Wednesday, 16 July 2025

लघुकथा -लाठी की आवाज

#लघुकथा - #लाठी_की_आवाज
संधिपुर गांव में जेमन नाम का समृद्ध किसान रहता था। जेमन का परिवार गांव का सब से सम्पन्न और सुखी परिवार था।
पीढ़ियों की अमीरी से उनका जीवन स्तर और शिक्षा उच्च कोटि की रही।
पिता जेमन को जमीन, जायदाद, हवेली, बगीचे, ताखड़ी से तौल कर चांदी के सिक्के और गिन्नीयां पैतृक संपति के रूप में मिले।
जेमन के दो जुड़वां बेटे हुए, एक का नाम हरका और दूसरे का नाम सरका रखा।
दोनों के हाव - भाव, शक्ल सूरत और पढ़ने - लिखने में बाल बराबर अंतर था, जिसे आम आदमी नहीं पहचान सकता। मां दोनों की पहचान के लिए एक के कान के पीछे काजल का टीका लगाती।
दोनों साथ पढ़ें और फौज में भर्ती हो गए। वक्त के साथ दोनों के व्यवहार में बदलाव शुरू हो गया।
बड़ा भाई हरका लालची, कपटी और हलकट हो गया जबकि छोटा भाई सरका साधु स्वभाव अपनाते हुए अपनी मौज में रहने लगा। दोनों भाई फौज से रिटायर हो गए।
पिता की मृत्यु के बाद जायदाद के बंटवारे पर घर में अनबन रहने लगी। हरका ने हर चीज में उछल पान्ति ले कर ब्याज का धंधा शुरू कर दिया। सरका खेती बाड़ी में ही रहता, कोई जरूरत मंद आता तो उसकी मदद करता।
दोनों के बेटे एक ही स्कूल में पढ़े,कोचिंग की, और नीट की परीक्षा दी।
नीट का रिजल्ट आया, हरका के बेटे के सरका के बेटे से कम नंबर बने।
सरका के बेटे का दाखिला एम्स में स्कॉलरशिप के साथ हुआ, और हरका के बेटे का निजी कॉलेज में डोनेशन से।
गांव में बाते होने लगीं कि जिसने लोगों से हड़प कर करोड़ों में धन कमाया, और डोनेशन में लग गया। किसी ने कहा "राज का राज में - ब्याज का ब्याज में।
शिक्षा - ऊपर वाले की लाठी में आवाज नहीं होती।
#जिगर_चूरूवी 
(शमशेर भालू खां)

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