Saturday, 3 August 2024

भारत में आतंकवाद, उग्रवाद, नक्सलवाद, मोब लिंचिंग और दंगे एक समस्या

भारत में आतंकवाद, उग्रवाद, नक्सलवाद, मोब लिंचिंग, जातीय संघर्ष और दंगे एक समस्या -

आतंकवाद - 
भय अत्याचार के द्वारा आम जन के जीवन को कष्ट पहुंचा कर अपनी राय/मांग के प्रति समर्थन मांगना आतंकवाद कहलाता है। इसमें लगातार सामूहिक और संगठित बलात्कार, हत्या, लूट, डकैती, अपहरण आदि कृत्य शामिल हैं। महात्मा गांधी, इन्दिरा गांधी और राजीव गांधी की हत्या आतंकवादी घटनाएं थीं। संगठित रूप से जाति और धर्म के विरुद्ध घटनाएं जिसके बीज मुस्लिम लीग, हिंदू महासभा, जनसंघ और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने बोए। महात्मा गांधी की हत्या स्वतन्त्र भारत की प्रथम आतंकी घटना थी। जगन डाकू, फूलन देवी और बलजी - भूरजी जेसे डकैती गिरोह आतंकवाद की मिशाल हैं।

आतंकवाद तीन प्रकार का होता है
01. राजनीतिक आतंकवाद
02. अपराधिक आतंकवाद 
03. धार्मिक आतंकवाद

01. राजनीतिक आतंकवाद
बड़े स्तर पर भय का वातावरण बना कर राजनैतिक लाभ लेना राजनैतिक आतंकवाद है। आज कल चुनावी माहौल में चुनाव से पहले, बाद में और चुनाव कार्य के दौरान की अपराधिक घटनाएं राजनैतिक आतंकवाद का नमूना हैं। नेता गिरोह और गुर्गों के द्वारा आतंकवाद की घटनाओं को अंजाम देते हैं। राजनीतिक आतंकवाद आपराधिक आतंकवाद से अधिक घातक है। इस तरह के आतंकवाद में पुलिस की भूमिका संदिग्ध होती है। सन 2019 में पुलवामा में 44 सैनिकों की बम धमाके से मृत्यु के पीछे आज भी राजनैतिक आतंकवाद का हाथ होने का दावा किया जाता है। कश्मीर में भाजपा का पीडीपी के साथ गठबंधन कर सरकार बनाना संदेह के घेरे में रहा है।

02. अपराधिक आतंकवाद
आपराधिक आतंकवाद जो फिरौती के पैसे लेने के लिए अपहरण करता है। आतंकवाद राष्ट्रीय स्तर के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी फैल रहा है। क्षेत्रीय आतंकवाद अधिक हिंसक होते है। गेंगवार एक आतंकवादी घटना है। 

धार्मिक आतंकवाद 
धार्मिक आतंकवाद अधिक नुकसानदायक और राष्ट्र की जड़ों को रुग्ण करने वाली घटना है। इस तरह के आतंकवादियों को लगता है कि आतंकवादी के रूप में मरना पवित्र है। धर्म की रक्षा हेतु शास्त्र उठाना पवित्र कार्य माना जाता है। इस तरह के आतंकी किसी भी समय मरने और मरने के लिए तैयार रहते हैं। भारत में हरकत उल मुजाहिदीन, जैश ए मोहम्मद, विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल जैसे संगठन  इसी प्रकार की घटनाओं को अंजाम देते हैं। ये सभी आतंकवादी समूह धार्मिक भावनाओं के चरम के कारण उपजते हैं।
होटल ताज पर किया गया हमला इसी कड़ी की घटना है। पाकिस्तानी संगठन आईएसआई, इजराइली एजेंसी मोसाद और अन्य कई देशों की सरकारी एजेंसियां दूसरे देशों में इसी तरह की आतंकी घटनाओं को अंजाम देते रहे हैं और इस हेतु वित्त एवं अन्य संसाधन उपलब्ध करवाते हैं।

उग्रवाद/ अलगाववाद -
अलगाववाद व्यापक परिभाषा में यह है कि "समूह के रूप में नागरिक सांस्कृतिक, जातीय, आदिवासी, धार्मिक, नस्लीय, सरकारी या लैंगिक अलगाव की माँग करते हुए भू भाग को पृथक करना चाहते हों अलगाववादी कहलाते है, इसमें ज़रूरी नहीं है कि पृथक राष्ट्र की ही माँग हो।
यह मांग आम जन में बड़े पैमाने पर हिंसात्मक घटनाएं कारित कर की जाती हैं।उगवाड़ी घटनाएं आम जन में भय व्याल्ट करने हेतु कारित की जाती हैं। उग्रवादी घटनाएं बड़े पैमाने पर संगठनात्मक रूप से अमल में लाई जाती हैं। कश्मीर, पंजाब, मणिपुर (उत्तर - पूर्व) की, तमिल (श्रीलंका) आंदोलन, पृथक राज्य या आजादी हेतु आंदोलन जिस में हत्याएं, बम धमाके और नृशंस गोलीकांड उग्रवादी घटनाएं शामिल हैं उग्रवाद कहलाती हैं। भारत में उग्रवादी चीन और पाकिस्तान से समर्थन प्राप्त करते हैं।
उपेक्षित जनता द्वारा चरमपंथी गतिविधियां अपनाए जाने की संभावना अधिक होती है। इस विचारधारा के अनुसार जनता के मन में अलगाव की भावना जागृत कर उनके अधिकारों और संसाधनों का दुरुपयोग शक्तिशाली पक्ष द्वारा किया जा रहा है। उन्हें अधिकार प्राप्त करने हेतु शामिल होने हेतु प्रेरित किया जाता है। भारत की आजादी की लड़ाई इसी सिद्धांत के अंतर्गत लड़ी गाई। यह समूह चरमपंथी गतिविधियाँ अपनाते हैं। बाल गंगाधर तिलक, लाला लाजपतराय और विपिन चंदर पाल, भगत सिंह, चंदर शेखर आजाद, सुभाष चंद्र बोस, अशफाकुल्लाह खान आदि इसी तरह की गतिविधियों का संचालन करते थे।

कश्मीर में उग्रवाद - 
गर जमीं बहिस्त अस्त अमी अस्त अमी अस्त (यदि धरती पर स्वर्ग है तो यहीं है, यहीं है)
- मुगल बादशाह जहांगीर

कश्मीर रियासत के राजा हरि सिंह ने 1947 में पाकिस्तान और भारत में सम्मिलित होने के बजाय स्वतंत्रता की घोषणा कर दी। यह क्षेत्र सामरिक दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण है। अक्तूबर 1947 में पाकिस्तानी सेना ने कबाइलियो। के भेष में कश्मीर पर आक्रमण कर दिया। हरिसिंह ने भारत से सहायता की गुहार लगाई। भारत सरकार ने कश्मीर के भारत में विलय हेतु उनकी कुछ शर्तों (विशेष राज्य का दर्जा और सीमित स्वायत्तता) स्वीकार कर सहायता हेतु सेना भेजी। इस शर्त के अनुसार भारत के साथ - साथ साथ कश्मीर का पृथक से ध्वज और संविधान को स्वीकार किया गया। 
                कश्मीर का ध्वज
 कुछ ही दिनों में कबाइलियों को खदेड़ दिया गया और कश्मीर का भारत में विलय हो गया। कश्मीर का कुछ हिस्सा पाकिस्तान में रह गया। रेडक्लिफ सीमा के स्थान पर लाइन ऑफ कंट्रोल बनाई गई। भारत में पाकिस्तान के अधिकार में कश्मीर को पाक अधिकृत कश्मीर और पाकिस्तान में इसे आजाद कश्मीर कहा जाता है। 1965 में पुनः पाकिस्तानी हमले का मुंहतोड़ जवाब दिया गया। 
      कश्मीर भारत राजधानी श्रीनगर
        पाक अधिकृत कश्मीर का झंडा
पाक अधिकृत कश्मीर मुजफ्फराबाद

पाकिस्तान जब युद्ध में नहीं जीत सका तो उसने कश्मीर की आजादी के नाम पर 1990 से वहां अलगाववादियों को सह देना शुरू कर दिया और यहां अलगाववाद की घटनाएं शुरू हो गई। इन अलगाववादियों को आर्थिक सहायता के साथ हथियार, ट्रेनिंग और शरण दे कर अशांति फैलाई गई। हड़पना चाहता था। 
इस हेतु कई संगठन खड़े किए गए - 
1. हुर्रियत कांफ्रेंस 
पाकिस्तान के समर्थन से अलगाववादी दलों और नेताओं का गठबंधन ऑल पार्टीज हुर्रियत कॉन्फ्रेंस (APHC) 9 मार्च, 1993 को कश्मीरी अलगाववाद को बढ़ावा देने के लिए एक राजनीतिक मोर्चे के रूप में बनाया गया।
सुरक्षा बलों द्वारा शुरू किए गए आतंकवाद विरोधी अभियानों के विरोध में लगभग 23 संगठन एक हो गए। हुर्रियत अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कश्मीर की आजादी का वैश्विक समर्थन प्राप्त करने हेतु प्रयास करने लगी। हुर्रियत कांफ्रेंस ने विश्व बिरादरी से 1948 के संयुक्त राष्ट्र संघ के सुझाव कश्मीर में जनमत संग्रह भारत पर दबाव डालने हेतु समर्थन के प्रयास किए।
हुर्रियत द्वारा वैश्विक स्तर पर सेना के अत्याचार का प्रचार कर जम्मू-कश्मीर में भारत की आतंकवाद विरोधी कार्यवाही की नकारात्मक छवि पेश कर सुरक्षा बलों के विरुद्ध जनमत को संगठित किया गया। हुर्रियत को इस्लामिक सम्मेलन संगठन (ओआईसी) की सदस्यता प्राप्त हुई जिस से उसे आर्थिक और वैश्विक संबलन प्राप्त हुआ। हुर्रियत का विभाजन - हुर्रियत कॉन्फ्रेंस में वर्तमान में दो धड़े हैं  एक धड़ा श्रीनगर जामिया मस्जिद के इमाम मीरवाइज उमर फारूक (नरम पंथी), यासीन मलिक (26 में से 14 संगठनों का समर्थन) और दूसरे धड़े का सैयद अली शाह गिलानी (कट्टर पंथी) नेतृत्व करते हैं।
                     हुर्रियत कांफ्रेंस नेता 

2. JKLF (जम्मू कश्मीर लिब्रेशन फ्रंट)
26 1976 में स्थापित संगठन जो जम्मू कश्मीर को आतंकवादी गतिविधियों के स्थान पर राजनीतिक संघर्ष के माध्यम से आजाद करवाने हेतु प्रयासरत है। इसके नेता यासीन मलिक है। यह संगठन कट्टर मुस्लिम विचारधारा के साथ पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर की आजादी की बात भी करता है।
                    जेकेएलएफ का ध्वज

3. हरकत उल मुजाहिद्दीन - 
1980 में अमेरिका के समर्थन से रूस के विरुद्ध लड़ने हेतु हरकत-उल-जिहाद-अल-इस्लामी (हूजी) बनाया गया। इसी का भारत के विरुद्ध लड़ने हेतु गठित समूह  हरकत उल मुजाहिद्दीन है जिसे भारत सरकार ने प्रतिबन्धित कर दिया है।
हरकत-उल-मुजाहिदीन अल-इस्लामी पाकिस्तान में संचालित अलगाववादी समूह है जो मुख्य रूप से कश्मीर में सक्रिय है। बहरीन, संयुक्त राष्ट्र, ब्रिटेन और अमेरिका द्वारा घोषित आतंकवादी समूह को ओसामा बिन लादेन और अल-कायदा के साथ सम्बन्धित माना गया। इसका नाम बदलकर हरकत-उल-मुजाहिदीन कर लिया। मुजाहिद्दीन लड़ाकों को सेना की तरह लड़ने की ट्रेनिंग पाकिस्तान स्थित कैंपों में दी जाती है। यह लड़ाके मिलिशिया प्रणाली से घात लगा कर हमला करने हेतु कुख्यात हैं। सुरक्षा बलों (एसएफ) ने अंसार के तीन शीर्ष नेताओं को गिरफ्तार कर लिया। अलगाववादियों की रिहाई हेतु जनवरी (दो जवान), जून (दो पर्यटक) और अक्टूबर (चार पर्यटक) का 1994 में अलगाववादियों ने अपहरण कर बंधक बना लिया गया। सरकार द्धारा मांगें ना मानने पर (2 जवान 2 पर्यटकों) की हत्या कर दी गई। अक्तूबर में दिल्ली से बंधक बनाए गए पर्यटक जिन्हें उत्तर प्रदेश में रखा गया का रेस्क्यू कर लिया गया। इस कार्यवाही में पाकिस्तानी मूल के ब्रिटिश छात्र उमर सईद शेख को गिरफ्तार कर लिया गया।
नवंबर 1999 में नसरुल्ला मंसूर लंगरयाल को महासचिव मौलाना मसूद अजहर (सचिव) सज्जाद अफगानी (कश्मीर इकाई प्रमुख) को श्रीनगर में गिरफ्तार किया गया। 
जून 1999 में जेल तोड़ने की कोशिश के दौरान सज्जाद अफगानी मारा गया। इसके बाद उग्रवादियों ने नेपाल के काठमांडू से इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट IC 814 को हाईजैक कर कंधार अफगानिस्तान जाने के लिए मजबूर कर दिया गया। तालिबान (अमेरिका द्वारा रूस के विरुद्ध खड़ा किया गया अफगानी संगठन) के संरक्षण से मौलाना मसूद अजहर, उमर सईद शेख और अल उमर के कमांडर मुश्ताक अहमद जरगर को रिहा करवा लिया।
                      हरकत के आतंकी
                         हरकत का झंडा

04 हरकत उल अंसार 
हरकत-उल-मुजाहिदीन ने 1993 में एक अन्य आतंकी संगठन हरकत-उल-जेहाद-अल-इस्लामी (हूजी) के साथ विलय करके हरकत-उल-अंसार (हूए) का गठन मौलाना सादुल्लाह खान ने किया। 
1993 से 1995 के मध्य अलगाववादियों के लगभग सभी नेताओं को या तो गिरफ्तार कर लिया या मार डाला गया।

05. अल फरहान समूह 
जुलाई 1995 में अल-फरान (हरकत उल मुजाहिद्दीन का धूर्त रूप) अलगाववादी संगठन द्वारा छह लोगों को बंधक बना लिया गया। अमेरिका ने इसे प्रतिबंधित कर दिया। 

06. जैश ए मोहम्मद
अलगाववादी  गतिविधियों के संचालन हेतु आईएसआई की मदद से मोलाना मसूद अजहर ने रिहाई के तुरंत बाद नया संगठन जैश ए मोहम्मद बनाया। यह संगठन आज भी कश्मीर में उग्रवादी गतिविधियों का संचालन कर रहा है।
जैश अलगाववादी मौलाना मसूद अजहर 

5. अन्य क्षेत्रीय संगठन भी इस तरह की गतिविधियों में लिप्त हैं। आज भी भारत में कश्मीरी अलगाववाद एक बड़ी चुनौती बना हुआ है।
          दिनांक 20.08.2024

पंजाब में उग्रवाद - 
           जरनेल सिंह भिंडरावाले
पंजाब में खालिस्तान समर्थक आंदोलन एक अलगाववादी आंदोलन है जो भारत के पंजाब क्षेत्र में खालिस्तान नामक एक अलग सिख राज्य की स्थापना करना चाहता है। पड़ोसी देश पाकिस्तान में समर्थन से पंजाब में हिंसा हुई। है इस आंदोलन को तेज धार देने हेतु अमृतपाल सिंह नमक व्यक्ति का हाथ रहा हैं।
आजादी के बाद पृथक मुस्लिम राष्ट्र बनने पर पंजाब के सिक्ख समुदाय में भी पृथक सिक्ख राष्ट्र खालिस्तान बनाने का प्रयास शुरू किया। 1947 के भारत विभाजन के समय सिखों को सनातन एवं मुस्लिम चरम पंथियों के हाथों उत्पीड़न का सामना पड़ा।
कांग्रेस ने सिखों को पृथक खालिस्तान निर्माण का विचार छोड़ने हेतु मना लिया। परंतु वर्ष 1970 के आते - आते यह आंदोलन जोर पकड़ने लगा। वर्ष 1980 के आते यह चरम पर आ गया। खालिस्तान समर्थक सिखों ने अपने धर्म और संस्कृति के लिए अधिक स्वायत्तता और मान्यता की मांग शुरू की। वर्ष जून 1984 में भारत सरकार ने अमृतसर के गुरुद्वारे (स्वर्ण मंदिर) में छुपे संदेहास्पद व्यक्तियों को पकड़ने हेतु ऑपरेशन ब्लू स्टार शुरू किया। इस ऑपरेशन में जरमेल सिंह भिंडरावाला सहित उग्रवादीयों के साथ निर्दोष नागरिक भी नागरिक मारे गए। इस ऑपरेशन के बाद अलग सिख राज्य खालिस्तान की मांग जोर पकड़ने लगी।
खालिस्तान कमांडो फोर्स इस हेतु अग्रणी संगठन के रूप में काम करने लगा।
इस अलगाववादी आंदोलन में कारण बम विस्फोट, गोलीबारी और अन्य गतिविधियों के कारण हजारों लोग मारे गए। 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या और बाद के सिक्ख विरोधी दंगे हुए। 1995 तक पंजाब से उग्रवाद को उखाड़ फेंका गया। वर्तमान में भी इस तरह को छिटपुट घटनाएं होती रहती हैं। अमृतपाल सिंह इस समय अलगाववादी गतिविधियों का सरगना है।
               अमृतपाल सिंह
वर्तमान में पंजाब - 
1984 के बाद पंजाब के सिक्झों ने कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, यूएई, अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोपीय संघ के देशों में जाना शुरू हुए। वर्तमान में पंजाब की 75% आबादी विदेशों में बसती है। अधिकांश गांवों में विधवा, वृद्ध या बचे - खुचे लोग ही मेले हैं। पंजाब में नशे ने अपने पैर जमा लिए हैं जिस में सब अधिक चिट्टे का उपयोग किया जाता है।

नगालैंड में उग्रवाद - 
वर्ष 1950 में नागा नेशनल काउंसिल (NNC) ने पृथक नागालैंड राष्ट्र की मांग के समर्थन में सशस्त्र विद्रोह शुरू कर दिया। भारत सरकार द्वारा नागालैंड राज्य के गठन के बाद अलगाववादी हिंसा में काफी कमी आई। वर्ष 1975 के शिलांग समझौते के बाद कुछ और अलगाववादियों ने आत्मसमर्पण किया। इस समझौते के बाद भी यहां अलगाववादी गतिविधियों का संचालन जारी रहा। 07 दिसंबर 2021 को नागालैंड के मोन ज़िले में सेना के गश्ती दल ने मज़दूरों के एक समूह को चरमपंथी समझकर गोलीबारी शुरू कर दी, जिसमें छः नागा लोग मारे गए।
सेना ने ग़लत पहचान का मामला बता कर मामला शांत करना चाहा परन्तु स्थानीय लोगों ने सेना के इस दावे को ख़ारिज कर दिया। इस घटना के बाद क्षेत्र में तैनात सैनिकों के संघर्ष में भीड़ ने सेना के एक जवान के साथ सात अन्य नागरिकों की हत्या कर दी। दूसरे दिन प्रदर्शनकारियों ने सेना के शिविर पर हमला कर दिया इसमें एक नागरिक की मौत हो गई।

असम में उग्रवाद -
यूनाइटेड लिब्रेशन फ्रंट ऑफ असम (उल्फा)  का ध्वज

असम में अलगाववादी संगठन यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (ULFA) ने असमियों के लिए पृथक राष्ट्र की मांग की। वर्ष 1990 में ULFA पर प्रतिबंध लगा कर अलगाववादी संगठन घोषित किया गया। 1990 में भारतीय सेना द्वारा उल्फा के विरुद्ध सैन्य अभियान शुरू किया गया। सेना और अलगाववादियों के मध्य संघर्ष में लगभग 10,000 लोग मारे गए हैं। उल्फा ने 1961 से बांग्लादेश के घुसपैठियों और भारत के अन्य राज्यों के लोगों के प्रवास का विरोध किया वर्ष 1980 से शुरू हुआ। 1996 में स्थापित मुस्लिम यूनाइटेड लिबरेशन टाइगर्स ऑफ़ असम (MULTA) असम के मुसलमानों हेतु पृथक राष्ट्र की मांग करने लगा। मार्च 1999 में अलगाववादी संगठन कार्बी नेशनल वालंटियर्स (KNV) और कार्बी पीपुल्स फ्रंट (KPF) के विलय से गठित यूनाइटेड पीपुल्स डेमोक्रेटिक सॉलिडेरिटी (UPDS) ने कार्बी आंगलांग हेतु पृथक राष्ट्र की मांग की।  UPDS ने 23 मई 2002 को केंद्र सरकार के साथ एक वर्ष के संघर्ष विराम समझौते पर हस्ताक्षर किए। इस समझौते के बाद UPDS दो भागों में विभाजित हो गया, एक गुट ने अलगाववादी गतिविधियों का संचालन जारी रखा और दूसरे पक्ष ने वार्ता का सिलसिला। असम गण परिषद (AGP) ने परफुल कुमार महंतों के नेतृत्व में सरकार बनाई।

तमिल उग्रवाद - 
वर्ष 1970 में श्रीलंका के सिंहली बहुसंख्यक लोगों के विरुद्ध अवसर की समानता की मांग को लेकर तलिब्रेशन टाइगर्स ऑफ तमिल इलम (LTTE) ने पृथक तमिल राष्ट्र की मांग शुरू की। श्रीलंका के अल्पसंख्यक तमिलों ने यह आंदोलन सशास्त्र विद्रोह के रूप में प्रारंभ किया। भारत सरकार ने तमिल समस्या में समाधान हेतु संयुक्त राष्ट्र संघ की मध्यस्थता से शांति सेना भेजी। तमिल संगठन इसी बात से नाराज हुए और 1991 में राजीव गांधी की आत्मघाती बम विस्फोट से हत्या कर दी।

नक्सलवाद (Naxlanlism)-
कामयूनिष्ट, माओवादी या मार्क्सवादी आंदोलन से प्रभावित गतिविधियां (पिछड़े,आदिवासी और वंचित वर्ग (सर्वहारा) का जमींदारों, समंतों, साहूकारों और अगड़ी जातियों (अभिजात) वर्ग के विरुद्ध आंदोलन जिसमें अधिकांश अपहरण,उगाही और फिरौती की गतिविधियां संचालित होती हैं। भारत में मध्य भारत, बंगाल, बिहार और उड़ीसा क्षेत्र नक्सलवाद से प्रभावित हैं।
नक्सलवाद शब्द की उत्पत्त‌ि पश्चिम बंगाल के नक्सलवाड़ी गाँव से हुई थी। भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी नेता चारु माजूमदार और कानू सान्याल ने 1967 में सत्ता के खिलाफ सशस्त्र आंदोलन शुरु किया। नक्सलवाद चीन से समर्थन प्राप्त संगठन हैं। इसे लाल क्रांति भी कहा जाता है।


लिंचिग (मोब लिंचिंग) - 
वह हिंसा जिसमें भीड़ बिना किसी सुनवाई के न्याय करने के बहाने अपने अर्थ के अनुसार किसी को अपराधी  बता कर यातना के साथ मार डालती है लांचिंग कहलाती है। लिंचिन की घटनाएं भारत में 2014 के बाद बढ़ी हैं। ट्रेन, बस, सड़क और बाजार में इस तरह की घटनाएं अधिक होती हैं। जन भावना का उतना आक्रोशित हो जाना की व्यक्ति विशेष को अपराधी समझ कर मार डालना ही लिंचिंग है। भारत में सर्वाधिक लिंचिंग हरियाणा - उत्तर प्रदेश - राजस्थान के ब्रिज (मेवात) क्षेत्र में होती है।

दंगे - 
दो धर्म के मानने वालों के मध्य खूनी संघर्ष दंगा कहलाता है। भारत की स्वतंत्रता के पूर्व मुस्लिम लीग द्वारा 'सीधी कार्यवाही' की घोषणा से 16 अगस्त 1946 को कोलकाता में भीषण दंगे शुरु हुए। इसके बाद यह संपूर्ण उत्तरी भारत में फैल गए। भारत में सनातन - मुस्लिम - सिक्ख - ईसाइयों और बोधीं के बीच लंबे काल से दंगे होते रहे हैं। 

जातीय संघर्ष - 
इस संघर्ष को आदिम युग का काबिलाई संघर्ष कह सकते हैं। एक ही धर्म को मानने वाली दो या दो से अधिक जातियों के मध्य संघर्ष को जातीय संघर्ष कहते हैं। एससी - एसटी का स्वर्ण वर्ग के विरुद्ध और मणिपुर की घटनाएं जातीय संघर्ष की घटनाएं हैं। राजस्थान में जाट और राजपूर्त समाज के मध्य वर्चस्व की कड़ाई जातीय संघर्ष ही है।
  एक शुद्र को ऊपर से पानी पिलाते हुए फोटो 1920
भारत में जाति_व्यवस्था का हाल जानने के लिए इस फोटो को देखिये जो की सन 1920 में खिची गयी थी, जिसमे अछूत महिला को पानी पिलाने के लिए दूर से बांस के होल में पानी डालकर दिया जा रहा है, जिससे पानी व उसके बर्तन_अछूत के सम्पर्क में आने से अपवित्र न हो जाये।


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