने महाराजा से संपर्क किया, 29 सिंतबर 1947 को शेख अब्दुल्ला को रिहा कर दिया गया और उन्होंने एक ऐतिहासिक भाषण दिया जिसमें कहा कि "पाकिस्तान के नारे में मेरा कभी विश्वास नहीं रहा,फिर भी पाकिस्तान आज वास्तविकता है,पंडित नेहरू मेरे दोस्त हैं और गांधी जी के प्रति मेरा पूज्य भाव है।
मगर कश्मीर कहां रहेगा इसका फैसला यहां की 40 लाख जनता करेगी।''
12 महाराजा हरि सिंह अभी भी पृथक देश की फिराक में थे और अचानक 22 अक्टूबर 1947 को कबाइलीयों ने कश्मीर पर हमला कर दिया।
कबाईली हमलावर मुजफ्फराबाद से आगे बढ़कर श्रीनगर के करीब पहुंच गये और वहॉं के बिजली घर पर कब्जा कर श्रीनगर की बिजली काट दी। इस पर जिन्ना ने कहा था कि अबकी श्रीनगर में मनायेंगे।
14 चारों ओर से घिरे हरि सिंह ने भारत सरकार के विलय के प्रस्ताव को मान लिया व भारतीय सेना मैदान में आ खड़ी हुई।
15 अक्टूबर 27,1947 को सैनिकों से भरे 28 डकोटा विमान गोलियों की गूंज के साथ श्रीनगर हवाई अड्डे पर उतरे। बड़ी ही वीरता से जवानों ने कबाइलियों को खदेड़ना शुरू कर दिया जिनका साथ कश्मीरी जनता ने दिया।
16 कबाइलियों को खदेड़ने का काम लंबा चलने वाला था क्योंकि वहाँ बर्फ गिरने लगी थी।
17 जनमत संग्रह शांति का एक विकल्प था जिस पर बात करने के लिए लार्ड माउंटबेटन नवंबर 1947 में कराची पहुँचकर जिन्ना से बात की कि पाकिस्तान कश्मीर में जनमत संग्रह का विरोध क्यों कर रहा है। इस सवाल के जवाब में जिन्ना ने कहा कि ''कश्मीर भारत के अधिकार में होते हुये व शेख अब्दुल्ला की सरकार होते हुये मुसलमानों पर दबाव रहेगा कि पाकिस्तान की बजाय भारत के लिये वोट करें।''
18 दिसंबर माह में पहाड़ बर्फ से ढंक चुके थे, श्रीनगर को खाली करवाया जा चुका था, आधा कश्मीर कश्मीर कबाइलियों के कब्जे में था।
19 पं.नेहरू ने महाराजा हरि सिंह को 1 दिसंबर 1947 को पुनः पत्र लिखा जिसमें सन्दर्भित था कि ''हम युद्ध से नहीं डरते,मगर हम चाहते हैं कि कश्मीरी जनता को कम से कम नुकसान हो। मुझे लगता है कि समझौते के लिए ये उचित समय है,शीत ऋतु में हमारी कठिनाइयां बढ़ रही है, संपूर्ण क्षेत्र से आक्रमणकारियों को भगा पाना हमारी सेनाओं के लिए मुश्किल है। गर्मियां होती तो उन्हें भगाना आसान नहीं होता, मगर इतना इंतजार करने का मतलब है कि और 4 महीने। तब तक वो कश्मीरी जनता को सताते रहेंगे, ऐसे में समझौते की कोशिश करते हुए छोटी लड़ाई जारी रखी जानी चाहिये"।"
20 जनवरी 1, 1948 की तारीख भारत मामले को UN ले गया। मगर जिस तरह की उम्मीद थी, UN ने वैसी नहीं सुनी। UN ने युद्ध रोकने का काम जरूर किया।
21 नेहरू के UN जाने के फैसले के गलत सही होने की बहस पर एक अधिकारी एम.के. रसगोत्रा जो नेहरू के कार्यकाल में 1982-85 में भारत के विदेश सचिव रहे लिखते हैं कि ''यूनाइटेड नेशन्स जाना तत्तकालीन परिस्थितियों में बिलकुल सही फैसला था, जिसने आगे देश की मदद की। क्योंकि UN में पहली शर्त यही रखी गई कि जनमत संग्रह तभी होगा, जब पाकिस्तान गुलाम कश्मीर से अपनी फौज पीछे हटे। दूसरा आजादी का कोई विकल्प नहीं दिया गया।''
22 सन 1989 के चुनाव के बाद पनपा उग्रवादी घटनाओं की संख्या बढ़ने लगीं जो 100% पाकिस्तान प्रायोजित थीं।
23 कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है कश्मीरियत को बचाते हुये कश्मीर को पाने के लिये वास्तविक दिल का रिश्ता जोड़ने की कोशिश की जानी चाहिये।
24 विश्व बिरादरी व अन्य वैश्विक संगठनों के माध्यम से भारत को रणनीतिक विदेश नीति पर चल कर पाकिस्तानी प्रोपगंडा को अवाम के सामने लाना होगा।
25 अगस्त 2019 को कश्मीर का राज्य के रूप में दर्ज़ा समाप्त कर 2 केंद्र शासित प्रदेश बना दिये गये हैं
A जम्मू व कश्मीर
B लद्दाख
26 उग्रवाद का समाधान रोज़गार है।
27 इन चार-पाँच साल से मेरा उनसे संपर्क नहीं हो पाया जिनके बारे में बात की जाये। उनकी असाधारण मेजबानी आज भी मेरे दिल मे जगह बनाये हुये है।
लेख के सन्दर्भ :-
1 इंडिया आफ्टर गांधी
2 विभिन्न समचार पत्रों के लेख
3 पारस्परिक बातचीत @सुबिना बशीर (कॉलेज क्लासमेट)
4 पारस्परिक बातचीत @सिकन्दर बट्ट स्थानीय दुकानदार
5 पारस्परिक बातचीत @राशिदा खान लेक्चरर नँद ऋषि कॉलेज ऑफ एडुकेशन।
6 अन्य स्थानीय लोगों से वार्ता अनुसार
जिगर चूरूवी
@शमशेर भालुखान
9587243963
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