राजीव गांधी आधुनिक भारत के निर्माता
राजीव गांधी की सभा में प्रतीक्षा करते नलिनी
विस्फोट के कुछ क्षण पूर्व नलिनी
LTTE सरगना शिवरामन
अखबारों में हत्या की सूचना
घटना स्थल पर राजीव गांधी स्मारक
राजीव गांधी की शव यात्रा
हत्या के बाद राजीव गांधी के कपड़े
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी 21 मई 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में एक चुनावी जनसभा को संबोधित करने गए। इसी दिन राजीव गांधी की हत्या हो गई। इस हत्याकांड को 26 जुलाई 1968 को कैथाडी नुनाविल जाफना (श्रीलंका) में जन्मी और कुपुकुलई गांव में रहने वाली LTTE के ब्लेक टाइगर फोर्स की सदस्या कलैवानी राजरत्नम उर्फ धनु उर्फ थेनमोझी उर्फ कैप्टन अकिनो ने शिवरासन और सुभा के साथ मिल कर अंजाम दिया। राजीव गांधी की हत्या के दोष में सात लोगों को उम्र कैद की सजा सुनाई। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने सभी को समय से पहले रिहा करने का आदेश दिया था। नवंबर 2022 में इन दोषियों को जेल से रिहा कर दिया गया। 22 मई को राजीव गांधी के अवशेष आम जन के दर्शनार्थ तीन मूर्ति भवन ले जाए गए। 24 मई को अंतिम संस्कार कर दिया गया।
काला चश्मा पहने सोनिया गांधी अपने पुत्र राहुल को मुखाग्नि देने का हृदय कंपा देने वाला काम सही रूप से नहीं करवा पा रहीं थीं। जो भी उस मंजर को देख रहा था, उसका कलेजा फट रहा था। अमिताभ बच्चन जो वहां पर उपस्थित थे ने राहुल को आगे बढ़ाया
।
बम धमाकों में मृतकों की सूची -
01. राजीव गांधी
02. कलैवानी राजरत्नम
03. धर्मन, कांस्टेबल
04. संथानी बेगम, महिला कांग्रेस नेता
05. राजगुरु, पुलिस निरीक्षक
06. चंद्रा, पुलिस कांस्टेबल
07. एडवर्ड जोसेफ, पुलिस निरीक्षक
08. K.S. इकबाल, पुलिस अधीक्षक
09. लता कन्नन, महिला कांग्रेस कार्यकर्ता
10. हरिबाबू, कलैवानी राजरत्नम का साथी
11. डैरिल जूड पीटर्स, उपस्थित पर्यवेक्षक
12. मुनुस्वामी, Ex. MLC तमिलनाडु
13. सरोजा देवी, सत्रह वर्षीय कॉलेज छात्रा
14. प्रदीप K. गुप्ता, गांधी के अंग रक्षक
15. एथिराजू
16. मुरुगन, पुलिस कांस्टेबल
17. रविचंद्रन, ब्लैक कैट कमांडो
18. कोकिलावाणी, लता कन्नन की दस वर्षीय बेटी (विस्फोट से ठीक पहले राजीव गांधी को कविता सुनाई)
राजीव गांधी की हत्या का घटनाक्रम -
21 मई सुबह हवाई मार्ग से राजीव गांधी तमिलनाडु पहुंचें। वो G.K. मूपनार के साथ भारत के दक्षिणी राज्यों में चुनाव प्रचार में व्यस्त थे ।
21 मई को लगभग साढ़े नो बजे आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम में सभा को संबोधित करने के बाद सड़क मार्ग से सफेद एंबेसडर कार में बैठ कर श्रीपेराम्बदुर पहुंचे।
21 मई 1991 को सुबह के ठीक 10:21 बजे मंच की ओर जाते समय एक महिला कलैवानी राजरत्नम ने राजीव गांधी के पांव छूने के बहाने उनके निकट पहुंच कर अपने शरीर में लगा बटन दबा कर आरडीएक्स से विस्फोट किया।
उसी समय विस्फोट से आत्मघाती कनिमोझी और राजीव गांधी सहित 18 व्यक्तियों की मौत हो गई।
स्थानीय फोटोग्राफर, हरिबाबू (साजिशकर्ता) ने पूरा दृश्य वीडियो में कैद किया। हरिबाबू विस्फोट में मारा गया परंतु उसका कैमरा मय रील बच गया।
इस हमले में 43 आदमी घायल हुए।
हमले की जिम्मेदारी LTTE (लिट्टे) ने ली।
21 मई शाम को राजीव गांधी का क्षत-विक्षत शरीर पोस्टमार्टम के बाद टुकड़े जोड़ने हेतु AIMS नई दिल्ली लाया गया।
21 मई को ही DR. कार्तिकेयन के नेतृत्व में विशेष जांच दल (STT) का गठन किया गया। जिसने हत्या में लिट्टे की भूमिका की पुष्टि की।
22 मई 1991 को चंद्रशेखर सरकार ने जांच CBI को सौंप दी।
24 मई को यमुना तट पर संजय गांधी, जवाहर लाल नेहरु और मां इंदिरा गांधी के शांत स्थल के पास उनका अंतिम संस्कार किया गया जिसे वीरभूमि नाम दिया गया।
14 जून 1991 को नलिनी को गिरफ्तार कर लिया गया।
1993 में राजीव गांधी हत्याकांड में निचली अदालत ने 26 दोषियों को फांसी की सजा सुनाई।
नवंबर 1998 में SIT रिपोर्ट लीक होने के बाद कांग्रेस ने इन्द्र कुमार गुजराल की सरकार से समर्थन वापस ले लिया।
मई 1999 में सुप्रीम कोर्ट ने 19 लोगों को बरी कर दिया।
शेष सात दोषियों में से चार की फांसी की सजा यथावत रखी गई -
01. V. श्रीहरन उर्फ मुरुगन - लिट्टे कार्यकर्ता श्रीलंका नागरिक
02. S. नलिनी श्रीहरन - V. श्रीहरन की पत्नी। भारतीय नागरिक, जो (घटना के समय दो महीने की गर्भवती थी की फांसी की सजा को कांग्रेस नेता सोनिया गांधी की अपील पर उम्र कैद में बदल दिया गया)
सन 2000 में नलिनी को क्षमादान हेतु सोनिया गांधी का बयान -
"नलिनी की ग़लती की सज़ा एक मासूम बच्चे को कैसे मिल सकती है, जो अब तक दुनिया में आया ही नहीं है।"
- सोनिया गांधी, राजीव गांधी की विधवा
वर्ष 1992 में नलिनी ने बेटी हरिथ्रा मुरुगन को जेल में जन्म दिया।
03. T. सुथेंद्रराजा उर्फ संथन - श्रीलंकाई नागरिक।
04. AG. पेरारिवलन अरिवु - भारतीय नागरिक जिसे बम के लिए 9-वोल्ट की बैटरी की आपूर्ति करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया।
तीन दोषियोंकी फांसी की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया गया -
01. रॉबर्ट पियस - श्रीलंकाई नागरिक।
02. जयकुमार - रॉबर्ट पियस के बहनोई।
03. रविचंद्रन – एक श्रीलंकाई नागरिक।
2011 में राष्ट्रपति ने अभियुक्तों की दया याचिका ठुकरा दी थी.
मार्च 2016 में तमिलनाडु सरकार ने दोषियों को छोड़ने की सिफारिश की।
सितंबर 2018 में तमिलनाडु कैबिनेट की सिफ़ारिश को राज्यपाल की मंज़ूरी हेतु भेजा।
2018 में राजीव गांधी हत्याकांड की जांच हेतु 1998 में गठित जैन आयोग की सिफ़ारिश पर विदेशी साज़िश की जांच हेतु मल्टी डिसीप्लीनरी मॉनिटरिंग एजेंसी का गठन किया गया। इस एजेंसी को केंद्र सरकार ने भंग कर दिया।
18 मई 2022 को कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 142 में दी गई असाधारण शक्तियों का हवाला देकर पेरारिवलन को रिहा कर दिया। पेरारिवलन राजीव गांधी हत्याकांड में 30 साल उम्र क़ैद की सज़ा काट चुका था।
11 नवंबर, 2022 को सर्वोच्च न्यायालय ने हत्याकांड के छह दोषियों को रिहा करने का आदेश दिया।
हत्या का कारण -
राजीव गांधी का संडे मैगजीन को 28 अगस्त 1990 को दिया गया बयान -
सर्वोच्च न्यायालय के अनुसार राजीव गांधी की हत्या में भारत-श्रीलंका समझौते का समर्थन करते हुए बयान दिया कि यदि वे सत्ता में आए तो LTTE को निरस्त्र करने के लिए IPKF (शांति सेना) को भेजेंगे। LTTE द्वारा उनकी हत्या की साजिश उन्हें सत्ता में आने से रोकने का प्रयास था।
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश KT. थॉमस के निर्णय के अनुसार यह हत्या लिट्टे प्रमुख प्रभाकरण ने राजीव गांधी से व्यक्तिगत शत्रुता के कारण करवाई थी। प्रभाकरण भारतीय शांति सेना (IPKF) को श्रीलंका भेजने और शान्ति सेना द्वारा तमिलों पर किए गए अत्याचार का बदला लेना चाहता था। साथ ही 1988 में राजीव गांधी सरकार ने मालदीव में सैन्य तख्ता पलट रोकने हेतु PLOIT (एक तमिल आतंकवादी संगठन) का विरोध किया था की प्रतिक्रिया के रूप में यह हत्यकांड था।
तमिलनाडु कांग्रेस अध्यक्ष वज़प्पाडी K. राममूर्ति ने 1989 में लिट्टे की ओर से एक पत्र सार्वजनिक किया गया। उक्त पत्र में उन्हें और राजीव गांधी को तमिलनाडु में लिट्टे की गतिविधियों को रोकने के विरोध में जान से मारने की धमकी दी गई। तमिल में लिखे पत्र में कहा गया कि हमें ईलम संघर्ष का विरोध करने वाले लोगों को खत्म करने बाबत आदेश मिले हैं। हमें अंबात्तुर खाली करने के लिए मजबूर किया गया। लेकिन हम आपके नेता को मार सकते हैं, चाहे हम कहीं भी हों। हमारी गतिविधियों में हस्तक्षेप न करें। यदि आप हस्तक्षेप करना जारी रखते हैं, तो अंबात्तुर के आपके साथी परशुरामन, जिन्होंने हमारी उपस्थिति की गुप्त सूचना पुलिस को दी जीवित नहीं बचेंगे।
राजीव गांधी ने श्रीलंका में लिट्टे विद्रोहियों को क़ाबू करने हेतु शांति सेना भेजने के फ़ैसले से लिट्टे नाराज़ था।
इस फैसले के विरोध में भूख हड़ताल पर बैठे थिलीपन की मौत हो गई। अक्टूबर 1987 में एक जहाज में 12 लिट्टे आतंकियों द्वारा आत्महत्या कर ली गई/हत्या कर दी गई।
TADA के अंतर्गत राजीव गांधी हत्याकांड का मुकदमा -
राजीव गांधी हत्याकांड का मुकदमा आतंकवादी और विघटनकारी गतिविधियाँ अधिनियम (TADA) के अंतर्गत चलाया गया। न्यायाधीश वाधवा ने निर्णय दिया कि रिकॉर्ड में ऐसा कुछ भी नहीं है जो दिखाता हो कि राजीव गांधी को मारने का इरादा सरकार को डराना था। इसलिए यह घटना टाडा (अधिनियम) के अंतर्गत आतंकवादी कृत्य नहीं थी। 28 जनवरी 1998 को चेन्नई की टाडा अदालत ने सभी 26 आरोपियों को मौत की सज़ा सुनाई। मानवाधिकार समूहों ने इस निर्णय का विरोध किया कि यह मुकदमा स्वतंत्र सुनवाई के मानकों को पूरा नहीं करता है। मुकदमा बंद चैंबरों में चलाया गया और गवाहों की पहचान का खुलासा नहीं किया गया। एक आरोपी महिला A. अथिराई की आयु 17 वर्ष थी जब उसे गिरफ्तार किया गया को किशोर न्यायालय के स्थान पर TADA कोर्ट में सुनवाई नियमानुसार नहीं थी। टाडा का आरोपी केवल सर्वोच्च न्यायालय में अपील कर सकता है, उसे उच्च न्यायालय में अपील का अधिकार नहीं है। टाडा के अंतर्गत पुलिस अधीक्षक के समक्ष आरोपी द्वारा दिए गए स्वीकारोक्ति बयान को उसके विरुद्ध साक्ष्य माना जाता है। टाडा के अंतर्गत आरोपी को ऐसे सबूतों के आधार पर दोषी ठहराया जा सकता है जो CRPC के अंतर्गत सामान्य न्यायालय द्वारा दोष सिद्धि हेतु अपर्याप्त होते हैं। राजीव गांधी हत्याकांड में आरोपियों द्वारा दिए गए स्वीकारोक्ति वक्तव्य उनके विरुद्ध निर्णय में साक्ष्य का बड़ा भाग थे। इन वक्तव्यों के संबंध में आरोपियों ने दावा किया कि उन्हें दबाव में लिया गया था। सर्वोच्च न्यायालय में अपील करने पर केवल चार अभियुक्तों को मृत्यु दंड की सजा सुनाई गई तथा अन्य को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। S. नलिनी श्रीहरन को राजीव गांधी की हत्या में शामिल पांच सदस्य गिरोह की एकमात्र जीवित सदस्य थी को 14 जून 1991 को गिरफ्तार कर 25 अन्य अभियुक्तों के साथ मृत्यु दंड की सजा सुनाई गई। बाद में 11 मई 1999 को नलिनी सहित केवल चार दोषियों को ही मृत्यु दंड दिया गया। नलिनी LTTE सदस्य v. श्रीहरन उर्फ मुरुगन की पत्नी ने जेल में एक लड़की हरिथ्रा मुरुगन को जन्म दिया। राजीव गांधी की विधवा तथा कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के हस्तक्षेप के पश्चात वर्ष 2000 में नलिनी की बेटी की खातिर क्षमादान की याचिका दायर की। कोर्ट ने नलिनी के मृत्यु दंड को आजीवन कारावास में बदल दिया गया। नलिनी को 10 सितंबर 1999 से वर्ग A अपराधी के रूप में माना। मई 2010 में जांच के दौरान उसकी सेल से एक मोबाइल फोन बरामद हुआ जिसके बाद उसका A श्रेणी विशेषाधिकार वापस ले लिया गया। भारत के राष्ट्रपति ने अगस्त 2011 में मुरुगन और दो अन्य की मृत्युदंड पर दया याचिका को खारिज कर दिया। T. सुथेंद्रराजा उर्फ संथन और AG पेरारिवलन उर्फ अरिवु को फांसी की तिथि 9 सितंबर 2011 निर्धारित की गई थी। इस पर मद्रास उच्च न्यायालय में दायर याचिका की सुनवाई हेतु कोर्ट ने फांसी आठ सप्ताह के लिए रोक दी। 7 सितंबर 2011 को कड़ी सुरक्षा के बीच आजीवन कारावास 14 वर्ष की सजा पूरी होने पर नलिनी को पुझल जेल से वेल्लोर जेल स्थानांतरित कर दिया गया। कोर्ट में मौत की सज़ा वाले तीन दोषियों मुरुगन, संथन और पेरारिवलन ने दावा किया कि वे सामान्य अपराधी नहीं बल्कि राजनीतिक कैदी हैं।
LTTE का हत्याकंड के बाद बयान -
"राजीव गांधी की हत्या एक दुखद घटना थी।"
- 2001 नॉर्वे शांति वार्ता में प्रभाकरन
"यह हत्या एक बड़ी ऐतिहासिक त्रासदी थी जिसका हमें गहरा अफसोस है।"
- एंटोन बालासिंघम LTTE के प्रवक्ता का NDTV पर बयान वर्ष 2006
"राजीव की हत्या सुनियोजित थी और वास्तव में प्रभाकरण और (LTTE खुफिया प्रमुख पोट्टू अम्मान) के साथ मिलकर की गई थी। हर कोई सच्चाई जानता है, हम इस गलती हेतु भारत सरकार से माफी मांगते हैं।"
- कुमारन पथमनाथन (LTTE कोषाध्यक्ष और हथियार आपूर्तिकर्ता, 2006
न्यायमूर्ति JS वर्मा आयोग -
राजीव गांधी हत्याकांड में सुरक्षा चूक की जांच हेतु न्यायमूर्ति JS वर्मा आयोग का गठन किया गया। आयोग ने जून 1992 में अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत कर कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री की सुरक्षा व्यवस्था में कोई चूक नहीं थी। पर्याप्त व्यवस्था को स्थानीय कांग्रेस नेताओं ने बाधित किया।
सुब्रमण्यम स्वामी की पुस्तक में खुलासा -
वर्ष 2007 में भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने पुस्तक श्रीलंका इन क्राइसिस इंडियाज़ ऑप्शंस में लिखा कि LTTE का एक प्रतिनिधि मंडल 5 मार्च 1991 को और दूसरा प्रतिनिधि मंडल 14 मार्च 1991 को नई दिल्ली में राजीव गांधी से मिला था। गुप्त सूचनाओं के अनुसार तमिलनाडू के राज्यपाल भीष्म नारायण सिंह ने राजीव गांधी को बार-बार चेताया गया कि तमिलनाडू यात्रा से उनकी जान को खतरा है।
CBI के SIT (विशेष जांच दल) की रिपोर्ट
SIT की रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 1989 में तमिल उग्रवादियों को रोकने हेतु शांति सेना भेजने का परिणाम राजीव गांधी की हत्या है। रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि केन्द्र और राज्य सरकार के कुछ नेता लिट्टे नेताओं से वायरलेस के माध्यम से खुफिया सम्पर्क में थे। इन वायरलेस संदेशों को डिकोड करने पर इन्हें राजीव गांधी की हत्या से संबंधित पाया गया।
एक 2X2 तीन फुट गहरे गड्डे का राज
राजीव गांधी की हत्या की जांच हेतु CBI के विशेष जांच दल ने दोषी जय कुमार को गिरफ्तार कर बयान दर्ज किए। जांचकर्ता रगोथमन को दिए बयान में जय कुमार ने बताया कि कोडुंगैयुर के मुथमिल नगर के मकान नंबर 158 में हमने राजीव गांधी की हत्या से पहले रणनीति के अंतर्गत अपने ठिकाने के फर्श में एक खड्डा बनाया था। इस खड्डे में साजिश कर्ता शिवरासन 01 मई से ही साथियों सहित रहने आ गया। यह गड्ढा अति गोपनीय था जिसे शिवराशन जब खोलता तो सभी उपस्थित लोगों को बाहर भेज देता था। जय कुमार के इस बयान पर SIT ने उक्त मकान के फर्श को तोड़ा तो वहां 2X2 फुट का तीन फुट गहरा गड्ढा पाया गया, जिसमें मोटी सी तमिल-अंग्रेजी डिक्शनरी (देखने में डिक्शनरी परंतु उसे काटकर 9MM पिस्टल रखने जितनी जगह बनाई गई थी), दो छोटी पॉकेट डायरियां, एक नोटबुक और एक कांच की नकली आंख बरामद हुई। नोटबुक में शिवरासन द्वारा तमिल और अंग्रेजी में टेलीफोन नंबर, नाम - पते, संपर्क सूत्र, उपनाम, कोड नाम और धन वितरण का विवरण अंकित किया हुआ था। इन जानकारियों का सावधानी से विश्लेषण करने पर राजीव हत्याकांड की पूरी साजिश उजागर हो गई। शिवरासन से जुड़े लोगों का पता चल गया। SIT ने पाया कि शिवरासन ने पॉकेट डायरियों पर 1 मई 1991 को नो साथियों सहित श्रीलंका से तमिलनाडु पहुंच कर लिखना शुरू किया और 23 मई तक नोट लिखे। 24 मई 1991 को वह पूरी सामग्री को गड्ढे में छिपाकर साथियों सहित बैंगलोर भाग गया। वहीं उसने पकड़े जाने से पूर्व ही साथियों सहित साइनाइड कैप्सूल खा कर आत्महत्या कर ली।
शक के घेरे में -
MK नारायणन (पूर्व CBI निदेशक) -
30 अक्टूबर 2012 को इंडिया टुडे में DNA शीर्षक से छपी रिपोर्ट के अनुसार CBI के पूर्व मुख्य अन्वेषक K. रागोथमन ने अपनी किताब कांस्पिरेसी टू किल राजीव गांधी फ्रॉम द सीबीआई फाइल्स में बताया कि CBI की प्रारंभिक जांच के समय पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल और तत्कालीन CBI निदेशक MK.नारायणन पर सबूत छिपाने का संदेह जताया गया जिसे CBI की SIT प्रमुख DR कार्तिकेयन ने दबा दिया।
सरकार पर लापरवाही का आरोप -
एक दावे के अनुसार इजराइल की खुफिया एजेंसी मोसाद ने राजीव गांधी की जान को खतरे की चेतावनी भारत सरकार को भेजी कि इस हत्या की साजिश हेतु कोड नेम गॉडमैन ने भुगतान किया है। इस चेतावनी पर सरकार ने ज्यादा ध्यान नहीं दिया। SIT ने हत्या के बाद भारत से मूल पत्र खो जाने पर इजराइल से पत्र की प्रति पुनः मांगी जो नहीं दी गई।
जैन आयोग की रिपोर्ट -
जैन आयोग रिपोर्ट में विभिन्न संदर्भों से कई व्यक्तियों और एजेंसियों के नाम राजीव गांधी हत्याकांड में शंकित किए। आरोपी रंगनाथ ने बयान दिया कि बाबा N.चंद्रास्वामी ही वह गोडमेन था जिसने हत्या हेतु धन उपलब्ध करवाया।
वर्ष 1998 में एक समाचार पत्र ने लिखा कि जैन आयोग की अंतरिम रिपोर्ट में एक पत्र के हवाले से अपुष्ट जानकारी में कहा गया कि नेपाल की रानी ऐश्वर्या राजे लक्ष्मी देवी शाह ने राजा बीरेंद्र बीर बिक्रम शाह देव के जनरल को राजीव गांधी की हत्या हेतु दस करोड़ रुपये उपलब्ध कराए।
जैन आयोग की रिपोर्ट में तमिल पुलिसकर्मी द्वारा नशे में दिए गए बयान को शामिल किया जो इस मामले की पुष्टि करता हैं।
जैन आयोग की अंतरिम रिपोर्ट में तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री M. करुणानिधि पर हत्याकांड में शामिल होने की शंका व्यक्त की गई।
राजीव गांधी की हत्या में वास्तव में कौन शामिल था, किस की साजिश थी वास्तविक दोषी कौन थे यह गुत्थी आज भी अनसुलझी है।
शमशेर भालू खान
9587243963
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