पशु पालन -
मानव ने खेती के साथ साथ ही पशुओं को पालने का काम शुरू किया। यह बोझा ढोने, हल खींचने, सवारी के साथ - साथ दूध, मांस, खाल, हड्डी, बाल, सींग, चर्बी एवं अन्य उपयोगी सामग्री के आसान प्रदायक बने। हड्डी से हथियार एवं श्रृंगार प्रसाधन बनाए जाने लगे। खाल से शरीर को ढकने में सहायता मिली। बाल से वस्त्रादि बनाए जाने लगे। शिकार के स्थान पर आसानी से मांस मिलने लगा। दूध एवं दुग्धोत्पादन के सामान मिल गए। पशु पालन पहले निज आवश्यकता के अनुसार हुआ जो बाद में एक व्यवसाय बन गया।
आज कल डेयरी एवं फार्म के रूप में व्यवसायिक पशुपालन किया जाता है, इस हेतु बैंक या सरकार आसान ऋण सुविधा प्रदान करते हैं।
सरकार एवं निजी कंपनियां पशुओं का बीमा करती हैं। प्रत्येक पशु पालक को पशु बीमा करवाना चाहिए।
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