गधा (Donkey) जैक एंड जैनी
गधे से संबंधित लोकोक्तियां व मुहावरे -
गधा - मूर्ख
गधे के सर से सींग की तरह गायब - छुप जाना, लापता हो जाना।
खरपगा - अपशकुनी
गंधर्व विवाह - बिना किसी सामाजिक कार्यक्रम व रिवाज के विवाह।
गंधर्व संतान - जिसके पिता का पता नहीं हो ऐसी संतान। (गंधर्व कन्या)
गधे और घोड़े एक समान नहीं होते - मूर्ख और ज्ञानी का अंतर।
गधे की तरह काम करना - अत्यधिक परिश्रम करना।
नाक गधे सी फुलाना - बदसूरत चेहरा
गधे की आंख में घी डालना - अपात्र का भला चाहना।
बैसाख नंदन - मूर्ख
धोबी का गधा घर का न घाट का - कहीं सम्मान नहीं मिलना, किसी के भी साथ अच्छे संबंध नहीं होना।
गधे की तरह लात मारना - आक्रामक हमला करना, पीठ पीछे नुकसान करना।
कुरड़ी का गधा - लावारिश
मुंह काला कर गधे पर बैठाना - सार्वजनिक रूप से अपमान करना
गधे के पर्यायवाची -
गधा, खर, गंधर्व, बैसाख नंदन,
घोड़े और गधे में अंतर -
घोड़ा और गधा सामान्य रूप से एक जैसे ही हैं। दोनों ही सामान की ढुलाई, सवारी, गाड़ी खींचने व खेती के काम में लिए जाते हैं। इनमें अंतर यह है -
1. घोड़ा अमीरी का और गधा गरीबी का प्रतीक है।
2. घोड़ा गधे से ऊंचा व लम्बा होता है।
3. घोड़े के कान गधे से छोटे होते हैं।
4. घोड़े की कीमत गधे से अधिक होती है।
5. घोड़ा युद्ध, घुड़सवारी एवं शौक के लिए एवं गधा भारी काम करने के लिए पाला जाता है।
6. घोड़े के खुर गधे से मुलायम होते हैं, जिन्हें घिसने से बचाने हेतु नाल लगाई जाती है।
7. घोड़े की आवाज और गधे की आवाज में अंतर होता है।
8. घोड़े को सुंदरता और गधे को कुरूपता का प्रतीक माना जाता है।
9. कुम्हार, धोबी, चरवाहे, किसान व हम्माल गधा, अमीर, रईस, जागीरदार, जॉकी घोड़ा पालते हैं।
10. घोड़े का मोल गधे से अधिक होता है।
11. कुछ देशों में घोड़े का मांस खाया जाता है जबकि गधे का मांस अपवाद रूप से खाया जाता है।
12. घोड़े सफेद, लाल, स्लेटी, बे, सफेद धब्बेदार व तांबा रंग के होते हैं जबकि गधे अधिकतर स्लेटी रंग के होते हैं।
12. अधिकांश घोड़ों का रंग एक सा (धब्बों को छोड़ कर) होता है जबकि अधिकांश गधों का पेट पीठ से अलग सफेद होता है।
13. घोड़े का मुंह लंबा होता है, गधे का मुंह घोड़े से कम लंबा पर अधिक चौड़ा होता है।
14. घोड़े की पूंछ गधे से लंबी और मोटी होती है।
15. घोड़े गधे से तेज दौड़ते हैं।
16. गधा हठी और घोड़ा आज्ञाकारी होता है।
घोड़े और गधे में समानताएं -
1. चेहरे की बनावट समान है।
2. नाक समान होती है।
3. खुर समान होते हैं।
4. लिंग का आकार समान होता है।
5. दोनों ही शाकाहारी हैं।
6. दोनों ही जमीन पर लौट कर थकान उतारते हैं।
7. पीठ का आकार समान होता है।
8. वर्तमान में दोनों की उपयोगिता कम हो गई है।
9. दोनों की विपरीत जोड़ी से संकरण करवा कर खच्चर पैदा की जाती है।
10. दोनों का उपयोग (युद्ध व दौड़ को छोड़ कर) समान है।
11. गधे घोड़े की प्रजाति की एक उपजाति हैं।
गधा उपयोगिता,इतिहास एवं विकास
गधा एक्वस अफ्रीकनस एशिनस (अश्व) परिवार का पशु है। कई देशों में इसे बोझा ढोने के काम लिया जाता है। गधा चरवाहे, धोबी, कुम्हार और पहाड़ियों तक सामान ढोने वाले हम्माल वर्ग द्वारा पाला जाता है।यह जीव गजब का सहनशील प्राणी है।इसके चेहरे के भाव दुःख और खुशी के समय एक सा बना रहता है।
गधे का वैज्ञानिक वर्गीकरण -
जगत - एनिमेलिया
संघ- कॉर्डेटा
वर्ग - स्तनधारी
गण - पेरिसोडैक्टिल
कुल - इक़्वीडेई
वंश - इक़्वस
उपवंश - ऐसिनस
जाति - इ. अफ्रीकैनुस
उपजाति - इ. अफ्रीकैनुस ऐसीनस
त्रिपद नाम - इक़्वस अफ्रीकैनुस ऐसीनस
वर्तमान में गधा विलुप्ति के कगार पर संकटग्रस्त नस्ल है।
गधे का इतिहास -
गधे को अफ्रीका में लगभग सात हजार वर्ष पूर्व (घोड़े के लभभग साथ ही) पालतू बनाया गया। तब से यह बोझा ढोने, सवारी और गाड़ी खींचने के काम में लगा है।
आज विश्व में लगभग चार करोड़ गधे हैं। गधे का पालन अधिकांशतः अविकसित देशों में होता है। वयस्क नर गधे को जैक या जैकस होता है व मादा जेनी या जेनेट कहते है इसके बच्चे को बछेरा/बछेरी कहते हैं।
गधों की नस्लें -
विलुप्त प्रजाति - पेटिट ग्रिस डु बेरी, (फ्रांस), मियांकाला (माले), गुस्सा (ईरान), इर्पीनिया असीनो (इटली), कैसल मोरोन असिनो (इटली, विलुप्त), अल्बर्टो असिनो (इटली, विलुप्त), अमिलियानो असीनो (इटली, विलुप्त),
मैमथ जैकस्टॉक(अमेरिका, USA)-
भारत में गधे का इतिहास -
भारत में गधे उपयोग वैदिक काल से खेती, परिवहन, और सवारी हेतु किया जाता रहा है। ऋग्वेद में इसका वर्णनमिलता है।
भारतीय जंगली गधे की स्थिति:
भारतीय जंगली गधे को खर के नाम से भी जाना जाता है जो दक्षिण एशिया का देशज पशु है। इसे गुजरात का जंगली गधा या बलूची जंगली गधा भी कहते हैं।
इन गधों हेतु घुड़खर अभयारण्य, गुजरात के लघु कच्छ रण में स्थित है।
भारत में गधे की नस्लें -
भारत में गधे की तीन नस्लें पाई जाती हैं -
1. भारतीय जंगली गधा (घुड़खर) -
इसे गुजरात का जंगली गधा या बलूची जंगली गदहा भी कहते हैं। इसकी देहदशा मज़बूत होती है और वज़न लगभग ढाई सौ किलो होता है। इसकी अधिकतम रफ़्तार लगभग 70 से 80 किमी प्रति घंटा है। यह लुप्तप्राय की सूची में हैं। यही कारण है कि घुड़खर को वन्य पशु सुरक्षा अधिनियम 1972 के अंतर्गत पहली सूची में रखा गया है। अमिताभ बच्चन ने इसके संरक्षण हेतु कैंपेन किया।विज्ञापन किया। इसी गंभीरता और संवेदनशीलता को देखते हुए भारत सरकार ने 2013 में घुड़खर पर डाक टिकट जारी किया। यह प्रजाति केवल भारत के गुजरात राज्य में पाई जाती है जिसे IUCN द्वारा अति संकटग्रस्त नस्ल के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।
भारत में पाए जाने वाले सबसे आम गधे हैं जो मज़बूत और कठोर स्वभाव के होते हैं।
इनका इस्तेमाल मुख्य रूप से परिवहन और कृषि के लिए किया जाता है।
3. हलारी गधा -
यह गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र का मूल निवासी है जो यह एक अनोखी और दुर्लभ नस्ल है।
इसकी खासियत के कारण इनकी कीमत करीब एक लाख रुपए तक होती है। हलारी गधा गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र का दुर्लभ और महत्वपूर्ण नस्ल है जो गधे सफ़ेद रंग के होते हैं और इनके थूथन और खुर काले होते हैं। हलारी गधे शांत स्वभाव के होते हैं जो मनुष्यों के साथ मिलकर काम करते हैं। यह गधे जलवायु अनुकूल ढलने में माहिर हैं। यह गधे कम चारे और पानी में जीवित रह सकते हैं। हलारी गधे की संख्या लगातार कम हो रही है और ये लुप्तप्राय प्रजाति में आ गए हैं। इनके संरक्षण हेतु सहजीवन ट्रस्ट और राष्ट्रीय पशु आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो मिलकर काम कर रहे हैं।
गधी का दूध -
मादा गधे का दूध अपने उच्च पोषण तथा चिकित्सीय मूल्य के कारण विश्व में लोकप्रियता प्राप्त कर रहा है। तमिलनाडु में इस व्यवसाय को उभरते हुए उद्योग के रूप में माना जाता है। हलारी गधे की खासियत इनके दूध की मिठास है जो औषधीय गुण के कारण दुनिया में सबसे महंगे दूध में से एक है। हलारी गधी के दूध का उपयोग सौंदर्य प्रसाधन सामग्री बनाने, त्वचा संबंधी रोगों के उपचार में होता है।इसका दूध पाउडर अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में 7,000 रुपये प्रति किलोग्राम से भी ज़्यादा में बिकता है।
गधों की वर्तमान स्थिति -
वर्तमान में गुजरात में द डोंकी पैलेस फॉर्म श्री बाबू नाम के व्यवसाय ने 75 से अधिक फ्रेंचाइजी फार्मों के माध्यम से लगभग 5000 गधों का प्रबंधन करते हुए भारत के सबसे बड़े गधा फार्म के मालिक हैं। उन्होंने द डोंकी पैलेस वन हेल्थ - वन सॉल्यूशन - एक संरक्षण, मनोरंजन और जागरूकता केन्द्र भी स्थापित किया है। जिसका उद्देश्य गधों के मूल्य को बढ़ाने के साथ-साथ समाज तथा अर्थव्यवस्था में इसके योगदान को बढ़ावा देना है।
भारत सरकार के पशुपालन और डेयरी विभाग के आंकड़ों के अनुसार भारत में गधों की संख्या में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है। इसके कारण हैं -
1. सस्ते परिवहन साधन उपलब्ध होना।
2. गधों को पालने में अधिक संसाधन की आवश्यकता।
3. खेती के काम में मशीनों का उपयोग।
4. सवारी के रूप में आज की स्थिति में यह अनुपयोगी।
5. खच्चर ने गधे को अनुपयोगी बना दिया है।
शमशेर भालू खां
9587243963
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