लाल डायरी एक परिचय -
राजस्थान विधान सभा चुनावों से पूर्व अशोक गहलोत सरकार के विरुद्ध उन्हीं की सरकार के मंत्री राजेंद्र गुढ़ा विधायक उदयपुरवाटी द्वारा रचित कहानी का मूल बिंदु है लाल डायरी।
लाल डायरी नाम से काफी साहित्य पूर्व में भी मिलता है जिसमें ज्योतिष शास्त्री जातक की कुंडली बताने का प्रयास करते हैं जिसका मूल्य लगभग 6000 रुपए है। कोई भी मंगवा सकता है। लाल डायरी एक चर्चित शब्द रहा है जिसे ओर चटपटा बना कर पूर्व विधायक एवं मंत्री श्री राजेन्द्र गुढ़ा ने आम जनता में मीडिया के माध्यम से फैलाया। मैं स्वयं धर्मेंद्र सिंह राठौड़ के निकटतम में रहा हूं और आज भी हूं ने इस तत्कालिक घटनाक्रम की पड़ताल करने की कोशिश की जिसमें लगभग सभी पक्षों को बिना लाग - पाट के सुन कर लिखने का प्रयास किया है।
प्रस्तुत है मेरा लेख लाल डायरी मिथक एवं सत्य एक पड़ताल।
डायरी का रहस्य 👆
मीडिया में 👇
बड़े स्तर पर प्रिंट, इलेक्ट्रोनिक, सोशल मीडिया एवं लोकल यूट्यूबर द्वारा जोर - शोर से उठाया गया मुद्दा लाल डायरी जिसमें zee news, NDTV, ABP news, Sudarshan News, TV9 भारतवर्ष आदि मुख्य रहे।
मंत्री राजेन्द्र सिंह गुढ़ा को बर्खास्त करने का वास्तविक कारण 👇
मंत्री राजेंद्र गुढ़, सदन में राजस्थान में महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराधों को लेकर अपनी ही सरकार के विरुद्ध आक्रामक हो गए। उन्होंने सदन में कहा था कि ‘ये स्वीकार करना चाहिए, ये सच्चाई है कि हम महिलाओं की सुरक्षा में असफल हो गए. राजस्थान में महिलाओं के खिलाफ जिस तरह से अत्याचार बढ़े हैं, मणिपुर की चिंता करने की बजाय हमें अपने गिरेबान में झांकना चाहिए।" विपक्ष की भाषा बोलने और मंत्री पद पर रहते हुए अपनी ही सरकार का विरोध करने पर उन्हें मंत्री पद से बर्खास्त कर दिया गया।
लाल डायरी - एक दावा 👇
"मुझ पर रोज दबाव बनाने की कोशिश की जा रही है। लाल डायरी को हासिल करने के लिए गहलोत भी तरह - तरह के हथकंडे अपना रहे हैं। क्या जुल्म और सितम नहीं किए जा रहे जो सब वह कर सकते हैं किया।"
मल्लिकार्जुन खड़गे के एक बयान के जवाब में गुढ़ा।
"किसी का इंतजार नहीं, फिर जीतूंगा चुनाव"
- गुढ़ा
राजेंद्र गुढ़ा (तत्कालीन विधायक और बर्खास्त मंत्री) दावा करते हैं कि तत्कालीन आरटीडीसी चेयरमैन धर्मेंद्र राठौड़ पूर्व सीएम अशोक गहलोत और उनके बेटे वैभव गहलोत (पूर्व चेयरमैन राजस्थान क्रिकेट एसोशियेशन) के निकटतम हैं जिनको दैनिक डायरी लिखने का शौक है। राठौड़ दैनिक डायरी लिखते है जिसमें जागने से सोने तक का पूरा विवरण अंकित रहता है। गहलोत सरकार के लेनदेन और विधायकों की खरीद फरोख्त का विवरण इसी में दर्ज है। वर्ष 2020 में जयपुर के सोमदत्त अपार्टमेंट में ईडी की रेड के समय डायरी को बचाने हेतु धर्मेंद्र राठौड़ ने अशोक गहलोत से सहायता मांगी तब गुढ़ा को वहां भेजा गया। और गुढ़ा इसे लाने में कामयाब हो गए। गुढ़ा द्वारा लाल डायरी की कहानी शुरू करने के बाद यह एक चुनावी मुद्दा बन गया जिसे भाजपा नेताओं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रत्येक चुनावी सभा में भुनाया।
15 नवंबर 2022 को अशोक गहलोत के उदयपुरवाटी (झुंझुनूं) (जहां से गुढ़ा विधायक थे) विधानसभा क्षेत्र के दौरे से एक दिन पहले 14 नवम्बर के दिन गुढा ने लाल डायरी के चार पेज सार्वजनिक कर भूचाल ला दिया और प्रदेश में राजनैतिक भूकंप आ गया।
गुढ़ा ने बयान दिया कि राजस्थान प्रभारी रंधावा ने मुझ पर माफी मांगने हेतु प्रताड़ित किया एवं सरकार ने झूठे केस में फंसा कर दबाव बनाया। मैं डायरी को विधानसभा की टेबल पर रखना चाहता था ताकि यह रिकॉर्ड में आ सके लेकिन मुझसे कांग्रेस विधायकों ने डायरी छीन ली।
गुढ़ा तथाकथित लाल डायरी के चार पृष्ठ मीडिया के सामने लेकर आए और दावा किया गया कि इन पन्नों में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के OSD सौभाग सिंह, पर्यटन विकास निगम के चेयरमैन धर्मेंद्र राठौड़ के बीच राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन (आरसीए) के चुनाव में लेनदेन का विवरण दर्ज है।
क्या लिखा है - 👇
क्या लिखा है - 👇
क्या लिखा है - 👇
क्या लिखा है - 👇
क्या लिखा है - 👇
क्या लिखा है - 👇
क्या लिखा है - 👇
क्या लिखा है - 👇
🔥वैभव गहलोत का फोन आया कि पापा इसलिए वापिस सरकार नहीं बना पाते हैं… हर बार… इस बार भी… मैं इसलिए लिख के दे सकता हूं। सरकार बुरी तरह हारेगी। इसका कारण वे स्वंय हैं। अधिकारियों से ऐसे घिर जाते हैं, उन्हें राजनैतिक व्यक्ति बहुत बुरा लगने लग जाता है। वैभव जी के कहने पर सवाईमाधोपुर में एक स्वीपर का भी Transfer नहीं किया। जिला के अधिकारियों में इसका बहुत गलत मैसेज गया है। दानिश के सीएम साहब के भारी खिलाफ होते हुए भी उसके कहने पर मेरी बेईज्जती की। तब मैंने वैभव जी द्वारा भेजे व्हाट्सएप मैसेत सीएम साब के OSD शशिकांत को भेजकर कहा कि CM sb को कहना वैभव जी बहुत नाराज है।"
🔥फ्रेश होकर नहाधोकर खाना खाया। ऑफिस में 11:15 पर एमएलए पीआर मीणा आया और बोला कि मेरी जीआर खटाणा एमएलए से उसकी पत्नी के सामने खुलकर बात हो गई है। खटाणा का फॉरेस्ट डायवर्जन खान का मामला है। आप इसे एक दो दिन में सीएम से बात करके करा दो। वो 19 को राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी को वोट देगा। यह ऐलान कांग्रेस विधायक दल की मीटिंग में कर देगा। मैंने कहा कि सीएम साहब से बात करके कराता हूं।’
🔥पन्ने का अगला हिस्सा…
‘फ्रेश हो कर नहा धोकर खाना खाया. 12 बजे से 1 बजे तक महाभारत देखी। पीआर मीणा विधायक आए उनको मैंने कहा कि कुंजीलाल मीणा, प्रमुख खान सचिव आपके खान मामले में निगेटिव हैं। सो मैंने कुलदीप रांका PS CM को फोन पर बता दिया तथा CM sb को SMS कर दिया। इससे पहले मैंने कुंजीलाल मीणा आईएएस, आरविंद तोमर पीसीसीएफ वाईल्ड दोनों से फोन से लंबी बात की तो तोमर साहब का कहना था कि अगर कुंजीलाल मीणा चाहें तो खान चल सकती हैं वर्ना नहीं। दूसरा इनका सुझाव था कि हम सेंचुरी की बाउंड्री आगे खिसकाने का प्रस्ताव भारत सरकार को भेजकर मंजूर करवा सकते है। इसमें समय लगेगा मगर स्थायी समाधान यही होगा। 40-50 खान मालिकों को इसका फायदा होगा। यह सुनकर पीआर मीणा बोला कि अब तो आपको सीएम से कहकर कुंजीलाल मीणा आईएएस को प्रमुख सचिव (खान) से हटाकर बेकार जगह पोस्टिंग कराओ, तभी ब्यूरोक्रेसी में मजबूत और कड़ा संदेश जाएगा। फिर मै पीआर मीणा को उनके सरकारी आवास छोड़कर रघु शर्मा जी के निवास पहुंचा।
🔥एक अन्य पृष्ठ में लिखा है - पूरे दिन घर पर मिलना जुलना रहा। शाम को सेन्ट्रल पार्क घूमकर आया. 8 बजे बहरोड़ विधायक बलजीत यादव आए तो हम 9 निर्दलीय विधायक (बलजीत यादव, कांती मीणा, लक्ष्मण मीणा, सुरेश टाक, ओमप्रकाश हुडला, रमीला देवी, राजकुमार, खुशवीर सिंह) ने सीएम साहब से समय मांगा है. यह कहने के लिए कि धमेंद्र राठौड़ को आप अधिकृत कर दो हमारे काम के लिए. दूसरा विधायकों को अपने घर बुलाया तो सीएम साहब को बता देना।
राजेंद्र सिंह गुढ़ा से डायरी प्रवर्तन निदेशालय (ED) को सौपने के सवाल पर कहा, 'यदि ईडी, सीबीआई और इनकम टैक्स कोई कार्रवाई करें तो मुझे लाल डायरी के पन्ने सौंपने में कोई परहेज नहीं है लेकिन तीन पन्ने सार्वजनिक करने के बाद भी आज तक किसी ने उस पर कुछ नहीं कहा है, न कोई एक्शन हुआ है। यदि कांग्रेस को लगता है कि लाल डायरी में कुछ नहीं है तो फिर उन्हें आगे आकर इस डायरी को जनता के सामने रखना चाहिए। यदि जांच एजेंसी दूध का दूध पानी का पानी करने का विश्वास दिलाए तो मैं एक मिनट में उन्हें लाल डायरी सौंप दूंगा।"
सीकर की चुनावी सभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उठाया मुद्दा 👇
अशोक गहलोत ने प्रेस कान्फ्रेस कर केंदीय एजेंसियों का दुरुपयोग करने का केंद्र सरकार पर लगाया आरोप 👇
विधानसभा में हंगामा -
राजेन्द्र सिंह गुढ़ा लाल रंग की एक डायरी ले कर सदन में पहुंचे और उसे हवा में लहराने लगे। विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने उन्हें ऐसा करने से मना किया परंतु वो नहीं माने। इस बीच संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल और आदर्श नगर विधायक रफीक खान से उनकी झड़प भी हुई। विधानसभा में अपने साथ हुए बर्ताव को लेकर गुढ़ा ने कहा कि 8 दिन पहले मैं जब विधानसभा में गया तो (मंत्री नहीं होने के कारण मंत्री की कुर्सी पर नहीं बैठ सकता था) मेरे लिए दूसरी कुर्सी नहीं लगाई गई न ही माइक दिया गया। सदन में कुर्सी मुझे अशोक गहलोत की मेहरबानी से नहीं मिली, मेरा अधिकार था। मैंने यह सब अध्यक्ष को बताया कि मुझे बोलना है पर उन्होंने भी अनसुना कर दिया।
गुढ़ा ने आरोप लगाया कि लाल डायरी मुझ से विधानसभा में छीन ली गई। विवाद इतना ज्यादा बढ़ गया है कि गुढ़ा को विधानसभा से निलंबित कर दिया गया और उन्हें मार्शल के माध्यम से विधानसभा से बाहर निकलवा दिया गया।
कांग्रेस का पक्ष
✋कांग्रेस प्रवक्ता सीआर चौधरी , अशोक गहलोत और रंधावा ने आरोप लगाया कि भाजपा आईटी सेल में ये पन्ने गढ़े जाते हैं और जनता के बीच वायरल कर भ्रम फैलाया जाता हैं। इसके पन्ने और सूत्र पूर्णतया निराधार है।
✋तत्कालीन संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल ने कहा कि ये सब झूठ है। कोई लाल डायरी है ही नहीं।
भाजपा का पक्ष
🔥भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत का कहना है कि राजेंद्र गुढ़ा का कहना है कि लाल डायरी में बहुत राज हैं। उसमें 500 करोड़ का हिसाब है और मुख्यमंत्री के बेटे वैभव गहलोत का भी इसमें नाम है। विधानसभा में लाल डायरी लेकर गए गुढ़ा के साथ मारपीट कर उन्हें बल प्रयोग कर बाहर कर दिया गया। साफ है कि डायरी में लिखे काले धन के राज और नाम सामने आने से सीएम गहलोत का राजनीतिक जीवन संकट में पड़ जाएगा। कांग्रेस की सरकार तक गिर सकती है और जैसा गुढ़ा बता रहे हैं कई लोगों को जेल भी हो सकती है। विधानसभा में राज्य सरकार ने लाल डायरी के राज सामने आने से रोकने के लिए गुंडागर्दी करवाई। मंगलवार को वायरल हुए लाल डायरी के पन्नों में कांग्रेस विधायक की खान के आवंटन का भी जिक्र किया गया है।
🔥 लाल डायरी पार्ट-2 का खुलासा हुआ है, जिसमें अनेकों घोटाले के द्वारा राजस्थान को केसे लूटा गया उसका हिसाब-किताब लिखा हुआ है। जनता अवश्य कांग्रेस को सबक सिखाएगी। यह लाल डायरी कांग्रेस और कांग्रेस नेताओं को सोने नहीं देगी। इसमें गहलोत सरकार के मंत्रियों और उनके परिजनों का भी जिक्र है।
👆अरुण सिंह भाजपा नेता, प्रदेश प्रभारी राजस्थान
लाल डायरी के किरदार👇
इस लाल डायरी के मुख्य किरदार हैं
1. श्री धर्मेंद्र राठौड़ (लेखक एवं पूर्व चेयरमैन RTDC)
2. श्री अशोक गहलोत (पूर्व मुख्यमंत्री)
3. श्री वैभव गहलोत (अशोक जी के पुत्र)
4. श्री राजेंद्र गुढ़ा (पूर्व मंत्री)
श्री धर्मेंद्र राठौड़👇
धर्मेंद्र राठौड़ पूर्व कर्मचारी नेता ( लिपिक पशु पालन विभाग एवं अध्यक्ष कर्मचारी महासंघ) 1989 में पिता की मृत्यु पर 20 साल की आयु में अनुकंपा नियुक्ति पर पशुपालन विभाग में बाबू बने और 1990 में जयपुर स्थानांतरित हो कर आए। पांच बहन और चार भाइयों में सब से बड़े राठौड़ अजमेर जिले के नांद गांव के रहने वाले हैं जो अपने ननिहाल अलवर में नाना के यहां गोद चले गए। 1998 के गहलोत कार्यकाल में कर्मचारी आंदोलन नेतृत्व किया। आंदोलन के बाद सरकारी नौकरी छोड़ कर निर्दलीय विधानसभा चुनाव लडा और असफल हो गए। इसके बाद इनकी गहलोत से निकटता बढ़ती गई। दूसरे कार्यकाल में बीज निगम के अध्यक्ष बने और तीसरे कार्यकाल में RTDC चेयरममेन। गहलोत सरकार के तीसरे कार्यकाल में सचिन पायलट जनित सियासी संकट से उबरने में खास भूमिका निभाई जिस से वो भाजपा की आंखों की किरकरी बन गए। राठौड़ की गिनती समन्वयकारी सेतु के रूप में होती है। उनके यहां पूर्व मंत्री विधायकों, अधिकारिय और व्यापारी आज भी सलाह लेने हेतु आते रहते हैं। पढ़ने लिखने के शौकीन राठौड़, आज कल अपना जीवन वृत्त लिखने में व्यस्त हैं।
वास्तविक रूप से राठौड़ कम्युनिस्ट विचारधारा के व्यक्ति हैं। कश्मीर के प्रसिद्ध कम्युनिस्ट नेता और लेखन शर्राफ उनके आदर्श और गुरु हैं। राठौड़ को लिखने पढ़ने का हद से बढ़कर शौक है। बकौल राठौड़ वो रोज दो घंटे से अधिक पढ़ते हैं। कहते हैं knowladge is power. घोड़े की सवारी के लिए खुद को अच्छा सवार बनना होगा और अच्छा सवार बनने के लिए उचित प्रशिक्षण की आवश्यकता है। राजनीति में दोस्त और दुश्मन के बारे में पूरी जानकारी जरूरी है।
राजेंद्र सिंह गुढ़ा 👇
सात भाईयों एक बहन (कोलायत विधायक भंवर सिंह भाटी पूर्व मंत्री की पत्नी) में रणवीर गुढ़ा और राजेन्द्र गुढ़ा उदयपुर वाटी विधनसभा की राजनीति में सक्रिय (विधायक, मंत्री) रहे हैं। राजेंद्र गुढ़ा ने 1998 का चुनाव बहुजन समाज पार्टी से लड़ा और पांच अन्य विधायकों सहित बहुजन विधायक मंडल का कांग्रेस में विलय कर दिया। इसके बाद 2019 में फिर बसपा से चुने गए और फिर सभी बसपा विधायकों सहित कांग्रेस में शामिल हो गए। गुढ़ा अपने बड़बोलेपन के कारण अक्सर सुर्खियों में रहते हैं। 2020 के सियासी संकट में गुढ़ा ने खुल कर गहलोत सरकार को बचाने हेतु सहायता की एवं सफल रहे। सितंबर 2023 में राजेंद्र सिंह गुढ़ा शिव सेना (शिंदे गुट) में शामिल हो गए और उम्मीद की कि यहां भाजपा कोई उम्मीदवार नहीं उतारेगी। परंतु भाजपा ने वहां अपना उम्मीदवार उतारा और गुढ़ा चुनाव हार गए। एक अवसर पर गुढ़ा ने कहा कि लोगों का कहना है कि वे उदयपुरवाटी में अपने सामने प्रत्याशियों की घोषणा होने तक इंतजार कर रहे हैं. लेकिन ऐसा कुछ नहीं है। वे किसी से नहीं डरते, यदि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत खुद भी उनके सामने चुनाव लड़ने आ जाए तो वे ही जीतेंगे। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तो डाउन ही होते जा रहे हैं इसलिए उन्हें डरने की जरूरत नहीं है। मैं बसपा से लड़ा जीता उसे छोड़ दिया, फिर बसपा से लड़ा जीता उसे छोड़ दिया। अब लडूंगा और जीतूंगा।
एक बयान में कहा "अशोक गहलोत को मैंने दो बार मुख्यमंत्री बनाया। 2008 में तो ये फेल हो गए थे इनके पास 96 विधायक थे चाहिए थे 100 से अधिक। मैंने इनको 6 बसपा विधायक दे कर CM बनने में सहायता की। इसके बाद उनके कहने से राज्यसभा चुनाव में 6 बार कांग्रेस को वोट दिए। दूसरी बार 2018 में मैंने फिर से 6 विधायक दे कर दोबारा उनकी सरकार बनाने में सहायता की।"
गुढ़ा खुलकर कुछ नहीं बता रहे हैं, लेकिन कह रहे हैं कि इस डायरी में विधायकों के साथ लेन-देन का हिसाब है। बीजेपी का हेलिकॉप्टर (सियासी संकट के समय) खाली क्यों गया और बीजेपी के विधायक बाड़ेबंदी से क्यों भागे उसका पूरा विवरण है इस डायरी में। राजस्थान क्रिकेट एसोशिएसन के चुनाव का हिसाब-किताब भी दर्ज है।
धर्मेंद्र राठौड़ और गुढ़ा परिवार की निकटता -
धर्मेंद्र राठौड़ का ससुराल उदयपुर वाटी के पास सुरवास गांव है। ससुराल पक्ष से निकटता के कारण गुढ़ा जब राजनीति में शून्य थे और बच्चों की पढ़ाई के संबंध में मदद की जरूरत हुई तो राठौड़ ने इनकी पूरी मदद की। गुढ़ा की पत्नी के स्वास्थ्य संबंधी मामलों में भी राठौर उनके साथी रहे। इन्हीं निकटताओं के कारण गुढ़ा धर्मेंद्र राठौड़ के घर के काफी करीबी व्यक्ति रहे हैं।
अशोक गहलोत
राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और धर्मेंद्र राठौड़ में दूसरे कार्यकाल दौरान निकटता बढ़ी। पहले कार्यकाल में। वो उनके विरुद्ध कर्मचारी आंदोलन में रत रहे परंतु बाद में दोनों की निकटता में अप्रत्याशित वृद्धि हुई। धर्मेंद्र राठौड़ के अनुसार अशोक गहलोत विश्व के सब से ईमानदार नेता हैं ओर व्यक्ति की पहचान करना जानते हैं। जल्द किसी की बातों का विश्वास - अविश्वास नहीं करते। तथ्यों के आधार पर ही कार्य करते हैं। उन्होंने कई बार अपने बेटे वैभव की सिफारिशों को नीतिगत आधार पर नकार दिया। गहलोत कांग्रेस के लिए जीते हैं और कांग्रेस के लिए मरते हैं। गहलोत ने भाजपा की अन्य राज्यों की तरह सरकार गिराने की मंशा को धूल में मिला दिया। तब से केंद्र सरकार की आंखों की किरकरी बने हुए हैं।
वैभव गहलोत
2019 में जोधपुर से 2024 में जालौर से सांसद चुनाव में भाग्य आजमाने वाले परंतु असफल वैभव गहलोत अशोक गहलोत के एकमात्र पुत्र हैं। अपने कार्यकाल में उन्हें सीपी जोशी के स्थान पर राजस्थान क्रिकेट संघ का अध्यक्ष बनाया था। इसी संदर्भ में गुढ़ा ने लेन देन के आरोप लगाए। डायरी में वैभव गहलोत का भी जिक्र है जिसमें उन्होंने दावा किया है कि अशोक गहलोत, (अपने कार्यकाल में चौथी बार) सरकार रिपीट नहीं कर पाएंगे।
धीरज गुर्जर
प्रियंका गांधी के निकटतम में से धीरज गुर्जर विधायक रह चुके हैं। गुढ़ा ने धीरज गुर्जर के साथ धर्मेंद्र राठौड़ के फ़्लैट पर जाना बताया पर उन्होंने इस पर बोलने से मना कर दिया। धीरज शरीर से काफी सुडौल हैं।
बलजीत यादव -
बहरोड़ अलवर से निर्दलीय विधायक बलजीत यादव को लाल डायरी के पन्ने में स्थान मिला है। हालांकि इस संबंध में बलजीत यादव का कोई अधिकृत बयान नहीं आया है।
पी आर मीना विधायक टोडाभीम
रीलीज पन्नों में टोडा भीम विधायक पीआर मीणा (पहले पायलट के साथी बाद में गहलोत खेमें में) का जिक्र है।
पुलिस द्वारा लाल डायरी की खोज एवं राजेंद्र गुढ़ा द्वारा लाल डायरी के माध्यम से सियासत को हवा देना -
राजनीति में 'लाल डायरी' की कहानी नई बात नहीं है इस से पहले भी कई डायरियों की कहानियां चर्चा में रही हैं पर इस डायरी के बारे में जो मुखरता नजर आई अन्य में नहीं पाई जाती। जिस समय सचिन पायलट की बगावत के कारण कांग्रेस सरकार संकट में आ गई तब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के करीबी धर्मेंद्र राठौड़ के यहां इनकम टैक्स का छापा पड़ा। उस समय धर्मेंद्र राठौड़ सिविल लाइन के सोमदत्त अपार्टमेंट में मौजूद थे। धर्मेंद्र डायरियों में अपनी दिनचार्या लिखते हैं। गुढ़ा के अनुसार धर्मेंद्र राठौड़ ने पुलिस से मदद मांगी कि किसी तरह से उनकी डायरियां निकाली जाए। पुलिस ने एक एडिशनल एसपी को भेजा गया। उस समय इनकम टैक्स के अधिकारी मनोज यादव, अनिल ढाका 5 अन्य सुरक्षाकर्मियों के साथ फ्लैट में मौजूद थे। एडिशनल एसपी ने कहा कि हमें पता चला है कि यहां एक विधायक को छुपाकर रखा गया है, हमें तलाशी लेनी है, लेकिन इनकम टैक्स अधिकारियों ने उन्हें बेरंग लौटा दिया। इसके बाद राजेंद्र गुढ़ा, धीरज गुर्जर और एक पुलिस अधिकारी को भेजा गया। गुढ़ा करणी सेना कार्यकर्ता के साथ हंगामा करते हुए आए आठवें और नावें माले पर चढ़ गए और धीरज गुर्जर सहित अंदर दाखिल हो गए। धीरज गुर्जर ने इनकम टैक्स के अधिकारियों को उलझाया। अधिकारी डायरियों की फोटो खींच कर उच्च अधिकारियों को भेज रहे थे। गुढ़ा ने उन सारी डायरियों को छीनकर बाहर निकलना चाहा तो देखा कि सामने की तरफ सीआरपीएफ का बड़ा दस्ता सोमदत्त अपार्टमेंट में दाखिल हो गया है। गुढ़ा ने साथियों को पीछे की तरफ से आने को कहा और डायरियों को बालकनी की जलियां काट कर नीचे फेंकने लगे। साथी डायरियां ले कर वहां से भाग निकले। नीचे आते समय इनकम टैक्स अधिकारियों ने सुरक्षाकर्मियों को उन्हें रोकने को कहा परंतु किसी तरह वो वहां से भाग निकले। गुढ़ा का यह भी दावा है कि उन्होंने जब पूरी कहानी सीएम अशोक गहलोत को सुनाई तो उन्होंने कहा कि तुम्हें तो हॉलीवुड में होना चाहिए था। इनकम टैक्स अधिकारियों के पूछने पर गुढ़ा ने कहा कि सभी लाल डायरियां जला दी गई हैं। अब वो कह रहे हैं कि कुछ डायरियां उनके पास हैं।
👆- राजेंद्र सिंह गुढ़ा के बयानों के अनुसार
✒️अनसुलझे सवाल -
प्रश्न 01 धर्मेंद्र राठौड़ के फ्लैट पर पहुंचना और निकलना -
धर्मेन्द्र राठौड़ के फ्लैट 8 वीं और 9 वीं मंजिल पर हैं गुढ़ा के अनुसार धीरज गुर्जर, 30 से अधिक करनी सेना कार्यकर्ता और स्वयं गुढ़ा वहां पहुंचे। सीढियां इतनी संकरी हैं की 40 आदमियों से पूरी भर जाएं। धीरज गुर्जर का भारी भरकम शरीर जिस से बिना लिफ्ट के इन मंजिलों पर चढ़ना मुश्किल है और फिर चढ़ गए तो पुलिस और अधिकारियों से बच कर फुर्ती से उतरना तो नामुमकिन है। सोमदत्त अपार्टमेंट रिहायशी इलाका है को मंत्रियों के घरों के एकदम निकट है जहां की सुरक्षा व्यवस्था को धत्ता बताते हुए घुसना और निकलना असंभव है।
प्रश्न 02 धर्मेंद्र राठौड़ के दोनो फ्लैट की निगरानी -
सोमदत्त अपार्टमेंट में आने जाने वाले लोगों की एंट्री होती है। बेरिकेटिंग लगी हुई है। सामने केमरे लगे हुए हैं। यह केमरे 2015 से लगे हुए है जो 24X7 कार्य करते हैं। यदि वो यह डायरी वहां से लाते तो केंद्र की भाजपा सरकार को फुटेज सार्वजनिक करने चाहिये परंतु ऐसा नहीं किया गया। गुढ़ा के अनुसार CCTV और DVR इनकम टैक्स अधिकारी ले गए।
प्रश्न 03 गुढ़ा और धीरज गुर्जर पर राज कार्य में बाधा का मुकदमा क्यों दर्ज नहीं हुआ - ?
पूरी कार्यवाही केंद्रीय एजेंसियां अंजाम दें रही थी जो राज्य सरकार को अपदस्थ करना चाहतीं थी। इन्हीं एजेंसियों से सीनाजोरी कर गुढ़ा और धीरज गुर्जर सरकारी दस्तावेज चुरा कर भागे। इन पर चोरी, राजकार्य में बाधा ओर साक्ष्य मिटाने का प्रयास का मुकदमा चलना चाहिए। पंरतु ऐसा नहीं हुआ।
प्रश्न 04 इनकम टैक्स के अधिकारियों की रिपोर्ट पर केंद्र सरकार ने कार्यवाही क्यों नहीं की - ?
इस मामले में इनकम टैक्स के अधिकारियों की पूरी रिपोर्ट पर केंद्र सरकार ने कोई कारर्वाई क्यों नही की यह सवाल अनुत्तरित है। जब सभी साक्ष्य उपलब्ध थे और स्वयं प्रधानमंत्री सार्वजनिक रूप से कह रहे थे तो धर्मेन्द्र राठौड़ को गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया। न ही उन्हें आगामी पूछताछ के लिए बुलाया गया।
प्रश्न 05 सिविल लाइंस में 24 घंटे धारा 144 को तोड़ना आसान नहीं -
क्या ये हो सकता है इतने सारे सेक्युरिटी इंट्जक के बीच कोई वहां पहुंच जाए। यह सारी बातें जान बूझकर सनसनी फैलाने के लिए फैलाई जा रही है।
- 👆शांति धारीवाल
लाल डायरी का सच -
संपूर्ण घटनाक्रम की पड़ताल करने के बाद अपनी राय देने से पूर्व सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी साझा करना आवश्यक है।
कांग्रेस के नेताओं में आपसी चर्चा है कि मारवाड़ के किसी समय अशोक के समर्थक विधायक/मंत्री किसी बात पे उन से नाराज हो गए और विरोधी खेमे में चले गए। इन्हीं नेताजी के माध्यम से राजेंद्र सिंह गुढ़ा की भेंट सचिन पायलट जी से हुई। जगजाहिर है वापसी के बाद भी अशोक जी और पायलट साहब में जो भावनात्मक लगाव होना चाहिए नहीं हो पाया। एक मुलाकात में गुढ़ा जी से ठिठोली में ही सही उनके साथ गए विधायकों को लाभ और अच्छा मंत्रालय मिलने की बात कह दी।
इस बात को गुढ़ा दिल पर ले गए और धीरे - धीरे अशोक जी व धर्मेन्द्र जी से अलग होते चले गए।
यह सत्य है कि धर्मेंद्र जी ने गुढ़ा को पोर्टफोलियो बदलने का आश्वासन दिया था जो उनके विद्रोह के पांच - सात दिन में होने वाला था। विद्रोह के बाद विपक्ष के चंगुल में फंसे गुढ़ा चाह कर भी वापसी नहीं कर पाए।
मेरी पड़ताल
यह सच है कि धर्मेंद्र राठौड़ को लिखने पढ़ने का शौक है और वो डेली डायरी लिखते हैं जो वर्ष के हिसाब से कई रंग की हैं। ज्यादातर का कवर थोड़ा मतमैला सा है। विशेष और सामाजिक कार्य वो गांधी डायरी में लिखते हैं। हस्तलिपि के हिसाब से भी लगता नहीं कि धर्मेंद्र राठौड़ ने लिखा है। हां उनके लिखने की स्टाइल की कॉपी करने का प्रयास किया गया है जो घनिष्ठतम व्यक्ति ही कर सकता है।
फिर भी मान लिया जाए कि यह पन्ने धर्मेंद्र राठौड़ द्वारा लिखित डायरी के पन्ने हैं और गुढ़ा जी इसे सोमदत्त अपार्टमेंट से बचा कर ले आए। गुढ़ा ने इसे पढ़ा होगा और एक्सपर्ट्स को भी पढ़ाया होगा। डायरी का सब से संवेदनशील भाग छांटा गया होगा। इस तरह यह चार पेज अत्यधिक संवेदनशील मान कर जन साधारण तक मीडिया व अन्य माध्यम से पहुंचाया गया होगा।
परंतु यह तो आपस के वार्तालाप हैं जो हर नेता करता है। एक पुत्र ने पिता की नीतियों से क्षुब्ध हो कर चाचा को कुछ बताया तो इसमें कहां गलत है।
एक विधायक ने किसी काम के लिए कहा और अधिकारी नहीं कर रहे तो इस संबंध में CM साहब से चर्चा करने का विवरण कब से गलत हो गया।
सरकार बचाना वो भी अपनो के दुश्मनों में मिल जाने के बाद कोई सीधा काम तो नहीं था और धर्मेन्द्र राठौड़ ने इस हेतु अशोक गहलोत की सहायता की।
कहीं रूपयों के लेनदेन और अन्य अनर्गल बात नहीं है इन चार पन्नों में।
पाठक के रूप में आप अपनी राय अवश्य दें।
गुढ़ा का बयान -
गहलोत सरकार के समय चर्चा में आई लाल डायरी का जिक्र करते हुए राजेंद्र गुढ़ा ने कहा कि मैंने वो डायरी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को सौंप दी थी। अब वे कार्रवाई क्यों नहीं कर रहे? इसका मतलब सब मिले हुए हैं।
शमशेर भालू खान
9587243963
No comments:
Post a Comment