Thursday, 27 January 2022

अजमेर अल्पसंख्यक प्रमाणपत्र बनाने के आदेश जारी

काफी लंबे समय से अजमेर जिले के एसडीएम साहेबान अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को आवेदन करने के बावजूद अल्पसंख्यक प्रमाणपत्र नहीं बनाया जा रहा था।
एक लंबी लड़ाई के बाद आज अजमेर ज़िला प्रशासन ने आदेश जारी कर आवेदन के आधार पर प्रमाणपत्र जारी करने की अनिवार्यता कर निर्देशित किया है।
बहुत बहुत बधाई लड़ाई लड़ने वाले साथियों को आप सब की मेहनत रंग लाई।

Wednesday, 26 January 2022

उर्दू बचाओ आंदोलन एक तुलनात्मक अध्ययन

उर्दू बचाओ आंदोलन एक तुलनात्मक विवरण

सन 2016 के स्टाफिंग पैटर्न के अनुसार किसी एक विद्यालय में एक ही तृतीय भाषा का पद का सिद्धांत दिया गया जिसे 28 मई 2019 की गाइडलाइंन में स्पष्ट कर लागू किया गया।
इस कारण से बहुत से स्कूलों में चल रहे उर्दू विषय को समाप्त कर वहां कार्यरत उर्दू शिक्षकों को L1 पर लगा दिया गया।
5 जुलाई 2019 से शुरू धरने को 27 अक्टूबर 2019 को खत्म करवाया गया जिस में उर्दू के प्रस्ताव बना कर भेजे गये व समझौते के अनुसार शिक्षा निदेशालय के आदेश शिविरा/प्रा शि/संस्थापन/F-6/ 04/ 1319 दिनांक 13 दिसम्बर 2004 को लागू करवाने पर सहमति बनी।

इस आधार पर हर जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में अल्पभाषा प्रकोष्ठ की स्थापना की गई।

इस समझौते के विरुद्ध श्रीमान सौरभ स्वामी माननीय निदेशक शिक्षा निदेशालय बीकानेर ने एक विद्यालय एक तृतीय भाषा के सिद्धांत को लागू करने का विशेष आदेश निकाला।

इस आदेश के विरोध में 01 नवम्बर 2020 से चूरू से दांडी पैदल यात्रा शुरू की गई ।
8 नवम्बर 2020 को निदेशक महोदय ने 5 सितम्बर 2020 का आदेश प्रत्यहारित कर लिया व उर्दू व अल्पभाषा के संबन्ध में नवीन प्रक्रिया प्रारंभ की।

11 नवम्बर 2020 से जिस विद्यालय में 10 छात्र कक्षा 6 से 8 में अध्ययनरत होंगे वहां उर्दू व अल्पभाषा के पद स्वीकृत करने का आदेश जारी हुआ जिस के अंतर्गत प्रस्ताव व नेताओं की की डिजायर के स्थान पर ऑनलाइन मेपिंग का सिद्धांत दिया गया।
22 नवम्बर 2020 को उदयपुर समझौते में इसे हरी झंडी दी गई।

यह सच है सभी अधिकारियों, प्रधानाध्यापक, व शालादर्पन प्रभारियों ने ईमानदारी से काम नहीं किया।
फिर भी आज तक जो प्रगति रही वो इस प्रकार से है।
प्रारंभिक शिक्षा में उर्दू L2 के कुल पद आज दिनांक तक 663 हैं जिन में से 458 पद जनवरी 2021 को स्वीकृत हुये। आज दिनांक तक कुल 901 उर्दू के तृतीय श्रेणी के शिक्षक कार्यरत हैं।
इन में से भी 228 ही तृतीय श्रेणी उर्दू के पद पर कार्यरत हैं। 673 उर्दू शिक्षक L1 पर पद विरुद्ध लगे हैं।

आज तक 70 साल के आजादी के इतिहास में उर्दू के मात्र 205 पद ही स्वीकृत थे।
5 जुलाई 2019 से चले उर्दू आंदोलन ने उर्दू को फ़रोग़ दिया जिस की वजह से 
अक्टूबर 2019 में 24 नये पद कस्तूरबा गांधी विद्यालयों में, 21 जनवरी 2021 को 458 नये पद प्रारंभिक शिक्षा में, 24 जनवरी 2022 को 541 नवीन पद (माध्यमिक शिक्षा में) इस से पूर्व माध्यमिक शिक्षा कभी भी L2 के पद नहीं होते थे जो आप के आंदोलन के कारण हुये।
सेकंड ग्रेड उर्दू के अभी 58 नवीन पद ही बताये जा रहे हैं जो बढ़ेंगे।
अभी सेकंडरी का स्टाफिंग पैटर्न बाकी है।
कुल मिलाकर 24+458+541+58+35 ( 1023 तृतीय श्रेणी, 58 द्वितीय श्रेणी व 35 प्रथम श्रेणी कुल 1116 नये पद उर्दू के स्वीकृत हुये हैं) जो उर्दू ज़बान के इतिहास की बहुत बड़ी संख्या है।
अभी यह उर्दू आंदोलन रुका नहीं है हमारा लक्ष्य 11828 कुल उर्दू के पद स्वीकृत करवाने का है।

मुझे विश्वास है आप इस आंदोलन में कंधे से कंधा मिलाकर साथ देंगे।

     आपका 
शमशेर भालुखां

Monday, 24 January 2022

विधायक सभा प्रश्न सफिया जी

विधानसभा प्रश्न

राजस्थान में
(1) प्राथमिक,उच्च प्राथमिक, माध्यमिक व उच्च माध्यमिक विद्यालयों में कक्षावार विद्यालवार, ब्लॉकवार,जिलावार अल्पसंख्यक नामांकन की पृथक पृथक प्राथमिक,उच्च प्राथमिक, माध्यमिक व उच्च माध्यमिक विद्यालयों की सूची सदन के पटल पर रखें।

(2) स्टाफिंग पैटर्न परिवर्तित नियम के अनुसार कक्षा 6 से 8 में तृतीय भाषा के 10 विद्यार्थियों के आवेदन के आधार पर पद स्वीकृत करने की अनुपालना में सही मेपिंग नहीं करने,विद्यार्थियों की इच्छा के बावजूद इच्छित तृतीय भाषा की मेपिंग नहीं करने वाले संस्था प्रधानों की सूची व राज्य सरकार के आदेशों की अवहेलना करने पर की गई/ प्रस्तावित कार्यवाही की सूचना सदन के पटल पर रखें।

(3) परिवर्तित स्टाफिंग पैटर्न नियमानुसार विद्यालयों में सभी तृतीय भाषाओं के साथ समान व्यवहार हेतु जारी निर्देशों की प्रति सदन के पटल पर रखें।

(4) विद्यालय क्रमोन्नति/ महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम विद्यालयों में सिर्फ संस्कृत तृतीय भाषा ही स्वीकृत होती है। एक ही तृतीय भाषा संस्कृत के पद स्वतः स्वीकृत होने का कारण स्पष्ट करते हुये सभी तृतीय भाषाओं को समान रूप से विकास के अवसर उपलब्ध करवाने की सरकार की नीति की प्रति सदन के पटल पर रखें।

(5) मुख्यमंत्री बजट घोषणा 2021-22 के अनुसार "राजकीय प्राथमिक विद्यालयों में 20 छात्रों का नामांकन होने पर उर्दू पद स्वीकृत किया जावेगा" के अनुसार की गई बजट घोषणा की क्रियान्वित में देरी का कारण स्पष्ट करते हुये व बजट घोषणा की क्रियान्वित में बाधक एजेंसी/अधिकारी/कार्मिक/कार्यालय के विरुद्ध की गई कार्यवाही की प्रति व इस बजट घोषणा को पूरा करने के सरकार के विनिश्चय हेतु आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखें।

(6) भारत के संविधान के अनुच्छेद 350-अ के अनुसार "प्राथमिक शिक्षा मातृ भाषा में प्रदान की जावे" बाबत  राज्य सरकार व शिक्षा विभाग द्वारा की गई कार्यवाही की प्रति सदन के पटल पर रखें। क्या राज्य सरकार मातृ भाषा माध्यम से प्रारम्भिक शिक्षा प्रदान करने हेतु संकल्पित है यदि हाँ तो प्रक्रिया यदि नहीं तो क्यों, विवरण सदन के पटल पर रखें।

(7) भारतीय संविधान के अनुच्छेद 350-अ के अनुसार गठित गुजराल समिति की रिपोर्ट को लागू करने के लिये मंत्रिमण्डलीय समिति की रिपोर्ट के अनुसार निदेशालय प्रारंभिक शिक्षा व माध्यमिक शिक्षा के आदेश क्रमांक शिविरा/प्रा. शिक्षा/संस्थापन/f-6/1319 दिनांक 13 दिसम्बर 2004 के अनुसार
(अ) प्रत्येक विद्यालय में अल्पभाषा पंजियन रजिस्टर का संधारण किया जाना है, के अनुसार 
(क) कितने विद्यालय अल्पभाषा पंजियन रजिस्टर संधारित कर चुके हैं व उनके अनुसार विद्यालयों में अल्पभाषा शिक्षण करवा रहे हैं, 
(ख) कितने विद्यालयों ने अल्पभाषा पंजियन रजिस्टर संधारित नहीं किया व कारण 

विवरण सदन के पटल पर रखें।
(ब) उक्त परिपत्र के अनुसार प्रति वर्ष अल्पभाषा के शिक्षण की स्थिति की रिपोर्ट भाषाई अल्पसंख्यक आयुक्तालय नई दिल्ली को प्रेषित की जानी होती है के अनुसार वर्ष 2018-19 से वर्ष 2021-22 की रिपोर्ट सदन के पटल पर रखते हुये अल्पभाषा संरक्षण हेतु सरकार की भावी नीति को स्पष्ट करने वाले आदेश/परिपत्र की प्रति सदन के पटल पर रखें।

(8) महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम विद्यालय, स्वामी विवेकानंद मॉडल स्कूल व समाज कल्याण विभाग/मेवात विकास बोर्ड के अधीन चल रहे विद्यालयों में अध्ययनरत अल्पसंख्यक छात्र-छत्राओं की विद्यालवार सूचना व उनमें स्वीकृत,कार्यरत व रिक्त उर्दू विषय के पदों की स्थिति विवरण सहित सदन के पटल पर रखें।

Monday, 17 January 2022

उर्दू सिंधी के गुनाहगारों पर मुकदमे बाबत

सलाम साथियों,
  नवम्बर 2020 से चला मेपिंग का काम जिस में सरकार की मंशा तृतीय भाषा(सिंधी,पंजाबी,गुजराती,संस्कृत व उर्दू) के ( स्कूल के कक्षा 6 से 8 में) 10 बच्चे होने पर नवीन पद स्वतः सृजित होने की थी।
काम भी हुआ हमारे लोगों ने बहुत मेहनत की जिस से हम मुतमयीन हो गये थे कि 4300 नवीन उर्दू के पद सृजित होंगे।

बीच के वक्फे में हम स्कूलों में जाकर फिर से जानकारी नहीं ले सके और ज्यादातर प्रधानाध्यापक जी ने (उर्दू व सिंधी) की मेपिंग को बदल कर संस्कृत कर दिया पद सिर्फ 1042 ही बने और इस रीट में आये 309।

इस जालसाजी व धोखाधड़ी मे निदेशालय बीकानेर, ज़िला  शिक्षा अधिकारी,ब्लॉक शिक्षा अधिकारी,नोडल/पंचायत शिक्षा अधिकारी प्रधानाध्यापक व शालादर्पन प्रभारी जिम्मेदार हैं।

सभी साथी इस तरह के स्कूल जहां
(1) बिना सहमति के विषय का चयन किया गया हो,
(2) पहले सहमति ली बाद में बदलाव कर दिया हो
(3) छात्रों को दबाव/बहलाकर/बिना बताये हस्ताक्षर करवाया जाना पाया गया हो
(4) मनमर्ज़ी से मेपिंग कर दी हो।
(5) अन्य कारण से इच्छित विषय पढ़ने से वंचित किया गया हो।
की सूची बनाकर व एक प्रार्थना पत्र माननीय न्यायालय के नाम लिख कर अभिभावकों व छात्रों के हस्ताक्षर करवाकर भिजवाएं।

हमने बहुत ज्ञापन,यात्रा,धरने हड़ताल कर ली।

अब हम संबंधित पर थाने/कोर्ट/मानवाधिकार आयोग/राज्य लोकपाल के माध्यम से फौजदारी व अन्य धाराओं में मुक़दमा करेंगे।

मेरे नम्बर 9587243963 पर व्हाट्सएप व sambhalu36@gmail.com पर मेल करें।

Elementary mai L2 urdu sanctioned post  663  h
Total working L2 urdu 901 ,in which  228 are working on L2 urdu post and 673 are working on L1 post.

आपका 
शमशेर भालुखान

Sunday, 16 January 2022

महाराज पृथ्वीराज चौहान की वंशावली



चौहान वंश के महान सम्राट पृथ्वीराज चौहान को अन्य जातियों द्वारा उनके वंशज होने का अनेक क्षेत्रों में विवाद पैदा कर रहे है। अतः पृथ्वीराज चौहान की वंशावलि राजस्थान के महान लेखक इतिहासकार संत श्री कान्हाराम की पुस्तक पेज संख्या 76,77,78 व दशरथ शर्मा की पुस्तक Early Chauhan Dynasties", pp.109 का संदर्भ लिया गया है।

संत श्री कान्हाराम[4] ने लिखा है कि.... [पृष्ठ-76]: ईसा की दसवीं सदी में प्रतिहारों के कमजोर पड़ने पर प्राचीन क्षत्रिय नागवंश की चौहान शाखा शक्तिशाली बनकर उभरी। अहिच्छत्रपुर (नागौर) तथा शाकंभरी (सांभर) चौहनों के मुख्य स्थान थे। चौहनों ने 200 वर्ष तक अरबों, तुर्कों, गौरी, गजनवी को भारत में नहीं घुसने दिया।

चौहनों की ददरेवा (चुरू) शाखा के शासक जीवराज चौहान के पुत्र गोगा ने नवीं सदी के अंत में महमूद गजनवी की फौजों के छक्के छुड़ा दिये थे। गोगा का युद्ध कौशल देखकर महमूद गजनवी के मुंह से सहसा निकल पड़ा कि यह तो जाहरपीर (अचानक गायब और प्रकट होने वाला) है। महमूद गजनवी की फौजें समाप्त हुई और उसको उल्टे पैर लौटना पड़ा। दुर्भाग्यवश गोगा का बलिदान हो गया। गोगाजी के बलिदान दिवस भाद्रपद कृष्ण पक्ष की गोगा नवमी को भारत के घर-घर में लोकदेवता गोगाजी की पूजा की जाती है और गाँव-गाँव में मेले भरते हैं।

[पृष्ठ-77]: चौथी पाँचवीं शताब्दी के आस-पास अनंत गौचर (उत्तर पश्चिम राजस्थान, पंजाब, कश्मीर तक) में प्राचीन नागवंशी क्षत्रिय अनंतनाग का शासन था। इसी नागवंशी के वंशज चौहान कहलाए। अहिछत्रपुर (नागौर) इनकी राजधानी थी। आज जहां नागौर का किला है वहाँ इन्हीं नागों द्वारा सर्वप्रथम चौथी सदी में धूलकोट के रूप में दुर्ग का निर्माण किया गया था। इसका नाम रखा नागदुर्ग। नागदुर्ग ही बाद में अपभ्रंश होकर नागौर कहलाया।

551 ई. के आस-पास वासुदेव नाग यहाँ का शासक था। इस वंश का उदीयमान शासक सातवीं शताब्दी में नरदेव हुआ। यह नागवंशी शासक मूलतः शिव भक्त थे। आठवीं शताब्दी में ये चौहान कहलाए। नरदेव के बाद विग्रहराज द्वितीय ने 997 ई. में मुस्लिम आक्रमणकारी सुबुक्तगीन को को धूल चटाई। बाद में दुर्लभराज तृतीय उसके बाद विग्रहराज तृतीय तथा बाद में पृथ्वीराज प्रथम हुये। इन्हीं शासकों को चौहान जत्थे का नेतृत्व मिला। इस समय ये प्रतिहरों के सहायक थे। 738 ई. में इनहोने प्रतिहरों के साथ मिलकर राजस्थान की लड़ाई लड़ी थी।

नागदुर्ग के पुनः नव-निर्माण का श्री गणेश गोविन्दराज या गोविन्ददेव तृतीय के समय (1053 ई. ) अक्षय तृतीय को किया गया। गोविंद देव तृतीय के समय अरबों–तुर्कों द्वारा दखल देने के कारण चौहनों ने अपनी राजधानी अहिछत्रपुर से हटकर शाकंभरी (सांभर) को बनाया। बाद में और भी अधिक सुरक्षित स्थान अजमेर को अजमेर (अजयपाल) ने 1123 ई. में अपनी राजधानी बनाया। यह नगर नाग पहाड़ की पहाड़ियों के बीच बसाया था। एक काफी ऊंची पहाड़ी पर “अजमेर दुर्ग” का निर्माण करवाया था। अब यह दुर्ग “तारागढ़” के नाम से प्रसिद्ध है।

अजमेर से डिवेर के के बीच के पहाड़ी क्षेत्र में प्राचीन मेर जाति का मूल स्थान रहा है। यह मेरवाड़ा कहलाता था। अब यह अजमेर – मेरवाड़ा कहलाता है। अजयपाल ने अपने नाम अजय शब्द के साथ मेर जाति से मेर लेकर अजय+मेर = अजमेर रखा। अजमेर का नाम अजयमेरु से बना होने की बात मनगढ़ंत है। अजयपाल ने मुसलमानों से नागौर पुनः छीन लिया था। बाद में अपने पुत्र अर्नोराज (1133-1153 ई.) को शासन सौंप कर सन्यासी बन गए। अजयपाल बाबा के नाम से आज भी मूर्ति पुष्कर घाटी में स्थापित है। अरनौराज ने पुष्कर को लूटने वाले मुस्लिम आक्रमणकारियों को हराने के उपलक्ष में आना-सागर झील का निर्माण करवाया।

[पृष्ठ-78]: विग्रहराज चतुर्थ (बिसलदेव) (1153-1164 ई) इस वंश का अत्यंत पराक्रमी शासक हुआ। दिल्ली के लौह स्तम्भ पर लेख है कि उन्होने म्लेच्छों को भगाकर भारत भूमि को पुनः आर्यभूमि बनाया था। बीसलदेव ने बीसलपुर झील और सरस्वती कथंभरण संस्कृत पाठशाला का निर्माण करवाया जिसे बाद में मुस्लिम शासकों ने तोड़कर ढाई दिन का झौंपड़ा बना दिया। इनके स्तंभों पर आज भी संस्कृत श्लोक उत्कीर्ण हैं। जगदेव, पृथ्वीराज द्वितीय, सोमेश्वर चौहानों के अगले शासक हुये। सोमेश्वर का पुत्र पृथ्वीराज तृतीय (1176-1192 ई) ही पृथ्वीराज चौहान के नाम से विख्यात हुआ। ये अजमेर के साथ दिल्ली का भी शासक बने।

डॉ दशरथ शर्मा ने लिखा

श्री चाहुमान-वंश्‍येन पृथ्‍वीराजेन भूभुजा |
परमर्दी-नरेन्‍द्रस्‍य देशोयमुदवास्‍यत ||
अर्णोराजस्‍य पौत्रेण श्रीसोमेश्‍वरसुनुना |
जैजाकभुक्तिदेशोयं पृथ्‍वीराजेन लूनित: ||
संवत् 1239

Reference - Dasharatha Sharma, Early Chauhan Dynasties", pp.109.

Tuesday, 4 January 2022

शिक्षा विभाग के विभिन्न प्रार्थना पत्र

*शिक्षा विभाग के कर्मचारियों के लिए अति महत्वपूर्ण*

*कार्यभार हस्तान्तरण पत्र* - https://bit.ly/3JGae3N
*Last Pay Certificate* - https://bit.ly/32Y5VQc
*जन्म तिथि संशोधन फाॅर्म* - https://bit.ly/3mTWyIy
*PRAN Application Form* - https://bit.ly/3G44nTm
*बचत खाते को वेतन खाते में हस्तान्तरण करने हेतु आवेदन पत्र* - https://bit.ly/3qMwFeY
*स्थानान्तरण हेतु आवेदन पत्र* - https://bit.ly/3492rLm
*NPS कटौती अन्तर विवरण पत्र* - https://bit.ly/3FZaWqE
*कार्मिक के विरूद्ध जांच हेतु आवश्यक अभिलेख व प्रपत्र* - https://bit.ly/3sVmR54
*वरिष्ठता सूची में नामांकन हेतु प्रपत्र* - https://bit.ly/3eOF8Zy
*School Monitoring Format* - https://bit.ly/3FNEZRQ
*विकलांग वाहन भत्ता आवेदन पत्र* - https://bit.ly/3ePTTeB
*मासिक व्यय विवरण पत्र* - https://bit.ly/3zlGIvp
*विद्यार्थी दुर्घटना बीमा दावा प्रपत्र* - https://bit.ly/3mSN4NC
*सेवानिवृत्ति हेतु शपथ पत्र प्रारूप* - https://bit.ly/3HozKZk
*अनुपयोगी सामानों की नीलामी के लिए प्रपत्र* - https://bit.ly/3EQXTG4
*Child Care Leave Application* - https://bit.ly/3HvqGlo
*जिला शिक्षा अधिकारी को स्थानीय अवकाश सुचना भेजने का प्रारूप* -https://bit.ly/3mVQShj 
*Time Barred बिलों के साथ लगाये जाने वाले शपथ पत्र और प्रमाण पत्र* - https://bit.ly/3EL12Y4
*एस.आई.क्यू.ई. अवलोकन प्रपत्र* - https://bit.ly/3t9QLTl
*Online Employee Master Data Form* - https://bit.ly/3r3I7mH
*राज्य बीमा परिपक्वता दावा प्रपत्र* - https://bit.ly/3EY7pri
*राज्य बीमा मृत्यृ दावा प्रपत्र* - https://bit.ly/32FwY3h
*विद्यार्थी सुरक्षा बीमा योजना का दावा प्रपत्र* - https://bit.ly/3HoAa1Q
*स्वैच्छिक सेवा निवृत्ति हेतु आवेदन पत्र* - https://bit.ly/3sT05KZ
*कर्मचारी मनोनयन पत्र* - https://bit.ly/3pR034p
*राज्य बीमा पाॅलिसी पर ऋण प्राप्त करने हेतु आवेदन पत्र* - https://bit.ly/3qK9VfF
*संतान सम्बन्धित घोषणा पत्र* - https://bit.ly/3JE6YFN
*शाला दर्पण पर कार्मिक नाम संशोधित या डिलीट करवाने के लिए प्रमाण पत्र* - https://bit.ly/3JCyQdy
*मताधिकार उपयोग प्रमाण पत्र* - https://bit.ly/3pMqLuV
*चयनित वेतन श्रृंखला हेतु जांच प्रपत्र* - https://bit.ly/3mS22DA
*RGHS Deduction Option Form* - https://bit.ly/34cSblf
*Pre-matric Scholarship Form* - https://bit.ly/3sQrywV
*Transport, Escort, Stipend Reader Allowance Application Form for the Disabled* - https://bit.ly/3qKokZ7
*Medical Unfit Certificate for Medical Leave* - https://bit.ly/3mVlKP0
*Medical Fitness Arogya Praman-Patra* - https://bit.ly/3eNCOls
*Medical Fitness & Sickness Certificate* - https://bit.ly/31noPzD
*हाउस होल्ड सर्वे प्रपत्र* - https://bit.ly/3mTm4O7
*स्माइल 3.0 विद्यालय प्रबोधन प्रपत्र* - https://bit.ly/3FTgKBS
*परिवहन भत्ता हेतु आवेदन पत्र* -https://bit.ly/32FyqCL
*स्काउड खेल आवेदन पत्र* - https://bit.ly/3JCgqd0

Sunday, 2 January 2022

कलम

-:मेरी कलम आज लिखेगी शमशेर गांधी का संघर्ष :-
शमशेर पर कुछ लिखू। 
ना मिले जो मंजिल तो  मुकद्दर की बात है। गुनाह तो तब हो जो जीवन में संघर्ष न रहे।
शमशेर गांधी आज राजस्थान में युवाओं का प्रेरणा स्रोत बन चुका है। शमशेर गांधी का जन्म राजस्थान के चुरू जिले के एक छोटे से गांव सेजूसर में हुआ था। शमशेर गांधी कांग्रेस के पुर्व विधायक मरहूम भालू खान के सुपुत्र है। आप पैसे से एक सरकारी ऊर्दू टीचर हैं। आप हमेशा से ही संघर्षशील रहे हो। आपने ऊर्दू के लिए जो संघर्ष किया है वो किसी से छिपा हुआ है। आप 177 दिन धरने पर बैठ थे चूरू मे। आपने अपना सिर भी मुंडवाया था। आपके संघर्ष बहुत हैं लेकिन मैं बात दांडी सद्भावना यात्रा की करूंगा।
एक नवम्बर को जब उस सरकार ने चारों दरवाजे बंद कर दिए जिसको हम 70 सालों से वोट देतें आए हैं। उस सरकार ने सब कुछ नकार दिया। तब एक मर्दे मुजाहिद निकला घर से सर पर मौत का कफन बांद कर और हाथ में गांधी की लाठी और सर पर खादी टोपी पहने निकल गया सेजूसर से दांडी यात्रा के लिए। जब चुरू पहुंचे तो जिस तो माननिय Rafique Mandelia जी ने दांडी यात्रा को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। उस वक्त शमसेर गांधी में जोश था आव देखा न ताव और चल पङा। उस वक्त कुछ लोग भी 1-2 किलोमीटर साथ चले। और फिर गांधी स्टेप बाई स्टेप चलता रहा। चाहने वाले गांव गांव में मिले और सेल्फी ली फेसबुक पर डाल दी। दांडी सद्भावना यात्रा की। रास्ते में लोगों ने माला डाल दिया और अपनी जिम्मेदारी पुरी होने का सबूत भी दे दिया।
पैराटीचर्स की लङाई लङने वाला शमशेर गांधी एकेला ही चल रहा था कोई साथ नहीं। बस इंतजार ये था कि हमे जोयनिंग कब मिलेगी। लेकिन ये बंदा अल्लाह को गवाह मानकर चलता रहा। पुरे दिन हाइवे पर चलने की वजह से इसके फेफङो में डिजल के धूंए से दिक्कत होने लगी। लेकिन किसी को नहीं बताया चलता रहा। इस बंदे की हिम्मत को मै दात देता हूं। मैं हर दिन फोन करता और कहता केसे हो तो कहता मैं सोई हुई कौम को जगाने निकला हूं। मैं लोगों को उनका हक दिलाने निकला हूं। मैं ऊर्दू अदब को बचाने निकला हूं। मैं सरकार को झुकाने निकला हूं। मैंने कहाँ घर की नहीं सोची तो आखें डबडबा गई गांधी की और उस दिन दांडी यात्रा को 9 दिन हो चुके थे। अजमेर के करीब थी तब दांडी सद्भावना यात्रा। दोस्तो गांधी के उस दिन के आंसू मुझे झकझोर कर छोङ दिया। गांधी ने मुझे कहाँ कि मैं की मेरे बच्चों को मैं अल्लाह के भरोसे छोङ आया हूँ। गांधी के एक अंजली नाम की बेटी जो गांधी को मिनट मिनट में फोन करती पुछती पापा कैसे हो। अब पापा क्या जबाब दे ।पापा भाउक नहीं होता था। गांधी की पत्नी भी बहुत बुरे वक्त से गुजर रही थी लेकिन हिम्मत से काम ले रही थी।
मैं और शमशेर गांधी विडियो काल पर घंटो घंटो बातचीत करते मेरा बात करने का मकसद ये था कि थोङा उनका टाइम पास हो जाए। मैने हजारों फोन किए हैं जब जब मैंने विडियो काल किया तब तब गांधी मुझे रोङ पर अकेला चलता ही मिला। गांधी ने मुझे एक बात कहीं की निसार भारू मैं किस के लिए लङ रहा हूं तो मैंने कहा अल्पसंख्यकों के हक के लिए तो गांधी बोला वो कहाँ हैं और फिर भाऊक होकर अल्लाह से दुआ करने लगा कि अल्लाह सोये हुओ को जगा दे। उस दिन गांधी के आंख के आंसू मुझे शुकून से बैठने नहीं दिया। मैने सोचा मैं एसा क्या करूँ की गांधी की ताकत बन जाऊ। सोचता रहा सोचता रहा। लेकिन कोइ रास्ता नहीं। मैंने गांधी से कहां कि मैं इंडिया आ जाता हूँ और साथ चलते हैं फिर उन्होंने मना कर दिया।
फिर मैने सोचा अपने पास अपनी फेसबुक तो है ये प्लेटफार्म मैं अब सिर्फ गांधी के लिए यूज करूंगा। फिर हम शोसल मिडिया पर सपोर्ट में आए। खैर मेरा छोङो संघर्ष गांधी का हैं उसी पर बात करेंगे।
जब फेसबुक पर आंदोलन को क्रांति का रूप दिया तो चुरू सीकर से मर्दे मुजाहिद आगे आए सबसे पहले Asif Tipu Khan Tayab Mahrab Khan Ali Yunus Hakam Ali Deshwali A. Khan  अमजद खान पहुंचे राजसमंद। फिर राजपुरा कासली झुंझुनू चुरू और कई जिलों से पैराटीचर्स पहुंचे लेकिन उनके पहुंचने से पहले गांधी के पांव में छाले आ कर फूट गए थे। पाव के निचे की पक्की चमङी उतर चुकी थी। अब वो दोर था तब गांधी के पैरों से खून बह रहा है था। शोसल मिडिया पर Arif Ali Bharu को बोलकर मैने एक गाँधी के समर्थन में डीपी फोरमेट बनवाया और शोशल मिडिया के माध्यम से उसको ट्रेंड किया कई हजारों में लोगों ने डीपी चैंज मे गांधी का समर्थन दिया तो धरातल पर भी हलचल होने लगी। अब लोग अपने घरों से बहार निकलना सुरू कर दिया था। सब अपने अपने लेवल पर कोशिश कोशिश करना शुरू किया। लेकिन आंदोलन अब भी अपनी ट्रेक पर नहीं आया तो शोसल मिडिया की एक टीम का गठन किया जिसमे बहुत साथी थे लेकिन जिनकी मेहनत ज्यादा थी उनका नाम लिख दे रहा हूँ Riyaz Khan Fariyad Nazir Khan Bikaner Shahid Kirdoli Azad Khan करामत खान उर्दूअदीब Mudassir Mubeen इमरान क़ायमखानी Asif Khan Ikbal Khan Jugalpura  सैयद इरसाद अली असलम खान भाई खानी अमजद ताखलसर आबिद दाङुंदा आबिद खान गुड्डू युनस सर जाबिर खान अमिरवास आसिफ टिपू नोसाद खान  जाकिर खान किरडोली और भी कई साथी थे जिन्होंने जी तोङ मेहनत की। शोसल मिडिया पर I stand with Shamasher Khan के पोस्टर का ट्रेंड चलावाया अच्छा और साकारात्मक रिजल्ट आ रहा था।
मिडिया मे भी करवेज किया राजस्थान जनमानस Raheem Khan Janmanas Shekhawati First India News Rajasthan The Hindu भास्कर 
फिर जो लोग ज्ञापन दे रहे थे उनमें हमने सोचा बदलाव लाना जरूरी है तो पैदल यात्रा करके ज्ञापन देने के लिए युवाओं को आहान किया तो क्रांति ने छप्पर फाङ दिए। दांडी सद्भावना यात्रा के समर्थन में कमोबेश 37 लाख युवा 3 दिन में राजस्थान की रोङ पर उतर गए। सबकुछ अच्छा चल रहा था हम उदयपुर के करीब ही थे कि शमशेर गांधी के स्वास्थ्य मे बहुत गिरावट आ गई और शमशेर गांधी को हास्पिटलाइज करवाना पङा। बेहोशी की हालत में तैयब महराब आसिफ टिपू और हाकम अली देशवाली भाई वहां दांडी यात्रा के साथ मोजूद थे उन्होंने हालात को काबू पाया और जल्द करीबी हास्पिटल में भर्ती कराया। दोस्तो जब गांधी होश में आया 2 घंटे बाद तो उसका पहला शब्द ये निकला मुह से की मुझे सङक पर ले चलो मुझे दांडी करीब करनी है। हौसला देख कर साथ वाले साथी दंग रह गए। अब सरकार पर दबाव पूर्ण तरह बन चुका था और तकरीबन 83 विधायकों ने शमशेर गांधी के समर्थन में पत्र लिख कर राजस्थान के मुख्यमंत्री को अवगत कराया। लेकिन मुख्यमंत्री की नींद अभी खुली नहीं थी। टीम में बहुत साथी सामिल हुए और समर्थन देकर गांधी की ताकत बनकर साथ चले। गांधी ने सबको कहा की आप वापस घर चले जाए। सब साथी वापस घर आ गये लेकिन 4 लोग वहां पर यथावत रहे आसिफ टिपू तैयब महराब हाकम अली खान देशवाली और अमजद सेजूसर। इनका भी बहुत बङा योगदान है।
अब सरकार जब गांधी की आंधी से घबराई तो प्रशासन का दबाव बनाया लेकिन गांधी हाथ जोङ कर चलता रहा। फिर जब जन सैलाब को रोङ पर उतरा हूआ देखा तो सरकार के अक्ल ठिकाने आने लगी उसको पता चल गया कि अब हवा बदल चुकी है। तो सरकार ने एक और पैंतरा चला लोकडाऊन का वो भी सिर्फ उदयपुर में। तब फिर शोसल मिडिया ने गांधी के समर्थन में विडियो का ट्रेंड चलाया। गांधी को ताकत मिल रही थी और गांधी अपने गन्तव्य की और रवाना होने ही वाला था के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और शिक्षामंत्री गोविंद सिंह टोडासरा की तरफ से वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष श्री Dr Khanu Khan Budwali को सहमति वार्ता के लिए भेजा। जनाब खानू खान बुधवाली साहब ने बङी सुझबूज से हालात को मध्यनजर रखते हुए 22 नवम्बर 2020 को लगभग 6 घंटे चर्चा कर दांडी सद्भावना यात्रा टीम को सहमति पर मनवाया लेकिन उसमे गांधी की मांग ज्यो की त्यों थी। खानू खान बुधवाली और अधिकारियों ने हर एक बिंदु पर गहनता से विचार विमर्श कर रात्री 8 बजे प्रेस कांफ्रेंस में सहमती और रजामंदी की बात कही और उस पर शमशेर गांधी ने सहमति जताई तब गांधी के चाहने वालों में खुशी की लहर थी। लेकिन अचानक फेसबुक पर कुछ तथाकथित पत्रकार फ्लोप आंदोलन और लोलीपॉप जैसे शब्द लेकर आए तो फेसबुक पर नकारात्मक सोच फैलानी की भरपूर कोशिश की लेकिन वो नाकाम रहे अगले दिन 23-11-2020 को टीम उदयपुर से जयपुर और जयपुर से सीकर आ कर शिक्षामंत्री के साथ 4 घंटे वार्ता की और शिक्षामंत्री गोविंद सिंह टोडासरा ने अपने आॅफिसल लेटर पैड पर उन 9 बिंदु पर कारवाई करने के लिए शिक्षा विभाग को भेज दिया जो 2-12-2020 को दुबारा टीम के साथ वार्ता कर आदेश में तब्दील होगा।
अभी भी दांडी सद्भावना यात्रा टीम जयपुर में रूकी हुई है और 2 तारीख का इंतजार कर रही है पेंडिंग काम पुरा करवा कर घर आयेगी।
ये आंदोलन मेरे जीवन का पहला आंदोलन हैं जो शिक्षा के लिए हुआ है।
शमशेर गांधी का ये समाज कर्जदार हो गया है जो कर्जा जिंदगी भर नहीं चुकाया जा सकता। शमशेर गांधी की धर्मपत्नी भी शेरनी निकली जो अशोक गहलोत को चेतावनी दी कि हमें आप झांसी की रानी बनने पर मजबूर ना करे।
शमशेर गांधी का परिवार भी इस जीत में बराबर का हकदार है।
तमाम उन साथियो का संघर्ष भी काबिल तारीफ था जो अपने अपने लेवल पर कोशिश कर रहे हैं थे।
नोजवानो को हक के लिए लङना सिखा दिया। ये एक ऎसी लङाई थी जिसमें ना कोई सरकार का साथ था ना कोई नेता रोङ पर आया ना कोई विधायक रैली के समर्थन में आया। लेकिन फिर भी शमसेर गांधी और युवाओं ने मिलकर साबित कर दिया कि हक के लिए ऐसे लङा जाता है और ऐसे सरकार को घुटने पर लाया जाता है।
सब लोग बधाई के पात्र हैं जो इस दांडी सद्भावना यात्रा के प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रुप से सहयोग किया।
शमशेर गांधी जिंदाबाद।
काॅपी करने वालो मेरी अंगुली के बारे में भी सोचना लिखते लिखते दुखने लग गई है।
निसार भारू ✍️

साथी ओमप्रकाश वर्मा की कलम

प्रिय शमशेर भालू खान भाईसाहब।
कड़ाके की सर्दी पड़ने वाली है। घर लौट आओ। वैसे भी आपकी खुद की नौकरी तो परमानेंट भी है और अच्छी तनख्वाह भी। बेटी अंजली खान भी एलएलबी पूरी कर अब वकालत शुरू करने वाली है। अपना पूरा परिवार आपके संघर्ष से गौरवान्वित तो है, किंतु अपने मुखिया को 34 दिनों से नंगे बदन अनशन पर देखकर थोड़ा दुःखी भी है। वैसे भी अंधी बहरी भैंस के आगे ये हल्की सी बीन कब तक बजाते रहोगे।

आपका सबसे बड़ा दुर्भाग्य यह है कि आप उस कौम से ताल्लुक रखते हैं जिसमे उसके धार्मिक प्रतीकों से लेकर नये नवेले अवतार एआईएमआईएम के ओवैसी तक के सम्मान पर यदि हल्की सी चोट हो जाए तो नारों और आंदोलनों से देश की सड़कें भीड़ से पाट दी जाती हैं परंतु  जब बात संवैधानिक अधिकारों की आती है तो मानो सांप सा सूंघ जाता है। आप उस कौम को जगाने का प्रयास कर रहे हैं जिसमे जागने के बाद फ़ज्र की नमाज की तो चिंता होती है परंतु फर्ज की अदायगी की बात होते ही वापिस उबासी आने लगती है। 

इससे भी बड़ा दुर्भाग्य यह है कि जिस तरह आपका और हमारा समाज बिना शर्त, बिना लाग लपेट के कांग्रेस से स्थायी रूप से जुड़ चुका है, अब उसे अलग करना लगभग असंभव है। मारे, कूटे, लूटे, पीटे चाहे एक कोने में सड़ने के लिए पटक दिया जाए परंतु ज्यों ही चुनाव की घोषणा होगी , त्यों ही सबसे पहले गलबहियां डाल कर जय भीम जय मीम का उद्घोष लगा कर कांग्रेस के दामन से आंसू पोंछने सबसे पहले हम ही आएंगे। कांग्रेस से बिना शर्त, बिना मांग का यह जन्मजात मोह ही हमारी बर्बादी का सबसे बड़ा कारण है। कांग्रेस की छाती पर 35 दिन का आपका अनशन भी मंत्रिमंडल विस्तार की खुशी के पटाखों को रोक नहीं पाया।

उर्दू संविदाकर्मियों को स्थायी करने से अन्य संविदाकर्मियों के स्थायी करण की राह खुलेगी। उर्दू के सम्मान की बहाली के साथ ही राजस्थानी भाषा को मान्यता के संघर्ष को भी दिशा मिलेगी। कांग्रेस की बेरुखी असंख्य मुस्लिम युवाओं को प्रगतिशील सोच एवं परिवर्तन की और उन्मुख करेगी। आपका संघर्ष बहुसंख्यक आबादी के लिए एक मिसाल बन पाएगा। परंतु संघर्ष की यह राह कितनी आसान है, ये आप ख़ुद जान चुके हैं। 

आपका संघर्ष और रुंधे गले से निकलती गरजदार आवाज यह भी तय कर देगी कि कांग्रेस को कैसे मुसलमान और दलित पसंद हैं?? संघर्षशील, गर्जना युक्त, अधिकारों के लिए जागरूक और पढ़े लिखे लोग या फिर चुपचाप मन मसोस कर रह जाने वाले और चुनाव के समय फिर से कांग्रेस के पल्लु में बेवजह छुप जाने वाले लोग?? आपका अनशन और धरना , संविदाकर्मियों के स्थायीकरण और उर्दू संघर्ष की नई ऊंचाइयों के साथ साथकांग्रेस का असली चेहरा भी लोगों के सामने लाने में कामयाब हो रहा है। #जय_भीम

एडवोकेट ओमप्रकाश वर्मा #डायनामाईट
प्रदेश अध्यक्ष
डॉ अम्बेडकर स्टूडेंट फ्रंट ऑफ इंडिया
राजस्थान 
#गोविंदपुरा #फतेहपुर_रामगढ़ शेखावाटी

साथी ओमप्रकाश वर्मा की कलम से

प्रिय शमशेर भालू खान भाईसाहब।
कड़ाके की सर्दी पड़ने वाली है। घर लौट आओ। वैसे भी आपकी खुद की नौकरी तो परमानेंट भी है और अच्छी तनख्वाह भी। बेटी अंजली खान भी एलएलबी पूरी कर अब वकालत शुरू करने वाली है। अपना पूरा परिवार आपके संघर्ष से गौरवान्वित तो है, किंतु अपने मुखिया को 34 दिनों से नंगे बदन अनशन पर देखकर थोड़ा दुःखी भी है। वैसे भी अंधी बहरी भैंस के आगे ये हल्की सी बीन कब तक बजाते रहोगे।

आपका सबसे बड़ा दुर्भाग्य यह है कि आप उस कौम से ताल्लुक रखते हैं जिसमे उसके धार्मिक प्रतीकों से लेकर नये नवेले अवतार एआईएमआईएम के ओवैसी तक के सम्मान पर यदि हल्की सी चोट हो जाए तो नारों और आंदोलनों से देश की सड़कें भीड़ से पाट दी जाती हैं परंतु  जब बात संवैधानिक अधिकारों की आती है तो मानो सांप सा सूंघ जाता है। आप उस कौम को जगाने का प्रयास कर रहे हैं जिसमे जागने के बाद फ़ज्र की नमाज की तो चिंता होती है परंतु फर्ज की अदायगी की बात होते ही वापिस उबासी आने लगती है। 

इससे भी बड़ा दुर्भाग्य यह है कि जिस तरह आपका और हमारा समाज बिना शर्त, बिना लाग लपेट के कांग्रेस से स्थायी रूप से जुड़ चुका है, अब उसे अलग करना लगभग असंभव है। मारे, कूटे, लूटे, पीटे चाहे एक कोने में सड़ने के लिए पटक दिया जाए परंतु ज्यों ही चुनाव की घोषणा होगी , त्यों ही सबसे पहले गलबहियां डाल कर जय भीम जय मीम का उद्घोष लगा कर कांग्रेस के दामन से आंसू पोंछने सबसे पहले हम ही आएंगे। कांग्रेस से बिना शर्त, बिना मांग का यह जन्मजात मोह ही हमारी बर्बादी का सबसे बड़ा कारण है। कांग्रेस की छाती पर 35 दिन का आपका अनशन भी मंत्रिमंडल विस्तार की खुशी के पटाखों को रोक नहीं पाया।

उर्दू संविदाकर्मियों को स्थायी करने से अन्य संविदाकर्मियों के स्थायी करण की राह खुलेगी। उर्दू के सम्मान की बहाली के साथ ही राजस्थानी भाषा को मान्यता के संघर्ष को भी दिशा मिलेगी। कांग्रेस की बेरुखी असंख्य मुस्लिम युवाओं को प्रगतिशील सोच एवं परिवर्तन की और उन्मुख करेगी। आपका संघर्ष बहुसंख्यक आबादी के लिए एक मिसाल बन पाएगा। परंतु संघर्ष की यह राह कितनी आसान है, ये आप ख़ुद जान चुके हैं। 

आपका संघर्ष और रुंधे गले से निकलती गरजदार आवाज यह भी तय कर देगी कि कांग्रेस को कैसे मुसलमान और दलित पसंद हैं?? संघर्षशील, गर्जना युक्त, अधिकारों के लिए जागरूक और पढ़े लिखे लोग या फिर चुपचाप मन मसोस कर रह जाने वाले और चुनाव के समय फिर से कांग्रेस के पल्लु में बेवजह छुप जाने वाले लोग?? आपका अनशन और धरना , संविदाकर्मियों के स्थायीकरण और उर्दू संघर्ष की नई ऊंचाइयों के साथ साथकांग्रेस का असली चेहरा भी लोगों के सामने लाने में कामयाब हो रहा है। #जय_भीम

एडवोकेट ओमप्रकाश वर्मा #डायनामाईट
प्रदेश अध्यक्ष
डॉ अम्बेडकर स्टूडेंट फ्रंट ऑफ इंडिया
राजस्थान 
#गोविंदपुरा #फतेहपुर_रामगढ़ शेखावाटी

उर्दू बाबत

मांग पत्र 
सेवामें श्रीमान ...........
विषय :- उर्दू, पंजाबी, गुजराती,सिंधी, कक्षा 1 से 5 पूर्व की भांति अल्प भाषा विषय शिक्षण हेतु स्वीकृति देने बाबत
महोदय,
उपरोक्त विषय अंतर्गत सादर निवेदन है कि राजस्थान में वर्ष 2016 से पूर्व एक विद्यालय में सभी विषय जो छात्र पढ़ने के इच्छुक होते थे पढ़ाए जाते थे परंतु भाजपा सरकार द्वारा एक विद्यालय एक तृतीय भाषा नियम लागू किया गया जिसके कारण अन्य चार तृतीय भाषाओं के पढ़ने वाले बच्चे प्रभावित हुए।
 1 नवंबर 2020 से शुरू हुई दांडी यात्रा में हुए समझौते के अनुसार स्टाफिंग पैटर्न में संशोधन किया गया जिसके अंतर्गत जिस विद्यालय में कक्षा 06 से 08 में कुल 10 बच्चे किसी तृतीय भाषा के लिये सहमति देते हैं तो वहां पद स्वीकृत होगा।
प्रारंभिक शिक्षा विभाग द्वारा स्टाफिंग जारी कर दिया गया व माध्यमिक शिक्षा विभाग का स्टाफिंग पैटर्न अभी भी होना शेष है।
अभी तक प्रारंभिक शिक्षा में कक्षा 1 से 5 मुख्यमंत्री जी की बजट घोषणा के अनुसार जिस विद्यालय में कक्षा एक से पांच में पढ़ने वाले या पढ़ने के इच्छुक 20 छात्र होंगे तो वहां पर पद स्वीकृत होगा जिसकी परिणीति अभी तक नहीं की गई है अतः निवेदन है कि 
(1)  सेकेंडरी सेटअप का स्टाफिंग पैटर्न तुरंत लागू किया जाए 
(2) कक्षा 1 से 5 प्रारंभिक कक्षाओं में अल्प भाषा के 20 छात्र जिस जिस विद्यालय में इच्छुक हैं वहां पद स्वीकृत किए जाएं 
(3)जिन विद्यालयों द्वारा इच्छुक छात्र होते हुए भी सही मैपिंग नहीं की गई उनमें पुनः मेपिंग करवाई जाए
(4) दोषी प्रधानाध्यापकों विरुद्ध कार्यवाही की जाए।
(5) जिन विद्यालयों में अभी तक मैपिंग नहीं की गई है वहां मैपिंग करवाई जाए व मैपिंग नहीं करने के दोषी प्रधानाचार्य/ प्रधानाध्यापकों के विरुद्ध कार्यवाही की जाए।
(6) जहां-जहां अल्पभाषा के छात्र छात्राएं चाहे वह किसी भी भाषा के हो पंजाबी, गुजराती, सिंधी,उर्दू उनकी इच्छा अनुसार उन्हें विषय चुनने का स्वतंत्र अधिकार दिया जाए व प्रधानाध्यापक या अन्य स्टाफ द्वारा दबाव डालकर अन्य भाषा पढ़ने हेतु स्वीकृति ली गई है उसे पुनरीक्षित कर उन्हें मैपिंग करवाई जाए।
(7) भविष्य में 2016 की तरह कोई खिलवाड़ न कर सके इसके पुख्ता इंतजाम किये जावें।
(8) अल्पभाषा की पाठ्यपुस्तक समय पर उपलब्ध करवाई जावें।
आदर सहित

धन्यवाद
                भवदीय

दिल्ली प्रोग्राम

*जयपुर से दिल्ली पेट के बल लुढ़ककर मार्च*

महात्मा गांधी सर्किल जयपुर वाया राजघाट दिल्ली से 24 अकबर रोड अखिल भारतीय कांग्रेस कार्यालय तक।

*यह 268 किलोमीटर यात्रा पेट के बल लुढ़ककर पूरी की जायेगी।*

*विषय:- संविदा कार्मिकों (राजीव गांधी पैरा टीचर, शिक्षाकर्मी व मदरसा पैरा टीचर ) का नियमितीकरण व 22.11.2020 उदयपुर समझौते को लागू करवाने बाबत*

1 महात्मा गांधी सर्किल-दरगाह चार दरवाजा
2 दरगाह-आमेर 7 किमी
3 आमेर-कूकस 7 किमी
4 कूकस-अचरोल 14 km
5 अचरोल-चंदवाजी 11 
6 चंदवाजी-मनोहरपुर 11
7 मनोहपूरा-शाहपुरा 9 
8 शाहपूरा-भाभरू 13 
9 भाभरू-पावटा 19 
10 पावटा-कोटपूतली 19
11 कोटपूतली से 11 किमी
12 विश्रामगृह-बहरोड़ 14
13 बहरोड़-नीमराना 16 
14नीमराणा-शाहजहांपुर 7
15 शाहजहांपुर-बावल 20
16 बाबल-धारूहेड़ा
17 विश्रामगृह-धारूहेड़ा 12 
18 धारूहेड़ा-मानेसर 24 
19 मानेसर-गुड़गांव 16 
20 गुड़गांव-दिल्ली 14 किमी
21 विश्रामगृह-राजघाट 14
22 राजघाट-24 अकबर रोड

*अनिश्चितकाल के लिये।*

शमशेरभालु खान गांधी
9587243963