Thursday, 15 August 2024

राष्ट्र गान एवं राष्ट्र गीत सम्मान हेतु प्रावधान


                 गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर 

राष्ट्रगान एवं राष्ट्र गीत (सम्मान की रक्षा) (राष्ट्रीय प्रतीकों की रोकथाम, राष्ट्रगान का सम्मान और सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय) अनुच्छेद 51(A) राष्ट्रगान का इतिहास और विकास, राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम 1971

राष्ट्र गान और राष्ट्र गीत में अंतर - 
राष्ट्र गान रवीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा 11 दिसंबर 1911 में बंगाली भाषा में रचित ब्रह्म प्रार्थना है। इसके अलावा बंकिम चंद्र चटर्जी द्वारा रचित वंदे मातरम् राष्ट्र गीत है।
राष्ट्रगान एक देशभक्तिपूर्ण संगीत रचना है जो किसी देश के इतिहास, परंपरा और संघर्षों को परिभाषित करती है। दूसरी ओर, एक राष्ट्रीय गीत एक देशभक्तिपूर्ण भजन है जिसे किसी देश की सरकार द्वारा सार्वजनिक या राजकीय अवसरों पर गाया जाता है। अक्सर राष्ट्र गीत से शुरू कार्यक्रम राष्ट्र गान से समाप्त होता है।

भारत का राष्ट्रगान - 
सर्वप्रथम यह गाना 1912 में ब्रह्म समाज की पत्रिका तत्वबोधिनी (संपादक रविंद्र नाथ टैगोर) में भारत भाग्य विधाता नाम से प्रकाशित हुआ। 28. फरवरी 1919 में कलकत्ता के बाहर आंध्र प्रदेश के शहर मदनपल्ले में बेसेंट थियोसोफिकल कालेज में खुद गया। 14.08.1947 की शाम को संविधान सभा की बैठक का सत्रावसान जन गण मन से किया गया। भारत के राष्ट्रगान की पंक्तियाँ मूलतः राग अल्हैया बिलावल में रचित थीं, फिर भी इसे राग के शास्त्रीय रूप में थोड़े बदलाव के साथ गाया जाता है।

                      राष्ट्र गान का संगीत पत्र 
राष्ट्र गान का अर्थ - 
भारत की किस्मत बनाने वाले। गंगा और जमुना के संगीत में मिलती है और भारतीय समुद्र की लहरों द्वारा गुणगान किया जाता है। वो तुम्हारे आर्शीवाद के लिये प्रार्थना करते है और तुम्हारी प्रशंसा के गीत गाते है। तुम भारत की किस्मत को बनाने वाले हो।
यह आरोप भी लगाया जाता है कि राष्ट्र गान ब्रिटिश महारानी के भारत आगमन पर उनके सम्मान में गया गया और उन्हें भारत भाग्य विधाता कहा गया। धार्मिक समूहों (ईसाई और मुस्लिम) ने भाग्य विधाता केवल ईश्वर को माना है के आधार पर इसे गाने पर एतराज किया है।

मूल राष्ट्रगान की प्रति - 
संपूर्ण राष्ट्र गान के पांच पद हैं - इन में से प्रथम पद को राष्ट्र गान के रूप में गाया जाता है।

जनगणमन-अधिनायक जय हे, भारत भाग्य विधाता
पंजाब सिन्ध गुजरात मराठा द्राविड़ उत्कल बंग
विन्ध्य हिमाचल यमुना गंगा उच्छल जलधि तरंग
तव शुभ नामे जागे, तव शुभ आशिष मागे, गाहे तव जयगाथा।
जनगण मंगल दायक जय हे भारत भाग्य विधाता
जय हे, जय हे, जय हे, जय जय जय जय हे।।

इस बंध में पंजाब (रावी, चिनाब,झेलम,सतलज, नदी क्षेत्र), सिंध (सिंध नदी क्षेत्र), गुजरात (गुर्जर प्रदेश), महाराष्ट्र (मराठा क्षेत्र), द्रविड़ (तमिल,केरल, आंध्र,कर्नाटक क्षेत्र), उत्कल (उड़िसा), बंग (बंगाल), विंध्य (विंध्याचल की पहाड़ियां बिहार,झारखंड क्षेत्र), हिमाचल (हिमाचल/हिमालय प्रदेश), यमुना - गंगा (उत्तर प्रदेश/उत्तराखंड दो आब क्षेत्र), जलधि (समुद्र तटीय क्षेत्र) का वर्णन है।

अहरह तव आह्वान प्रचारित, सुनि तव उदार बाणी
हिन्दु बौद्ध सिख जैन पारसिक मुसलमान खृष्तानी
पूरब पश्चिम आसे तव सिंहासन-पाशे प्रेम हार हय गाथा।
जनगण ऐक्य विधायक जय हे, भारत भाग्य विधाता
जय हे, जय हे, जय हे, जय जय जय जय हे।।

पतन अभ्युदय वन्धुर पन्था, युग युग धावित यात्री
हे चिरसारथि, तव रथचक्रे मुखरित पथ दिन रात्रि।
दारुण विप्लव-माझे तव शंख ध्वनि बाजे संकटदु खत्राता
जनगण पथ परिचायक जय हे भारत भाग्य विधाता
जय हे, जय हे, जय हे, जय जय जय जय हे।।

घोर तिमिर घन निविड़ निशीथे पीड़ित मूर्छित देशे
जाग्रत छिल तव अविचल मंगल नतनयने अनिमेषे।
दुःस्वप्ने आतंके रक्षा करिले अंके स्नेहमयी तुमि माता
जनगणदुःखत्रायक जय हे भारत भाग्य विधाता
जय हे, जय हे, जय हे, जय जय जय जय हे।।

रात्रि प्रभातिल, उदिल रविच्छवि पूर्व-उदय गिरि भाले
गाहे विहंगम, पुण्य समीरण नव जीवन रस ढाले।
तव करुणा रुण रागे निद्रित भारत जागे तव चरणे नत माथा
जय जय जय हे जय राजेश्वर भारत भाग्य विधाता
जय हे, जय हे, जय हे, जय जय जय जय हे।।

राष्ट्र गान राष्ट्रीय प्रतीक हैं का उचित विधि से सम्मान आवश्यक है। राष्ट्र गान भारत की राष्ट्रीय विरासत के साथ देशभक्ति और निष्ठा को प्रदर्शित करते हैं। रविन्द्र नाथ टैगोर ने 27 दिसंबर, 1911 को कलकत्ता में कांग्रेस के सत्र में पहली बार राष्ट्र गान प्रस्तुत किया।
वर्ष 1941 में इसे फिर से सुभाष चंद्र बोस द्वारा कुछ परिवर्तन कर प्रस्तुत किया गया जिसे शुभ सुख चैन  कहा गया। सुभाष चंद्र बोस ने भारत के राष्ट्रगान का संस्कृतकृत बंगाली से हिंदुस्तानी में प्रचलित रूप में स्वतंत्र अनुवाद करने की अनुमति दी थी। भारतीय राष्ट्रीय सेना (आईएनए) के कैप्टन आबिद अली ने सुभ सुख चैन नामक संस्करण की रचना की।

राष्ट्र गान का विकास और अंगीकरण - 
टैगोर ने पहला गान बंगाली में भरोतो भाग्यो बिधाता।लिखा था जिसे बाद में संपादित किया गया तथा जन गण मन के रूप में अनुवादित किया गया।
24 जनवरी, 1950 को तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद द्वारा इसे राष्ट्रगान के रूप में अपनाने की घोषणा की गई। संविधान में राष्ट्रगान के सम्मान की रक्षार्थ प्रावधान - 
(मौलिक कर्तव्य) अनुच्छेद 51 (A) - 
संविधान के मूल्यों और संस्थानों के साथ-साथ राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रगान को बनाए रखने की ज़िम्मेदारी प्रत्येक भारतीय नागरिक की है। राष्ट्रीय गौरव के अपमान की रोकथाम हेतु (PINH Prevention of Insults to National Honour) अधिनियम,1971 अधिनियम में प्रावधान किया गया कि राष्ट्रगान का अपमान करने और उसके प्रतिबंधों को तोड़ने पर आरोपी को 3 वर्ष तक की कैद या जुर्माना या दोनों से दंडित किया जाएगा।

राष्ट्रगान आचार संहिता - 
इसमें यह प्रावधान है कि जब भी राष्ट्रगान गाया या बजाया जाए श्रोता और  दर्शक सावधान मुद्रा खड़े रहेंगे।
हालाँकि, जब किसी न्यूज़रील या वृत्तचित्र के दौरान फिल्म के एक भाग के रूप में राष्ट्रगान बजाया जाता है, तो दर्शकों से खड़े होने की उम्मीद नहीं की जाती है।
इसमें उन अवसरों को भी सूचीबद्ध किया गया है जहाँ राष्ट्रगान का संक्षिप्त या पूर्ण संस्करण ही बजाया जाएगा।

राष्ट्रगान के सम्मान के संबंध में सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय - 
1. बिजो इमैनुएल व अन्य बनाम केरल राज्य (1986) AIR 1980 SC 748 - सर्वोच्च न्यायालय द्वारा इस मामले में राष्ट्रगान के कथित अनादर से संबंधित कानून निर्धारित किया गया। वाद में कुछ विद्यार्थियों को स्कूल से इसलिये निकाल दिया गया था क्योंकि इन्होने राष्ट्र-गान जन-गण-मन को गाने से मना कर दिया था। यह विद्यार्थी स्कूल में राष्ट्र-गान के समय इसके सम्मान में खड़े होते थे तथा इसका सम्मान करते थे पर गाते नहीं थे। गाने के लिये उन्होंने मना कर दिया था। सर्वोच्च न्यायालय ने इनकी याचिका स्वीकार कर इन्हें स्कूल को वापस लेने को कहा।
सर्वोच्च न्यायालय ने ईसाई संप्रदाय के 3 बच्चों को सुरक्षा प्रदान की, न्यायालय का यह मानना था कि राष्ट्रगान गाने के लिये बच्चों को मज़बूर करना उनके धार्मिक स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार (अनुच्छेद 25) का उल्लंघन है। उन बच्चों के माता-पिता ने केरल उच्च न्यायालय में अपील की कि ईसाई धर्म के यहोवा के साक्षी संप्रदाय में केवल यहोवा (ईश्वर) की आराधना की अनुमति है। उनका कहना था कि चूँकि राष्ट्रगान एक प्रार्थना है, वे सम्मान में खड़े तो हो सकते हैं, गा नहीं सकते थे। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि सम्मानपूर्वक खड़ा होना और खुद न गाना न तो किसी को राष्ट्रगान गाने से रोकता है और न ही गाने के लिये एकत्रित हुए लोगों को किसी भी प्रकार की परेशान करता है। अतः यह राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम (PINH) अधिनियम 1971 के तहत अपराध की श्रेणी में नहीं आता है।

2. श्याम नारायण चौकसी बनाम भारत संघ (2018) - 
2016 में सर्वोच्च न्यायालय ने एक अंतरिम आदेश पारित कर सभी भारतीय सिनेमाघरों को फिल्म शुरू होने से पहले राष्ट्रगान बजाना अनिवार्य किया गया एवं सिनेमा हॉल में उपस्थित सभी नागरिकों को खड़े हो कर इसका सम्मान करना अनिवार्य किया गया। जनवरी 2018 में सर्वोच्च न्यायालय ने अपने आदेश में संशोधन करते हुए कहा कि सिनेमा हॉल में फीचर फिल्मों की स्क्रीनिंग से पहले राष्ट्रगान बजाना अनिवार्य नहीं वैकल्पिक होगा।

श्रीनगर उच्च न्यायालय - 
श्रीनगर में कार्यकारी मजिस्ट्रेट ने एक उप राज्यपाल की उपस्थिति में आयोजित कार्यक्रम में राष्ट्रगान के लिये खड़े नहीं होने के आरोप में 11 नागरिकों को कारावास की सजा सुनाई।

राष्ट्र गान के गाने/बजाने के नियम - 
A. कब गाया/बजाय जा सकता है - 
1. राष्ट्रीय समारोह
2. राष्ट्रपति का राष्ट्र के नाम संबोधन
3. जब राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है
4. किसी औपचारिक समारोह में राष्ट्रपति या राज्यपाल के आगमन और प्रस्थान से पहले
5. जब रेजिमेंटल रंग प्रस्तुत किए जाते हैं
6. परेड के दौरान गणमान्य व्यक्तियों के सामने प्रदर्शन
7. विशेष परिस्थितियों के अलावा प्रधानमंत्री के लिए राष्ट्रगान आम तौर पर नहीं बजाया जाना चाहिए। 
8. अवसरों की कोई एक सूची दी जाए यह संभव नहीं है परंतु जिन अवसरों पर राष्‍ट्र गान को गाना (बजाने से अलग) गाने की अनुमति दी जा सकती है। परन्‍तु सामूहिक गान के साथ राष्‍ट्र गान को गाने पर तब तक कोई आपत्ति नहीं है जब तक इसे मातृ भूमि को सलामी देते हुए आदर के साथ गाया जाए और इसकी उचित ग‍रिमा को बनाए रखा जाए।
9. विद्यालयों में, दिन के कार्यों में राष्‍ट्र गान को सामूहिक रूप से गा कर आरंभ किया जा सकता है। विद्यालय के प्राधिकारियों को राष्‍ट्र गान के गायन को लोकप्रिय बनाने के लिए अपने कार्यक्रमों में पर्याप्‍त प्रावधान करने चाहिए तथा उन्‍हें छात्रों के बीच राष्‍ट्रीय ध्‍वज के प्रति सम्‍मान की भावना को प्रोत्‍साहन देना चाहिए।

B. बैंड पर राष्ट्रगान - 
बैंड द्वारा राष्ट्रगान बजाया जाने पर वास्तविक प्रदर्शन से पहले ढोल की आवाज़ सुनाई देनी चाहिए ताकि दर्शकों को सचेत किया जा सके और उन्हें सम्मान देने के लिए तैयार किया जा सके। यह रोल धीमी गति से मार्च के साथ कदम धीरे-धीरे शुरू होंगे, धीरे-धीरे ज़ोर से बढ़ेंगे और आखिरी बीट तक सुनाई देंगे।धीरे से मूल कोमलता तक कम हो जाएगा, किन्‍तु सातवीं बीट तक सुनाई देने योग्‍य बना रहेगा। तब राष्‍ट्र गान आरम्भ करने से पहले एक बीट का विश्राम लिया जाएगा।

C. सावधानियां जो श्रोता/दर्शको/गायक/वादक को अपनानी चाहिए - 
1. संपूर्ण प्रथम खंड 52 सेकंड में गया/बजाय जाना चाहिए। संक्षिप्त रूप 20 सेकंड में गाया जाना चाहिए।
2. सभी श्रोता और दर्शको को सावधान की मुद्रा में खड़ा होना चाहिए।
3.श्रोता और दर्शको का सिर ऊंचा होना चाहिए।
4.श्रोता और दर्शको को हमेशा आगे की ओर देखना चाहिए।
5. राष्ट्रीय ध्वज फहराने के साथ ही भारत के राष्ट्रगान का सामूहिक गायन किया जाएगा।
6. राष्ट्रगान के शब्दों या संगीत को विकृत नहीं किया जा सकता।
7. राष्ट्रगान खुले आसमान के नीचे गया जाना चाहिए।

D. निर्देश
01
02
03
04

शमशेर भालू खान 
9587243963

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