Tuesday, 20 August 2024

घटता वन क्षेत्र एक समस्या

व्यक्ति को जीवन काल में अपनी कुल आयु जितने पेड़ अवश्य लगाने चाहिए। 
- शमशेर गांधी

घटता वन क्षेत्र एक समस्या - 
वन क्षेत्र जहाँ चाहे वृक्ष हों या न हों, किंतु उन्हें सरकार द्वारा वन के रूप में अधिसूचित किए गए क्षेत्र हैं। वन अच्छादन वनस्पति का समूह है और वास्तविक रूप में वनों से ढका हो। दक्षिणी तटीय क्षेत्र एवं हिमालय क्षेत्र को छोड़ कर शेष भारत उष्णकटिबंधीय पर्णपाती वन (मानसूनी वन) क्षेत्र में आता है। ये 70-200 सेमी वार्षिक वर्षा वाले क्षेत्र हैं।

भारत में वन - 
1947 के बाद भारत में वन क्षेत्र घटता जा रहा है। यह तब जब सरकार, समाज और संस्थाएं पेड़ लगाने हेतु तीन महीने (जुलाई से सितंबर) पूरा दम लगा रहे हैं। कई अभियान पेड़ लगाओ -जीवन बचाओ, एक पेड़ मां के नाम आदि। परंतु अफसोस की बात है कि इतना प्रचार - प्रसार करने के बावजूद पूरे देश में सरकारी अमले खास कर वन विभाग द्वारा अरबों रुपए खर्च करने के बाद भी वन क्षेत्र में वृद्धि के स्थान पर घटौती अनवरत है। यह चिंता का नहीं अति चिंता का विषय है।
हमारे देश में कुल वन क्षेत्र 7,12,249 वर्ग किलोमीटर है जो कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का 21.67% है। आच्छादित क्षेत्र केवल  95,027 वर्ग किलोमीटर है जो भौगोलिक क्षेत्रफल का 2.89% है और मानक अनुसार 33% वन अच्छादन के लक्ष्य से बहुत दूर।
                सुंदर वन पश्चिम बंगाल 
भारत के राज्यों में मध्य प्रदेश सबसे अधिक वन क्षेत्र वाला राज्य है, जिसका कुल क्षेत्रफल 94,689 वर्ग किलोमीटर, राज्य के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 30.7% है। इसके बाद अरुणाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, उड़िसा और महाराष्ट्र का स्थान आता है। कुल भौगोलिक क्षेत्र के प्रतिशत के रूप में वन क्षेत्र के मामले में शीर्ष पांच राज्य मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मणिपुर और नागालैंड हैं। सब से कम हरियाणा का वन अच्छादन क्षेत्र केवल 1588 वर्ग किमी है जो उसके कुल भौगोलिक क्षेत्र का 3.59% है। गोवा (भारत का सब से छोटा राज्य) का वन अच्छादित क्षेत्र 2229 वर्ग किमी है जो राज्य के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 60.21% है। पश्चिम बंगाल में स्थित सुंदरवन वन को भारत का सबसे बड़ा वन माना जाता है, इसके बाद गिर वन राष्ट्रीय उद्यान, सेक्रेड ग्रोव खासी हिल्स और नमदाफा राष्ट्रीय उद्यान का स्थान आता है।

वन विभाग द्वारा पौधों की निर्धारित दर- 
संस्थाओं से ऊंचाई के आधार पर पौधों की कीमत ली जाती है। 1 फिट पौधे के 5 रुपए, 2 फिट 8, 3 फिट 15, और 5 से 8 फिट पौधे की 55 रुपए कीमत पर उपलब्ध करवाए जाते हैं।

वन विभाग से वृक्षारोपण हेतु सहायता - 
देश के कुल भू - भाग के एक तिहाई (33%) भूमि पर उच्च गुणवत्ता वाले वृक्ष लगाने हेतु पर्यावरण एवं वन मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा 10वीं पंचवर्षीय योजना की हरित भारत योजनान्तर्गत अनुदान दिया जा रहा है। विस्तृत जानकारी वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की वेबसाइट http//www.envfor.nic.in से प्राप्त की जा सकती है। 
सरकार द्वारा पंचायतों को किसान के खेत में बागवानी योजना के अंतर्गत कुंड (टांका) बना कर बूंद - बूंद सिंचाई योजना अंतर्गत लगभग चार लाख रुपये दिए जाते हैं। पंचायतों के भ्रष्टाचार और अधिकारियों की मिली भगत से तीन बीघा भूमि पर फलदार पेड़ लगाने का कार्य लगभग 90% पंचायतों द्वारा नहीं किया गया और राशि का गबन कर लिया गया।

अनुदान हेतु पात्र संस्थाएं - 
यह अनुदान न्यूनतम 500 वर्ग मीटर भूमि पर राजकीय विभाग, नगरीय निकाय, पंचायत, राज्य वन विभाग, पंजीकृत संस्थायें, स्वयंसेवी संस्थायें, सहकारी समितियां, ट्रस्ट, सार्वजनिक संस्थान, राजकीय/पंजीकृत शिक्षण संस्थान, संयुक्त वन-प्रबन्ध समिति, कोई भी व्यक्ति/किसान जो गरीबी रेखा के नीचे हों प्राप्त कर सकते हैं। इसमें वृक्षारोपण या पोधशाला तैयार करना शामिल है।

योजना अंतर्गत पंजीकरण - 
इस योजना हेतु  पांच वर्ष के अनुबंध हेतु तीन वर्ष का अनुभव रखने वाली संस्थाएं 31 मार्च से पहले पंजीकरण करवा सकती है। डीएफओ द्वारा प्रस्ताव 30 जून तक स्टेट मुख्य वन अधिकारी को प्रेषित कर 31 जुलाई तक स्वीकृति ली जाती है।

वनों की कटाई हेतु मापदण्ड - 
वनों की कटाई की निश्चित अवधि एक तिहाई क्षेत्र, जिस पर वृक्षारोपण किया गया है, सिल्वीकल्चर के सिद्धान्त पर कटाई एवं पुन: वृक्षारोपण विधि अपनाई जानी चाहिए।

निजी नर्सरी -
सरकारी नर्सरी में भिन्न भिन्न प्रकार के पौधे और सजावटी झाड़ नहीं मिलते हैं। आजकल निजी नर्सरी वाले पोधा लगाने से बड़ा होने तक संभाल का काम ठेके पर करते हैं। इनके पौधे महंगे जरूर होते हैं पर किस्म अच्छी होती है।

सरकार को सुझाव -
सरकार द्वारा हर वर्ष वन महोत्सव और सघन वृक्षारोपण अभियान चला कर आम जन की भागीदारी से वृक्षारोपण के प्रयास किए जा रहे हैं, पर अच्छादित क्षेत्र बढ़ने के स्थान पर घटता ही जा रहा है। अभियानों और महित्सवों से फोटो खिंचवाने और सोसल मीडिया पर डालने के अलावा कोई विशेष लाभ नहीं मिल पाता और जनता के टेक्स की अरबों रुपए की पूंजी व्यर्थ बंट जाती है। जिस प्रकार गौ शालाओं से गायों को कम और संस्थाओं को अधिक लाभ हो रहा है (खास कर टैक्स बचाने हेतु 200% की रसीद कटवाने वाले व्यक्तियों को), उसी प्रकार वन महोत्सव और वृक्षारोपण अभियान से अधिकारियों और वन माफियाओं के अलावा वन आच्छादन के लक्ष्य को प्राप्त करने हेतु कोई विशेष लाभ नहीं हुआ। अधिकांश राशि का दुरुपयोग होता है।

सरकार को चाहिए कि - 
एक निश्चित राशि किसान को उसके खेत या आम आदमी को उसकी खाली जगह को पेड़ों से भरने हेतु दे देनी चाहिए। साथ ही पांच वर्ष तक प्रति जीवित पौधे के अनुपात में देख - रेख राशि अनवरत दी जानी चाहिए।
इस से किसान की आय बढ़ेगी साथ ही सघन वृक्षारोपण कार्य भी हो जायेगा। इस हेतु किसान सम्मान निधि में वृद्धि कर लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है। या खेत में नरेगा के अन्तर्गत मास्टर रोल जारी कर किसान को उसी के खेत में काम करने हेतु वृक्षारोपण कर रोजगार दिया जा सकता है और लक्ष्य भी प्राप्त किया जा सकता है। बागवानी योजना से पंचायत के स्थान पर सीधे किसान को लाभान्वित किया जावे जिस की निगरानी हेतु कठोर कदम उठाए जावें।

धरती पर बढ़ते तापमान और बढ़ती गर्मी से मुक्ति का एक मात्र उपाय वृक्षारोपण है अन्यथा एक दिन हम सब इस तपती भट्टी में जलकर स्वाहा हो जायेंगे, जिसे ना धर्म बचा सकेगा ना वैज्ञानिक आविष्कार।

तपती धरती करे पुकार
लगा कर वृक्ष करो उद्धार।

शमशेर भालू खान 
9587243963

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