कहानी सिक्किम की -
साल 1973 की एक सुबह इंदिरा जी ने काव साहब को बुलाया और पूछा, सिक्किम में कुछ कर सकते हो? मोटे फ्रेम के चश्मे वाले स्पाय मास्टर काव REB प्रमुख, रॉ के फाउंडर थे। सन 1967 में चो-ला दर्रे पर चाइनीज हमला बेकार किया जा चुका था, पर सिक्किम के राजा, चीन से दोस्ती बढ़ा रहे थे इसलिए सिक्किम में कुछ करना जरूरी था।
नीचे पश्चिम बंगाल में नक्सलबाड़ी में वामपन्थी आतंक था। नार्थईस्ट से जोड़ने वाली चिकन नेक, ब-रास्ते सिक्किम, चीन के हाथ लगने वाली थी।
17वीं सदी में जब मुगल सल्तनत का सूरज डूबने लगा, पूर्वोत्तर में नामग्यालों का सूरज उगा। तिब्बती नामग्यालों ने सिक्किम राज्य की स्थापना की।
फिर नेपाल ने इससे बड़े इलाके जीत लिए। फिर अंग्रेज आये। उन्होंने नेपाल के कुमाऊँ गढ़वाल सहित एक बड़ा हिस्सा सुगौली की संधि के अंतर्गत सिक्किम के कब्जाए इलाके छीनकर, वापस नामग्याल को दे दिए। सिक्किम से यह संधि ट्रीटी ऑफ टीटालिया कहलाई।
अंग्रेज नामग्याल भाई भाई का नारा दे कर
दोस्ती बनाए रखने हेतु अंग्रेज यह कर रहे थे।
अंग्रेज ठंडे क्षेत्र की चाहत रखते थे, उन्हें एक हिल स्टेशन की चाहत थी। यह जगह कलकत्ता के करीब दार्जिलिंग थी जिसे अंग्रेजों ने सिक्किम से मांग लिया। अंग्रेजों ने कहा कि आपको दार्जिलिंग से जितनी कमाई होती है उतना किराया हम दे देंगे। नामग्याल ने दार्जिलिंग को 6000 रुपए के वार्षिक किराए पर दे लिया।
एक बार अंग्रेज किराया देना भूल गये, तो गुस्साए नामग्यालों ने दार्जिलिंग पर हमला कर दिया। ब्रिटिश ने सेना भेजी, राजा को औकात बताई पर किराया दे दिया।
इसके बाद, सिक्किम के राजा की औकात, अधिक से अधिक आज के जिला कलक्टर जैसी रही।
1890 के आसपास सिक्किम को प्रोटेक्टोरेट का दर्जा दिया गया जिसमें विदेश और रक्षा संबंधी मामले ब्रिटिश के अधिकार क्षेत्र में आ गए। राजा, बाकी मामलों में स्वतंत्र रह जो 1950 तक जारी रहा। अब नेहरू - पटेल रियासतों से एक्सेशन साइन करवाकर भारत का मैप बढा रहे थे। हर राजा से अंग्रेजो की ट्रीटी स्थान एवं आवश्यकता के अनुसार अलग थी। आजाद भारत के साथ नए समझौते उसी लीक पर होते रहे। सिक्किम भी अलग देश मगर भारत का प्रोटेक्टोरेट बना रहा। शासन नामग्याल का और रक्षा एवं विदेश मामले भारत सरकार के
भारत के प्रधानमंत्री नेहरू ने सिक्किम के राजा को सलाह दी कि आप चुनाव करवाओ, अलग से मुख्यमंत्री बनाओ। राजा ने बात मानकर ऐसा कर लिया और सिक्किम में लोकतंत्र की स्थापना हो गई।
नामग्याल और नेहरू में अच्छी बनती थी दोनों एक दूसरे के भरोसेमंद थे जिससे यह व्यवस्था चलती रही। वर्ष 1963 में राजा नामग्याल और वर्ष 1964 में नेहरू की मृत्यु हो गई।
वर्ष 1965 में वैश्विक राजनीति से भारत और सिक्किम के संबंध बदल गए। राजकुमार नामग्याल ने पिता का उत्तरदायित्व संभाल लिया एवं सुंदर अमरीकी पत्रकार होप कुक से विवाह रचा लिया। यह पत्रकार सिक्किम में महारानी के रूप में अलग खिचड़ी कुक करने लगी, उसने राज कार्य अपने हाथ में ले लिया। अब तक सिक्किम का अपना अलग झंडा था, मगर विदेश में भारत का तिरंगा ही लगाने की अनुमति थी। मैडम कुक सिक्किम को प्रोटेक्टोरेट के स्थान पर देश के रूप में प्रचारित करने लगी। वह विदेश में भारत के तिरंगे की जगह सिक्किम का का झंडा लगाकर घूमने लगी। फॉरेन आर्टिकल्स लिखती, सिक्किम को स्वतंत्र देश बताती जिससे भारत की चिंताएं बढ़ना स्वाभाविक था।
अब भारत की सत्ता में इंदिरा की एंट्री होती है और अमेरिका मे निक्सन की। निक्सन चीन के किसिंजर से मिलकर भारत के विरुद्ध पिंगपांग डिप्लोमेसी खेल रहे थे।
निक्सन ओल्ड बिच (इंदिरा) को उलझाने के लिए महारानी होप कुक का इस्तेमाल करने लगे। इधर चाइनीज डिप्लोमेट्स चोरी छुपे सिक्किम में घुसने लगे।
तब इंदिरा ने काव को बुलाकर पूछा - सिक्किम में कुछ कर सकते हो?
ये प्रश्न नही, अनुमति थी। सिक्किम में कुछ होने लगा। राजा के विरुद्ध आंदोलन, डेमोक्रेसी की मांग, तो भूटिया - नेपाली मारपीट शुरू हो गई।
सिक्किम का नया संविधान बनाने की मांग वहां के अखबारों मीडिया की हेडलाइन बन गई।में उभरने लगी। नामग्याल को नए संविधान के बनने से सत्ता के जाने का भय सताने लगा। घबराए नामग्याल ने महारानी के कहने पर आंदोलन को कुचलने के लिए दमनकारी आदेश जारी कर दिए।
इस स्थिति में सिक्किम के मुख्यमंत्री ने मजबूर हो कर जनता की खुशी के लिए सदन की आपात बैठक बुलाई।
नामग्याल का राजशाही पद सदन द्वारा बहुमत प्रस्ताव से खत्म कर दिया गया।
मुख्यमंत्री ने भारत से मदद मांगी। अब इंदिरा ने सिक्किम की जनता के भले के लिए सेना भेजी। 18 अप्रैल 1975 को गंगटोक पैलेस में एक सैनिक मरा, बाकी ने सरेंडर कर दिया।
महाराजा एवं महारानी होम अरेस्ट कर दिए गए।
फ़टाफ़ट जनमत संग्रह हुआ। इंदिरा की कूटनीति और सिक्किम की जनता के समर्थन से नामग्याल की रियासत अब भारत गणराज्य का अभिन्न अंग बन गई। चीन और अमरीका मुंह ताकते रह गए। होप कुक अमेरिका भाग गई।
विदेशी ताकतों को हराकर, इंदिरा पलटी।
दरवाजे पर जेपी खड़े थे। पीछे मुट्ठियां भांजते मोरारजी, राजे रजवाड़े और RSS, उनसे इस्तीफा मांग रहे थे।
और उत्तर प्रदेश हाईकोर्ट का एक जज, फैसला लिख रहा था।
आगे ......
शमशेर भालू खां
जिगर चुरूवी
9587243963
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