Sunday, 28 July 2024

भारत पाकिस्तान विभाजन

विभाजन का मसौदा
विभाजन की लकीर
                        रेडक्लिफ
भारत का विभाजन एक परिचय
ब्रिटिश भारत में सम्मिलित देश
1. भारत
2. पाकिस्तान
3. बांग्लादेश
4. बर्मा
5. श्रीलंका
6. गोआ (फ्रांस)
7. लक्ष्यद्वीप (पुर्तगाल)

आज के दिन भारत एक राष्ट्र नहीं है, यहाँ पर दो राष्ट्र हैं, हिन्दू और मुसलमान।
- विनायक दामोदर सावरकर (1937 प्रयागराज)

हिन्दुओं और मुसलमानों के धर्म, विचारधाराएँ, रीति-रिवाज़ और साहित्य बिलकुल अलग-अलग हैं। एक राष्ट्र बहुमत में और दूसरा अल्पमत में, ऐसे दो राष्ट्रों को साथ बाँध कर रखने से असंतोष बढ़ कर रहेगा और अंत में ऐसे राज्य की बनावट का विनाश हो कर रहेगा।
- मोहम्मद अली जिन्ना (1940)

हिंदू महासभा और मुस्लिम लीग गठबंधन सरकार 
1944 में कांग्रेस ने अंग्रेजो भारत छोड़ो आन्दोलन अन्तर्गत विरोध स्वरूप कई प्रदेशों में अपनी सरकारों से इस्तीफा दिलवाया तो दोनो संघों ने मिलकर सरकार बनाई।
03 मार्च, 1943 को जब सिंध विधानसभा ने एक प्रस्ताव पेश किया और चर्चा कर उसे पारित किया. सैयद ने वायसराय से सिफारिश की, “भारत के मुसलमान एक अलग राष्ट्र हैं.” हिंदू महासभा के नेता सरकार में थे। हालांकि हिंदू महासभा के मंत्रियों ने प्रस्ताव का विरोध किया और इसके खिलाफ मतदान किया, लेकिन वे सरकार में बने रहे।
ब्रिटिश सरकार ने कांग्रेस सहित सभी राजनीतिक संगठनों पर प्रतिबंध लगा दिए। केवल हिंदू महासभा और मुस्लिम लीग पर कोई प्रतिबंध नहीं था तब बंगाल,पंजाब और सिंध में हिंदू महासभा ने मुस्लिम लीग के साथ मिलकर गठबंधन सरकारें चलाई।

            भारत का विभाजन एक त्रासदी 
              अविभाजित भारत  1947

अविभाजित भारत कश्मीर, पाकिस्तान पूर्वी, पाकिस्तान पश्चिमी, हैदराबाद और गोआ और भारत 

                            भारत
                         पाकिस्त्तान 
                          बांग्ला देश
                           बर्मा (म्यामार)
                        श्रीलंका
मेरी आत्मा इस विचार के विरुद्ध विद्रोह करती है कि हिन्दू और मुसलमान दो विरोधी मत और संस्कृतियाँ हैं। ऐसे सिद्धांत का अनुमोदन करना मेरे लिए ईश्वर को नकारने के समान है।
- महात्मा गांधी 

स्वतंत्रता आंदोलन के परवान चढ़ने से अंग्रेज सरकार ने भारत को आजाद करने का अंतिम फैसला किया। इस निर्णय से भारत में चल रहा द्विराष्ट्र का झगड़ा भी परवान चढ़ा। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यह और तीव्र हो गया। सनातनी, सिख और मुसलमानों के बीच हिंसा शुरू हुई।

    नव निर्वाचित ब्रिटिश प्रधानमंत्री क्लीमेंट एटली
1945 हुए चुनाव में ब्रिटेन में सरकार बदली और एटली प्रधानमंत्री बने।नई सरकार ने भारत की आज़ादी का निर्णय किया। ब्रिटिश सरकार ने इस हेतु क्रिप्स मिशन भारत भेजा। आखिर में माउंटबेटन योजन के अंर्तगत भारत का विभाजन हुआ और स्वतन्त्रता की घोषणा हो गई।

पृष्ठभूमि - 
भारत की आज़ादी की लड़ाई के तीन महत्वपूर्ण बिंदु रहे
1. कांग्रेस
2. ब्रिटिश
3.. सामाजिक और धार्मिक संस्थाएं
कांग्रेस से समय समय पर वैचारिक मतभेद के कारण भारत में कई नई संस्थाएं बनी। सभी संस्थाएं मुख्य रूप से कट्टर धार्मिक भावनाओं के अतिरेक का कारण बनी। यह कहानी शुरू होती है 1905 के बंगाल विभाजन से जिसे धर्म के आधार पर 1905 में पूर्वी और पश्चिमी बंगाल के रूप में दो भागों में बांटा गया। उस समय भारत के गर्वनर जनरल लार्ड मिंटो थे।
भारत का धार्मिक डेमोग्राफिक मानचित्र 1909

द्वि राष्ट्र सिद्धांत 
मुस्लिम लीग
हिंदू महासभा 
आरएसएस

मुस्लिम लीग 

                        चुनाव चिह्न
                     पार्टी का झंडा
        1906 में मुस्लिम लीग स्थापना बैठक

अखिल भारतीय मुस्लिम लीग (एआईएमएल) का 1906 में राजनैतिक दल के रूप में ढाका में गठन हुआ। इसका प्रारंभिक उद्देश्य मुस्लिम हितों का संरक्षण करना था। कांग्रेस ने 1905 के बंगाल विभाजन का भारी विरोध प्रदर्शन किया। इसरत पैलेस ढाका में अखिल भारतीय मुस्लिम शिक्षा सम्मेलन की वार्षिक बैठक 1906 आयोजित हुई जिस में ढाका के नवाब ख्वाजा सलीमुल्लाह ने मुस्लिम हितार्थ राजनीतिक दल बनाने का प्रस्ताव रखा, सर मियां मुहम्मद शफी (लाहौर) ने इसका नाम ऑल इंडिया मुस्लिम लीग सुझाया जो सर्वसम्मति से पारित हुआ। 1905 के बंगाल के विभाजन के बाद मुस्लिम लीग ने पूर्वी बंगाल में सरकार बनाई जिसमें ख्वाजा नजीमुद्दीन पहले मुख्यमंत्री बने।
1915 के हिंदू सभा के प्रस्ताव द्वि राष्ट्र सिद्धांत के अनुसार भारत में दो संस्कृतियां पृथक - पृथक हैं जो एक राष्ट्र नहीं हो सकती का आंशिक समर्थन लीग ने किया। जिसका 1916 में कांग्रेस ने राष्ट्रीय अधिवेशन में विरोध किया। पहले इकबाल कभी भी विभाजन के पक्षधर नहीं थे। वो भारत में वो संघीय व्यवस्था चाहते थे जहां मुस्लिम हित  सुरक्षित रहे। इकबाल ने इलाहाबाद के संबोधन में भारतीय संघ के भीतर मुस्लिम बहुल प्रांत का प्रस्ताव रखा, न कि स्वतंत्र देश का। - डॉ. सफ़दर महमूद। एडवर्ड थॉम्पसन के साथ बातचीत में इकबाल ने कहा कि उन्होंने मुस्लिम लीग के सत्र में अध्यक्ष के रूप में अपनी स्थिति के कारण पाकिस्तान की वकालत की, लेकिन उन्हें यकीन था कि यह पूरे भारत और खासकर मुसलमानों के लिए हानिकारक होगा। विभाजन की मांग 1930 में सर मुहम्मद इकबाल की मुस्लिम बहुल क्षेत्र को पृथक देश पाकिस्तान के रूप में मान्यता देने की मांग पर जोर पकड़ा। 
 कांग्रेस ने भारत के सैनिकों को बिना भारतीय पार्टियों से परामर्श किए सेकंड वर्ल्ड वार में झोंकने का विरोध किया परंतु मुस्लिम लीग ने ब्रिटेन का समर्थन किया। अक्टूबर 1908 के आदेश के अनुसार मुसलमानों को मांग से कम सीटें दी गई। 1909 में मुस्लिम लीग के सदस्यों ने भारत और लंदन में विरोध प्रदर्शन किया। सरकार ने मोर्ले - मिंटो समिति का गठन किया। मिंटो का मानना था कि मुसलमानों को पर्याप्त दिया जा चुका है जबकि मोर्ले के अनुसार और अधिक प्रतिनिधित्व दिया जाना चाहिए। मुस्लिम लीग की केंद्रीय समिति ने 12 सितंबर 1909 को अलग निर्वाचन क्षेत्र और अधिक प्रतिनिधित्व की मांग की। आगा खान के समझौते के अनुसार मुस्लिमों को इंपीरियल काउंसिल में दो अतिरिक्त सीटें आरक्षित की गई। 28 जनवरी 1933 को, पाकिस्तान नेशनल मूवमेंट के संस्थापक चौधरी रहमत अली ने अभी या कभी नहीं किताब में पकिस्तान की व्युत्पत्ति पर विस्तार से चर्चा की -पाकिस्तान फ़ारसी और उर्दू का शब्द है। यह हमारे सभी मातृभूमियों के नामों से लिए गए अक्षरों से बना है जिसमें पंजाब, अफ़गानिस्तान (उत्तर-पश्चिम सीमांत प्रांत), कश्मीर, ईरान, सिंध (कच्छ और काठियावाड़ सहित), तुखारिस्तान, अफ़गानिस्तान और बलूचिस्तान शामिल है। विभाजन से पहले मुस्लिम लीग पर आरोप है कि मुल्तान, रावलपिंडी, कैंपबेलपुर, झेलम और सरगोधा के साथ-साथ हजारा जिले में सनातनियों और सिखों के खिलाफ सांप्रदायिक हिंसा में लिप्त भीड़ का प्रत्यक्ष समर्थन और सहायता की। 1947 में भारत के विभाजन के बाद मुस्लिम लीग को भंग कर दिया गया। नए भारत केरल की इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग ने ली जो केरल में सक्रिय और यूपीए का घटक दल है।
पाकिस्तान निर्माण हेतु मुस्लिम लीग का अभियान

हिंदू महासभा 
कांग्रेस से अलग हो कर मदन मोहन मालवीय ने सन 1915 में हिंदू महासभा (पूर्व में गठित हिंदू सभा का पुनर्गठन) का गठन किया। महासभा ने ब्रिटिश राज से पहले के रूढ़िवादी हिंदुओं के हितों की सुरक्षा हेतु दबाव बनाने के लिए हिंदू महासभा का गठन किया गया। महासभा बाद में 1930 में विनायक दामोदर सावरकर के नेतृत्व में एक अलग पार्टी का रूप  कार्य करने लगी। जिन्होंने हिंदुत्व की अवधारणा विकसित की धर्मनिरपेक्ष राष्ट्रवाद का कड़ा विरोध किया।
                हिंदू महासभा का ध्वज

            हिंदू महासभा का चुनाव चिह्न

हिंदू महासभा की विचारधारा
हिंदू महासभा भारत को हिंदू राष्ट्र के रूप में स्थापित करना चाहती थी। हिंदू महासभा भारत में जाति, वर्ण और वैदिक व्यवस्था की समर्थक रही है। हिंदू महासभा ने हिंदी हिंदू हिंदुस्थान (हिंदुस्तान के नाम पर) का नारा दे कर हिंदुत्व के सिद्धांतों को बढ़ावा देती है।
महासभा ने एक राष्ट्र एक कानून लागू करना चाहती थी। बढ़ती आबादी के लिए मुसलमानों और ईसाइयों को जिम्मेदार ठहराती है। द्वितीय विश्व युद्ध में महासभा ने ब्रिटिश सरकार का समर्थन किया और प्रांतीय और केंद्रीय विधान परिषदों में मुस्लिम लीग के साथ गठबंधन किया। सन 1946 में कांग्रेस द्वारा मुस्लिम लीग हिंदू महासभा में समझौते के प्रयास किए। वार्ता की असफलता के बाद मुहम्मद अली जिन्ना ने मुस्लिम राज्य बनाने के लिए प्रत्यक्ष कार्रवाई का आह्वान किया। इससे सम्पूर्ण भारत में हिंसा बढ़ गई और गृहयुद्ध की स्थिति बन गई जिससे अगस्त में कलकत्ता में सेना तैनात करनी पड़ी। हिंसा बॉम्बे, दिल्ली और पंजाब तक फैल गई। महासभा ने स्पष्ट घोषणा की कि भारत में हिदू और मुसलमान एक साथ नहीं रह सकते।

लार्ड माउंटबेटन योजना
प्रधानमंत्री एटली द्वारा लॉर्ड माउंटबेटन को भारत के विभाजन और सत्ता के जल्द हस्तान्तरण के लिए भारत भेजा। 3 जून 1947 को समस्या के समाधान हेतु विभिन्न चरणों में कार्य निष्पादन हेतु योजना प्रस्तुत की गई। 
1. भारत विभाजन पर सहमति 
2. सत्ता हस्तांतरण और सरकारों को संप्रभु राष्ट्र के रूप में मान्यता।
3. बंगाल और पंजाब विभाजन और उत्तर पूर्वी सीमा प्रान्त और असम के सिलहट जिले में जनमत संग्रह कराया जाना।
4. पाकिस्तान संविधान निर्माण हेतु पृथक संविधान सभा का गठन। 
5. रियासतों को पाकिस्तानया भारत में सम्मिलित होने या स्वतन्त्र इकाई के रूप में रहने की छूट।
6. सत्ता हस्तान्तरण का दिन 15 अगस्त 1947 तय।
7. सीमा रेखा हेतु आयोग का गठन
8. इस योजना के अनुसार भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम, 1947, ब्रिटिश सरकार द्वारा जुलाई 1947 में पारित।
9. भारत पाकिस्तान को 55 करोड़ रुपए देगा। (संपत्ति बंटवारा) ।

अवधारणा - 
भारतीय मुसलमान हिन्दुओं के बहुमत से डरने लगे और हिन्दु नेता मुसलमानों को विशेषाधिकार देने को हिन्दुओं के प्रति भेदभाव मानने लगे। अतः दोनो ही पक्षों में अलगाव बढ़ता गया जो अनियंत्रित दंगों का रूप ले लिया। इन दंगों हेतु मुस्लिम लीग,हिंदू महासभा और आरएसएस जिम्मेदार रहे।

            लार्ड माउंटबेटन के साथ बैठक

विभाजन की कार्यवाही - 
भारत का विभाजन माउण्टबेटन योजना के आधार पर निर्मित भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947 के आधार पर किया गया। इस अधिनियम भारत - पाकिस्तान पृथक - पृथक गणराज्य की घोषणा के साथ ही 15 अगस्त 1947 को स्वतन्त्रता दे दी जाएगी। श्रीलंका (सिलोन) व बर्मा (म्यांमार) को अलग राष्ट घोषित किया गया। लार्ड लुईस माउंटबेटन की उपस्थिति में लियाकत अली खान के सुझाव के अनुसार पाकिस्तान स्वतन्त्रता कार्यक्रम 14 अगस्त (27 रमजान) कराची और भारतीय स्वातंत्रता कार्यक्रम नई दिल्ली में 15 अगस्त को आयोजित हुआ।
1944 में मोहम्मद अली जिन्ना के डायरेक्ट एक्शन डे दंगों में दोनो पक्षों की महिलाओं को अधिक सताया गया। नोआखली (बंगाल) की हिंसा में हिंदू और 1946 पटना (बिहार) हिंसा  में मुस्लिम महिलाओं का अपहरण कर यातनाएं दी गईं। हजारों महिलाओं ने आत्महत्या की। नवंबर 1946 में, गढ़मुक्तेश्वर, अमृतसर में नग्न महिलाओं की परेड कर बलात्कार किया गया था। कहा जा सकता है वर्तमान मणिपुर जेसे हालत थे।
अधिकांश महिलाओं ने परिवारों में अस्वीकार्यता के डर  वापस जाने से मना कर दिया कि उनके परिवार उन्हें कभी स्वीकार नहीं करेंगे।
कांग्रेस के अधिकतर नेता पंथ-निरपेक्ष थे और संप्रदाय के आधार पर भारत का विभाजन करने के विरुद्ध थे। 2016 के अधिवेशन में कांग्रेस ने स्पष्ट कर दिया कि वह किसी धर्म आधारित दल और संगठन के साथ नहीं है।महात्मा गांधी का विश्वास था कि हिन्दू और मुसलमान साथ रह सकते हैं और उन्हें साथ रहना चाहिए। उन्होंने विभाजन का घोर विरोध किया।
मुस्लिम लीग ने अगस्त 1946 में सिधी कार्यवाही दिवस मनाया और कलकत्ता में भीषण दंगे शुरू हो गए। जिसमें हजारों लोग मारे गये और कई हजार घायल। देश में आंतरिक अशांति फेल गई। लगभग पूरा उत्तर भारत पंजाब, बंगाल, बिहार, राजस्थान, उत्तरप्रदेश और कश्मीर इस आग में जल उठे। यह एक तथ्य है कि दक्षिण भारत इन दंगों से लगभग बचा रहा। इस स्थिति में अंग्रेज सरकार और भारतीय नेताओं पर दबाव पड़ने लगा कि वे विभाजन को स्वीकार करें ताकि देश में गृह युद्ध की स्थिति न आ जाए।
विभाजन कार्यवाही को 3 जून योजना या माउण्टबैटन योजना का नाम दिया गया। भारत और पाकिस्तान के बीच की सीमा रेखा लंदन के वकील सर सिरिल रैडक्लिफ ने तय की जिसे आज भी रेडक्लिफ कहा जाता है। सनातन बहुल क्षेत्र भारत और मुस्लिम बहुल क्षेत्र पाकिस्तान बना। 18 जुलाई 1947 को ब्रिटिश संसद ने भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम पारित हुआ जिसमें विभाजन की प्रक्रिया को अंतिम रूप दिया गया। 591 रियासतों ने ब्रिटिश सरकार से पृथक - पृथक समझौते कर रखे थे को स्वतंत्रता दी गई कि वो चाहें तो स्वयं को स्वतन्त्र घोषित कर सकते हैं और चाहेँ तो भारत या पाकिस्तान में सम्मिलित हो सकते हैं। विभाजन के बाद पाकिस्तान को संयुक्त राष्ट्र में नए सदस्य के रूप में शामिल किया गया।

ब्रिटिश सरकार की असफल नीति और विभाजन - 
ब्रिटिश सरकार द्वारा उक्त समय में कई देशों को स्वतन्त्र किया गया और उनका विभाजन भी किया गया। आधिकांश विभाजन धर्म और नस्ल के आधार पर हुई घोर हिंसा के कारण हुए। इनकी वास्तविक जांच की जय तो तथ्य होगा कि सभी विभाजन और हिंसा का मुख्य उद्देश्य सत्ता की प्राप्ति था। भारत में मोहम्मद अली जिन्ना और जवाहरलाल नेहरू के साथ श्यामाप्रहाद मुखर्जी और सावरकर सत्ता की मुख्य धुरी रहे। भारत के साथ ही आयरलैंड, फिलिस्तीन और साइप्रस का भी विभाजन हुआ जिसमें धार्मिक एवं नस्लीय कारणों के अलावा इसमें ब्रिटेन के सामरिक व राजनीतिक हित शामिल थे। ब्रिटेन दिरीय विश्व युद्ध के बाद अपने उपनिवेशों को संभालने में असमर्थ हो चुका था। हर जगह स्वातंत्रत के आंदोलन चल रहे थे। सत्ता के हस्तांतरण से पूर्व कानून - व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी ब्रिटिश सरकार की थी, जिसे वह पुएं नहीं कर पाई और स्वतंत्रता से पूर्व भारत और पाकिस्तान की सरकारों पर अतिरिक्त भार आ गया और दोनों ही सरकारें विफल रहीं। बिगड़ी व्यव्स्था ने लाखो जानें लीं।

आजादी के बाद के हालात और दंगे - 
आजादी के बाद दोनों देशों ने दंगे रोकने और शरणार्थियों को यथा स्थान पहुंचाने का कार्य शुरू किया। बडी संख्या में लोग विस्थापित हुए। इस विस्थापन में तीन संख्याएं थी, 
1 सिक्ख  समुदाय
2 मुसलमान
3 सनातन
सर्वाधिक मारकाट सिक्ख और मुस्लिम समुदाय में हुई, बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में सनातन और मुस्लिम में भी बड़ी मारकाट हुई। भारत सरकार के अनुसार उस समय 60 हजार के करीब महिलाओं का अपहरण और बलात्कार हुआ, इसी तरह पाकिस्तान सरकार ने भी बड़ी संख्या में ऐसा होने का दावा किया।
        विभाजन के बाद के कुछ विभत्स दृश्य

दो देशों के मध्य सम्पत्ति का बंटवारा 
माउण्टबैटन समझौते के अनुसार भारत सरकार की ओर से पाकिस्तान सरकार को 55 करोड़ रुपये की देने का परामर्श दिया गया। दोनों देशों के मध्य संपत्ति बंटवारे की प्रक्रिया बहुत लंबी होने पर गांधीजी ने सरकार पर अनशन कर दबाव बनाया कि पाकिस्तान को 55 करोड़ रुपए जल्दी भेजे। 
12 .10.1947 को पाकिस्भाताn ने भारत के कश्मीर पर आक्रमण कर दिया। इस कारण भारत सरकार इस राशि को रोकना चाहती थी। को इस आगे झुकना पड़ा और यह राशी दिसंबर 1947 में भेज दी गई। कट्टर पंथी लोगों ने इसका विरोध किया। गांधी की भावना आम जन समझ ना सका और उनके विरोध में खड़े हो उठे। यही कारण बता कर गोडसे और उसके साथियों ने गांधी की हत्या की।

भारत  विभाजन और सीमा विवाद 
माउंटबेटन बहुत जल्दबाजी में थे, उनके पास कोई वास्तविक विकल्प नहीं बचा था और उन्होंने कठिन परिस्थितियों में सर्वश्रेष्ठ करने की कोशिश की।
उन्होंने ने रैडक्लिफ रेखा तय करने के साथ ही विभाजन प्रक्रिया को आगे बढ़ाया। सीमा आयोग द्वारा भारत - पाकिस्तान मध्य अंतिम सीमा का निर्धारण करने से पहले स्वतंत्रता प्रदान कर दी गई।

सेना का विभाजन 
संसाधनों के साथ साथ ब्रिटिश भारतीय सेना का भी विभाजन को हुआ जिसका नेतृत्व फील्ड मार्शल सर क्लाउड औचिनलेक ने किया।
चार लाख सैनिकों का धर्म के आधार पर बंटवारा हुआ जिनमें से लगभग 260,000 सैनिक भारत के हिस्से में 140,000 पाकिस्तान गए। नेपाल की गोरखा ब्रिगेड को भारत और ब्रिटेन के बीच विभाजित किया गया।
कई ब्रिटिश अधिकारी इस कार्य हेतु भारत में ही रूम रहे। जिनमें जनरल सर रॉबर्ट लॉकहार्ट और पाकिस्तान के जनरल सर फ्रैंक मेसेर्वी  दोनों देशों में प्रथम सेना अध्य्क्ष) शामिल थे। पाकिस्तान में 19वीं लांसर्स ने भारत में स्किनर हॉर्स से मुस्लिम सैनिकों के लिए अपने जाट और सिख सैनिकों का आदान-प्रदान किया। स्वतंत्रता के बाद सभी ब्रिटिश सैन्य कर्मी स्वदेश लौट गए।भारत छोड़ने वाली ब्रिटिश अंतिम इकाई प्रथम बटालियन, समरसेट लाइट इन्फैंट्री (प्रिंस अल्बर्ट) थी जो 28 फरवरी 1948 को बम्बई के र इंग्लैंड पहुंची।

शमशेर भालू खान 
9587243963

Thursday, 25 July 2024

समाज सुधार एवं अहिंसा कैंप

युवा संप्रेषण एवं कौशल विकास गाइडेंस कैंप
अवधि - 3 दिन
स्थान - कायमखानी हॉस्टल, चुरू 
आयु सीमा - 18 से 50 वर्ष

पात्रता - मुस्लिम समाज 
खर्च - 1375₹
(खाना,रहना,बिस्तर)
आवश्यक सामग्री - दैनिक उपभोग सामग्री,साबुन,तौलिया, ब्रश,कपड़े (जहां तक हो सके सफेद) , स्लीपर, थाली, कटोरी, गिलास, चम्मच, मसल्ला, टोपी, कुरआन मजीद

नियम - 
1.अमीर की बात सर्वमान्य होगी।
2.उपस्थित समूह में से ही अमीर का चयन होगा।
3.निर्धारित समय सारिणी और पाठ्यक्रम रहेगा।
4.किसी भी प्रकार की अनुशासन हीनता स्वीकार्य नहीं होगी।
5.100 आदमी 33 के हिसाब से 3 हिस्सों में रहेंगे और एक अमीर होगा।
6.किसी को भी किसी भी स्थिति में कैम्पस से बाहर जाने का अधिकार नहीं है।
7.मेडिकल और अन्य सुविधाएं कैम्प स्थल पर उपलब्ध रहेंगी।
8 सुविधा में - नाश्ता, खाना और रहना होगा।

टाइम टेबल -
(क) पहला दिन - 
1.उपस्थिति - 
शाम 5 बजे तक 
मगरिब की नमाज से पहले
2. चाय - 
3. नमाज मगरिब - मय अजान और बजमात
4. मशवरा और परिचय अमीर का चयन - मगरिब के बाद ईशा की अजान से पहले तक
5 खाना - चिकन, रोटी, दाल,सलाद, एक मिठाई पीस
6. रात्रि विश्राम 

(ख) दूसरा दिन -
1. जागरण -
सुबह 4:45 बजे तक
2. दैनिक नित्यकर्म,नहाना
फज्र की नमाज से पहले 
3. नमाज फज्र - 
सुबह वक्त के अनुसार 
4. चाय -
सुबह 6:00 से 6:15 बजे 
5. ब्रेक - अन्य जरूरी काम
सुबह 06:15 से 06:30 बजे
6. दीनी तालीम और तिलावत
 कुरआन
सुबह 6:30 से 7:30 बजे
7. चाय - नाश्ता (दूध - जलेबी)
सुबह 07:30 से 8:00 बजे
8. दीनी तालीम (बेसिक इस्लामी ज्ञान) - 
08:00 से 10:00 बजे
9. चाय - 
10,:00 से 10:15 बजे 
10. मुस्लिम समाज जरूरी जानकारियां - 
10:00 से 12:00 बजे
11. खाना 
12:00 से 01:00 बजे
( खीर - जलेबी,पूड़ी/रोटी,सब्जी पनीर, दाल 
12. आराम
 01:00 से जोहर की अजान तक 
13. जोहर की नमाज तय वक्त पर अजान मय जमात
14. चाय -
02:00 से 02:15 बजे
15. कानूनी सलाह 
02:15 से 04:00 बजे
16. चाय और फलाहार (मिक्स)
17. अस्र की नमाज मय अजान और जमात 
18. ट्रेड्स एंड ट्रेनिंग मगरिब तक
19. नमाज मगरिब मय अजान और जमात
20. नमाज केसे पढ़ें ईसा की नमाज तक (फर्ज,सुन्नत, नफ्ल)
21. नमाज ईसा मय अजान और जमात
22. खाना - 
रोस्टेड मटन, रोटी नान/सादा, मटन करी
23 मार्शल आर्ट्स 
24. रात्रि विश्राम 

(ग) तीसरा दिन -
1. जागरण -
सुबह 4:45 बजे तक
2. दैनिक नित्यकर्म,नहाना
फज्र की नमाज से पहले 
3. नमाज फज्र - 
सुबह वक्त के अनुसार 
4. चाय -
सुबह 6:00 से 6:15 बजे 
5. ब्रेक - अन्य जरूरी काम
सुबह 06:15 से 06:30 बजे
6. दीनी तालीम और तिलावत
 कुरआन
सुबह 6:30 से 7:30 बजे
7. चाय - नाश्ता (आमलेट)
सुबह 07:30 से 8:00 बजे
8. दीनी तालीम (बेसिक इस्लामी ज्ञान) -
08:00 से 10:00 बजे
9. चाय - 
10,:00 से 10:15 बजे 
10. मुस्लिम समाज का इतिहास - 
10:00 से 12:00 बजे
11. खाना -
12:00 से 01:00 बजे
बिरयानी, दाल,सब्जी अंडा करी, दही, एक पीस मिठाई
12. आराम 
01:00 से जोहर की अजान तक 
13. जोहर की नमाज तय वक्त पर अजान मय जमात
14. चाय 
02:00 से 02:15 बजे
15. कानूनी सलाह 
02:15 से 04:00 बजे
16. चाय और फलाहार (मिक्स फल)
17. अस्र की नमाज मय अजान और जमात 
18. पशु पालन (बकरी/गाय भैंस) मगरिब तक
19. नमाज मगरिब मय अजान और जमात
20. गुस्ल,वजू और मयत की नमाज ईसा की नमाज तक (फर्ज,सुन्नत, नफ्ल)
21. नमाज ईसा मय अजान और जमात
खाना -
22. चिकन करी, दाल,रोटी, गुलाब जामुन
23. मार्शल आर्ट्स 
24. रात्रि विश्राम 

(घ) चौथा दिन -
1. जागरण -
सुबह 4:45 बजे तक
2. दैनिक नित्यकर्म,नहाना
फज्र की नमाज से पहले 
3. नमाज फज्र - 
सुबह वक्त के अनुसार 
4. चाय -
सुबह 6:00 से 6:15 बजे 
5. ब्रेक - अन्य जरूरी काम
सुबह 06:15 से 06:30 बजे
6. दीनी तालीम और तिलावत
 कुरआन
सुबह 6:30 से 7:30 बजे
7. चाय - नाश्ता (पोहा)
सुबह 07:30 से 8:00 बजे
8. दीनी तालीम (बेसिक इस्लामी ज्ञान) - 
08:00 से 10:00 बजे
9. चाय - 
10,:00 से 10:15 बजे 
10. मुस्लिम समाज का इतिहास एवं गौरव - 
10:00 से 12:00 बजे
11. खाना 12:00 से 01:00 बजे
गाजर का हलवा, दाल,चिकन रोस्टेड दही, 
12. आराम 
01:00 से जोहर की अजान तक 
13. जोहर की नमाज तय वक्त पर अजान मय जमात
14. चाय -
02:00 से 02:15 बजे
15. शरियत सलाह 
02:15 से 04:00 बजे
16. चाय और फलाहार (मिक्स फल)
17. अस्र की नमाज मय अजान और जमात 
दुआ के साथ इख्तिताम

विशेषज्ञ -
1. इस्लामिक स्कॉलर्स
2. कानूनी सलाहकार
3. बिजनेस एडवाइजर
4. मुस्लिम समाज शोधक एवं विशेषज्ञ
5. पशु पालन विशेषज्ञ
6. पॉलिटिकल आइकॉन
7. आर्मी गेस्ट
8. सोशल रिफॉर्म्स आइकॉन

इंतजामिया कमेटी
मुस्लिम समाज, चूरू

यह केसा प्रोग्राम रहेगा देख कर बताओ।

Tuesday, 23 July 2024

जुमला एवं खुद की सरकार बचाने वाला बजट - धर्मेंद्र राठौड़

.                        श्री धर्मेंद्र राठौड़ 

जुमला एवं खुद की सरकार बचाने वाला बजट-      - धर्मेंद्र राठौड़ (पूर्व चेयरमैन RTDC) की प्रतिक्रिया
                   
राजस्थान बजट 20240- 25 एक समलोचना - 
             पूर्व आरटीडीसी अध्यक्ष धर्मेंद्र राठौड़ ने केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तुत बजट को जुमला बजट, उनके सहयोगियों को रेवड़ियां बांटने वाला,  देश की जनता कमाई को पूंजीपति मित्रो में बांटने वाला जुमला करार दिया।
खास तौर से राजस्थान को इस बजट से निराशा के अलावा किस नहीं मिला।
               समाचार पत्र की प्रति 
राठौड़ ने कहा कि कांग्रेस के न्याय के एजेंडे को ठीक तरह से कॉपी भी नहीं कर पाई भाजपा सरकार 
साफ तौर पर मोदी सरकार का यह बजट कॉपी पेस्ट के अलावा कुछ नहीं। 
इस बजट में सरकार ने गठबंधन के साथियों को ठगने के लिए आधी-अधूरी  रेवड़ियां बांटी हैं, ताकि एनडीए बचा रह सके। 
           पुष्कर सरोवर के बारे में प्रेस नोट 
उन्होंने कहा कहा कि यह बजट देश की तरक्की का बजट न होकर "मोदी सरकार बचाओ" वाला बजट है। 10 साल बाद युवाओं के लिए सीमित घोषणाएं हुईं जो सालाना दो करोड़ नौकरियों के जुमले को झेल रहे हैं। किसानों को लिए केवल सतही बातें हुईं हैं। डेढ़ गुना एमएसपी और आय दोगुना करना, ये सब चुनावी जुमलेबाजी निकली। ग्रामीण सेवा में कार्यरात लोक सेवकों और वेतन और ग्रामीणों की आय को बढ़ाने का इस सरकार का कोई इरादा नहीं है। बजट में दलित, आदिवासी, पिछड़े वर्ग, अल्पसंख्यक, माध्यम वर्ग और गाँव के ग़रीब लोगों के लिए कोई भी योजना नहीं है। कांग्रेस- यूपीए के समय लागू योजनाओं जेसी कोई एक भी योजना की घोषणा नहीं हुई। ग़रीब शब्द केवल स्वयं की ब्रांडिंग करने का माध्यम बन गया है।
       रिपोर्टिंग एक अंग्रेजी समाचार पत्र द्वारा 

महिलाओं के लिए इस बजट में ऐसा कोई योजना अथवा कार्यक्रम नहीं  जिससे उनकी आर्थिक क्षमता बढ़े और वो वर्क फॉर्स में अधिक से अधिक शामिल हों। उल्टा महँगाई पर सरकार अपनी पीट थपथपा रही है। जनता की गाढ़ी कमाई लूट कर  पूंजीपति मित्रों में बाँट रही है सरकार। कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा, जन-कल्याण और आदिवासियों पर बजट आवंटन से कम किया गया है। इसी तरह Capital Expenditure पर एक लाख करोड़ कम खर्च किया है, तो फिर नौकरियाँ कहा से बढ़ेंगी। शहरी विकास, ग्रामीण विकास, आधारभूत सुविधाएं, उत्पादन, लघु उद्योग विकास, निवेश, E.V. योजना - सब पर केवल दस्तावेज नीति, अवधारणा, प्रतिपुष्टि की बात की गई है, पर कोई बड़ी घोषणा नहीं की गई है। आए दिन रेल हादसे हो रहें हैं, ट्रेनों को बंद किया गया है, कोच की संख्या घटी है, आम यात्री परेशान हैं, पर बजट में रेलवे के बारे में कुछ नहीं कहा गया है, कोई जवाबदेही नहीं है।  
जनगणना व जातिगत जनगणना पर कोई विचार नहीं। भारत सरकार का यह पाँचवा बजट है जो बिना जनगणना आंकड़ों के प्रस्तुत किया जा रहा है। सरकार का पांच साल में जनगणना नहीं करवा पाना असफल कार्यशेली की द्योतक है जो लोकतंत्र और संविधान के विरुद्ध है। 20 मई 2024 को (चुनाव के दौरन) प्रधानमंत्री जी ने एक साक्षात्कार में दावा किया था कि 100 दिनों की कार्य योजना हमारे पास पहले से ही तैयार है। जब कार्य योजना दो महीने पहले थी तो कम से कम बजट में ही बता देते है। 
वास्तव में इस बजट में न कोई योजना है ना ही नियोजन।
        अजमेर पुष्कर सरोवर के बारे में एक लेख 

भाजपा सरकार जनता से धूर्तता पूर्वक धोखाधड़ी कर रही है। - धर्मेन्द्र राठौड़ 

ब्लॉग 
शमशेर भालू खान 
9587243963