जुमला एवं खुद की सरकार बचाने वाला बजट- - धर्मेंद्र राठौड़ (पूर्व चेयरमैन RTDC) की प्रतिक्रिया
राजस्थान बजट 20240- 25 एक समलोचना -
पूर्व आरटीडीसी अध्यक्ष धर्मेंद्र राठौड़ ने केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तुत बजट को जुमला बजट, उनके सहयोगियों को रेवड़ियां बांटने वाला, देश की जनता कमाई को पूंजीपति मित्रो में बांटने वाला जुमला करार दिया।
खास तौर से राजस्थान को इस बजट से निराशा के अलावा किस नहीं मिला।
राठौड़ ने कहा कि कांग्रेस के न्याय के एजेंडे को ठीक तरह से कॉपी भी नहीं कर पाई भाजपा सरकार
साफ तौर पर मोदी सरकार का यह बजट कॉपी पेस्ट के अलावा कुछ नहीं।
इस बजट में सरकार ने गठबंधन के साथियों को ठगने के लिए आधी-अधूरी रेवड़ियां बांटी हैं, ताकि एनडीए बचा रह सके।
उन्होंने कहा कहा कि यह बजट देश की तरक्की का बजट न होकर "मोदी सरकार बचाओ" वाला बजट है। 10 साल बाद युवाओं के लिए सीमित घोषणाएं हुईं जो सालाना दो करोड़ नौकरियों के जुमले को झेल रहे हैं। किसानों को लिए केवल सतही बातें हुईं हैं। डेढ़ गुना एमएसपी और आय दोगुना करना, ये सब चुनावी जुमलेबाजी निकली। ग्रामीण सेवा में कार्यरात लोक सेवकों और वेतन और ग्रामीणों की आय को बढ़ाने का इस सरकार का कोई इरादा नहीं है। बजट में दलित, आदिवासी, पिछड़े वर्ग, अल्पसंख्यक, माध्यम वर्ग और गाँव के ग़रीब लोगों के लिए कोई भी योजना नहीं है। कांग्रेस- यूपीए के समय लागू योजनाओं जेसी कोई एक भी योजना की घोषणा नहीं हुई। ग़रीब शब्द केवल स्वयं की ब्रांडिंग करने का माध्यम बन गया है।
महिलाओं के लिए इस बजट में ऐसा कोई योजना अथवा कार्यक्रम नहीं जिससे उनकी आर्थिक क्षमता बढ़े और वो वर्क फॉर्स में अधिक से अधिक शामिल हों। उल्टा महँगाई पर सरकार अपनी पीट थपथपा रही है। जनता की गाढ़ी कमाई लूट कर पूंजीपति मित्रों में बाँट रही है सरकार। कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा, जन-कल्याण और आदिवासियों पर बजट आवंटन से कम किया गया है। इसी तरह Capital Expenditure पर एक लाख करोड़ कम खर्च किया है, तो फिर नौकरियाँ कहा से बढ़ेंगी। शहरी विकास, ग्रामीण विकास, आधारभूत सुविधाएं, उत्पादन, लघु उद्योग विकास, निवेश, E.V. योजना - सब पर केवल दस्तावेज नीति, अवधारणा, प्रतिपुष्टि की बात की गई है, पर कोई बड़ी घोषणा नहीं की गई है। आए दिन रेल हादसे हो रहें हैं, ट्रेनों को बंद किया गया है, कोच की संख्या घटी है, आम यात्री परेशान हैं, पर बजट में रेलवे के बारे में कुछ नहीं कहा गया है, कोई जवाबदेही नहीं है।
जनगणना व जातिगत जनगणना पर कोई विचार नहीं। भारत सरकार का यह पाँचवा बजट है जो बिना जनगणना आंकड़ों के प्रस्तुत किया जा रहा है। सरकार का पांच साल में जनगणना नहीं करवा पाना असफल कार्यशेली की द्योतक है जो लोकतंत्र और संविधान के विरुद्ध है। 20 मई 2024 को (चुनाव के दौरन) प्रधानमंत्री जी ने एक साक्षात्कार में दावा किया था कि 100 दिनों की कार्य योजना हमारे पास पहले से ही तैयार है। जब कार्य योजना दो महीने पहले थी तो कम से कम बजट में ही बता देते है।
वास्तव में इस बजट में न कोई योजना है ना ही नियोजन।
भाजपा सरकार जनता से धूर्तता पूर्वक धोखाधड़ी कर रही है। - धर्मेन्द्र राठौड़
ब्लॉग
शमशेर भालू खान
9587243963
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