लघु कथा
समझदारी.....एक बार एक व्यापारी थका हुआ घर आया। खाना खा कर सो गया। रात के बारह बजे एक चोर उसके घर में घुस आया। व्यापारी जाग गया, चोर ने मकान मालिक के जागने की आहट सुनी और वह पास ही रखी बोरियों के पीछे छुप गया।
व्यापारी ने अपनी पत्नी को जगा कर पानी मंगवाया।
अब वह पानी को मुंह में भर कर एक बार अपनी पत्नी की तरफ ओर एक बार बोरियों की तरफ फूंक देता।
उसकी पत्नी पति के अवांछित व्यवहार से परेशान हो गई।
व्यापारी अपनी इस प्रक्रिया को बार बार दोहराता रहा। दोनों में झगड़ा शुरू हो गया। झगड़ा सुनकर पड़ोसी जाग जाग गए। काफी देर झगड़ा होने पर सभी उन्हें समझाने उनके घर इकट्ठे हो गए।
लोगों ने उसे समझाया कि पत्नी पर इस तरह मुंह में पानी ले कर फेंकना गलत है परन्तु व्यापारी अपना काम लगातार करता रहा।
जब 15 - 20 पड़ोसी युवक भी आ गए तो उसने ने एक पीक पत्नी की तरफ फेंकी और दूसरी बोरी की ओर फेंकते हुए कहा
भाइयों मेरे मुंह में पानी लेने से सिर्फ इसे ही तकलीफ क्यों है, वो चोर जो बोरियों के पीछे छुपा है उसे बिल्कुल बूरा नहीं लगा।
लोग समझ गए और बोरियों के पीछे छिपे चोर को पकड़ कर पहले उसकी धुलाई की, बाद में पुलिस को सौंप दिया।
शिक्षा - जहां चाह वहां राह। कभी - कभी समझदारी चुप रहने में नहीं झगड़ने में भी हो सकती है।
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