Monday, 24 February 2025

✅कुत्ता

कुत्ता - Dog 🐕 
अपने मालिक के लिए जान देने वाला जीव कुत्ता है। घोड़ा और कुत्ता सभ्यता की शुरुआत से ही मानव के साथी रहे हैं।
कुत्ते से संबंधित लोकोक्तियां एवं मुहावरे - 
1. कुत्ता - नीच इंसान
2. कुत्तपन - कमीनापन
3. कुत्ते की दुम - अकडू, जिद्दी
4. धोबी का कुत्ता घर का ना घाट का - ना इधर का ना उधर का रहना।
5. ऊंट चढ़े को कुत्ता काटना - अनहोनी होना।
6. कुत्ते की शक्ल का - असम्मानित व्यक्ति।
7. कुत्ते जैसी कद्र - पूर्णतया अपमान।
8. बार चढ़े को कुत्ता काटना - सफलता मिलने की संभावना में रोड़े अटकना।
9. कुत्ते की मौत मरना - जीवन का अपमानित/ तिरष्कृत अंत।
10. कुत्ते की खोपड़ी - झगड़ालू, बिना काम के बहुत अधिक बोलना।
11. कुत्ते का पिल्ला - अपमानित व्यक्ति की संतान, अपमानित व्यक्ति।
12. कुकर ज्यों भौंकत फिरे - असंगत बात करना।
13. कुत्ता खांसी - लगातार आने वाली कफ रहित सुखी खांसी।
14. पाला हुआ कुत्ता मालिक को काटता है - धोखेबाज।
15. कुत्ते की तहर रोटी देना - अनचाही मेहमान नवाजी।
16. साला कुत्ता - एक गाली।
17. गली का कुत्ता - आवारा

कुत्ते के पर्यायवाची - 
कूकर, श्वान, गंडक, लट्टा, 

नाम - 
मादा - कुत्तिया, कुत्ति (Bitch)
नर - कुत्ता (Dog)
बच्चा - पिल्ला, घुचरिया (Puppy)

कुत्ते का वैज्ञानिक वर्गीकरण - 
अधिजगत - सुकेन्द्रिक (Eukaryota)
अश्रेणीत - ओपीस्थोकोन्ता
जगत - पशु
संघ - रज्जुकी (कार्डेटा)
वर्ग - स्तनधारी (मेमलिया)
उपवर्ग - थेरिया 
गण - कार्नीवोरा
उपगण - कैनिफ़ोर्मिया
कुल - कैनिडाए
उपकुल - कैनिनाए
वंश समूह - कानीनै
वंश - कानीस
जाति - कैनिस लूपूस
उपजाति - C. l. familiaris
त्रिपद नाम - कैनिस लूपूस फैमिलियरिस

कुत्ते की उत्पत्ति - 
कुत्ता भेड़िया कुल का जंगली जानवर है जिसे लगभग 15 हजार वर्ष पूर्व साइबेरिया में पालतू बनाना शुरू किया गया। साइबेरिया से यह अन्य स्थानों की ओर निर्गत किया गया। आदि शिकारी मानव शिकार हेतु इनका सहयोग लेता था।  पुरातत्त्ववेत्ता को इजराइल में खुदाई के दौरान एक बुजुर्ग मानव के साथ चार- पांच महीने के पिल्ले के अवशेष एक साथ दफन मिले हैं। शुरू में कुत्तों को घर की रक्षा हेतु पालतू जानवर के रूप में रखा जाता था।

कुत्ते और भेड़िए में समानता एवं अंतर 
पूर्व में एक ही प्रजाति के कुत्ते एवं भेड़िए में समानता एवं अंतर पाए जाते हैं। 
समानताएं -
1. सामान्यतः दोनों की शक्ल एक जैसी ही है।
2. दोनों की जंगली नस्ल की शिकार पद्धति एक जैसी है।
3. नाक के नथुने लगभग समान हैं।
4. आंखों के नीचे के घेरे समान हैं।
5. चाल एवं शरीर के बाल लगभग समान हैं।
6. दोनों को घुरी (जमीन में बना गड्ढा) में रहना पसंद है।
7. दोनों ही पारिवारिक जीवन जीते हैं।
8. दोनों ही स्तनपाई हैं।

अंतर -
कुत्ता एवं भेड़िया आनुवंशिक रिश्तेदार हैं। पालतूपन, संकरण एवं अन्य वातावरणीय कारणों के चलते इन दोनों में बड़ा अंतर है।
1. भेड़िए की पूंछ नीचे की ओर सीधी, जबकि कुत्ते की पूछ ऊपर की ओर मुड़ी होती है।
2. भेड़िया गुर्राता है, कुत्ता भोंकता है।
3. भेड़िए की आंख कुत्ते से अधिक सुंदर,चमकीली व बड़ी होती हैं।
4. भेड़िया जंगली है कुत्ता पालतू।
5. भेड़िए का रंग ग्रे (पेट के नीचे सफेद या मटमेला) जबकि कुत्ते के बहुत सारे रंग होते हैं।
6. भेड़ियों की तुलना में, कुत्तों की खोपड़ी 20% मस्तिष्क 30% छोटा होता है।
7. भेड़ियों के दांत कुत्तों की तुलना में बड़े और नुकीले होते हैं। 
8. कुत्तों के माथे और नाक के बीच माथे पर उभार (स्टॉप) होता है। 
9. भेड़ियों के जबड़ों को बंद करने वाली टेम्पोरलिस मांसपेशी कुत्तों से अधिक मजबूत होती है।
10. भेड़ियों के पैरों में डिक्लाव नहीं होते हैं।
11. कुत्तों में एक पूर्व-पुच्छीय ग्रंथि की कमी के कारण वर्ष में दो बार प्रजनन काल होता है जबकि भेड़ियों में एक बार कुछ आदिम कुत्ते (डिंगोज़ और बेसनजिस) में यह वार्षिक चक्र ही होता है।
12. कुत्तों कीआंखें लगभग भूरी व भेड़ियों की आँखें नीली होती हैं।
13. कुत्तों की त्वचा भेड़ियों की तुलना में अधिक मोटी होती है।
14. कुत्ते के पंजे एक भेड़िये के पंजों से छोटे होते हैं।
15. संकरण द्वारा कुत्तों की अन्य सैकड़ों नस्लें पैदा की गई हैं।
16. कुत्ता सर्वहारी है जबकि भेड़िया मांसाहारी है।

कुत्तों पर फिल्में 
1. मनोरंजन (अक्षय कुमार)
2. तेरी मेहरबानियां (जैकी श्रॉफ)

कुत्ते का धार्मिक महत्व - 
सनातन धर्म में कुत्ते का महत्त्व - - 
सनातन धर्म के अनुसार कुत्ता रहस्यमय प्राणी है। काले कुत्ते को यम का सेवक और काल भैरव का वहन माना गया है।
कुत्ता सूक्ष्म जगत में आत्माओं को देखने की क्षमता रखता है इसलिए यह धार्मिक लोगों, विशेषकर तन्त्र विद्या करने वालों में अतिप्रिय है। कुत्ते को भोजन देने से भैरव प्रसन्न होते हैं जिससे आकस्मिक संकट, तांत्रिक क्रियाओं एवं बूरी बालाओं से छुटकारा मिलता है। शनि की साढ़े साती या ढैय्या से पीड़ित हैं, तो इसके दुष्प्रभाव को कम करने के लिए शनिवार के दिन तेल चुपड़ी रोटी काले कुत्ते को खिलाने से दोष कम हो जाता है। मान्यता के अनुसार काले कुत्ते के निवास के निकट नकारात्मक ऊर्जा नहीं ठहरती है। बाँझपन से मुक्ति हेतु काला कुत्ता या काला - सफ़ेद कुत्ता पालना चाहिए। वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में कुत्ता पालने से धन की समस्या नहीं होती है। ऋग्वेद के अनुसार कुत्तों की कर्कश ध्वनि विनाश पूर्व चेतावनी होती है। 22 नाखून वाला कुत्ता अति फलदाई होता है। रोते हुए कुत्ते को इंद्र के प्रकोप की भविष्यवाणी माना जाता है। शास्त्रों में कुत्ते को केतु का प्रतीक एवं शिव का एक उग्र रूप माना गया है। महाभारत महाकाव्य में कुत्तों के प्रतीकात्मक महत्व को दर्शाया गया है। इस महाकाव्य का प्रारंभ एक कुत्ते की कहानी से होता है। पांडव अर्जुन के परपोते राजा जनमेजय अपने पिता परीक्षित की हत्या के प्रतिशोध हेतु यज्ञ किया। राजा परीक्षित को एक साँप ने श्राप देकर मार डाला था जो कुत्ते से जुड़ी एक घटना से उपजा। एक बार राजा परीक्षित ने शिकार करते समय एक कुत्ते का अपमान किया, जिसके कारण कुत्ते की माँ ने उसे साँप के काटने से मरने का श्राप दिया था। इस श्राप के कारण घटनाओं की श्रृंखला शुरू हुई, जिसका समापन जनमेजय द्वारा किए गए बलिदान से हुआ।
महाभारत का अंत कुत्ते से जुड़ी एक और मार्मिक कहानी से होता है। कुरुक्षेत्र में हुए युद्ध के बाद पांडव अपना राज्य त्याग कर हिमालय की ओर अंतिम यात्रा (महाप्रस्थान) पर निकल पड़े हैं। इस यात्रा में युधिष्ठिर के साथ एक कुत्ता भी रहता है। अंततः यह कुत्ता भगवान धर्म के वेश में प्रकट होता है, जो युधिष्ठिर की धर्म के प्रति प्रतिबद्धता की परीक्षा लेता है। जब युधिष्ठिर को स्वर्ग में जगह देने की बात की जाती है, तो युधिष्ठिर तब तक मना कर देता है जब तक कि कुत्ते को भी प्रवेश की अनुमति न दी जाए। जो धर्म और करुणा के प्रति उनकी अटूट निष्ठा का प्रतीक है।

इस्लाम धर्म में कुत्ते से संबंधित मान्यताएं - 
कुत्ते का पालना तीन परिस्थितियों - 
(क) खेती
(ख) पशु
(ग) जंगल या निर्जन क्षेत्र में बस्ती से दूर 
रखवाली या सुरक्षा के उद्देश्य से कुत्ता पालने के अलावा निषिद्ध है। कुत्ते की लार को अशुद्ध माना गया है। पैगम्बर मुहम्मद ने उल्लेख किया है कि कुत्तों सहित जानवरों के प्रति दयालुता ईश्वर द्वारा पुरस्कृत किया जाने वाला एक गुण है। एक प्रसिद्ध हदीस में एक महिला के बारे में बताया गया है जिसे उसके पापों के लिए माफ़ कर दिया गया क्योंकि उसने एक प्यासे कुत्ते को पानी पिलाया था। इसके अतिरिक्त, कुत्तों को रक्षक और शिकार के साथी के रूप में उनकी भूमिका के लिए महत्व दिया जाता है, कुरान के अनुसार शिकार हेतु काम में लिए गए कुत्ते द्वारा किया गया शिकार खाने हेतु वैध (जायज) है।
संदर्भ - 
01. इस्लाम धर्म के अनुसार जहां कुत्ता पाला जाता है वहां फरिश्ते नहीं जाते। (सहिह मुस्लिम हदीस नं 2106)
02. जिस ने मवेशियों की रक्षा, शिकार या खेती में सहयोग के अलावा कुत्ते का पालना हराम है। कुत्ता पालने वाले के पुण्य (अज्र) में से प्रतिदिन नेकी (भलाई) कम होती जाती हैं। (अबु हुरैरा, उमर बिन अब्दुल्ला की रिवायत, सहिह मुस्लिम (हदीस संख्या 1575), (बुखारी हदीस - 5163)
03. बस्ती के बीच में चौकीदारी हेतु कुत्ता रखना निषेध (नाजायज/हराम) है परन्तु बस्ती से दूर जंगल या खेत में रक्षार्थ कुत्ता रखना वैध (जायज़) है जो पशुओं, खेती और मालिक की रक्षा के प्रयोजन हेतु पाला जाता है। (मज्मूअ़ फतावा इब्ने उसैमीन 4/246)
04. उमदतुल क़ारी - (12/158)
05. यदि कुत्ता किसी बर्तन में मुँह डाल दे तो उसे शुद्ध करने हेतु सात बार एक बार पहले मिट्टी और फिर छः बार पानी से धोया जाए । (अबु हुरैरा, सहिह हदीस संख्या - 279, मुस्लिम 280)
06. कुत्ते के बाल की नमी (गीलापन) लग जाये तो इससे नापाक नहीं होगा। - मजमूउल फतावा (21/530)
07. इमामों का मत - 
इमाम मालिक-   कुत्ता पवित्र (पाक) है, यहाँ तक कि उसकी लार भी पाक है।
इमाम शाफेई एवं इमाम अहमद - कुत्ता अशुद्ध (नापाक) है यहाँ तक कि उसका बाल भी अपवित्र है।
इमाम अबू हनीफा - कुत्ते की लार अशुद्ध (नापाक) है और बाल पवित्र (पाक) है।

ईसाई धर्म में कुत्तों का महत्व - 
ईसाई धर्म में सेंट रोच को कुत्तों का संरक्षक संत माना जाता है। फ्रांस में सेंट गुइनफ़ोर्ट नामक कुत्ते को संत की उपाधि दी गई है। काले और सफेद कुत्ते को डोमिनिकन मान्यता के अनुसार पादरियों एवं ननों का प्रतीक बताया गया है। पादरियों के अनुसार कुत्तों की लार में लाइसोजाइम नामक एंजाइम होता है, जो घावों को भरने में सहायक है।
बाइबिल में कुत्ते का उल्लेख नकारात्मक संदर्भ में किया गया है, जो लालच एवं अशुद्धता का प्रतीक है। समय के साथ -  साथ ईसाई संस्कृति में कुत्तों के प्रति सकारात्मक धारणा विकसित हुई। सेंट रोच कुत्ते के सतर्कता, साहचर्य, वफादारी एवं उपयोगिता  के सकारात्मक गुणों को उजागर करते हैं। मध्यकाल में कुत्तों को घरों के रक्षक के रूप में स्वीकार किया गया।

बौद्ध धर्म में कुत्ते का महत्व - 
बौद्ध धर्म की मान्यता के अनुसार जिन मनुष्यों ने धार्मिक/सात्विक जीवन नहीं जिया वो सभी प्राणियों के प्रति करुणा का आभास करने हेतु कुत्ते के रूप में पुनर्जन्म लेते हैं।

पारसी धर्म में कुत्ते का महत्व - 
सबसे पुरातन एकेश्वरवादी धर्मों में से एक, पारसी धर्म में कुत्तों को अतिमहत्व दिया जाता है। कुत्ते को पवित्र माना जाता है एवं उसे नुकसान पहुँचाना पाप माना जाता है। पारसी मानते हैं कि कुत्ते बुरी आत्माओं को देख सकते हैं और घरों को दुष्ट शक्तियों से बचा सकते हैं। सगदीद नामक समारोह में कुत्ते को मृत व्यक्ति के पास लाकर बुरी आत्माओं को दूर भगा कर यह सुनिश्चित किया जाता है कि वह शुद्ध आत्म स्वर्ग में शांतिपूर्वक पहुंच गई। यह श्रद्धा पारसी परंपरा में कुत्तों के आध्यात्मिक महत्व और सुरक्षात्मक गुणों को उजागर करती है।

सुरक्षा बलों के लिए कुत्ते का महत्व - 
अपनी सूंघने की क्षमता, बुद्धिमत्ता और वफ़ादारी के कारण कुत्ता सुरक्षा बलों के लिए महत्वपूर्ण जानवर है।
कुत्ते का सुरक्षाबलों में विभिन्न उपयोग -
1. खोजी कुत्ते - कुत्तों को विस्फोटक, नशीले पदार्थ और अन्य प्रतिबंधित पदार्थों का पता लगाने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है। असाधारण सूंघने की क्षमता के साथ ऐसे पदार्थों की पहचान कर सकता है, जिन्हें पहचानना आदमी के लिए असंभव है। हवाई अड्डों, सीमा चौकियों और सैन्य अभियानों में, कुत्ते आतंकवाद, मादक पदार्थों की तस्करी और अन्य आपराधिक गतिविधियों को रोकने में मदद करते हैं।
खोज और बचाव कुत्ते - आपदा क्षेत्रों में, जैसे कि भूकंप, भूस्खलन या इमारत ढहने से प्रभावित क्षेत्रों में, खोज और बचाव कुत्ते महत्वपूर्ण होते हैं। उनकी चपलता और गंध की तीव्र भावना उन्हें मलबे के नीचे फंसे जीवित लोगों का पता लगाने में सक्षम बनाती है, जिससे अनगिनत लोगों की जान बच जाती है।
पुलिस और सैन्य कुत्ते: पुलिस और सैन्य बल विभिन्न क्षमताओं में कुत्तों का उपयोग करते हैं, जिसमें संदिग्धों का पता लगाना, अपराधियों को पकड़ना और सुरक्षा प्रदान करना शामिल है। इन कुत्तों को अत्यधिक दबाव में आदेशों का पालन करने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है, जिससे वे कानून और व्यवस्था बनाए रखने में महत्वपूर्ण भागीदार बन जाते हैं।
थेरेपी और सहायक कुत्ते: अपनी शारीरिक क्षमताओं के अलावा, कुत्तों को सुरक्षा कर्मियों के मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में भी मदद की जाती है। थेरेपी कुत्ते पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर और अन्य मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित सैनिकों और अधिकारियों को भावनात्मक सहायता प्रदान करते हैं।

कुत्तों की नस्लें -
कुत्ते की सब से छोटी नस्ल चिनहीउआ है और सब से बड़ी नस्ल है द ग्रेट डैन। कुत्तों के DNA में मनुष्य की अपेक्षा लगभग दुगुने क्रोमोज़ोम होते हैं जिसके कारण संकरण के माध्यम से विभिन्न शारीरिक गठन और रूप-रंग के कुत्ते पैदा हो सकते हैं।
काम के आधार पर कुत्तों का वर्गीकरण (नस्लें) - 
1. घरेलू पालतू कुत्ता (साथी कुत्ता)
2. रक्षक कुत्ते (रखवाली करने वाले)
3. शिकारी कुत्ते (शिकार करने वाले)
4. चरवाहे कुत्ते (मवेशियों को चराने वाले)
5. बर्फ में रहने वाले कुत्ते।
1. घरेलू (खिलौना, साथी) पालतू कुत्तों की नस्लें - 
घरों में मनोरंजन एवं अकेलापन दूर करने हेतु कुत्ते पालने का रिवाज बढ़ा है। यह शहरी लोगों में अधिक तेजी से बढ़ रहा है। इस प्रकार के कुत्ते सोते - जागते समय मालिक के साथ ही रहते हैं।

खिलौना (घरेलू पालतू) कुत्ता - 
1. अफ्फनपिंस्चर, फ्रांस स्पेन 
2. अफगान हाउंड, अफगानिस्तान
3. अफ्रीकानीस, अफ्रीका 
4. डच स्मोउसहांड, नीदरलैंड
5. ईस्ट-यूरोपियन शेफ़र्ड, रूस
6. ईस्ट साइबेरियन लाइका, रूस
7. एलो, जर्मनी
8. इंग्लिश कॉकर स्पैनियल, इंग्लैंड 
9. गनडॉग, इंग्लैंड
10. इंग्लिश पॉइंटर, इंग्लैंड
11. इंग्लिश सेटर, इंग्लैंड
12. इंग्लिश स्प्रिंगर स्पैनियल, इंग्लैंड
13. इंग्लिश टॉय टेरियर (ब्लैक एंड टैन), इंग्लैंड
14. इंग्लिश व्हाइट टेरियर, UK
15. एपीनियल डे पैकार्डि, फ्रांस
16. बारबेट फ़्रांस
17. बिचोन फ़्रैस स्पेन, बेल्जियम
18. बोलोग्नीस, इटली
19. कैवेलियर किंग चार्ल्स स्पैनियल, इंग्लैंड
20. चेसपे़क बे रिट्रीवर, अमेरिका
21. चिहुआहुआ, मेक्सिको
22. चाइनीस चोंगकिंग डॉग, चीन
23. चाइनीस क्रेस्टेड डॉग, चीन
24. चाउ चाउ, चीन
25. काइमेरॉन उरुग्वायो, उरुग्वे
26. कॉटन डे टुलियर, मडगास्कर
27. इंग्लिश पॉइंटर, इंग्लैंड
28. गोल्डन रिट्रीवर, स्कॉटलैंड
29. होक्काइडो, जापान
30. लैब्राडोर रिट्रीवर, कनाडा
31. लौशेन, यूरोप
32. मालटीस, इटली
33. पग, चीन
34. सेज कूची, अफ़गानिस्तान
35. शार पेई, चीन
36. शीबा इनु, जापान
37. वेईमारानर, जर्मनी
शिकारी पालतू कुत्ते - 
1. इंग्लिश कूनहाउंड, अमेरिका
2. इंग्लिश फॉक्सहाउंड, इंग्लैंड
3. अमेरिकन फॉक्स हाउंड,अमेरिका
4. देसी कुत्ता, भारत व पाकिस्तान
5. एंग्लो फ्रांसिस पेटिट, फ्रांस
6. अज़वाख, माले
7. बखरवाल, भारत
8. बसेंजी, कांगो
9. बैस्सेट आर्टेसिन नॉरमंड, फ़्रांस
10. बैस्सेट ब्लू डी गस्कोग्न, फ़्रांस
11. बीगल, इंग्लैंड
12. ब्लड-हाउंड, बेल्जियम व फ्रांस
13. ब्लूटिक कूनहाउंड, अमेरिका
14. बोर्जोई, रूस
15. बोस्नियन कोर्स हेयर्ड हाउंड, बोस्निया- हेर्ज़गोविना
16. पॉलिश ग्रेहाउंड, पोलैंड
17. डाशहण्ड, जर्मनी
18. ग्रिफ़्फ़ॉन निवेरनेस, फ़्रांस
19. हैमिल्टनस्टॉवेर, स्वीडन
20. पेरुवियन हेयरलैस डॉग, पेरू
21. सलूकी, ईरान
22. सेंट बर्नार्ड, इटली व स्विट्जरलैंड
रक्षक पालतू कुत्ते - 
1. इंग्लिश मास्टिफ़, इंग्लैंड
2. एंट्लबुचर माउंटेन डॉग, स्विट्ज़रलैंड
3. एस्टोनियन हाउंड, एस्टोनिया
4. अपेंजेलर सन्नेनहुड, स्विट्जरलैंड 
5. अर्जेंटीना डोगो, अर्जेंटीना
6. एरिएजिओइस, फ़्रांस
7. अरमांट, मिश्र
8. एस्कल, फिलीपींस
9. ऑस्ट्रेलियन बुलडॉग, ऑस्ट्रेलिया
10. बर्नीस माउंटेन डॉग, स्विट्ज़रलैंड
11. बॉक्सर, जर्मनी
12. ब्रोहोल्मेर, डेनमार्क
13. बुल्ली डॉग, पाकिस्तान
14. केन कोर्सो, इटली
15. डालमेशियन, क्रोएशिया
16. डोबरमान पिन्सशर, जर्मनी
17. ड्रेवर, स्वीडन
18. डंकर, नॉर्वे
19. फ्रेंच बुलडॉग, इंग्लैंड
20. ग्रेट डेन, डेनमार्क वजर्मनी
21. गुल्ल डॉग, पाकिस्तान
22. हनोवर हाउंड, जर्मनी
23. जोनांगी, भारत
24. केकाड़ी, भारत
25. कन्नी, भारत
26. कंगाल डॉग, तुर्की
27. किन्तामनि इंडोनेशिया
28. कीशू, जापान
29. कुवास्ज़, हंगरी
30. ल्हासा एप्सो, तिब्बत
31. स्लौघी, मोरोक्को
32. मोस्टिफ, स्पेन
33. तैगन, किर्गिज़स्तान
34. रिड्जबेक, थाईलैंड
चरवाहा पालतू कुत्ता - 
1. इंग्लिश शेफ़र्ड, अमेरिका
2. एस्ट्रेला माउंटेन डॉग, पुर्तगाल
3. युरेसियर, जर्मनी
4. अनातोलिया शेफर्ड डॉग, तुर्की
5. ऑस्ट्रेलियन केटल डॉग, ऑस्ट्रेलिया
6. ऑस्ट्रेलियन कैल्पी, ऑस्ट्रेलिया
7. ऑस्ट्रेलियन शेफर्ड, अमेरिका
8. ऑस्ट्रेलियन स्टंपीटेल, ऑस्ट्रेलिया
9. बियर्डेड कॉल्ली, स्कॉटलैंड
10. ब्युसेरॉन, फ़्रांस
11. बेल्जियन शेफ़र्ड डॉग (ग्रोएनेंडेल), बेल्जियम
12. बर्जर पिकार्ड, फ़्रांस
13. बॉर्डर कॉल्ली, (स्कॉटलैंड, इंग्लैंड, वेल्स)
14. ब्रैयार्ड, फ़्रांस
15. कैनान डॉग, इज़राइल
16. काओ डे सेरा एराइस, पुर्तगाल
17. कार्पथियन शेफ़र्ड डॉग, रोमानिया
18. रफ़ कॉल्ली, स्कॉटलैंड
19. कोम्बाई, भारत
20. क्रोएशियन शीपडॉग, क्रोएशिया
21. जर्मन शेफर्ड, जर्मनी
22. हैरियर, यूनाइटेड किंगडम
23. हवानीस, पश्चिमी भूमध्य क्षेत्र
24. हिमालयन शीपडॉग, नेपाल
25 पूमि, हंगरी
26. रामपुर ग्रेहाउंड, भारत
27. राजपालयम, भारत
28. सिंहला हाउंड, श्रीलंका
29. टेलोमियन, मलेशिया
बर्फ में रहने वाले कुत्ते - 
1. अमेरिकन एस्किमो डॉग, उत्तरी अमेरिका
2. कैनेडियन एस्किमो डॉग, कनाडा
3. चीनूक संयुक्त राष्ट्र, अमेरिका
4. ईस्ट साइबेरियन लाइका, रूस
5. फिन्निश हाउंड, फ़िनलैंड
6. जैमथुंड, स्वीडन
7. करेलियन बेर डॉग, फ़िनलैंड
8. लैप्पोनियन हर्डर, फ़िनलैंड
9. साइबेरियन हस्की, रूस
10. टमस्कन डॉग, फ़िनलैंड
कुत्तों की विलुप्त प्रजाति - 
1. टॉय बुलडॉग
2. तह्ल्तन बेर डॉग, कनाडा
3. सेंट जॉन्स वाटर डॉग, कनाडा
4. सदर्न हाउंड ब्रिटेन
5. सेंट जॉन्स वाटर डॉग, कनाडा
6. सदर्न हाउंड, ब्रिटेन
7. ओल्ड इंग्लिश बुलडॉग, इंग्लैंड
8. हवाइयन पोई डॉग, अमेरिका
9. हेर इंडियन डॉग कनाडा व अमेरिका 
10. इंग्लिश व्हाइट टेरियर, यूके
11. डोगो क्युबानो, क्यूबा
12. कॉर्डोबा फ़ाइटिंग डॉग, अर्जेंटीना
13. ब्रेक डू पूय, फ़्रांस
14. ब्लू पॉल टेरियर, स्कॉटलैंड
15. अलाउंट

कुत्तों में बीमारियां एवं उनका उपचार - 
कुत्तों में कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं, जैसे कि रैबीज़, लाइम रोग, कुशिंग रोग, हार्टवर्म, अल्सर, और बाहरी परजीवी रोग।
इन बीमार कुत्तों के काटने, छूने या अन्य स्पर्श या उसके मुँह डाले हुये बर्तन से पानी आदि पीने से मनुष्य को गंभीर खतरा हो सकता है। कुत्ते लार की थैली में अत्यधिक परजीवी पाए जाते हैं जो मानव और पशुओं के आंतरिक अंगों (आँतों) को प्रभावित करते हैं। इसका सर्वाधिक प्रभाव हृदय, उदर, आंत, गुदा और फेफड़ों पर पड़ता है।

परजीवी जनित (एंडोपारासाइट्स) रोग 
(क)आंतरिक परजीवी जनित रोग - 
पशुओं में यह रोग ट्राइकिनोसिस ट्राइचिनेला स्पाइरलिस, टी. ब्रिटोवी इत्यादि परजीवियों के कारण होते हैं -
1. पास्चरलोसिस रोग - 
यह एक जीवाणु जनित रोग है जो श्वसन प्रणाली को प्रभावित कर अवरुद्ध कर देता है।
2. फीता कृमि - 
इस बीमारी का कारण एक टेप कृमि (tapeworm) है जिसे एकायनिकोस क्रानिलेसिस कहा जाता है, यह एक छोटा कीड़ा है जिसके वयस्क की लंबाई 2 से 9 MM होती है। इस कृमि के सिर में चार चूसक होते हैं। यह परजीवी कुत्तों, बिल्लियों, लोमड़ियों और भेड़ियों की आँतों में रहते हैं। टैनिया पिसिफ़ॉर्मिस एक आम परजीवी है जो खरगोशों और कृन्तकों को खाने से फैलता है। टेपवर्म संक्रमण इचिनोकोकस, मेसोसेस्टोइड्स और स्पिरोमेट्रा प्रजाति की प्रजातियों के कारण होता है । आमतौर पर कोई लक्षण नहीं होते हैं। यह रोग कुत्तों को पालने के शौक़ीन मनुष्य को स्थानांतरित होता है जब वह उसे चुंबन करता है, या उसके बर्तन से पानी पीता है।
3. रैबीज़ (हाइड्रोफोबिया)  -
साधारण भाषा में इसे हिड़काना कहते हैं। पानी दिखने या पीने से यह अधिक जानलेवा हो जाता है।
कुत्तों के मुंह से निकलने वाली लार में मौजूद वायरस जनित रोग है। कुत्ते के काटने पर यह बीमारी इंसानों में भी हो सकती है। रेबीज एक घातक वायरल बीमारी है जो किसी भी स्तनधारी को प्रभावित कर सकती है। 
उपचार - 
पालतू या अन्य अन्य स्तनधारी पशुओं (विशेष रूप से कुत्तों) का टीकाकरण कर इस रोग का निदान किया जा सकता है। आमतौर पर कानून द्वारा आवश्यक होता है।
4. लाइम रोग - 
इसका कारण बोरेलिया बर्गडॉरफ़ेरी नामक स्पाइरोकेट नामक बैक्टीरिया है जो जीनस इक्सोडेस के टिक्स द्वारा फैलती है । कुत्तों में इसके लक्षणों में तीव्र गठिया, भूख न लगना और सुस्ती शामिल हैं। इसमें कोई दाने नहीं होते हैं जैसा कि मनुष्यों में देखा जाता है।
5. कुशिंग रोग - 
यह रोग पिट्यूटरी या अधिवृक्क ग्रंथि में ट्यूमर बनने से होता है. इससे शरीर में ज़रूरत से ज़्यादा कोर्टिसोल बनता है।
उपचार - 
कुशिंग रोग का इलाज दवाओं और आहार में बदलाव से किया जा सकता है
6. हार्टवर्म - 
यह कृमि जनित रोग है जो हृदय और आस-पास की वाहिकाओं को प्रभावित करता है। यह मच्छरों के माध्यम से डायरोफिलारिया इमिटिस के कारण होता है। यह पशु की फुफ्फुसीय धमनी और हृदय के दाएं वेंट्रिकल में रहते हैं। लक्षणों में खांसी, सांस लेने में कठिनाई और मृत्यु शामिल हैं। 
उपचार - 
हार्टवर्म का इलाज दवाओं और इंजेक्शन से किया जा सकता है
7. अल्सर (छाले पड़ना) - 
पेट एवं आंतों में होने वाला रोग।
उपचार - 
अल्सर का इलाज दवाओं और आहार में बदलाव से किया जा सकता है।
8. लिस्मेनिया - 
उपचार - 
लीशमैनियासिस का इलाज दवाओं, अंतःशिरा तरल पदार्थ, और विशेष चिकित्सीय आहार से किया जा सकता है।
9. कैनाइन पार्वो वायरस - 
यह घातक रोग मुख्य रूप से पिल्लों को गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल संक्रमण से होता है।
10. कैनाइन कोरोना वायरस - 
यह एक गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल बीमारी है जो आमतौर पर बिना लक्षण या हल्के नैदानिक लक्षणों के साथ होती है। यह रोग पिल्लों को अधिक प्रभावित करता है।
11. कैनाइन डिस्टेंपर - 
यह एक घातक संक्रामक रोग है जिसमें मुख्य रूप से श्वसन और तंत्रिका संबंधी कार्य प्रभावित होते हैं।
12. प्रोटोथेकोसिस - 
हरे शैवाल के उत्परिवर्ती रूप के कारण होने वाला रोग जिसके लक्षणों में वजन कम होना, यूवाइटिस, रेटिना का अलग होना और गुदा से रिसाव शामिल हैं।
13. इचिनोकॉकोसिस - 
यह एक संक्रामक रोग है जो कुत्तों और भेड़ों को में पाया जाता है।
14. ग्नाथोस्टोमियासिस - 
यह स्तनपायी जीवों के मल और अधपके समुद्री भोजन से होने वाला रोग है।
15. हुकवर्म - 
यह कुत्तों में पाया जाने वाला आम आंत्र परजीवी है जिसमें एंकिलोस्टोमा कैनाइनम, अनसिनेरिया स्टेनोसेफाला और ए. ब्राज़िलियन्स मुख्य परजीवी हैं। इनके प्रभाव से दस्त, उल्टी और वजन कम होना शुरू हो जाता है।
16. टोक्सोकेरियासिस टोक्सोकारा कैनिस -
यह टोक्सास्कारिस लियोनिना के संक्रमण के कारण होने वाला रोग है। इसके लक्षण आमतौर पर हल्के होते हैं जिसके कारण उल्टी, दस्त, और पेट फूलना हैं। इसके कारण पशु अस्वस्थ रहता है और अच्छी तरह से विकास नहीं कर पाता।
17. व्हिपवर्म - 
कैनाइन व्हिपवर्म ट्राइचुरिस वल्पिस परजीवी कृमि आमाशय और बड़ी आंत में रहते हैं।

बाहरी परजीवी जन्य रोग -
1. पिस्सू - 
यह खुजली और बालों के झड़ने का कारण बनते हैं। कुत्तों में सबसे आम पिस्सू बिल्ली का पिस्सु सीटेनोसेफालिडेज फेलिस है। उसके बाद कुत्ते का पिस्सू , सी. कैनिस है।
2. टिक्स - 
कुत्तों के बाहरी परजीवी रोग है जो लाइम रोग, रॉकी माउंटेन स्पॉटेड फीवर, बेबेसियोसिस और एर्लिचियोसिस जैसी बीमारियाँ फैला सकते हैं। वेटिक पक्षाघात नामक एक न्यूरोलॉजिकल विकार भी पैदा कर सकते हैं।
3. कान के कण - 
कान के कण ओटोडेक्टेस साइनोटिस प्रजाति के सूक्ष्म सदस्य हैं। इसके कारण खुजली, सूजन और कान में काला मलबा आना शुरू हो जाता है।
4. चेइलेटिएलोसिस - 
यह एक हल्का खुजली वाला त्वचा रोग है जो चेइलेटिएला यासगुरी के कारण होता है। मनुष्य इस से संक्रमित हो सकता है।
5. चिगर्स - 
इसे हार्वेस्ट माइट्स के नाम से भी जाना जाता है। यह त्वचा पर खुजली, लालिमा और पपड़ी जमने का कारण बन सकता है।
6. डेमोडिकोसिस - 
जिसे डेमोडेक्टिक मैंज के नाम से भी जाना जाता है, डेमोडेक्स कैनिस माइट्स के कारण होता है जो वसामय ग्रंथियों और बालों के रोम में रहते हैं। ये माइट्स सूजन और बालों के झड़ने का कारण बन सकते हैं, और बुखार, सुस्ती और बढ़े हुए लिम्फ नोड्स जैसे जीवाणु संक्रमण पैदा कर सकते हैं।
7. सरकोप्टिक मांगे - 
यह रोग सरकोप्टेस स्कैबी कैनिस के कारण होता है। इसके लक्षणों में तीव्र खुजली और त्वचा पर पपड़ी बनना शामिल है इससे मनुष्य संक्रमित हो सकते हैं।

अन्य कवकीय रोग - 
1. ब्रुसेलोसिस - 
यह एक यौन संचारित जीवाणु रोग है जो कुत्तों में यूवाइटिस, गर्भपात और ऑर्काइटिस का कारण बन सकता है।
2. लेप्टोस्पायरोसिस - 
यह एक संक्रामक रोग है जो स्पाइरोकेट के कारण होता है । इसके लक्षणों में लिवर और किडनी की विफलता और वास्कुलिटिस शामिल हैं।
3. एर्लिचियोसिस - 
एर्लिचिया कैनिस के कारण होने वाली बीमारी है और ब्राउन डॉग टिक, राइपिसेफालस सैंगुइनस द्वारा फैलती है । इसके लक्षणों में बुखार, वास्कुलिटिस और कम रक्त गणना शामिल हैं।
4. रॉकी माउंटेन स्पॉटेड फीवर - 
यह रिकेट्सियल बीमारी है जो कुत्तों और मनुष्यों में होती है। यह रिकेट्सिया रिकेट्सिआई के कारण होता है और डर्मेसेंटर जीनस के टिक्स द्वारा फैलता है। इसके लक्षण मानव रोग के समान हैं, जिसमें एनोरेक्सिया, बुखार और थ्रोम्बोसाइटोपेनिया शामिल हैं।
5. क्लोस्ट्रीडियम - 
बैक्टीरिया की कई प्रजातिया कुत्तों में दस्त का कारण बन सकती है। संबंधित प्रजातियों में सी. परफ़्रिंजेंस और क्लोस्ट्रीडियोइड्स डिफिसाइल शामिल हैं।
6. केनेल खांसी - 
एक संक्रामक श्वसन रोग है जो कई वायरस या बोर्डेटेला ब्रोंचीसेप्टिका के कारण हो सकता है । यह आमतौर पर कुत्तों में केनेल जैसे बंद कमरे में होता है।

कंकाल और मांसपेशी संबंधी विकार - 
1. ऑस्टियोआर्थराइटिस (गठिया) -
अपक्षयी गठिया कुत्तों में होने वाला आम रोग है जिससे जोड़ों में आर्टिकुलर कार्टिलेज में समस्या होती है। इसके कारण दर्द और लंगड़ापन होता है। 
उपचार - 
इस हेतु NSAIDs, कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स और ग्लाइकोसामिनोग्लाइकन जैसे संयुक्त द्रव संशोधक दवाएं दी जाती हैं। अन्य उपचारों में सर्जरी, मालिश, गर्म सेक, कायरोप्रैक्टिक और एक्यूपंक्चर शामिल हैं।
2. स्पोंडिलोसिस - 
इस रोग को कुत्तों में स्पोंडिलोसिस डिफॉर्मेंस के रूप में जाना जाता है। कशेरुक निकायों के उदर और पार्श्व सतहों पर ऑस्टियोफाइट्स की वृद्धि हो जाती है। इसके लक्षण दिखाई नहीं देते हैं।
3. मैस्टिकेटरी मसल मायोसिटिस (एमएमएम) - 
 कुत्तों में होने वाली एक सूजन संबंधी बीमारी है जो जबड़े की मांसपेशियों को प्रभावित करती है। इसके लक्षणों में जबड़े की मांसपेशियों में सूजन और मुंह खोलने पर दर्द होना है। क्रॉनिक एमएमएम में जबड़े की मांसपेशियों में शोष होता है और फाइब्रोसिस के कारण मैस्टिकेटरी मांसपेशियों में निशान पड़ जाते हैं, जिसके परिणामस्वरूप मुंह खोलने में असमर्थता (ट्रिस्मस) हो सकती है।
4. हिप डिस्प्लेसिया - 
कुत्तों में एक वंशानुगत बीमारी है जिससे एसिटाबुलम और फीमर के सिरों का असामान्य विकास होता है। बड़ी नस्लों में यह बीमारी अधिक होती है।
5. लक्सेटिंग पटेला - 
पटेला या घुटने की टोपी का मध्य या पार्श्व विस्थापन है। यह वंशानुगत होने के साथ - साथ चोट के कारण भी हो सकता है। यह रोग कुत्तों की छोटी नस्लों में अधिक होता है।
6. पैनोस्टाइटिस - 
अभी तक इसके कारण अज्ञात हैं जो मध्यम और बड़ी नस्ल के कुत्तों में दर्द और पैर में लंगड़ापन पैदा करती है। यह पिछले और आगे के पैरों की लंबी हड्डियों को प्रभावित करती है।

टीकाकरण एवं रोगोपचार - 
कुत्तों में होने वाली इन बीमारियों का इलाज संभव है - 
कुत्तों के लिए टीकाकरण ज़रूरी है क्योंकि यह उन्हें आम बीमारियों से बचाता है।
कुत्तों के लिए रेबीज़ का टीका ज़रूरी है यह एक घातक बीमारी है जो इंसानों में भी फैल सकती है। कुत्तों को डिस्टेंपर, पार्वोवायरस, और कैनाइन पैराइन्फ़्लुएंज़ा जैसे टीके लगवाने चाहिए।  पिल्लों का टीकाकरण तीन बार होता है जो उसके 6 से 8 सप्ताह की उम्र में शुरू करते हैं। वयस्क कुत्तों के भी प्रतिवर्ष टीके लगवाने होते हैं। टीका लगने के बाद, अगर कुत्ते को सांस लेने में कठिनाई हो, तो तुरंत अपने पशु चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए।

कुत्ता पालन व्यवसाय - 
आज कल यह व्यवसाय चरम पर है। बड़े शहरों में पेट हाउस के रूप में खूब प्रचलित है। कुत्ता पालन व्यवसाय में कई तरह के कारोबार शामिल हैं, जैसे कि डॉग केनेल, डॉग ब्रीडिंग, डॉग वॉकिंग, डॉग बोर्डिंग, और डॉग ग्रूमिंग आदि। इस व्यवसाय को शुरू करने हेतु योजनाबद्ध कार्य होती है। वर्तमान में यह औद्योगिक उत्पादन जैसा व्यवसाय है।
01. सही नस्ल का चुनाव।
02. प्रजनन साझेदार।
03. कुत्तों का स्वास्थ्य और कल्याण कार्य।
04 पेट हाउस हेतु कुत्तों का लाइसेंस।
लाइसेंस हेतु पशु चिकित्सक से रैबीज़ टीकाकरण का प्रमाण-पत्र और एंटीसेप्टिक का प्रमाण-पत्र लेना होगा। लाइसेंस के अभाव में जुर्माना लगाकर कुत्ते को जब्त किया जा सकता है।
05 कुत्तों के लिए सुरक्षित व आरामदायक स्थान का चयन।
06 आवश्यकता एवं मांग अनुसार नस्ल तैयार करना।
07  आवश्यक पौष्टिक आहार, मालिश, और व्यायाम की व्यवस्था।

बाजार में कुत्तों की कीमत - 
बाजार में कुत्ता नस्ल के हिसाब से बिकता है। विदेशी नस्ल के कुत्तों की कीमत दस हजार से दो लाख रुपये तक हो सकती है।
सबसे महंगे कुत्तों की नस्लों में समोएड, लोचेन, रॉटविलर, जर्मन शेफ़र्ड, तिब्बती मास्टिफ़, चाइनीज़ क्रस्टेड हेयरलेस, अकिता, फ़राओ हाउंड, और चाउ चाउ शामिल हैं। वहीं, भारत में रेड नोज़ पिटबुल टेरियर सबसे महंगी नस्ल के कुत्ते हैं।
महंगे कुत्तों की नस्लें - 
1. समोएड - 
यह साइबेरियन नस्ल है जो बहुत प्यारी और खुशमिजाज़ होती है।
2. लोचेन - 
लाचेन को लिटिल लायन डॉग या टॉय डॉग भी कहा जाता है।
3. रॉटविलर - 
इस नस्ल के कुत्तों के लोग दीवाने हैं।
4. जर्मन शेफ़र्ड - 
यह महंगा और बड़ा कुत्ता है।
5. तिब्बती मास्टिफ़ - 
यह विश्व का सबसे पुरानी और आदिम नस्ल वाला बड़ी नस्ल कुत्ता है।
6. चाइनीज़ क्रस्टेड हेयरलेस - 
यह समझदार और खतरनाक कुत्ता है।
7. अकिता - 
यह देखने में बहुत सुंदर होता है. 
8. फ़राओ हाउंड - 
यह यूरोपियन देश मालता की प्रजाति है।
9. रेड नोज़ पिटबुल टेरियर
भारत में प्रसिद्ध।
10. कॉकेशियन शेफ़र्ड - 
भारत में प्रसिद्ध।

कुत्तों का आहार - 
अच्छी नस्ल के कुत्तों के आहार का पूरा ध्यान रखना आवश्यक है। कुत्तों को संतुलित मात्रा में प्रोटीन, विटामिन, खनिज लवण एवं अन्य आवश्यक सूक्ष्म तत्व देने हेतु बाजार में पेडिग्री नाम से बहुत से रेडी मेड उपलब्ध हैं।

आवारा कुत्तों की समस्या - 
गांव और शहर की गलियों एवं चौराहों पर आवारा कुत्ते भरे पड़े हैं। यह कुत्ते आने - जाने वालों पर भौंकते रहते हैं। सब से भयानक बात तो यह है कि वाहन के पीछे भौंकते  हुए तेज गति से दौड़ते हैं। इससे वाहन चालक का संतुलन बिगड़ जाता है और दुर्घटना घटित हो जाती है।
यह कुत्ते लोगों को काट भी लेते हैं। कुत्तों के काटने से लोग रेबीज (बिराना) रोग के कारण तड़प - तड़प कर मरते हैं। कुत्ते के काटने पर पांच इंजेक्शन लगवाने पड़ते हैं।
इन आवारा कुत्तों पर अंकुश लगाना अनिवार्य है।

शमशेर भालू खां 
9587243963

No comments:

Post a Comment