Thursday, 10 July 2025

✍️ईसाई धर्म

ईसाई धर्म
 आज से लगभग 2055 साल पहले 25 दिसम्बर 33 ईशा मसीह का जन्मोत्सव 25 दिसंबर को क्रिसमस *X-Mas के रुप में मनाया जाता है) BC ईशा नामक व्यक्ति का जन्म हुआ।
    उनकी माता का नाम मरियम या मारिया था गांव में परिवार बढई का कार्य करता था जो कि सुलेमान,व जकरिया के वंसज थे। इस्लाम धर्म में ईशा को पैगम्बर अर्थात नबी के रूप में स्वीकार किया गया है और ईसाई उन्हें ईश्वर का पुत्र (सन ऑफ गॉड) के रूप में स्वीकार करते हैं।
इस्लाम व ईसाई मान्यताओं के अनुसार मरियम को बिना किसी पुरूष संसर्ग के पुत्र की प्राप्ति हुई थी।
ईशा ने बहुदेववाद और मूर्ति पूजा का विरोध किया और एक निराकार ईश्वर की पूजा का संदेश दिया।
कहा जाता है कि ईशा को मरे हुए लोगों को जीवित करने अंधे बहरों बीमारों को ठीक करने की शक्ति प्राप्त थी।
 उस समय पाप व अत्याचार  बहुत बड़ी संख्या में बढ़ गये थे,तत्कालीन राजा एवं राज अधिकारी आम जनता पर अत्याचार करते थे।
ईसा मसीह ने इसका विरोध किया व अत्याचार रोकने का प्रयास किया।
इस व्यवस्था को आम जनता ने स्वीकार किया जिससे उनके अनुयायियों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ने लगी और शासक वर्ग में खिन्नता बढ़ती गई।
 आखिरकार उनको रोकने की खूब कोशिशें की गई पर नाकाम रहे।
 ईशा को बंदी बना कर धर्म के प्रति नकारात्मकता फैलाने के जुर्म में अभियोग चलाया गया और मौत की सजा सुनाई गई।
यहां यह बताना आवश्यक है कि ईशा के परिवार का धर्म यहूदी था।
आखिकार 1 जनवरी 00 को पिलातूस के आदेश से (तत्कालीन राजा) उन्हें शुक्रवार के दिन (होली/गुड फ्राइडे 20 मार्च से 23 अप्रैल के मध्य का शुक्रवार) 33 वर्ष की आयु में सलीब/सूली पर चढ़ा दिया गया और उनके शरीर पर जगह-जगह कील और मेख ठोक दी गई।बाईबल के अनुसार 2 दिन बाद रविवार के दिन वे पुनः जीवित हो गये जो ईस्टर के रूप में मनाया जाता है। 
सूली पर चढ़ने के पहले दिन गुरुवार को अपने 12 शिष्यों के पैर धो कर उन्हें सत्य के रास्ते पर अडिग रहने की शिक्षा दी जिसे बपतिस्मा कहा जाता है।
     जब इसको सलीब पर लटकाया जा रहा था तो ईशा के शब्द थे " हे ईश्वर, उन्हें माफ़ करना वह नहीं जानते कि वो क्या पाप कर रहे हैं।"
ईशा के सलीब पर चढ़ने के दिन से ग्रिगेरियन कलेंडर की शुरुआत हुई जिस के अनुसार इश्वी सन प्रारम्भ हुआ।
इसी दिन से विश्व इतिहास दो भागों में विभाजित हुआ जिन्हें एडी व बीसी के नाम से जाना जाता है।
 एडी का अर्थ है ईशा के सूली चढ़ाने के बाद का समय व बीसी का अर्थ है ईशा के सूली पर चढ़ाने से पहले का समय।
      आज विश्व में कि 10 अरब आबादी में 2 अरब 66 करोड़ इसाई धर्म के मानने वाले हैं।
यूरोप,उत्तरी-दक्षिणी अमेरिका, अफ्रीका एशिया महाद्वीप सहित पूरी दुनिया में ऐसा कोई देश नहीं है जहाँ ईसाई धर्मावलबी नहीं हैं।
 ईसाई धर्म की शिक्षाओं को योहाना जो ईशा के गुरु थे वे 12 अन्य अनुयायियों ने  संकलित किया जो बाईबल के नाम से जाना जाता है।
 इसाई धर्म ग्रंथ पवित्र बाइबल जो मूल रूप से हिब्रू भाषा में लिखा गया को 40 संकलनकर्ताओं ने 1500 वर्ष में पूर्ण किया।
बाईबल के दो भाग हैं:-
1 ओल्ड टेस्टामेंट (यहूदी धर्म के बारे में)
2 न्यू टेस्टामेंट (ईसाई धर्म के बारे में व ईशा की शिक्षाओं का वर्णन।)
इसके साथ ही उनके अनुयायियों ने 5 ग्रन्थ गुड न्यूज (शुभ-समाचार) लिखे जिसमें यीशु के मानवतावादी कार्यों सन्देशों का वर्णन है।
 ईशा ने अपने अनुयायियों को बपतिस्मा अथवा दीक्षा संस्कार किया और उन्हें ईसाई धर्म की शिक्षाओं को सुदूर विश्व में फैलाने की जिम्मेदारी दी।
बाइबिल में पूजा स्थल का नाम एकलेशिया कहा गया है जो बाद में कलेशिया बन गया इसका अर्थ है ईसाई समुदाय। चर्च शब्द यूनानी भाषा से लिया गया है का अर्थ है ईश्वर का या परमेश्वर का। भारत में ईसाई धर्मस्थल को गिरजाघर कहा जाता है।
   ईसाई धर्म में पूजा स्थल चर्च की स्थापना जगह-जगह की गई और सर्वप्रथम विशाल रूप से यूनान रोम में ईसाई धर्म का प्रचार-प्रसार हुआ।
ईसाई धर्म के मुख्य उपदेशक को  पॉप कहा जाता है जो वेटिकन सिटी में रोमन कैथोलिक चर्च में रहते हैं।
 स्थानीय उपदेशक को पादरी या फ़ादर कहा जाता है। महिला उपदेशक को नन नाम से पुकारा जाता है इनका मुख्यालय वैटिकन शहर है जो एक देश के रूप में मान्यता प्राप्त है।
ईसाई धर्म में मानव सेवा करने वाले व्यक्ति को संत की उपाधि दी जाती है धर्म प्रचार का कार्य मिशनरी संस्था द्वारा अनवरत जारी है।
 कालांतर में ईसाई धर्म के भी 4 भाग हो गए 1054 में रोमन कैथोलिक और ऑर्थोडॉक्स अलग हुये। ईसाई धर्म के चार भाग इस प्रकार हैं
1 रोमन कैथोलिक 
2 ऑर्थोडॉक्स 
3 प्रोटेस्टेंट 
4  एगलिंकन
ईसाई धर्म मे समय के साथ विवाद बढ़ते गये जिस का मुख्य कारण रोमन कैथोलिक पॉप द्वारा धर्म के नाम पर अत्यधिक पाबंदियां लगाना। पॉप द्वारा चर्च की सदस्यता अनिवार्य करना व मुक्ति पत्र बांटने (मरने के बाद स्वर्ग में जाने का प्रमाण-पत्र) का भयंकर विरोध हुआ।
1 रोमन कैथोलिक:- यह सब से अधिक संख्या में प्रारंभ काल से ईसाई धर्म की मान्यताओं को मानने वाले लोग हैं मिशनरी के माध्यम से धर्म प्रचार करते हैं।
2 ऑर्थोडॉक्स:- पूर्वी यूरोप के ईसाई जो पॉप के विचारों से असहमत थे को ऑर्थोडॉक्स कहा जाता है। यह सन 1054 में पॉप से अलग हुये।
3 प्रोटेस्टेंट :- धर्म के सरलीकृत रूप को स्वीकार करने वाले कट्टरपंथी विचारधारा को नकारने वाले विकासशील लोगो का समूह जो 16 वीं शताब्दी में रोमन कैथोलिक से अलग हुआ।
4 एगलिंकन :-  आँगलिकाई एक्या सनुदाय के समूह द्वारा 17वीं शताब्दी में ईसाई धर्म स्वीकार करने से एगलिंकन समुदाय की शुरुआत हुई।
(ईसाई धर्म के अलग-अलग भाग होने का मुख्य कारण चर्च का आधिपत्यवादी रवैया रहा।
 ईसाई धर्म में भी समय के साथ साथ जिन कार्यों के लिये यीशु द्वारा वर्जना की गई थी जैसे मूर्ति पूजा आदि प्रारंभ हो गई।
स्वयं यीशु व मरीयम की मूर्तियों की स्थापना कर उनकी पूजा की जाने लगी।
मृत्यु के पश्चात ईसाई ताबूत में रख कर कब्रिस्तान में मृतक को दफनाते हैं।
विवाह संस्कार चर्च में पादरी के निर्देशन में दूल्हा-दुल्हन की स्वीकारोक्ति पर सम्पन्न होते हैं।
त्यौहार :-
1 क्रिसमस(X-Mas) :-
25 दिसम्बर की यीशु के जन्मदिन को क्रिसमस के रूप में मनाया जाता है। लोग संता क्लोज के भेष में लोगों को तोहफ़े भेंट करते हैं।
2 गुड/होली फ्राइडे :-
 20 मार्च से 23 अप्रैल के मध्य के शुक्रवार का दिन।
गुरुवार को 12 लोगों के पैर धोकर आशीर्वाद लिया जाता है, शुक्रवार को चर्च में प्रार्थना की जाती है। (गुड फ्राइडे बलिदान दिवस के रूप में मनाया जाता है जिस की शुभकामनाएं या बधाई नहीं दी जातीं।
इस दिन उपवास रखा जाता है।
3 ईस्टर :- 
गुड/होली फ्राइडे के दो दिन बाद के रविवार को ईस्टर का त्योंहार(यीशु के सलीब से जिंदा लौटने की खुशी में) मनाया जाता है। इसके बाद वो अंतर्ध्यान हो गये अब कयामत(प्रलय) के एक दिन पहले मेहंदी(एक पैगम्बर का नाम) के साथ इस संसार में पुनः आयेंगे।

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