Wednesday, 30 March 2022

हम औऱ हमारी सच्चाई

कहां हैं
#बड़े_लोगों_की_छोटी_बात

           रास्ते पर घर है जहां  वाहनों की लोगों की भीड़ लगी रहती है हम भी समाज के बड़े प्रतिष्ठित सम्मानित नागरिकों में गिने जाते हैं।
        सुंदर घर के आगे एक सुंदर सा टॉयलेट-बाथरूम बनवाया जिस में बेहतरीन किस्म की टाइल,गेट व पानी की फिटिंग करवाई। हमारे घर में किसी तरह की गन्दगी न हो इसलिये बाथरूम का नाला सड़क की तरफ खोल दिया और बेतहासा पानी बहा रहे हैं।
           उसी रास्ते से नमाजी और पुजारी के साथ राहगीर पानी के छींटों से भीगते हुये दुआओं की बारिश करते चले जाते हैं।
       हम कामगार मज़दूर लोग हैं पशु तो रखने ही पड़ेंगे। अब पशु घर के अंदर रहे तो मिंगणी गोबर पेशाब की सड़ांध से जीना दूभर हो जायेगा। रास्ते पर जहां हमने पहले एक चौकी बना ली थी उस से थोड़ा बढ़कर बकरियों, गाय,भैंस के लिये खूँटा गाड़ देंगे। परेशान हम क्यों हो भई, लोग ही हों।
       घर का गेट थोड़ा ऊँचा लगवा लिया तो क्या हुआ सड़क पर बड़ा सा खरंजा बना कर आसानी से गाड़ी घर मे जा सकती है।
             पानी की कोई कमी नहीं है, टूंटी आ रही है बस जितना चाहिये भर लिया बाक़ी सड़क पर बह रहा है इस से ज्यादा आप हम से क्या चाहते हैं फ्री में ठण्डी सड़क मय्यसर करवा रहे हैं।
        रात खाना बना, बेहतरीन था अब लोगों को कैसे बतायें हमने क्या बनाया था, कोई बात नहीं हम बची हुई हड्डियाँ, छिलके दस्तरखान के कागज़, नेपकिन,बच्चों के हग्गीज़, कुछ कूड़ा सड़क पर डाल कर बड़ी शान से कहते हैं सफाई आधा ईमान है। हमारे नबी स0 को सफाई से बहुत लगाव था।
       दोस्तों के साथ बैठ कर हालात के बारे में बयान शुरू कर देते हैं कि हमारे देश के नेता चोर हैं सब कुछ खा-पी लिया पूरे देश को लूट रहे हैं।
         सऊदी,ब्रिटेन,अमेरिका व फ्रांस में जा कर देखो सड़क पर एक तिनका भी मिल जाये तो मज़ाल है। वहां बहुत सख़्ती है। (सड़क पर पुड़िया की पीक थूकते हुये खाली पुड़िया का रैपर वहीं डाल कर)वहाँ  कोई गन्दगी नहीं कर सकता औऱ हमारे देश में देखो कितनी गन्दगी है,मेरा तो जी ही नहीं लगता।
गांव शहर मोहल्ले एकदम साफ सुथरे होने चाहिये। जब हम सुबह सुबह घर से निकलें तो चौड़ा पक्का और साफ सुथरा रास्ता देख कर दिल को सुकून मिलता है।
                हम खूब शौक से किसी के घर के आगे खाली पड़ी ज़मीन पर अपनी मोटर साईकिल, स्कूटर,गाड़ी या साईकल खड़ी कर के अंदर घुस जाते हैं ।
       पूरे यकीन के साथ कि पास से गुजरने वाला वाहन आराम से निकल  सकता है अपनी गाड़ी/वाहन सुरक्षित है। यह सब दूसरे के घर में होना चाहिये।
           वहाँ से निकल कर बग़ीचे में घूमने चले गये,डालियों से लगे सुंदर फूलों ने ध्यान खींचा। इधर उधर नज़र दौड़ा कर तपाक से कुछ फूल तोड़े और जेब में रख कर घर की ओर चल दिये।
(हमारी बस्ती,शहर,गांव में मैने जो देखा महसूस किया वही लिख दिया। आप और मैं चाहें तो अपने ऊपर लेकर सोच सकते हैं,हालत बदल सकते हैं)
हम कब सुधरेंगे।

जिगर चूरूवी
(शमशेर भालुखान)
9587243963

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