प्यासा मरेगा पाकिस्तान:-
पहलगाम आतंकवादी घटना के बाद प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में पाकिस्तान के विरुद्ध 5 महत्वपूर्ण फैसले लिए गए हैं। यद्यपि इनका कानूनी अधिकार क्या है और पहलगाम आतंकवादी हमले में पाकिस्तान का हाथ हो इसके क्या सबूत हैं ? यह देश की जनता को नहीं पता, ऐसा संभव है कि सरकार के पास सारे तथ्य और सबूत हों। वैसे भी इस दर्दनाक आतंकवादी हमले को पाकिस्तान ने कराया हो इसको लेकर नकारा नहीं जा सकता।
इस मामले में मैं अपनी देश की सरकार के साथ हूं।
भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ जो त्वरित कार्रवाई की है उनमें सबसे महत्वपूर्ण है सिंधु नदी जल संधि का स्थगन। इन बातों का जनता पर प्रभाव नहीं पड़ेगा क्योंकि पाकिस्तान से आना जाना वैसे ही बंद है तो पाकिस्तानी दूतावास खुले या बंद रहे क्या फर्क पड़ता है? अटारी बार्डर खुले या बंद हो क्या फर्क पड़ता है ? सारे पाकिस्तानियों का विज़ा रद्द नहीं किया गया इससे क्या फर्क पड़ता है ?
कोई फर्क नहीं पड़ता....बात सिंधु जल समझौते की -
वर्ष 1960 में विश्व बैंक की मध्यस्थता में भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु नदी जल बंटवारे हेतु यह समझौता हुआ। जिसमें अहम बिंदु यह है कि कोई भी देश इसे इकतरफा रद्द नहीं कर सकता। इसीलिए भारत ने इस समझौते को रद्द नहीं निलंबित किया है।
सिन्धु नदी अथवा INDUS Rever एशिया की सबसे लंबी नदियों में से एक है जो 3610 किमी लंबी है। यही वह नदी है जिसके किनारे बसे लोग सिंधु नदी के किनारे बसने के कारण "हिंदू" कहे गए और INDUS से देश का नाम INDIA हो गया। भारत में यह नदी लगभग 1000 किमी बहती है।
सिंधु नदी तिब्बत के कैलाश पर्वत में मानसरोवर झील के पास बोखर - चू ग्लेशियर से निकलती है और सिन - का - बाब जलधारा के रूप में उत्तर - पश्चिम दिशा में बहती हुई भारत के लद्दाख क्षेत्र में देमचोक स्थान पर प्रवेश करते हुए हिमालय की गहरी घाटियों से होकर बहती है।
लद्दाख में लेह के पास आकर यह ज़ांस्कर नदी में मिलती है। इस संगम में ज़ांस्कर की धारा सिंधु की मुख्य धारा को प्रभावित करती है। इसके बाद केरिस (लद्दाख) में सबसे बड़ी श्योक नदी इसमें आ मिलती है। इसके बाद भारत-पाकिस्तान नियंत्रण रेखा के पास (गिलगित-बाल्टिस्तान क्षेत्र में) गिलगित और हुंजा नामक सहायक नदियाँ सिंधु में मिलती हैं।
सतलज, रावी, ब्यास, सिंधु, चिनाब और झेलम नदियों में से सिंधु और सतलज नदी चीन से आती हैं जबकि बाकी चार नदियां भारतीय क्षेत्र से निकलती हैं। सभी नदियों के साथ मिलते हुए विशाल सिंधु नदी कराची के पास अरब सागर में गिरती है जिसका बहाव गिलगिट, पेशावर, रावलपिंडी और थट्टा तक है।
गंगा से बड़ी सिंधु नदी पर सबसे पहला नियंत्रण चीन का है। यह चीन में करीब 300 किमी बहकर भारत में काराकोरम और लद्दाख क्षेत्र में पर्वत श्रृंखलाओं के बीच बहती सिंधु नदी पर किसी एक देश का पुर्ण अधिकार नहीं है और चीन जब चाहे सिंधु नदी के जल को पूरी तरह भारत आने से रोक सकता है और वह इसके लिए बहुत पहले से कोशिश करना शुरू कर चुका है।
सतलज, रावी, ब्यास, सिंधु, चिनाब और झेलम जिन 6 नदियों के पानी से सिंधु नदी बनती है। उसे लेकर भारत और पाकिस्तान सिंधु नदी जल बंटवारे के तहत सतलज रावी और व्यास के पानी पर भारत का पुर्ण अधिकार है जिसका वह यथा संभव उपयोग करता आ रहा है। परन्तु सिन्धु, चिनाब और झेलम के पानी का भारत 20% पानी ही उपयोग कर सकता है। शेष पाकिस्तान की ओर जाने देता है।
इन 6 नदियों के समूह से बना सिंधु नदी बेसिन करीब साढ़े ग्यारह लाख वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला है। भारत के उत्तरप्रदेश, बिहार, राजस्थान और पश्चिम बंगाल का पूरा भाग इसमें समा सकता है। सोचिए पानी रोका गया बरसात में क्या हो सकता है?
दरअसल इस समझौते को तुरंत निलंबित करना अव्यवहारिक इसलिए है कि इन नदियों के बीच समुद्र है जिसके पानी को रोक पाना लगभग असंभव है। यह कोई गेट नहीं है कि ताला बंद कर दिया और नदियों का पानी पाकिस्तान जाना बंद हो गया और अगले दिन से ही पाकिस्तान प्यासा मरने लगा।
इसके लिए भारत को भाखड़ा नांगल बांध जैसे बीस बांध और सैकड़ों नहरें बनानी होंगी, जिसके लिए बहुत पैसे की जरूरत होगी। भारत की सरकारी कार्य पद्धति के अनुसार इसमें कम से कम 25 वर्ष लगेंगे, वह भी तब जब चीन कोई प्रतिक्रिया ना दे दे। अर्थात पहलगाम आतंकवादी हमले का बदला 25 वर्ष बाद सिंधु नदी के पानी को रोक कर लिया जाएगा।
जैसा कि यह सरकार त्वरित फैसले लेती है, यदि पाकिस्तान जाने वाली इन सभी नदियों का पानी तुरंत रोक लिया तो क्या होगा ?
रोका हुआ यह जल तमाम रिहायशी इलाकों में फैलेगा , इससे विस्थापन की समस्या का समाना भी करना पड़ सकता है और इस जमा पानी के कारण पर्यावरण नष्ट होगा जिसके कई ओर प्रभाव भी होंगे। पाकिस्तान प्यास से मरे ना मरे मगर बिना समुचित प्रबंध किए भारत ने पानी रोका तो उसका बहुत बड़ा हिस्सा डूबना तय है।
चीन से भारत में 10 नदियां आती हैं,
1. सिंधु
2. ब्रह्मपुत्र
3. सतलज
4. काली
5. कर्णाली
6. कोसी
7. तिस्ता नदियां
सब जानते हैं कि चीन स्पष्ट रूप से पाकिस्तान के साथ है और उसका भारी निवेश पाकिस्तान और विशेषकर POK में है जो आने वाले दिनों में इसे मुद्दा बनाते हुए मुश्किलें खड़ी कर सकता है।
चीन का पाकिस्तान में प्रत्यक्ष निवेश करीब 68 अरब डॉलर का है जिसमें करीब 47 अरब डॉलर पाकिस्तान के ऊर्जा क्षेत्र में लगाए हैं और उसकी वहां 74% हिस्सेदारी है। जहां वह बांध बना रहा है, बिजली का उत्पादन कर रहा है।
चीन - पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) के अंतर्गत कई जल विद्युत परियोजनाएं संचालित हैं जो मुख्य रूप से पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) और खैबर पख्तूनख्वा जैसे जहां से झेलम, चिनाब और सिंधु नदी बहती है में स्थित हैं।
चीन पाकिस्तान में जल विद्युत परियोजना के लिए जो बांध बना रहा है जिनमें -
1. Pok में सिंधु नदी पर बन रहा दियामेर-भाशा बांध परियोजना (गिलगित - बाल्टिस्तान) की लगत $5.8 बिलियन है। जिसमें चीन की सरकारी कंपनी चाइना पावर और पाकिस्तानी सेना की कंपनी फ्रंटियर वर्क्स ऑर्गनाइजेशन (FWO) शामिल हैं। इस परियोजना से 4500 मेगावाट जल विद्युत परियोजना भारत के तमाम विरोध के बावजूद जारी है।
2. नीलम - झेलम जलविद्युत परियोजना जो नीलम और झेलम नदियों पर मुजफ्फराबाद POK के पास बनी है। चीन की गार्गेज कॉरपोरेशन कंपनी इस परियोजना में शामिल है, जो 1,124 मेगावाट बिजली उत्पादन करती है।
3. दसू बांध (खैबर पख्तूनख्वा) परियोजना सिंधु नदी पर खैबर पख्तूनख्वा के कोहिस्तान जिले में है जो CPEC का हिस्सा है। यह परियोजना चाइनीज गेझोउबा ग्रुप ऑफ कंपनी (CGGC) द्वारा संचालित है जिसकी क्षमता 4,320 मेगावाट है, और यह पाकिस्तान की बिजली जरूरतों को पूरा करने के लिए महत्वपूर्ण है।
ऐसे ही 7,100 मेगावाट गिलगित-बाल्टिस्तान में सिंधु नदी पर एक और प्रस्तावित जलविद्युत परियोजना, PoK में झेलम नदी के पास 1,124 मेगावाट की कोहाला जलविद्युत परियोजना भी हैं जो भारत से जाती सिंधु नदी जल पर निर्भर है जो पाकिस्तान से अधिक चीन को प्रभावित करती है तो चीन क्या करेगा ? हमारे प्रधानमंत्री को तो चीन का नाम लेने से डरता है और विदेश मंत्री स्वीकार कर चुके हैं कि चीन भारत से बड़ी अर्थव्यवस्था है इसलिए हम उससे नहीं लड़ सकते।
सिंधु जल संधि रोकने पर चीन की POK स्थित परियोजनाएं प्रभावित होंगी। बदले में चीन भी अपने यहां से आने वाली 10 नदियों का पानी रोक सकता है और वह इसके लिए वह बहुत पहले से तैयारी कर चुका है। यहां तक कि चीन ने सिंधु की सहायक गलवान नदी के प्रवाह को लगभग रोक दिया है। कई पर्यावरण, समाजशास्त्री एवं अन्य संस्थाओं के अनुसार इसके अलावा, चीन सिंधु बेसिन में पन बिजली परियोजनाओं के लिए जल भंडारण शुरू कर दिया है और कुछ दिनों में वह अपने क्षेत्र से भारत में आने वाली सभी नदियों का पानी को रोक देगा जिससे पाकिस्तान में जारी उसकी जल विद्युत परियोजनाओं की आपूर्ति बाधित ना हो।
एक हेडलाइन ब्रेक हुई, देश के समाचार पत्र और मीडिया चैनलों पर पाकिस्तान को प्यासा मारने की खबरें प्रसारित हुईं देश को मरहम लगा कि पाकिस्तान प्यासा मर जाएगा। खूब सारी रील बनी, मीम बने और वाह - वाह हुई।
पर देश के नागरिक को सोचना होगा, अभी से सोचना होगा, कहीं देर ना हो जाए....
स्त्रोत - विभिन्न समाचार पत्र एवं लेख
शमशेर भालू खां
जिगर चुरूवी
9587243963
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