Sunday, 2 January 2022

कलम

-:मेरी कलम आज लिखेगी शमशेर गांधी का संघर्ष :-
शमशेर पर कुछ लिखू। 
ना मिले जो मंजिल तो  मुकद्दर की बात है। गुनाह तो तब हो जो जीवन में संघर्ष न रहे।
शमशेर गांधी आज राजस्थान में युवाओं का प्रेरणा स्रोत बन चुका है। शमशेर गांधी का जन्म राजस्थान के चुरू जिले के एक छोटे से गांव सेजूसर में हुआ था। शमशेर गांधी कांग्रेस के पुर्व विधायक मरहूम भालू खान के सुपुत्र है। आप पैसे से एक सरकारी ऊर्दू टीचर हैं। आप हमेशा से ही संघर्षशील रहे हो। आपने ऊर्दू के लिए जो संघर्ष किया है वो किसी से छिपा हुआ है। आप 177 दिन धरने पर बैठ थे चूरू मे। आपने अपना सिर भी मुंडवाया था। आपके संघर्ष बहुत हैं लेकिन मैं बात दांडी सद्भावना यात्रा की करूंगा।
एक नवम्बर को जब उस सरकार ने चारों दरवाजे बंद कर दिए जिसको हम 70 सालों से वोट देतें आए हैं। उस सरकार ने सब कुछ नकार दिया। तब एक मर्दे मुजाहिद निकला घर से सर पर मौत का कफन बांद कर और हाथ में गांधी की लाठी और सर पर खादी टोपी पहने निकल गया सेजूसर से दांडी यात्रा के लिए। जब चुरू पहुंचे तो जिस तो माननिय Rafique Mandelia जी ने दांडी यात्रा को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। उस वक्त शमसेर गांधी में जोश था आव देखा न ताव और चल पङा। उस वक्त कुछ लोग भी 1-2 किलोमीटर साथ चले। और फिर गांधी स्टेप बाई स्टेप चलता रहा। चाहने वाले गांव गांव में मिले और सेल्फी ली फेसबुक पर डाल दी। दांडी सद्भावना यात्रा की। रास्ते में लोगों ने माला डाल दिया और अपनी जिम्मेदारी पुरी होने का सबूत भी दे दिया।
पैराटीचर्स की लङाई लङने वाला शमशेर गांधी एकेला ही चल रहा था कोई साथ नहीं। बस इंतजार ये था कि हमे जोयनिंग कब मिलेगी। लेकिन ये बंदा अल्लाह को गवाह मानकर चलता रहा। पुरे दिन हाइवे पर चलने की वजह से इसके फेफङो में डिजल के धूंए से दिक्कत होने लगी। लेकिन किसी को नहीं बताया चलता रहा। इस बंदे की हिम्मत को मै दात देता हूं। मैं हर दिन फोन करता और कहता केसे हो तो कहता मैं सोई हुई कौम को जगाने निकला हूं। मैं लोगों को उनका हक दिलाने निकला हूं। मैं ऊर्दू अदब को बचाने निकला हूं। मैं सरकार को झुकाने निकला हूं। मैंने कहाँ घर की नहीं सोची तो आखें डबडबा गई गांधी की और उस दिन दांडी यात्रा को 9 दिन हो चुके थे। अजमेर के करीब थी तब दांडी सद्भावना यात्रा। दोस्तो गांधी के उस दिन के आंसू मुझे झकझोर कर छोङ दिया। गांधी ने मुझे कहाँ कि मैं की मेरे बच्चों को मैं अल्लाह के भरोसे छोङ आया हूँ। गांधी के एक अंजली नाम की बेटी जो गांधी को मिनट मिनट में फोन करती पुछती पापा कैसे हो। अब पापा क्या जबाब दे ।पापा भाउक नहीं होता था। गांधी की पत्नी भी बहुत बुरे वक्त से गुजर रही थी लेकिन हिम्मत से काम ले रही थी।
मैं और शमशेर गांधी विडियो काल पर घंटो घंटो बातचीत करते मेरा बात करने का मकसद ये था कि थोङा उनका टाइम पास हो जाए। मैने हजारों फोन किए हैं जब जब मैंने विडियो काल किया तब तब गांधी मुझे रोङ पर अकेला चलता ही मिला। गांधी ने मुझे एक बात कहीं की निसार भारू मैं किस के लिए लङ रहा हूं तो मैंने कहा अल्पसंख्यकों के हक के लिए तो गांधी बोला वो कहाँ हैं और फिर भाऊक होकर अल्लाह से दुआ करने लगा कि अल्लाह सोये हुओ को जगा दे। उस दिन गांधी के आंख के आंसू मुझे शुकून से बैठने नहीं दिया। मैने सोचा मैं एसा क्या करूँ की गांधी की ताकत बन जाऊ। सोचता रहा सोचता रहा। लेकिन कोइ रास्ता नहीं। मैंने गांधी से कहां कि मैं इंडिया आ जाता हूँ और साथ चलते हैं फिर उन्होंने मना कर दिया।
फिर मैने सोचा अपने पास अपनी फेसबुक तो है ये प्लेटफार्म मैं अब सिर्फ गांधी के लिए यूज करूंगा। फिर हम शोसल मिडिया पर सपोर्ट में आए। खैर मेरा छोङो संघर्ष गांधी का हैं उसी पर बात करेंगे।
जब फेसबुक पर आंदोलन को क्रांति का रूप दिया तो चुरू सीकर से मर्दे मुजाहिद आगे आए सबसे पहले Asif Tipu Khan Tayab Mahrab Khan Ali Yunus Hakam Ali Deshwali A. Khan  अमजद खान पहुंचे राजसमंद। फिर राजपुरा कासली झुंझुनू चुरू और कई जिलों से पैराटीचर्स पहुंचे लेकिन उनके पहुंचने से पहले गांधी के पांव में छाले आ कर फूट गए थे। पाव के निचे की पक्की चमङी उतर चुकी थी। अब वो दोर था तब गांधी के पैरों से खून बह रहा है था। शोसल मिडिया पर Arif Ali Bharu को बोलकर मैने एक गाँधी के समर्थन में डीपी फोरमेट बनवाया और शोशल मिडिया के माध्यम से उसको ट्रेंड किया कई हजारों में लोगों ने डीपी चैंज मे गांधी का समर्थन दिया तो धरातल पर भी हलचल होने लगी। अब लोग अपने घरों से बहार निकलना सुरू कर दिया था। सब अपने अपने लेवल पर कोशिश कोशिश करना शुरू किया। लेकिन आंदोलन अब भी अपनी ट्रेक पर नहीं आया तो शोसल मिडिया की एक टीम का गठन किया जिसमे बहुत साथी थे लेकिन जिनकी मेहनत ज्यादा थी उनका नाम लिख दे रहा हूँ Riyaz Khan Fariyad Nazir Khan Bikaner Shahid Kirdoli Azad Khan करामत खान उर्दूअदीब Mudassir Mubeen इमरान क़ायमखानी Asif Khan Ikbal Khan Jugalpura  सैयद इरसाद अली असलम खान भाई खानी अमजद ताखलसर आबिद दाङुंदा आबिद खान गुड्डू युनस सर जाबिर खान अमिरवास आसिफ टिपू नोसाद खान  जाकिर खान किरडोली और भी कई साथी थे जिन्होंने जी तोङ मेहनत की। शोसल मिडिया पर I stand with Shamasher Khan के पोस्टर का ट्रेंड चलावाया अच्छा और साकारात्मक रिजल्ट आ रहा था।
मिडिया मे भी करवेज किया राजस्थान जनमानस Raheem Khan Janmanas Shekhawati First India News Rajasthan The Hindu भास्कर 
फिर जो लोग ज्ञापन दे रहे थे उनमें हमने सोचा बदलाव लाना जरूरी है तो पैदल यात्रा करके ज्ञापन देने के लिए युवाओं को आहान किया तो क्रांति ने छप्पर फाङ दिए। दांडी सद्भावना यात्रा के समर्थन में कमोबेश 37 लाख युवा 3 दिन में राजस्थान की रोङ पर उतर गए। सबकुछ अच्छा चल रहा था हम उदयपुर के करीब ही थे कि शमशेर गांधी के स्वास्थ्य मे बहुत गिरावट आ गई और शमशेर गांधी को हास्पिटलाइज करवाना पङा। बेहोशी की हालत में तैयब महराब आसिफ टिपू और हाकम अली देशवाली भाई वहां दांडी यात्रा के साथ मोजूद थे उन्होंने हालात को काबू पाया और जल्द करीबी हास्पिटल में भर्ती कराया। दोस्तो जब गांधी होश में आया 2 घंटे बाद तो उसका पहला शब्द ये निकला मुह से की मुझे सङक पर ले चलो मुझे दांडी करीब करनी है। हौसला देख कर साथ वाले साथी दंग रह गए। अब सरकार पर दबाव पूर्ण तरह बन चुका था और तकरीबन 83 विधायकों ने शमशेर गांधी के समर्थन में पत्र लिख कर राजस्थान के मुख्यमंत्री को अवगत कराया। लेकिन मुख्यमंत्री की नींद अभी खुली नहीं थी। टीम में बहुत साथी सामिल हुए और समर्थन देकर गांधी की ताकत बनकर साथ चले। गांधी ने सबको कहा की आप वापस घर चले जाए। सब साथी वापस घर आ गये लेकिन 4 लोग वहां पर यथावत रहे आसिफ टिपू तैयब महराब हाकम अली खान देशवाली और अमजद सेजूसर। इनका भी बहुत बङा योगदान है।
अब सरकार जब गांधी की आंधी से घबराई तो प्रशासन का दबाव बनाया लेकिन गांधी हाथ जोङ कर चलता रहा। फिर जब जन सैलाब को रोङ पर उतरा हूआ देखा तो सरकार के अक्ल ठिकाने आने लगी उसको पता चल गया कि अब हवा बदल चुकी है। तो सरकार ने एक और पैंतरा चला लोकडाऊन का वो भी सिर्फ उदयपुर में। तब फिर शोसल मिडिया ने गांधी के समर्थन में विडियो का ट्रेंड चलाया। गांधी को ताकत मिल रही थी और गांधी अपने गन्तव्य की और रवाना होने ही वाला था के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और शिक्षामंत्री गोविंद सिंह टोडासरा की तरफ से वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष श्री Dr Khanu Khan Budwali को सहमति वार्ता के लिए भेजा। जनाब खानू खान बुधवाली साहब ने बङी सुझबूज से हालात को मध्यनजर रखते हुए 22 नवम्बर 2020 को लगभग 6 घंटे चर्चा कर दांडी सद्भावना यात्रा टीम को सहमति पर मनवाया लेकिन उसमे गांधी की मांग ज्यो की त्यों थी। खानू खान बुधवाली और अधिकारियों ने हर एक बिंदु पर गहनता से विचार विमर्श कर रात्री 8 बजे प्रेस कांफ्रेंस में सहमती और रजामंदी की बात कही और उस पर शमशेर गांधी ने सहमति जताई तब गांधी के चाहने वालों में खुशी की लहर थी। लेकिन अचानक फेसबुक पर कुछ तथाकथित पत्रकार फ्लोप आंदोलन और लोलीपॉप जैसे शब्द लेकर आए तो फेसबुक पर नकारात्मक सोच फैलानी की भरपूर कोशिश की लेकिन वो नाकाम रहे अगले दिन 23-11-2020 को टीम उदयपुर से जयपुर और जयपुर से सीकर आ कर शिक्षामंत्री के साथ 4 घंटे वार्ता की और शिक्षामंत्री गोविंद सिंह टोडासरा ने अपने आॅफिसल लेटर पैड पर उन 9 बिंदु पर कारवाई करने के लिए शिक्षा विभाग को भेज दिया जो 2-12-2020 को दुबारा टीम के साथ वार्ता कर आदेश में तब्दील होगा।
अभी भी दांडी सद्भावना यात्रा टीम जयपुर में रूकी हुई है और 2 तारीख का इंतजार कर रही है पेंडिंग काम पुरा करवा कर घर आयेगी।
ये आंदोलन मेरे जीवन का पहला आंदोलन हैं जो शिक्षा के लिए हुआ है।
शमशेर गांधी का ये समाज कर्जदार हो गया है जो कर्जा जिंदगी भर नहीं चुकाया जा सकता। शमशेर गांधी की धर्मपत्नी भी शेरनी निकली जो अशोक गहलोत को चेतावनी दी कि हमें आप झांसी की रानी बनने पर मजबूर ना करे।
शमशेर गांधी का परिवार भी इस जीत में बराबर का हकदार है।
तमाम उन साथियो का संघर्ष भी काबिल तारीफ था जो अपने अपने लेवल पर कोशिश कर रहे हैं थे।
नोजवानो को हक के लिए लङना सिखा दिया। ये एक ऎसी लङाई थी जिसमें ना कोई सरकार का साथ था ना कोई नेता रोङ पर आया ना कोई विधायक रैली के समर्थन में आया। लेकिन फिर भी शमसेर गांधी और युवाओं ने मिलकर साबित कर दिया कि हक के लिए ऐसे लङा जाता है और ऐसे सरकार को घुटने पर लाया जाता है।
सब लोग बधाई के पात्र हैं जो इस दांडी सद्भावना यात्रा के प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रुप से सहयोग किया।
शमशेर गांधी जिंदाबाद।
काॅपी करने वालो मेरी अंगुली के बारे में भी सोचना लिखते लिखते दुखने लग गई है।
निसार भारू ✍️

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