Saturday, 28 June 2025

समझदारी

लघु कथा
समझदारी.....
एक बार एक व्यापारी थका हुआ घर आया। खाना खा कर सो गया। रात के बारह बजे एक चोर उसके घर में घुस आया। व्यापारी जाग गया, चोर ने मकान मालिक के जागने की आहट सुनी और वह पास ही रखी बोरियों के पीछे छुप गया।
व्यापारी ने अपनी पत्नी को जगा कर पानी मंगवाया। 
अब वह पानी को मुंह में भर कर एक बार अपनी पत्नी की तरफ ओर एक बार बोरियों की तरफ फूंक देता।
उसकी पत्नी पति के अवांछित व्यवहार से परेशान हो गई।
व्यापारी अपनी इस प्रक्रिया को बार बार दोहराता रहा। दोनों में झगड़ा शुरू हो गया। झगड़ा सुनकर पड़ोसी जाग जाग गए। काफी देर झगड़ा होने पर सभी उन्हें समझाने उनके घर इकट्ठे हो गए।
लोगों ने उसे समझाया कि पत्नी पर इस तरह मुंह में पानी ले कर फेंकना गलत है परन्तु व्यापारी अपना काम लगातार करता रहा।
जब 15 - 20 पड़ोसी युवक भी आ गए तो उसने ने एक पीक पत्नी की तरफ फेंकी और दूसरी बोरी की ओर फेंकते हुए कहा 
भाइयों मेरे मुंह में पानी लेने से सिर्फ इसे ही तकलीफ क्यों है, वो चोर जो बोरियों के पीछे छुपा है उसे बिल्कुल बूरा नहीं लगा। 
लोग समझ गए और बोरियों के पीछे छिपे चोर को पकड़ कर पहले उसकी धुलाई की, बाद में पुलिस को सौंप दिया।
शिक्षा - जहां चाह वहां राह। कभी - कभी समझदारी चुप रहने में नहीं झगड़ने में भी हो सकती है।
शमशेर भालू खां

पागल कौन

लघुकथा  - पागल कोई,
लेखक - जिगर चुरूवी (शमशेर भालू खां)
पुराने समय में एक न्याय प्रिय राजा अपने राज्य में सुंदर रानी और संपन्न जनता के साथ रहता था। जनता राजा से खुश, राजा जनता से खुश।
एक दिन राजभवन में एक ज्योतिषी आया। राजकाज का भविष्य बताने के बाद ज्योतिषी ने कहा, महाराज मैं अकेले में आपको एक रहस्य की बात बताना चाहता हूं। राजा चकित हुआ, दोनों रनिवास में एकांत कक्ष में चले गए।
ज्योतिषी ने बताया कि आज से 9 दिन बाद दस बज कर ग्यारह मिनिट से बारह मिनिट तक हवा चलेगी, जिससे सभी पागल हो जाएंगे।
राजा ने रानी को बुलाया कि इसका उपाय किया जावे।
रानी ने एक मिस्त्री को बुलवा कर कांच का मकान तैयार करवाया। साथ में एक कांच की बोतल भी मंगवा कर रख ली।
समय आया, हवा चली और सब पागल हो गए।  पूरे राज्य में राजा की हरकतें देख कर अफवाह फैल गई कि राजा पागल हो गए, राजा पागल हो गए। महल में जनता एकत्रित हो गई, राजा को मार कर नया राजा चुनने की मांग करने लगी। इतने में रानी महल की ड्योढी पर से पुकारने लगी कि थोड़ी देर रुकिए, अभी वैद्य जी को बुलाया है, वो राजा को ठीक कर देंगे। सब वैद्य जी का इंतजार करने लगे, कुछ समय बाद रानी ने पहले से चली हवा उस में भर कर रखी थी, राजा के मुंह पर उंडेल दी। हवा लगते ही राजा भी प्रजा की तरह उछल - कूद करने लगा। जनता ने राजा जी जिंदाबाद के नारे लगाते हुए राजा को पागलपन से निजात दिलवाने के लिए ईश्वर का  धन्यवाद किया।
शिक्षा - समय एवं परिस्थिति अनुसार व्यवहार ही सामाजिकता है।
लेखन - जिगर चुरूवी (शमशेर भालू खां)

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