शहीदों की तुरबत पर लगेंगे हर वर्ष मेले
वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशा होगा।
चुरू के शहीद
शहीद अस्त अली खान दोलतखानी,अगुणा मोहल्ला, चूरू 1971 भारत पाक युद्ध। शव प्राप्त नहीं।
1971 भारत पाक युद्ध,शव प्राप्त नहीं।
शव प्राप्त नहीं।
शहीद इलाही बक्श खान मलकान पीथीसर,1965 भारत चीन युद्ध, शव प्राप्त नहीं।
14 ग्रेनेडियर्स , जम्मू कश्मीर में शहीद
शहादत दिवस
शहीद अस्तअली खाँ कायमखानी निवासी चुरू जिला चुरू
14 ग्रेनेडियर भारतीय सेना
शहादत भारत पाक युद्ध में14 दिसम्बर 1971 को हुई।
शहीद अस्त अली खाँ ,अल्लादीन खान और महनू खान साथियों के साथ पाकिस्तान सीमा के 7 किलोमीटर अन्दर घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक की पाकिस्तानी सेनिको को मौत के घाट उतारकर पाकिस्तानी गोला बारूद को तबाह कर दिया जिसे आज हम बैटल आफ दुरचरया के नाम से याद करते है।
इस ऑपरेशन में कुल 67 जवान शहीद हुए थे जिसमे से शहीद अस्त अली खा दौलतखनी, शहीद महनू खान एलमान (नया बास) ,इलाही बक्श खान जी मलकान (पीथीसर) शहीद अलादीन खान जी सहित, 62 जवान कायमखानी थे।
काफी दिनों से प्रयास कर रहें हैं कि उनके नाम पर अगुने मोहल्ले की पीएचसी, स्कूल का नामकरण किया जावे।
शहीद नूर मोहम्मद खान मलकान सहजुसर और शहीद इलाही बक्श खान मलकान पीथीसर दोनो ही भारत चीन युद्ध में शहीद हुए।
इन पांचों शहीदों की बॉडी लौट कर नहीं आई।
शहीद दफेदार असलम खान जम्मू कश्मीर में गश्त के दौरान वीर गति को प्राप्त हुए।
शहीद इलाही बक्श खान के नाम पर राउमावि पीथीसर का नाम करण किया गया है।
शहीद असलम खान के नाम पर राप्रावि राणासर का नामकरण किया गया है।
शेष सभी शहीदों के नाम पर राजकीय अस्पताल या स्कूल के नामकरण का कार्य प्रगति पर है।
उनकी तुरबत पे नहीं था एक भी दीया
लहू से जिनके जला करता था चराग ए वतन
जगमगा रहे हैं मकबरे उनके
जो बेचा करते थे शहीदों के कफन।
शमशेर भालू खान
जिगर चुरूवी
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